कवि ने सावन से कहा है तुम बरस लोवेन बरसे इस पंक्ति में बरस और बरसे का क्या अर्थ है? - kavi ne saavan se kaha hai tum baras loven barase is pankti mein baras aur barase ka kya arth hai?

‘तुम बरस लो, वे न बरसें’ कथन का क्या आशय है?


‘पिता’ कविता में कवि सावन से कहता है -‘तुम बरस लो, वे न बरसें’, अर्थात् हे सावन! तुम तो जी भरके बरस लो पर वहाँ जाकर कोई ऐसा संदेश पिताजी को मत दे देना कि उनकी अश्रुधारा बरस पड़े। कवि पिता की आँखों में आँसू नहीं चाहता है।

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पिता के व्यक्तित्व की किन विशेषताओं को उकेरा गया है?


पिता के व्यक्तित्व की निम्नलिखित विशेषताओं को उकेरा गया है

1. पिता पूर्णत: स्वस्थ हैं। बुढ़ापे ने उन्हें कभी नहीं सताया।

2. वे दौड़ लगाते तथा दंड लगाते हैं।

3. वे इतने साहसी हैं कि उनके आगे मौत भी घबराती है।

4. वे धार्मिक प्रवृत्ति के हैं। प्रतिदिन गीता का पाठ करते हैं।

5. वे भावुक प्रवृत्ति के हैं। अपने पाँचवें बेटे को याद करके उनकी आँखें भर आती हैं।

6. वे अपने बेटों-बेटियों से बहुत स्नेह करते हैं।

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ऐसी पाँच रचनाओं का संकलन कीजिए, जिसमें प्रकृति के उपादानों की कल्पना संदेशवाहक के रूप में की गई है।


1. मेघदूत  2. बादल राग  3. मेघ आए  4. जूही की कली  5. आ: धरती कितना देती है।

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निम्नलिखित पंक्तियों में ‘बस’ शब्द के प्रयोग की विशेषता बताइए।

मैं मजे में हूँ सही है

घर नहीं हूँ बस यही है

किंतु यह बस बड़ा बस है,

इसी बस से बस विरस है।


(1) बस-केवल - मैं केवल घर में नहीं हूँ।

(2) बस-बेबसी - यह बात मेरे बस की नहीं हैं।

बस-मात्र - बस पाँच रुपए चाहिए।

(3) बस-कारण - इसी बस से

बस-सब - सब बिना रस का हो रहा है।

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कविता की अंतिम 12 पंक्तियों को पढ़कर कल्पना कीजिए कि कवि अपनी किस स्थिति व मनःस्थिति को अपने परिजनों से छिपाना चाहता है?


कविता की अंतिम 12 पंक्तियों में कवि अपनी यथार्थ स्थिति व मन की दशा को अपने परिजनों से छिपाना चाहता है। इसका कारण यह है कि वह अपनी सत्य स्थिति को बताकर अपने परिवारजनों को और अधिक दुखी नहीं करना चाहता। अपने बेटे के दुखों को जानकर प्रत्येक माता-पिता दुखी होते हैं। यही स्थिति कवि के परिजनों की भी है। वह अपनी वास्तविकता को छिपा जाता है।

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मायके आई बहन के लिए कवि ने घर को ‘परिताप का घर’ क्यों कहा है?


मायके आई बहन के लिए कवि ने घर को ‘परिताप का घर’ इसलिए कहा है, क्योंकि वहाँ एक भाई का न होना घर के वातावरण को दुखी अवश्य बनाता होगा। बहन भी भाई को वहाँ घर में न देखकर दुखी होती होगी। यही कारण है कि कवि ने अपने घर को ‘परिताप का घर’ कहा है।

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तुम बरस लो वे न बरसें पंक्ति में बरसें का क्या अर्थ है *?

'पिता' कविता में कवि सावन से कहता है -'तुम बरस लो, वे न बरसें', अर्थात् हे सावन! तुम तो जी भरके बरस लो पर वहाँ जाकर कोई ऐसा संदेश पिताजी को मत दे देना कि उनकी अश्रुधारा बरस पड़े। कवि पिता की आँखों में आँसू नहीं चाहता है।

कवि ने सावन को क्या क्या संबोधन किया है?

कवि अपनी सुखात्मक अनुभूतियाँ सावन को बताना चाहता है। जिस बात से उनके पिता को सुख हो वह सब सावन को बताना चाहता है। वह सावन से कहता है कि पिताजी से कहना मैं यहाँ बिल्कुल सुखी हूँ मुझे यहां किसी भी प्रकार का कष्ट नहीं है। मैं यहाँ पर अपना अध्ययन भी कर रहा हूँ और कभी-कभी कविताएँ भी लिख लेता हूँ।

घर की याद कविता में कवि सावन से क्या अनुरोध करता है?

कवि सावन से निवेदन करता है कि तुम खूब बरसो, किंतु मेरे माता-पिता को मेरे लिए दुखी न होने देना। उन्हें मेरा संदेश देना कि मैं जेल में खुश हूँ।

कवि भवानी ने सावन को सजीला और पुण्य पावन क्यों कहा है?

कवि सावन से तो बरसने को कहता है परन्तु पिताजी की अश्रुधारा बरसने पर चिन्तित है। वह संदेश भेजता है कि उनका पाँचवाँ पुत्र भवानी जेल में स्वस्थ और सानन्द है। बस, घर पर नहीं है, इसी बात से सभी परिवारी-जन चिन्तित हैं।