हिंदी न्यूज़ जल्द इलाज से ठीक हो सकता है कुष्ठ रोग, जानें Show
जल्द इलाज से ठीक हो सकता है कुष्ठ रोग, जानेंकुष्ठ रोग या 'हार्सन्स डिजीज' (Leprosy) से पीड़ित मरीजों को समाज में फैली गलत अवधारणाओं और दुर्व्यवहार का सामना करना पड़ता है। लेकिन यदि इस बीमारी का जल्द इलाज हो जाए तो इन रोगियों को इन...Meenakshiएजेंसी, नई दिल्लीWed, 30 Jan 2019 05:59 PM कुष्ठ रोग या 'हार्सन्स डिजीज' (Leprosy) से पीड़ित मरीजों को समाज में फैली गलत अवधारणाओं और दुर्व्यवहार का सामना करना पड़ता है। लेकिन यदि इस बीमारी का जल्द इलाज हो जाए तो इन रोगियों को इन तमाम मुश्किलों से छुटकारा मिल सकता है। इन्द्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल के डमेर्टोलॉजी विभाग के सीनियर कंसल्टेंट डॉ. डी. एम. महाजन ने एक बयान में कहा कि कुष्ठ रोग के इलाज में देरी के परिणाम गंभीर हो सकते हैं। इससे व्यक्ति को शारीरिक अपंगता हो सकती है। उसके अंग कुरूप हो सकते हैं, तंत्रिकाएं स्थायी रूप से क्षतिग्रस्त हो सकती हैं। बीमारी का जल्द से जल्द इलाज जरूरी है, ताकि मरीज के ऊतकों को गंभीर नुकसान न पहुंचे। उन्होंने कहा कि कुष्ठ रोग एक जीर्ण संक्रमण है, जिसका असर व्यक्ति की त्वचा, आंखों, श्वसन तंत्र एवं परिधीय तंत्रिकाओं पर पड़ता है। यह मायकोबैक्टीरियम लैप्री नामक जीवाणु के कारण होता है। हालांकि यह बीमारी बहुत ज्यादा संक्रामक नहीं है, लेकिन मरीज के साथ लगातार संपर्क में रहने से संक्रमण हो सकता है। बीमार व्यक्ति के छींकने या खांसने पर बैक्टीरिया हवा से फैल सकता है। अगर यह बैक्टीरिया स्वस्थ व्यक्ति की सांस में चला जाए तो उसे कुष्ठ रोग का संक्रमण हो सकता है।” कुष्ठ रोग का इलाज संभव है। विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा 1995 में विकसित मल्टी-ड्रग थेरेपी इस संक्रमण के इलाज में बेहद प्रभावी पाई गई है। भारत सरकार कुष्ठ रोग का नि:शुल्क इलाज उपलब्ध कराती है। हालांकि बहुत से लोग उनके साथ होने वाले भेदभाव और समाज में फैली गलत अवधारणाओं के कारण अपना इलाज नहीं करवाते हैं। उन्होंने कहा हालांकि यह सच है कि सावधानी के तौर पर आपको संक्रमित व्यक्ति के साथ लंबे समय तक संपर्क में नहीं रहना चाहिए, लेकिन कुष्ठ रोग के मरीज को बिल्कुल अलग करना भी जरूरी नहीं है। साथ ही सही इलाज के बाद मरीज संक्रमण से मुक्त हो सकता है और इसके बाद वह बिल्कुल संक्रामक नहीं रहता। कुष्ठ रोगी ठीक होने के बाद समाज के उत्पादक सदस्य के रूप में अपना जीवन जी सकते हैं। ब्रेन में इस हॉर्मोन की कमी के कारण होता डिप्रेशन, यूं उठता है आत्महत्या का कदम -लेप्रसी, कुष्ठ रोग या कोढ़। यह एक ऐसी बीमारी है जिस पर आज दुनिया के अधिकतर देश कंट्रोल कर चुके हैं। लेकिन केन्या जैसे कुछ देशों में आज भी लेप्रसी भयावह स्थिति
में देखने को मिलती है। एक वक्त में यह दुनिया की सबसे खतरनाक बीमारी मानी जाती थी। लेकिन अब इस दिशा में मेडिकली कई सावधानियां और वैक्सीन्स हैं, जो बॉडी को इससे बचाती हैं। क्या होता है कुष्ठ रोग -लेप्रसी यानी कोढ़ एक ऐसी बीमारी है जो हवा में मौजूद बैक्टीरिया के जरिए फैलती है। हवा में ये बैक्टीरिया किसी बीमार व्यक्ति से ही आते हैं। इसलिए इसे संक्रामक रोग भी कहते हैं। यानी यह संक्रमण या कहिए कि सांस के जरिए फैलती है। लेकिन यह छुआछूत की बीमारी बिल्कुल नहीं है। अगर आप इस बीमारी से ग्रसित व्यक्ति से हाथ मिलाएंगे या उसे छू लेंगे तो आपको यह बीमारी बिल्कुल नहीं होगी। Lung Cancer Risk Factors: आमतौर पर इन 6 कारणों से होता है लंग कैंसर - लेकिन अगर उसके खांसने, छींकने से लेप्रै बैक्टीरिया हवा में मौजूद नमी के साथ ट्यूनिंग करके खुद को डिवेलप कर लेता है और आप उस हवा में सांस लेकर नमी के उन कणों को अपने अंदर ले लेते हैं तो इस तरह की स्थितियां बन जाती हैं कि आप इस बीमारी से संक्रमित हो जाएं। छुआछूत और संक्रमण का अंतर क्या होता है कुष्ठ रोग लेप्रसी के लक्षण - लेप्रसी या कोढ़ के दौरान हमारे शरीर पर सफेद चकत्ते यानी निशान पड़ने लगते हैं। ये निशान सुन्न होते हैं यानी इनमें किसी तरह का सेंसेशन नहीं होता है। अगर आप इस जगह पर कोई नुकीली वस्तु चुभोकर देखेंगे तो आपको दर्द का अहसास नहीं होगा। ये पैच या धब्बे शरीर के किसी एक हिस्से पर होने शुरू हो सकते हैं, जो ठीक से इलाज ना कराने पर पूरे शरीर में भी फैल सकते हैं। Food And Monsoon: बकरी की तरह कच्चा मत चबाइए, बरसात के मौसम में सलाद उबालकर खाइए! -सिर्फ चुभन ही नहीं बल्कि लेप्रसी के मरीज को शरीर के विभिन्न अंगों और खासतौर पर हाथ-पैर में ठंडे या गर्म मौसम और वस्तु का अहसास नहीं होता है। प्रभावित अंगों में चोट लगने, जलने या कटने का भी पता नहीं चलता है। जिससे यह बीमारी अधिक भयानक रूप लेने लगती हैं और शरीर को गलाने लगती है। कुष्ठ रोग के लक्षण -लेप्रसी के मरीज को पलक झपकने में दिक्कत होने लगती है। क्योंकि लेप्रै बैक्टीरिया मरीज की आंखों की नसों पर हावी होकर उनके सेंसेशन और सिग्नल्स को प्रभावित करता है। ऐसे में पेशंट को पलक झपकने की याद नही आती और पलक झपक भी नहीं पाती। इससे हर समय खुला रहने के कारण आंखें ड्राई होने लगती हैं और हमारी देखने की क्षमता प्रभावित होने लगती है। आंखों से संबंधित कई रोग पनपने लगते हैं। ये सावधानियां जरूर बरतें Lung Cancer Risk Factors: आमतौर पर इन 6 कारणों से होता है लंग कैंसर - ऐसी स्थिति में बिना देरी के तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। अगर लेप्रसी या कुष्ठ रोग का पता प्रारंभिक अवस्था में ही चल जाता है और इसका सही तरीके से इलाज कराना शुरू कर दिया जाता है तो 6 महीने से लेकर डेढ़ साल के अंदर इस बीमारी को पूरी तरह खत्म किया जा सकता है। कुष्ठ रोग का इलाज इलाज से जुड़ी बातें -अपने इलाज के लिए जरूरी नहीं है कि आप उस डॉक्टर का ही चुनाव करें, जो आपकी बीमारी को दूर कर सके। - बीमारी को लेकर अपनी जानकारी बढ़ाएं और बीमारी से संबंधित मन में उठनेवाली हर शंका को अपने डॉक्टर से सवाल पूछकर दूर करें। WHO Coronavirus Updates: एसिंप्टोमेटिक लोगों से कोरोना फैलता है या नहीं, इस दुविधा को यहां दूर करें Navbharat Times News App: देश-दुनिया की खबरें, आपके शहर का हाल, एजुकेशन और बिज़नेस अपडेट्स, फिल्म और खेल की दुनिया की हलचल, वायरल न्यूज़ और धर्म-कर्म... पाएँ हिंदी की ताज़ा खबरें डाउनलोड करें NBT ऐप लेटेस्ट न्यूज़ से अपडेट रहने के लिए NBT फेसबुकपेज लाइक करें कुष्ठ रोग कैसे ठीक किया जा सकता है?कुष्ठ रोग का इलाज मल्टी ड्रग थेरेपी (एमडीटी) से किया जाता है। कुष्ठ भी दो तरह के होते हैं, जिनके इलाज का कोर्स भी अलग-अलग मल्टी ड्रग थेरेपी (एमडीआर) से किया जाता है। पालीबेसिलरी : पांच या उससे कम चकत्ते व कम से कम एक नस के उसकी चपेट में आने को पीबी (पालीबेसिलरी) कहते हैं। यह कम संक्रामक होते।
कुष्ठ रोग कितने दिनों में ठीक होता है?बीमारी का जल्द से जल्द इलाज जरूरी है, ताकि मरीज के ऊतकों को गंभीर नुकसान न पहुंचे। उन्होंने कहा कि कुष्ठ रोग एक जीर्ण संक्रमण है, जिसका असर व्यक्ति की त्वचा, आंखों, श्वसन तंत्र एवं परिधीय तंत्रिकाओं पर पड़ता है। यह मायकोबैक्टीरियम लैप्री नामक जीवाणु के कारण होता है।
कुष्ठ रोग शरीर के कौन से अंग को प्रभावित करता है?लेप्रोसी या कुष्ठ रोग एक जीर्ण संक्रमण है, जिसका असर व्यक्ति की त्वचा, आंखों, श्वसन तंत्र एवं परिधीय तंत्रिकाओं पर पड़ता है। यह मायकोबैक्टीरियम लैप्री नामक जीवाणु के कारण होता है।
कुष्ठ रोग की शुरुआत कैसे होती है?कुष्ठरोग मुख्यतः ऊपरी श्वसन तंत्र के श्लेष्म और बाह्य नसों की एक ग्रैन्युलोमा-संबंधी (granulomatous) बीमारी है; त्वचा पर घाव इसके प्राथमिक बाह्य संकेत हैं। यदि इसे अनुपचारित छोड़ दिया जाए, तो कुष्ठरोग बढ़ सकता है, जिससे त्वचा, नसों, हाथ-पैरों और आंखों में स्थायी क्षति हो सकती है।
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