कृषि क्या है भारतीय कृषि के इतिहास के बारे में लिखिए? - krshi kya hai bhaarateey krshi ke itihaas ke baare mein likhie?

कृषि क्या है भारतीय कृषि के इतिहास के बारे में लिखिए? - krshi kya hai bhaarateey krshi ke itihaas ke baare mein likhie?

कावेरी नदी पर निर्मित कल्लानै बाँध पहली-दूसरी शताब्दी में बना था था। यह संसार के प्राचीननतम बाँधों में से है जो अब भी प्रयोग किये जा रहे हैं।

भारत में ९००० ईसापूर्व तक पौधे उगाने, फसलेंव्यवस्थित जीवन जीना शूरू किया और कृषि के लिए औजार तथा तकनीकें विकसित कर लीं। दोहरा मानसून होने के कारण एक एक ही वर्ष में दो फसलें ली जाने लगीं। इसके फलस्वरूप भारतीय कृषि उत्पाद तत्कालीन वाणिज्य व्यवस्था के द्वारा विश्व बाजार में पहुँचना शुरू हो गया। दूसरे देशों से भी कुछ फसलें भारत में आयीं। पादप एवं पशु की पूजा भी की जाने लगी क्योंकि जीवन के लिए उनका महत्व समझा गया।

परिचय[संपादित करें]

भारत में पाषाण युग में कृषि का विकास कितना और किस प्रकार हुआ था इसकी संप्रति कोई जानकारी नहीं है। किंतु सिंधुनदी के काँठे के पुरावशेषों के उत्खनन के इस बात के प्रचुर प्रमाण मिले है कि आज से पाँच हजार वर्ष पूर्व कृषि अत्युन्नत अवस्था में थी और लोग राजस्व अनाज के रूप में चुकाते थे, ऐसा अनुमान पुरातत्वविद् मोहनजोदड़ो में मिले बड़े बडे कोठरों के आधार पर करते हैं। वहाँ से उत्खनन में मिले गेहूँ और जौ के नमूनों से उस प्रदेश में उन दिनों इनके बोए जाने का प्रमाण मिलता है। वहाँ से मिले गेहूँ के दाने ट्रिटिकम कंपैक्टम (Triticum Compactum) अथवा ट्रिटिकम स्फीरौकोकम (Triticum sphaerococcum) जाति के हैं। इन दोनो ही जाति के गेहूँ की खेती आज भी पंजाब में होती है। यहाँ से मिला जौ हाडियम बलगेयर (Hordeum Vulgare) जाति का है। उसी जाति के जौ मिश्र के पिरामिडो में भी मिलते है। कपास जिसके लिए सिंध की आज भी ख्याति है उन दिनों भी प्रचुर मात्रा में पैदा होता था।

भारत के निवासी आर्य कृषि कार्य से पूर्णत: परिचित थे, यह वैदिक साहित्य से स्पष्ट परिलक्षित होता है। ऋगवेद और अर्थर्ववेद में कृषि संबंधी अनेक ऋचाएँ है जिनमे कृषि संबंधी उपकरणों का उल्लेख तथा कृषि विधा का परिचय है। ऋग्वेद में क्षेत्रपति, सीता और शुनासीर को लक्ष्य कर रची गई एक ऋचा (४.५७-८) है जिससे वैदिक आर्यों के कृषि विषयक के ज्ञान का बोध होता है-

शुनं वाहा: शुनं नर: शुनं कृषतु लां‌गलम्‌।शनुं वरत्रा बध्यंतां शुनमष्ट्रामुदिं‌गय।।शुनासीराविमां वाचं जुषेथां यद् दिवि चक्रयु: पय:।तेने मामुप सिंचतं।अर्वाची सभुगे भव सीते वंदामहे त्वा।यथा न: सुभगाससि यथा न: सुफलाससि।।इन्द्र: सीतां नि गृह्‌ णातु तां पूषानु यच्छत।सा न: पयस्वती दुहामुत्तरामुत्तरां समाम्‌।।शुनं न: फाला वि कृषन्तु भूमिं।।शुनं कीनाशा अभि यन्तु वाहै:।।शुनं पर्जन्यो मधुना पयोभि:।शुनासीरा शुनमस्मासु धत्तम्‌

एक अन्य ऋचा से प्रकट होता है कि उस समय जौ हल से जुताई करके उपजाया जाता था-

एवं वृकेणश्विना वपन्तेषंदुहंता मनुषाय दस्त्रा।अभिदस्युं वकुरेणा धमन्तोरूज्योतिश्चक्रथुरार्याय।।

अथर्ववेद से ज्ञात होता है कि जौ, धान, दाल और तिल तत्कालीन मुख्य शस्य थे-

व्राहीमतं यव मत्त मथोमाषमथों विलम्‌।एष वां भागो निहितो रन्नधेयायदन्तौ माहिसिष्टं पितरं मातरंच।।

अथर्ववेद में खाद का भी संकेत मिलता है जिससे प्रकट है कि अधिक अन्न पैदा करने के लिए लोग खाद का भी उपयोग करते थे-

संजग्माना अबिभ्युषीरस्मिन्‌गोष्ठं करिषिणी।बिभ्रंती सोभ्यं।मध्वनमीवा उपेतन।।

गृह्य एवं श्रौत सूत्रों में कृषि से संबंधित धार्मिक कृत्यों का विस्तार के साथ उल्लेख हुआ है। उसमें वर्षा के निमित्त विधिविधान की तो चर्चा है ही, इस बात का भी उल्लेख है कि चूहों और पक्षियों से खेत में लगे अन्न की रक्षा कैसे की जाए। पाणिनि की अष्टाध्यायी में कृषि संबंधी अनेक शब्दों की चर्चा है जिससे तत्कालीन कृषि व्यवस्था की जानकारी प्राप्त होती है।

भारत में ऋग्वैदिक काल से ही कृषि पारिवारिक उद्योग रहा है और बहुत कुछ आज भी उसका रूप है। लोगों को कृषि संबंधी जो अनुभव होते रहें हैं उन्हें वे अपने बच्चों को बताते रहे हैं और उनके अनुभव लोगों में प्रचलित होते रहे। उन अनुभवों ने कालांतर में लोकोक्तियों और कहावतों का रूप धारण कर लिया जो विविध भाषाभाषियों के बीच किसी न किसी कृषि पंडित के नाम प्रचलित है और किसानों जिह्वा पर बने हुए हैं। हिंदी भाषा भाषियों के बीच ये घाघ और भड्डरी के नाम से प्रसिद्ध है। उनके ये अनुभव आधुनिक वैज्ञानिक अनुसंधानों के परिप्रेक्ष्य में खरे उतरे हैं।

भारतीय कृषि के जनक[संपादित करें]

  • कृषि पराशर (पराशर)
  • कृषि संग्रह
  • पराशर तंत्र
  • वृक्षायुर्वेद (सुरपाल)
  • कृषिगीता (मलयालम में, रचनाकार : परशुराम)
  • नुश्क दर फन्नी फलहत (फारसी में, दारा शिकोह)
  • कश्यपीयकृषिसूक्ति (कश्यप)
  • विश्ववल्लभ (चक्रपाणि मिश्र)
  • लोकोपकार (कन्नड में, रचनाकार: चावुन्दाराया)
  • उपवनविनोद (सारंगधर)

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

  • राष्ट्रीय कृषि विज्ञान संग्रहालय (भारत)
  • कृषि का इतिहास
  • कृषि
  • पराशर मुनि - जो 'कृषिसंग्रह', 'कृषि पराशर' एवं 'पराशर तंत्र' आदि ग्रंथों के रचयिता थे।
  • भारतीय कृषि

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]

  • भारतीय सतत्‌ कृषि की अवधारणा[मृत कड़ियाँ]
  • एशियन एग्री-हिस्ट्री फाउण्डेशन
  • भारत में कृषि विज्ञान की उज्जवल परम्परा (भारत गौरव)
  • भारतीय कृषि : कल, आज और कल
  • खेती उजाड़ता कृषि प्रधान भारत (अरूण डिके)
  • नवदर्शनम् : एक गृहस्थ की ऋषि-खेती
  • उत्तरपूर्व में कृषि विकास पर कार्यदल की रिपोर्ट
  • भारत में खेती और किसानों की स्थिति 200 से 300 वर्ष पहले
  • कृषि में हमेशा ही अग्रणी रहा है भारत (वैज्ञानिक भारत)

भारतीय कृषि क्या है?

कृषि, भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। भारत में कृषि सिंधु घाटी सभ्यता के दौर से की जाती रही है। १९६० के बाद कृषि के क्षेत्र में हरित क्रांति के साथ नया दौर आया। सन् २००७ में भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि एवं सम्बन्धित कार्यों (जैसे वानिकी) का सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में हिस्सा 16.6% था।

कृषि क्या है भारतीय कृषि के इतिहास के बारे में लिखिये?

भारत में ९००० ईसापूर्व तक पौधे उगाने, फसलेंव्यवस्थित जीवन जीना शूरू किया और कृषि के लिए औजार तथा तकनीकें विकसित कर लीं। दोहरा मानसून होने के कारण एक एक ही वर्ष में दो फसलें ली जाने लगीं। इसके फलस्वरूप भारतीय कृषि उत्पाद तत्कालीन वाणिज्य व्यवस्था के द्वारा विश्व बाजार में पहुँचना शुरू हो गया।

कृषि की परिभाषा क्या है?

कृषि का अर्थ है फसल उत्पन्न करने की प्रक्रिया; फसल उत्पादन, पशुपालन आदि की कला, विज्ञानं और तकनीक को कृषि कहते हैं। भूमि के उपयोग द्वारा फसल उत्पादन करने की क्रिया और प्रक्रिया को कृषि कहते हैं। कृषि एक प्राथमिक कार्य है जिसका मुख्य उद्देश्य प्राकृतिक संसाधनों के उपयोग द्वारा मानवीय आवश्यकताओं की पूर्ती करना है।

कृषि के क्या क्या प्रकार है?

भारत में होने वाली विभिन्न प्रकार की कृषि.
निर्वाह खेती (Subsistence Farming) ... .
बागवानी कृषि (Horticulture Agriculture) ... .
गहन कृषि (Intensive Farming) ... .
स्थानांतरित कृषि (Shifting Agriculture) ... .
व्यापक कृषि (Extensive Agriculture) ... .
वाणिज्यिक कृषि (Commercial Agriculture) ... .
सूखी भूमि खेती (Dryland Farming).