कान से जुड़े कैंसर बहुत कम ही सुनने को मिलते हैं। यह कैंसर नाक या सिर के कैंसर जैसे होते हैं जो त्वचा से होते हुए कानों तक पहुंचते हैं। इतना ही नहीं यह बाह्य कान के अलावा कान के अंदरूनी कैनाल को भी प्रभावित करने का काम करते हैं। जब इस कैंसर का विस्तार होता है और जब यह कान के हिस्सों तक पहुंचने लगता है तो कान में बहुत ज्यादा दर्द होना शुरू हो जाता है। कान में ट्यूमर के विकास से सुनने की क्षमता पर भी काफी काफी ज्यादा असर पड़ने लगता है जिसकी वजह से रोगी धीरे-धीरे कम सुनने लगता है। कान के कैंसर की समस्या ज्यादातर वृद्धावस्था में शुरू होती है। 60 साल या इससे ज्यादा उम्र के लोगों में कान से जुड़ी इस प्रकार की समस्या ज्यादा होती है। Show
यह भी पढ़ें- कान में बहुत ज्यादा खुजली होती है? ऐसे पाएं तुरंत राहत कान में कैंसर के प्रकार - क्लोस्टीटोमा - स्कावमस सेल सार्किनोमा विशेषज्ञों का ऐसा मानना है कि ये दोनों प्रकार के कैंसर कान के अंदर विकसित होते हैं और बाद में ये पूरे शरीर को अपनी चपेट में ले लेते हैं। कान में होने वाले कैंसर के इलाज के लिए सर्जरी, कीमोथेरेपी, रेडिएशन का सहारा लिया जाता है। इन उपचारों को अपनाने से पहले यह पता करना जरूरी है कि रोगी किस प्रकार के कान के कैंसर से ग्रसित है और इसका पता उसमें दिखने वाले लक्षणों से किया जाता है। यह भी पढ़ें- कैंसर रहित ट्यूमर का इलाज नहीं कराने से हो सकते हैं गंभीर परिणाम कान से द्रव्य पदार्थ का निकलना कई बार मरीज को कान से पानी जैसा पदार्थ व ब्लड निकलने की शिकायत होती है। इसकी वजह से कान में संक्रमण व खुजली की समस्या शुरु हो जाती है। इन समस्याओं को गंभीरता से लेकर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। ईयरड्रम का क्षतिग्रस्त होना इस मामले में कान से पीला व सफेद पदार्थ निकलता है। यह संकेत है कि मरीज का ईअरड्रम को नुकसान पहुंच रहा है। इसका मुख्य कारण है तेज ध्वनि, कान में बाह्य वस्तु का प्रयोग, इअर ट्रॉमा आदि। कान में इंफेक्शन कान में किसी तरह का संक्रमण कैंसर की तरफ इशारा करता है। इस समस्या को ठीक होने में एक महीने से भी ज्यादा का समय लग जाता है। यह गांठ की तरह होता है जो दिखने में गुलाबी रंग का होता है। अगर मरीज को अपने कान के आसपास इस तरह की समस्या दिखाई दे तो बिना देर किए डॉक्टर से संपंर्क करें। सुनाई नहीं देना अगर मरीज को पूरी तरह से सुनाई देना बंद हो गया है तो यह कान के कैंसर का लक्षण हो सकता है। इस तरह के मामलों में मरीज को अकसर सिर दर्द व चक्कर आने की शिकायत होती है। इसके अलावा मरीज के कानों का बजना, अलसर की शुरुआत व रक्त का निकलना जैसी समस्याएं भी देखी जाती हैं। कान की देखभाल थोड़ी सी लापरवाही कान के लिए खतरनाक साबित हो सकती है। यदि कान में मैल जम जाए और ठीक से सफाई नहीं की जाए तो मैल की परत धीरे-धीरे पत्थर जैसा रूप धारण कर लेती है। इससे कान का रास्ता बंद हो जाता है तथा रोगी को दर्द के साथ ऊंचा भी सुनाई देने लगता है। ऐसे में यदि शुरुआत से ही कुछ बातों का ध्यान रख लिया जाए तो आप समस्या से दो-चार होने से बच सकते हैं। इसके अलावा कान को किसी नुकीली चीज से खुजलाने से या कान छेदने से कान में संक्रमण हो सकता है। कुछ वस्तुएं जैसे क्रीम, इत्र कान में उपयोग में आने वाली दवाइयों की एलर्जी से भी संक्रमण होता है। कान लाल हो जाता है, खुजली आती है एवं दर्द हो सकता है। लोगों को इन चीजों का उपयोग न करने की सलाह दी जाती है। कई बार लोग कान के नीचे गांठ या दर्द की समस्या को कान की समस्या समझ लेते हैं लेकिन इसकी वजह लार ग्रंथियों से जुड़ी हो सकती है। दरअसल हमारे कान व जबड़े के नीचे आगे की ओर तीन प्रमुख लार गं्रथियां होती हैं। कई बार कम पानी पीने से लार गाढ़ी हो जाती है। इसके कारण इन ग्रंथियों में संक्रमण,पथरी व गांठ बनने की समस्या हो सकती है- क्या आपने अपने कान के पीछे दर्द या उभरी हुई त्वचा महसूस की है? अगर हां तो ये गांठ या लम्प हो सकती है। समय रहता अगर इसका इलाज किया जाये तो त्वचा की इस समस्या से छुटकारा मिल सकता है। ये भी एक गंभीर बीमारी है जिसे लोग अक्सर हल्के में ले लेते हैं। जरूरी नहीं है कि हर गांठ में आपको दर्द महसूस हो। कभी-कभी वो ऐसी जगह बन जाती है जहां आपको दर्द का अहसास नहीं होता। आज हम आपको बतायेंगे कि ये गांठ कान के पीछे आखिर होती कैसे है और इसे घरेलू इलाज की मदद से कैसे ठीक किया जा सकता है। इस पर ज्यादा जानकारी लेने की लिये हमने बात की ओम स्किन क्लीनिक, लखनऊ के वरिष्ठ कंसलटेंट डर्मेटोलॉजिस्ट डॉ देवेश मिश्रा से और बीमारी का कारण और इलाज पर जानकारी ली। कान के पीछे गांठ (What is lump behind ear)गांठ को सिस्ट या लम्प के नाम से भी जाना जाता है। वैसे तो ये शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकती है पर आज हम बात करेंगे कान के पीछे उभरी गांठ के बारे में। कुछ गांठे कैंसर का रूप भी ले लेती हैं इसलिये इन पर ध्यान देने की जरूरत है। कुछ लोगों को जन्म से ही गांठ होती है जो आगे चलकर ठीक हो जाती है वहीं कुछ गांठ संक्रमण के कारण भी होती हैं। इनमें पस जमने लगता है जिससे आपको तेज़ दर्द हो सकता है। हर इंसान में इसके लक्षण अलग होते हैं। गांठ के बढ़ने का इंतजार न करें। अगर उसका साइज बढ़ जाये या लाल हो जाये तो डॉक्टर को दिखाना न भूलें। आप डॉक्टर के पास जायेंगे तो वो कान के पीछे बनी गांठ को दवा या इंजेक्शन से ठीक करवा सकते हैं। कई बार गांठ बढ़ने पर चीरा या सर्जरी करवानी पड़ सकती है इसलिये ज्यादा इंतजार न करें। गांठ को एंटीबायोटिक दवा या पेन किलर से ठीक किया जा सकता है। लेज़र से भी गांठ का इलाज किया जाता है। गांठ ज्यादातर 2 तरह की होती है। स्किन के अंदर या स्किन के बाहर। जो गांठ स्किन के अंदर होती है उसे एपिडरमाइड सिस्ट भी कहते हैं। ये छोटी और सख्त होती है। इसमें सूजन दिख सकती है। इसे भी पढ़ें- ब्रेस्ट की हर गांठ कैंसर नहीं होती, जानें क्या हैं इनकी असली वजह और कारण क्यों बनती है कान के पीछे गांठ? (Causes of lump behind ear)हम कान के पीछे के हिस्से में सफाई पर ध्यान नहीं देते। उस जगह गंदगी से भी गांठ पड़ सकती है। ये सबसे कॉमन कारण है जिसे लेकर मरीज़ क्लीनिक में आते हैं। इसके अलावा कई बार रोम छिद्र बंद होने के कारण भी मुहांसे गांठ का रूप ले लेते हैं। अगर गले में सूजन या संक्रमण है तो भी कान के पीछे सिस्ट उभर आती है। ये दाग भी छोड़ सकती है इसलिये आपको ध्यान रखना है कि आप इसे ज्यादा टच न करें। अगर कान के पीछे किसी कारण से सूजन है तो वो भी आगे चलकर सिस्ट का रूप ले सकती है। कुछ रेयर केस में ये गांठ कैंसर का रूप भी ले सकती है इसलिये ऐसी कोई समस्या होने पर त्वचा रोग विशेषज्ञ से संपर्क करें। बच्चों में भी ये समस्या हो सकती है। मिट्टी में खलने से बच्चों को पैरासाइट इंफेक्शन हो जाता है जिस पर ध्यान न देने पर वो एक सिस्ट के रूप में उभर आती है। डायबिटीज़ रोगियों को भी कान के पीछे गांठ उभरने जैसी समस्या आ सकती है। इसके लिये आप समय-समय पर शुगर जांच करवाते रहें। क्या योग है कान की गांठ का इलाज? (Yoga to treat lump behind ear)कुछ लोग मानते हैं स्किन की समस्या के लिये योग काम नहीं आता पर ऐसा नहीं है। अगर आपको अक्सर गांठ होने की समस्या है तो आप योग का सहारा ले सकते हैं। सूर्य नमस्कार से कान के पीछे बन रही गांठ से छुटकारा पाया जा सकता है। इससे शरीर में एनर्जी बनती है और गांठ ठीक होने में मदद मिलती है। दूसरा उपाय है अनुलोम-विलोम। इससे शरीर में ऊर्जा का स्तर बढ़ता है और गांठ ठीक होने लगती है। तीसरा आसान योगासन है कपालभाति। सांस को छोड़ते हुए पेट को अंदर लेने की क्रिया को 15 से 20 मिनट करने से भी गांठ में आराम मिलता है। इसे भी पढ़ें- नजरअंदाज न करें हड्डियों में होने वाली गांठ और सूजन, बोन कैंसर का हो सकता है खतरा कान के पीछे उभरी गांठ को घरेलू उपाय से ठीक करें (Home remedies for lump behind ear)
अगर सिस्ट या गांठ एक हफ्ते से ज्यादा समय के लिये कान के पीछे बनी रहती है या तेज़ दर्द उठ रहा है तो इसे जल्द से जल्द डॉक्टर को दिखायें। कान के पास गांठ होने से क्या होता है?अगर आपके कान में एक गांठ या स्किन सी बन जाती है, तो समझ लें कि यह समस्या सिंपल नहीं है। यह कैंसर होने की शुरुआत है। इस तरह की स्किन समस्याओं को बेसल सेल कार्सीनोमा व घातक मेलेनोमा के नाम से जाना जाता है। जब कैंसर के कान के हिस्सों में पहुंचने लगता है तेज दर्द होता है।
कान के पीछे गांठ क्यों होती है?हम कान के पीछे के हिस्से में सफाई पर ध्यान नहीं देते। उस जगह गंदगी से भी गांठ पड़ सकती है। ये सबसे कॉमन कारण है जिसे लेकर मरीज़ क्लीनिक में आते हैं। इसके अलावा कई बार रोम छिद्र बंद होने के कारण भी मुहांसे गांठ का रूप ले लेते हैं।
कैंसर की गांठ की पहचान कैसे होती है?कभी ये गांठ दर्द के साथ होते हैं तो कभी ये गांठ बिना दर्द के भी होते हैं. यदि गांठ के साथ खून आ रहा हो तो यह कैंसर का लक्षण हो सकता है. अधिकतर कैंसर की शुरुआत गांठ से ही होती है. शुरुआती में गांठ छोटा होता है और उसमें दर्द नहीं रहता है तो लोग इसे नजरअंदाज कर देते हैं.
कान में कैंसर होने के क्या लक्षण है?हेल्थ डेस्क: कैंसर शरीर में कहीं भी हो सकता है लेकिन कान में होने वाले कैंसर के शुरुआती लक्षण काफी मामूली है जिसे देखकर अक्सर लोग इग्नोर ही कर देते हैं। ... . कान के कैंसर के लक्षण. कान से पानी निकलना ... . डैमेज ईअरड्रम ... . कान की इंफैक्शन ... . कान बंद होना ... . कान में खुजली ... . कान में तेज दर्द होना. |