कोई संत सुजान में कौन सा अलंकार है? - koee sant sujaan mein kaun sa alankaar hai?

विषयसूची

  • 1 जहां एक व्यक्ति या वस्तु की तुलना दूसरे व्यक्ति या वस्तु से की जाती है वहां कौन सा अलंकार होता है?
  • 2 प्रेक्षा अलंकार क्या है?
  • 3 रूपक और उपरूपक के भेदों को बताते हुए कौन सा भेद आपको सबसे महत्वपूर्ण लगा और क्यों बताइए?
  • 4 रूपक अलंकार का उदाहरण क्या है?
  • 5 जब ककसी बात को बहुत बढ़ा कर कहा जाए तो कौन सा अलींकार होगा?
  • 6 * सब सखियां में कौन सा अलंकार है?* 1⃣ अनुप्रास 2⃣ उपमा 3⃣ रूपक?
  • 7 उभयालंकार के कितने भेद होते हैं?
  • 8 भवसागर में कौन से अलंकार का प्रयोग किया जाता है?

जहां एक व्यक्ति या वस्तु की तुलना दूसरे व्यक्ति या वस्तु से की जाती है वहां कौन सा अलंकार होता है?

इसे सुनेंरोकेंशब्द का अर्थ होता है – तुलना। जब किसी व्यक्ति या वस्तु की तुलना किसी दूसरे यक्ति या वस्तु से की जाए वहाँ पर उपमा अलंकार होता है।

रूपक किसे कहते हैं इसके कितने भेद होते हैं?

इसे सुनेंरोकेंरूपक के दस भेद ये हैं—नाटक प्रकरण, भाण, व्यायोग, समवकार, डिम, ईहामृग, अंक, वीथी और प्रहसन। ९. बोल-चाल में कोई ऐसी बनावटी बात, जो किसी को डरा धमकाकर अपने अनुकूल बनाने के लिए कही जाय। जैसे—तुम जरो मत, यह सब उनका रूपक भर है।

रूपक अलंकार की पहचान कैसे करें?

इसे सुनेंरोकेंउपमेय और उपमान में जब अंतर दिखाई ना दे तो हम उसे रूपक अलंकार कहते हैं। रूप तथा गुण की समानता के कारण उपमेय (सादृश्य) को उपमान (प्रसिद्ध) का रूप मान लिया जाता है , वहां रूपक अलंकार होता है। ऐसा वाक्य जहां आपको उपमेय और उपमान में किसी भी प्रकार का अंतर स्पष्ट नहीं हो रहा तो आप उसे बिना किसी झिझक के रूपक कहेंगे।

प्रेक्षा अलंकार क्या है?

इसे सुनेंरोकेंजहाँ पर उपमान के न होने पर उपमेय को ही उपमान मान लिया जाए। अथार्त जहाँ पर अप्रस्तुत को प्रस्तुत मान लिया जाए वहाँ पर उत्प्रेक्षा अलंकार होता है।

जिस व्यक्ति या वस्तु से समानता बताई जाए उसे क्या कहते हैं *?

इसे सुनेंरोकेंAnswer. Answer: (i) उपमा अलंकार – उपमा का सामान्य अर्थ है – समानता या मिलता-जुलता रूप दिखाना। जहाँ किसी एक वस्तु या व्यक्ति के गुणों की तुलना किसी दूसरी प्रसिद्ध वस्तु या व्यक्ति से की जाती है वहाँ उपमा अलंकार होता है; जैसे- हाय फूल-सी कोमल बच्ची, हुई राख की थी ढेरी।

भृगुकुलकेतु शब्द मे कौनसा अलंकार मुख्यतः प्रयुक्त है?

इसे सुनेंरोकेंभृगुकुलकेतु में रूपक अलंकार है।

रूपक और उपरूपक के भेदों को बताते हुए कौन सा भेद आपको सबसे महत्वपूर्ण लगा और क्यों बताइए?

इसे सुनेंरोकेंविश्वनाथ के अनुसार – ” रूपक का अभिनय होता है , जिसमें इस जगत की विभिन्न अवस्थाओं का अनुकरण होता है। “ भरत ने रूपक में ” रस की निष्पत्ति ” आवश्यक मानी है। रस आश्रित को आधार बनाकर आचार्यों ने दृश्य काव्य के दो प्रकार निश्चित किया है रूपक और उपरूपक।

सिर झुका तूने नियति की मान ली यह बात स्वयं ही मुरझा गया तेरा हृदय जलजात इस पंक्तियों में कौन सा अलंकार है?

इसे सुनेंरोकेंसिर झुका तूने नीयति की मान ली यह बात स्वयं ही मुरझा गया तेरा हृदय-जलजात में रूपक अलंकार है। इस पंक्ति में यह कहा गया है कि नियति को स्वीकार लेने से नायिका का हृदय रूपी कमल सूख गया है। इसमे हृदय तथा कमल में भिन्नता न होने से उपमेय पर उपमान को आरोपित किया गया है इसलिए रुपक अलंकार है।

रूपक अलंकार का दूसरा नाम क्या है?

इसे सुनेंरोकेंकहा गया है – ‘अलंकरोति इति अलंकारः’ (जो अलंकृत करता है, वही अलंकार है।) भारतीय साहित्य में अनुप्रास, उपमा, रूपक, अनन्वय, यमक, श्लेष, उत्प्रेक्षा, संदेह, अतिशयोक्ति, वक्रोक्ति आदि प्रमुख अलंकार हैं। इसके अलावा अन्य अलंकार भी हैं। इस कारण व्युत्पत्ति से उपमा आदि अलंकार कहलाते हैं।

रूपक अलंकार का उदाहरण क्या है?

इसे सुनेंरोकेंरूपक अलंकार के उदाहरण ‘राम रतन’ – उपमेय पर ‘धन’ – उपमान का आरोप है एवं दोनों में अभिन्नता है। 2. वन शारदी चन्द्रिका-चादर ओढ़े। स्पष्टीकरण-चाँद की रोशनी को चादर के समान ना बताकर चादर ही बता दिया गया है।

उत्प्रेक्षा अलंकार के कितने भेद हैं?

इसे सुनेंरोकेंयहाँ आप देख रहे है कि शब्दों की पुनरावृति तो नहीं, पर शब्दों के पहले अक्षरों की पुनरावृति हुई है, जिससे वाक्यांश अलंकृत हो गया है। शब्दालंकार के मुख्यतः तीन भेद देखे जाते हैं – अनुप्रास, यमक और श्लेष अलंकार ।

उत्प्रेक्षा अलंकार कौन से अलंकार का भेद है?

इसे सुनेंरोकेंउत्प्रेक्षा अलंकार की परिभाषा परिभाषा – “जहाँ उपमेय में उपमान होने की संभावना का वर्णन हो वहाँ उत्प्रेक्षा अलंकार होता है।” सरल शब्दों में कहें तो जहां पर एक विषय, वस्तु, भाव, रूप या गुण आदि को किसी दूसरे विषय, वस्तु, भाव, रूप या गुण के समान बताने का संभावित प्रयास किया जाता है।

जब ककसी बात को बहुत बढ़ा कर कहा जाए तो कौन सा अलींकार होगा?

इसे सुनेंरोकें(4)अतिशयोक्ति अलंकार(Hyperbole):-जहाँ किसी का वर्णन इतना बढ़ा-चढ़ाकर किया जाय कि सीमा या मर्यादा का उल्लंघन हो जाय, वहाँ ‘अतिशयोक्ति अलंकार’ होता है। दूसरे शब्दों में- उपमेय को उपमान जहाँ बिलकुल ग्रस ले, वहाँ अतिशयोक्ति अलंकार होता है। अतिशयोक्ति का अर्थ होता है, उक्ति में अतिशयता का समावेश।

तुलना करने वाले अलंकार को क्या कहते हैं?

इसे सुनेंरोकेंउपमा अलंकार – उपमा का अर्थ समता, बराबरी या तुलना होता है। इस अलंकार में चार कारक प्रमुख होते हैं।

अंगार सया में कौन सा अलंकार है?

इसे सुनेंरोकें▬ अनुप्रास अलंकार कारण — इन पंक्तियों में अनुप्रास अलंकार है।

* सब सखियां में कौन सा अलंकार है?* 1⃣ अनुप्रास 2⃣ उपमा 3⃣ रूपक?

इसे सुनेंरोकेंरूपक अलंकार प्रयुक्त हुआ है।

सोई संत सुजान में कौन सा अलंकार है?

इसे सुनेंरोकें’सोई संत सुजान’ में अनुप्रास अलंकार है।

अलंकार क्या है अलंकार के भेद प्रभेद का सोदाहरण वर्णन कीजिए?

इसे सुनेंरोकेंअलंकार के भेद शब्दालंकार, ख. अर्थालंकार। जब केवल शब्दों में चमत्कार पाया जाता है तब शब्दालंकार और जब अर्थ में चमत्कार होता है तब अर्थालंकार कहलाता है। इसके अतिरिक्त जहाँ शब्द और अर्थ दोनों में किसी प्रकार की विशेषता प्रतीत हो, वहाँ उभयालंकार माना जाता है।

उभयालंकार के कितने भेद होते हैं?

इसे सुनेंरोकेंजो शब्द और अर्थ दोनों में चमत्कार की वृद्धि करते हैं, उन्हें उभयालंकार कहते हैं। इसके दो भेद हैं : 1) संकर तथा 2) संसृष्टि।

आँसू से गिरते में कौनसा अलंकार है?

इसे सुनेंरोकेंAnswer: रूपक अलंकार ….।।।।।।।

कोई कुत्ता में कौन सा अलंकार है?

इसे सुनेंरोकें’कोई कुत्ता’ में अनुप्रास अलंकार है, क्योंकि इस पंक्ति में ‘क’ वर्ण की दो पुनरावृत्ति हुई है। अनुप्रास अलंकार की परिभाषा के अनुसार जब किसी काव्य में कोई वर्ण, शब्द या शब्द समूह की पुनरावृति हो तो वहाँ पर अनुप्रास अलंकार होता है।

भवसागर में कौन से अलंकार का प्रयोग किया जाता है?

इसे सुनेंरोकेंभवसागर में कौन-सा अलंकार है? ‘भव रूपी सागर’ रूपक अलंकार।

भवसागर में कौन सा लकार का प्रयोग किया गया है?

इसे सुनेंरोकेंAnswer. रूपक अलंकार की परिभाषा के अनुसार जहाँ उपमेय और उपमान में भेद न हो और उपमेय को ही उपमान पर आरोपित कर दिया जाय, वहाँ ‘रूपक’ अलंकार होता है।

भव निशा में कौन सा अलंकार है?

इसे सुनेंरोकेंराम कृपा भव-निसा सिरानी में रूपक अलंकार है। इस पंक्ति में कवि यह कह रहे है कि संसार रूपी रात्रि भगवान की कृपा से व्यतीत हो रही है। इस पंक्ति में रात्रि पर संसार का आरोप किया गया है, इसलिए यहाँ रुपक अलंकार है।