जॉर्ज पंचम की लाट की टूटी नाक लगाने के क्रम में पुरातत्व विभाग के फाइलों की छानबीन की जरूरत क्यों पड़ गई? - jorj pancham kee laat kee tootee naak lagaane ke kram mein puraatatv vibhaag ke phailon kee chhaanabeen kee jaroorat kyon pad gaee?

जॉर्ज पंचम की लाट की टूटी नाक लगाने के क्रम में पुरातत्व विभाग की फाइलों की छानबीन की ज़रूरत इसलिए आ गई क्योंकि इन्हीं फाइलों में प्राचीन वस्तुओं, इमारतों, लाटों तथा महत्त्वपूर्ण वस्तुओं से संबंधित विस्तृत जानकारी सजोंकर रखी जाती है, जिससे समय आने पर इनसे देश के इतिहास संबंधी महत्त्वपूर्ण जानकारी प्राप्त की जा सके। इन फाइलों की खोजबीन इसलिए की जा रही थी जिससे मूर्तिकार लाट के पत्थर का मूलस्थान, लाट कब बनी, कहाँ बनी, किसके द्वारा बनाई गई आदि संबंधी महत्त्वपूर्ण जानकारी प्राप्त कर उसकी टूटी नाक की मरम्मत कर सके।

पुरातत्व विभाग की फाइलों की छानबीन की जरूरत क्यों आ गई?

जॉर्ज पंचम की लाट की टूटी नाक लगाने के क्रम में पुरातत्व विभाग की फाइलों की छानबीन की ज़रूरत इसलिए आ गई क्योंकि इन्हीं फाइलों में प्राचीन वस्तुओं, इमारतों, लाटों तथा महत्त्वपूर्ण वस्तुओं से संबंधित विस्तृत जानकारी सजोंकर रखी जाती है, जिससे समय आने पर इनसे देश के इतिहास संबंधी महत्त्वपूर्ण जानकारी प्राप्त की जा सके।

5 जॉर्ज पंचम की लाट की नाक को पुनः लगाने के लिए मूर्तिकार ने क्या क्या यल किए?

Solution : जॉर्ज पंचम की लाट की नाक को लगाने के लिए मूर्तिकार ने अनेक प्रयल किए। उसने सबसे पहले उस पत्थर को खोजने का प्रयल किया जिससे वह मूर्ति बनी थी। इसके लिए पहले उसने सरकारी फाइलें दुदवाई | फिर भारत के सभी पहाड़ों और पत्थर की खानों का दौरा किया।

जॉर्ज पंचम क र्ज ी लाट की नाक को लगाने में हमारी कौन सी मानसिकता दर्शाई गई हैं कारण बतात हे ुए उत्तर लिखें?

सरकारी तंत्र में जॉर्ज पंचम की नाक लगाने को लेकर जो चिंता या बदहवासी दिखाई देती है, वह उनकी गुलाम और औपनिवेशिक मानसिकता को प्रकट करती है। सरकारी लोग उस जॉर्ज पंचम के नाम से चिंतित है जिसने न जाने कितने ही कहर ढहाए। उसके अत्याचारों को याद न कर उसके सम्मान में जुट जाते हैं

प्रश्न 11 जॉर्ज पंचम की नाक लगने वाली खबर के दिन अखबार चुप क्यों थे?

जॉर्ज पंचम की नाक लगने वाली खबर के दिन अखबार चुप क्यों. थे? Solution : उस दिन सभी अखबार इसलिए चुप थे क्योंकि भारत में न तो कहीं कोई अभिनंदन कार्यक्रम हुआ, न सम्मान-पत्र भेंट करने का आयोजन हुआ। न ही किसी नेता ने कोई उद्घाटन किया, न कोई फीता काटा गया, न सार्वजनिक सभा हुई ।