हिंदू धर्म में मंत्र जाप के लिए जिस माला का उपयोग करते है, उस माला में दानों की संख्या 108 होती है। शास्त्रों में इस संख्या 108 का अत्यधिक महत्व होता है। माला में 108 ही दाने क्यों होते हैं, इसके पीछे कई धार्मिक, ज्योतिषी और वैज्ञानिक मान्यताएं हैं। Show
Ujjain, First Published Jan 7, 2021, 1:22 PM IST उज्जैन. हिंदू धर्म में मंत्र जाप के लिए जिस माला का उपयोग करते है, उस माला में दानों की संख्या 108 होती है। शास्त्रों में इस संख्या 108 का अत्यधिक महत्व होता है। माला में 108 ही दाने क्यों होते हैं, इसके पीछे कई धार्मिक, ज्योतिषी और वैज्ञानिक मान्यताएं हैं। जानिए इससे जुड़ी अलग-अलग मान्यताओं के बारे में… सूर्य की कला के प्रतीक हैं माला के दानेएक मान्यता के अनुसार माला के 108 दाने और सूर्य की कलाओं का गहरा संबंध है। एक वर्ष में सूर्य 216000 कलाएं बदलता है और वर्ष में दो बार अपनी स्थिति भी बदलता है। छह माह उत्तरायण रहता है और छह माह दक्षिणायन। अत: सूर्य छह माह की एक स्थिति में 108000 बार कलाएं बदलता है। माला में 108 दाने रहते हैं। इस संबंध में शास्त्रों में दिया गया है कि…षट्शतानि दिवारात्रौ सहस्राण्येकं विशांति। 108 के लिए ज्योतिष की मान्यताज्योतिष के अनुसार ब्रह्मांड को 12 भागों में विभाजित किया गया है। इन 12 भागों के नाम मेष, वृष, मिथुन, कर्क, सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक, धनु, मकर, कुंभ और मीन हैं। इन 12 राशियों में नौ ग्रह सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु और केतु विचरण करते हैं। अत: ग्रहों की संख्या 9 का गुणा किया जाए राशियों की संख्या 12 में तो संख्या 108 प्राप्त हो जाती है। माला के दानों की संख्या 108 संपूर्ण ब्रह्मांड का प्रतिनिधित्व करती है। एक मान्यता ये भीएक अन्य मान्यता के अनुसार ऋषियों ने माला में 108 दाने रखने के पीछे ज्योतिषी कारण बताया है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुल 27 नक्षत्र बताए गए हैं। हर नक्षत्र के 4 चरण होते हैं और 27 नक्षत्रों के कुल चरण 108 ही होते हैं। माला का एक-एक दाना नक्षत्र के एक-एक चरण का प्रतिनिधित्व करता है। इसलिए किया जाता है माला का उपयोगजो भी व्यक्ति माला की मदद से मंत्र जप करता है, उसकी मनोकामनएं बहुत जल्द पूर्ण होती हैं। माला के साथ किए गए जप अक्षय पुण्य प्रदान करते हैं। मंत्र जप निर्धारित संख्या के आधार पर किए जाए तो श्रेष्ठ रहता है। इसीलिए माला का उपयोग किया जाता है। Last Updated Jan 7, 2021, 1:22 PM IST हमारी प्रार्थना करने के विभिन्न तरीके हैं , कभी सरल शब्दों से,कभी कीर्तन से और कभी मन्त्रों से. इनमे मंत्र सबसे ज्यादा प्रभावशाली मानते जाते हैं , क्योंकि ये मन को तुरंत एकाग्र कर देते हैं और शीघ्र प्रभाव देते हैं. हर मंत्र से अलग तरह का प्रभाव और शक्ति उत्पन्न होती है इसलिए मंत्र का जप करने के लिए अलग अलग तरह की मालाओं का प्रयोग किया जाता है. ऐसा करने से अलग अलग मन्त्रों की शक्ति का लाभ मिल सकता है. माला का प्रयोग इसलिए भी किया जाता है ताकि मंत्र जप की संख्या में त्रुटी न हो सके. माला में लगे हुये दानों को मनका कहा जाता है. सामान्यतः माला में १०८ मनके होते हैं परन्तु कभी कभी इसमें २७ अथवा ५४ मनके भी होते हैं. माला के प्रयोग की सावधानियां और नियम क्या हैं? - माला के मनकों की संख्या कम से कम २७ या १०८ होनी चाहिए. हर मनके के बाद एक गाँठ जरूर लगी होनी चाहिए. - मंत्र जप के समय तर्जनी अंगुली से माला का स्पर्श नहीं होना चाहिए साथ ही सुमेरु का उल्लंघन भी नहीं होना चाहिए. - मंत्र जप के समय माला किसी वस्त्र से ढंकी होनी होनी चाहिए या गोमुखी में होनी चाहिए. - मंत्र जाप करने के पूर्व हाथ में माला लेकर प्रार्थना करनी चाहिए कि माला से किया गया मंत्र जाप सफल हो . - माला हमेशा व्यक्तिगत होनी चाहिए , दूसरे की माला का प्रयोग नहीं करना चाहिए. - जिस माला से मंत्र जाप करते हैं , उसे धारण नहीं करना चाहिए. अलग अलग माला के प्रयोग के लाभ क्या हैं और क्या तरीका है? - रुद्राक्ष की माला - सामान्यतः किसी भी मंत्र का जाप रुद्राक्ष की माला से कर सकते हैं - शिव जी और उनके परिवार के लोगों के मन्त्र रुद्राक्ष पर विशेष लाभकारी होते हैं - महामृत्युंजय और लघुमृत्युंजय मन्त्र केवल रुद्राक्ष पर ही जपना चाहिए - स्फटिक की माला - यह माला एकाग्रता , सम्पन्नता और शान्ति की माला मानी जाती है - माँ सरस्वती और माँ लक्ष्मी के मन्त्र इस माला से जपना उत्तम होता है - धन प्राप्ति और एकाग्रता के लिए स्फटिक की माला धारण करना भी अच्छा होता है - हल्दी की माला - विशेष प्रयोगों तथा मनोकामनाओं के लिए हल्दी की माला का प्रयोग किया जाता है - बृहस्पति देव तथा माँ बगलामुखी के मन्त्रों के लिए हल्दी की माला का प्रयोग होता है - हल्दी की माला से ज्ञान और संतान प्राप्ति के मन्त्रों का जाप भी कर सकते हैं - चन्दन की माला - चन्दन की माला दो प्रकार की होती है - लाल चन्दन और श्वेत चन्दन - देवी के मन्त्रों का जाप लाल चन्दन की माला से करना फलदायी होता है - भगवान् कृष्ण के मन्त्रों के लिए सफ़ेद चन्दन की माला का प्रयोग कर सकते हैं - तुलसी की माला - वैष्णव परंपरा में इस माला का सर्वाधिक महत्व है - भगवान् विष्णु और उनके अवतारों के मन्त्रों का जाप इसी माला से किया जाता है - यह माला धारण करने पर वैष्णव परंपरा का पालन जरूर करना चाहिए - तुलसी की माला पर कभी भी देवी और शिव जी के मन्त्रों का जप नहीं करना चाहिए माला में कितने मनके होते हैं?हिन्दू धर्म में हम मंत्र जप के लिए जिस माला का उपयोग करते हैं, उस माला में दानों की संख्या 108 होती है। शास्त्रों में संख्या 108 का अत्यधिक महत्व होता है। माला में 108 ही दाने क्यों होते हैं, इसके पीछे कई धार्मिक, ज्योतिषीय और वैज्ञानिक मान्यताएं हैं।
माला में कितने दाने होने चाहिए?शास्त्रों के अनुसार व्यक्ति को हर सांस पर यानी पूजन के लिए निर्धारित समय 12 घंटे में 10800 बार ईश्वर का ध्यान करना चाहिए, लेकिन यह संभव नहीं हो पाता है। इसीलिए 10800 बार सांस लेने की संख्या से अंतिम दो शून्य हटाकर जप के लिए 108 संख्या निर्धारित की गई है। इसी संख्या के आधार पर जप की माला में 108 दाने होते हैं।
एक माला में कितने मंत्र होते हैं?सामान्यतः माला में 108 मनके होते हैं हालांकि इसमें 27 अथवा 54 मनके भी होते हैं. अलग-अलग मंत्र के जाप के लिए माला भी अलग-अलग प्रयोग की जाती है.
जब करने की माला को क्या कहते हैं?एक जप माला या माला (संस्कृत: माला अर्थ गार्लेंड) आमतौर पर हिंदू, बौद्ध, जैन और कुछ सिखों के द्वारा आध्यात्मिक अभ्यास जिसे संस्कृत में जप के रूप में जाना जाता हैं उसे प्रार्थना में उपयोग की जाने वाली प्रार्थना मनका की तार की एक माला है। यह आमतौर पर १०८ मनको से बनी होती है, हालांकि अन्य संख्याओं का भी उपयोग किया जाता है।
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