घनानंद कवित्त पर वस्तुनिष्ठ प्रश्न Show “नीर भीज्यौ जीवतऊ गुड़ी लौं उड़्यौ
रहै” में अलंकार है: डॉ ग्रियर्सन ने अपने ग्रंथ के किस अध्याय को रीतिकाल नाम दिया है: “भूषण बिनु न बिराजई कविता बनिता मित्त” किसकी पंक्ति है: ‘रीतिरात्माकाव्यस्त ‘ किनका संबोधन है… ” ……लोग है लागि कवित बनावत , मोहि तो मोरे कबित बनावत। ” रिक्त स्थान में किस कवि उल्लेख होगा। १. घनानंद✔ २. ठाकुर ३. बोधा ४. इनमें कोई नहीं। रीतिमुक्त कवि के काव्य बारे में असंगत कथन है: घनानंद की रचना नहीं है? आरोही क्रम में व्यवस्थित कीजिये? घनानंद का जन्म काल है? “अति सुधो प्रेम को मारग है ” कथन किस कवि का है? घनानंद ने प्रमुखतः किसको माध्यम बनाकर रूप सौंदर्य का प्रस्तुतीकरण किया है: घनानंद की रचना में दिखाई पड़ती है। १. विरह वर्णन असत्य कथन को चुने ? “हीन भए जल मीन अधीन कहा कछु मो अकुलानी समानै ” में अनुचित है ? “तब हार पहार से लागत है अब आनी के बीच पहार परे” में कौन सा अलंकार है? “घनानंद को साक्षात रस मूर्ति किसने कहा है? घनानन्द का प्रिय प्रतीक है? घनानन्द किस संप्रदाय में दीक्षित थे? नगेन्द्र के अनुसार घनानन्द द्वारा रचित कवित्त सवैया है । लाजनि लपेटी चितवनि भेद भाय भरी ” लट लोल कपोल कलोल करै, कल कंठ बनी जलजावलि द्वै। ” प्रेम सदा अति ऊंची लहै सु कहै इहि भांति की बात छकी” किसकी पंक्ति है: ‘सौन्दर्यंलंकार: ‘ किनकी पंक्ति है… ” भए अति निठुर
पहचानि डारी, १. घनानंद रीतिमुक्त कवियों के काव्य बारे में असंगत कथन है: 6.घनानंद मुख्य रूप से किसके कवि हैं— 7. आरोही क्रम में व्यवस्थित कीजिये? 8. घनानंद का समय है? 9. “हीन भए जल मीन अधीन कहा कछु मो अकुलानी समानै ” में अनुचित है ? 10. ” काहू कल्पाय है सु कैसे कल पाय है।” में कौन सा
अलंकार है? 11. अ. “घनानंद साक्षात रस मूर्ति हैं।” उक्त पंक्तियाँ क्रमशः हैं— 12. घनानन्द ने नायिका के मुस्कुराहट की तुलना की है? 13. नगेन्द्र के अनुसार घनानन्द द्वारा रचित पदों की
संख्या है — 14.*अंतर उदेग दाह आंखिन प्रवाह आँसू,—–चाहा भीजनि दहनी है* 1. अरसायहौं 15.*प्रीतम सुजान मेरे हित के निधान कहौ, 16.सुमुखी सवैया के प्रत्येक चरण में होते हैं– 1 .8 सगण 17.घनानंद किस संप्रदाय में दीक्षित हुए थे?? 1. वल्लभ सम्प्रदाय 18.*भाषा के लक्षक एवं व्यंजक बल की सीमा कहां तक है इसकी परख इन्हीं को थी* 19.घनानंद के संदर्भ में यह दो सवैया किसने लिखा है — ” जग की कविताई के धोखे रहै ह्यां प्रबीनन की मति जाति की।” 20.कौन सी कृति घनानंद की नहीं है— 1. सुजान सार 21.*रीतिकाल की बौद्धिक बिरह अनुभूति, निष्प्रणता और कुंठा के वातावरण में धनानंद की पीड़ा की टीस सहसा ही हृदय को चीर देती है और मन सहज ही मान लेता है* यह कथन किसका है 1 शुक्ल 22. “इनकी – सी विशुद्ध, सरस और शक्तिशालिनी ब्रजभाषा लिखने में और कोई कवि समर्थ नहीं हुआ।” 23. कौन सी रचना घनानंद की है — 1. काव्य निर्णय 24. “ब्रजभाषा भाषा रूचिर, कहैं सुमति सब कोई। यह पंक्ति किस कवि की है.. 1.देव 25. पाप की पुंज सकेली सू कौन आनघरी मैं बिरंचि बनाएं यहाँ बिरंचि का क्या अर्थ है 1 कृष्ण लट लोल कपोल
कलोल करै, कल कंठ बनी जलजावलि द्वै। ” प्रेम सदा अति ऊंची लहै सु कहै इहि भांति की बात छकी” किसकी पंक्ति है: ‘सौन्दर्यंलंकार: ‘ किनकी पंक्ति है… 4.” भए अति निठुर पहचानि डारी, १. घनानंद रीतिमुक्त कवियों के काव्य बारे में असंगत कथन है: 6.घनानंद मुख्य रूप से किसके कवि हैं— आरोही क्रम में व्यवस्थित कीजिये? घनानंद का समय है? “हीन भए जल मीन अधीन कहा कछु मो अकुलानी समानै ” में अनुचित है ? ” काहू कल्पाय है सु कैसे कल पाय है।” में कौन सा अलंकार है? अ. “घनानंद साक्षात रस मूर्ति हैं।” उक्त पंक्तियाँ क्रमशः हैं— घनानन्द ने नायिका के मुस्कुराहट की तुलना की है? नगेन्द्र के अनुसार घनानन्द द्वारा रचित पदों की संख्या है — 14.अंतर उदेग दाह आंखिन प्रवाह आँसू,—–चाहा
भीजनि दहनी है अरसायहौं सांझ जिवतु 16.सुमुखी सवैया के प्रत्येक चरण में होते हैं– 1 .8 सगण 8 भगण 8 मगण इनमें से कोई नहीं। 17.घनानंद किस संप्रदाय में दीक्षित हुए थे?? वल्लभ सम्प्रदाय निम्बार्क सम्प्रदाय द्वैतवाद 18.भाषा के लक्षक एवं व्यंजक बल की सीमा कहां तक है इसकी परख इन्हीं को थी हजारी प्रसाद द्विवेदी विश्वनाथ प्रसाद मिश्र 19.घनानंद के संदर्भ में यह दो सवैया किसने लिखा है — ” जग की कविताई के धोखे रहै ह्यां प्रबीनन की मति जाति की।” 20.कौन सी कृति घनानंद की नहीं है— 1. सुजान सार बिरहलीला कोकसार सुजान सागर 21.रीतिकाल की बौद्धिक बिरह अनुभूति, निष्प्रणता और कुंठा के वातावरण में धनानंद की पीड़ा की टीस सहसा ही हृदय को चीर देती है और मन सहज ही मान लेता है यह कथन किसका है 1 शुक्ल “इनकी – सी विशुद्ध, सरस और शक्तिशालिनी ब्रजभाषा लिखने में और कोई कवि समर्थ नहीं हुआ।” कौन सी रचना घनानंद की है — काव्य निर्णय इश्क लता इश्कनामा “ब्रजभाषा भाषा
रूचिर, कहैं सुमति सब कोई। यह पंक्ति किस कवि की है.. 1.देव घनानंद पाप की पुंज सकेली सू कौन आनघरी मैं बिरंचि बनाएं यहाँ बिरंचि का क्या अर्थ है 1 कृष्ण 1 *मोही मोह जनाय के अहे अमोहि जोहि*। 2सवैया 3दोहा ✔ 4 इनमें से कोई नहीं 2 *अंतर उदेग दाह
——-प्रवाह आँसू अटपटी चाहा भीजनि दहनी है* पहला जागिबो दूसरा प्राननि तीसरा जीवन 4 आंखिन✔ 3 *कंत रमें —–अंतर में सुलहै नहीं क्यों सुखरसि निरंतर।* 1 उर✔ 3दिन 4 *ज्यों बुधि सो रसुराई रचे कोउ ——– को कविताई सिखावै* 1 सारदा✔ 5 घनानंद किस संप्रदाय में शिक्षित हुए थे 1 वल्लभ सम्प्रदाय 6 *भाषा के लक्षक एवं व्यंजक बल की सीमा कहां तक है इसकी परख इन्हीं को थी* घनानंद के बारे में यह कथन किसका है 3रामधारी सिंह दिनकर
दूसरा रामचंद्र शुक्ला ✔ तीसरा रामधारी सिंह दिनकर चौथा हजारी प्रसाद द्विवेदी
नेहीं महाब्रज भाषा प्रवीन औ सुंदरताहु के भेद को जानें। जो वियोग की रीति में कोविंद, भावना भेद स्वरूप को जाने।। 1 शुक्ल 9 कौन सी कृति घनानंद की नहीं है पहला सुजान सार दूसरा बिरहलीला तीसरा कोकसार चौथा इश्क नामा✔
1 शुक्ल 11 घनानंद में रहस्यात्मकता प्रवृत्ति पर किन का प्रभाव पड़ा है पहला नाथसंप्रदाय दूसरा वैष्णव संप्रदाय तीसरा ब्रह्मा संप्रदाय चौथा सूफी भावना✔
पहला 41✔ 13 कौन सी रचना घनानंद की नहीं है पहला रस केली वल्ली दूसरा यमुनायश तीसरा इश्क लता चौथा भाव पंचशिका ✔ यह पंक्ति किस कवि की थी.. 1देव 15 पाप की पुंज सकेली सू कौन आनघरी मैं बिरंचि बनाएं यहाँ बिरंचि का क्या अर्थ है 1 कृष्ण घनानन्द के काव्य में कौन सा रस प्रधान है?रस की दृष्टि से घनानंद का काव्य मुख्यतः श्रृंगार रस प्रधान है।
घनानंद के काव्य की विशेषता क्या है?घनानंद के काव्य में सर्वत्र माधुर्य गुण विद्यमान है। अलंकारों की दृष्टि से अनुप्रास, रूपक, उपमा, अतिशयोक्ति, श्लेष, उत्प्रेक्षा आदि का प्रयोग हुआ है। कवित्त और सवैया घनानंद के प्रिय छंद है। निष्कर्ष कहा कहा जा सकता है कि घनानंद के काव्य का भाव पक्ष जितना उत्कृष्ट है उसी के समान कला पक्ष भी श्रेष्ठ है।
घनानंद के काव्य का प्रेरणा स्त्रोत क्या है?घनानंद का संयोग श्रृंगार वर्णन
रीतिकालीन काव्य धारा का प्रधान तत्व भक्ति नहीं प्रेम की अभिव्यंजना है। यह प्रेम कहीं मांसल है तो कहीं मानसिक और आध्यात्मिक भी है। घनानंद हिन्दी के सर्वोत्कृष्ट स्वच्छन्द प्रेमी कवि है और इनका श्रृंगार वर्णन प्रेम की मानसिक अनुभूति को गहराई और तीव्रता से अभिव्यक्त करता है।
घनानंद के काव्य में किसकी भक्ति विद्यमान हैं?धनानंद को रीतिकाल के रीतिमुक्त काव्यधारा का श्रेष्ठ कवि माना जाता है। घनानंद जी ने अपने पदों तथा रचनाओं में सुजान का इस प्रकार से उल्लेख किया है, कि उसका अध्यात्मीकरण हो गया हो। सुजान का उनका प्रेयसी होना बहुत अधिक उपयुक्त लगता है। सुजान को श्रृंगार पक्ष में नायिका और भक्ति पक्ष में कृष्ण मान लेना उचित होगा।
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