गोधरा कांड में कितने मुसलमान मारे गए थे? - godhara kaand mein kitane musalamaan maare gae the?

गुजरात के गांधीनगर जिले का पलियाड़ गांव का नज़ारा उजड़ा-उजड़ा सा है। खाली-खाली सड़कें, सूने-सूने से घर। इसी गांव में है हाजी पीर की दरगाह। इसी दरगाह की चहारदीवारी में रहती है दो बहनें। सकीना फकीर और हसीनाबेन। कभी इस गांव में 20 के लगभग मुस्लिम परिवार रहते थे। लेकिन आज इस गांव में सिर्फ सकीना और हसीनाबेन रहती हैं। इस गांव से मुस्लिम परिवारों के पलायन की कहानी के तार गुजरात दंगों से जुड़े हैं। दरअसल  28 फरवरी 2002 के बाद इस गांव में सब कुछ बदल गया। गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस में आग की घटना के बाद ये शायद पहला गांव था जिस पर हमला हुआ था। सकीना बताती हैं कि 500 से 1000 लोगों का एक समूह इस गांव में घुस आया। उन्होंने मेरे भाई के साथ मारपीट की। इस दरगाह में लूटपाट की और कई घरों को नष्ट कर दिया। सकीना के मुताबिक इस गांव में मुसलमानों के 20 परिवार थे लेकिन सबने एक-एक कर पलियाड़ छोड़ दिया।

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इस घटना के बाद इसके गुनहगारों को सज़ा दिलाने की कोशिश शुरू हुई लेकिन, लगभग 14 साल बाद इस 31 जनवरी को कलोल की एक एडिशनल डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने घटना के सभी 26 आरोपियों को बरी कर दिया। जज ने अपने आदेश में लिखा कि ‘घटना के ज्यादातर गवाह अपने बयान से मुकर गये, और आरोपियों और पीड़ितों के बीच समझौता हो गया है’। हालांकि अदालत में इस बावत कोई दस्तावेज नहीं पेश किया गया कि आरोपियों की ओर से पीड़ितों को कितनी रकम क्षतिपूर्ति के रुप में दी गई, लेकिन कोर्ट ने इस बारे में मौखिक बयान ही स्वीकार कर लिया।

अदालत ने बयान से मुकरने में जिन गवाहों का नाम लिया था उनमें से एक सकीना भी है। सकीना अब उम्र के छठे दशक में प्रवेश कर चुकी है। और पैसा लेकर मामला सुलझाने के सभी आरोपों को बेबुनियाद बताती है। सकीना ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि वो लोग 10-20 हज़ार देकर समझौता करना चाहते थे, लेकिन मैने साफ मना करा दिया । सकीना और हसीनाबेन कहती हैं कि ‘उन्होंने केस को अभी छोड़ा नहीं है’। सकीना ने बताया कि, ‘उसने भी आरोपियों और पीड़ितों के बीच समझौते की बात सुनी लेकिन उसे ऐसा एक भी शख़्स नहीं मिला जो पैसा लेकर मामले को रफा-दफा करना चाहता हो’।

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सकीना और हसीना की ज़िंदगी अब दरगाह में मिलने वाले चढ़ावे से चलती है। दोनों बहनों का कहना है कि ये उनके पूर्वजों का गांव हैं। और वे किसी क़ीमत पर इस गांव को नहीं छोड़ेंगी।

दंगों को कभी भी और किसी भी सूरत में जायज नहीं ठहराया जा सकता, चाहे वो स्वतंत्रता प्राप्ति के समय बंटवारे के समय हुए हों, या नौआखली में हुआ हिंदुआ का कत्लेआम हो, या १९८४ में सिखों का कत्लेआम. हमेशा से भारत में साम्प्रदायिक दंगे होते रहे और उन पर राजनीति भी…… लीपापोती हुई और सब समाप्त……..! लेकिन २००२ में गुजरात हुए दंगों में कुछ अलग हुआ और वो अलग ये की सरकार को भी इन दंगों में लपेटा गया, तत्कालीन गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी के ऊपर भी आरोप आये हालांकि अभी मामला कोर्ट में है और हमें कोर्ट के निर्णय का इंतज़ार करना चाहिए, लेकिन इस बीच विपक्षी दलों ने, तथाकथित सेकुलरों ने, मानवाधिकार संगठनों ने, मोदी को तथाकथित दंगों के लिए अपराधी घोषित कर दिया है उन्हें कोर्ट के निर्णय का भी इन्तजार नहीं रहा बहरहाल ये अलग विषय है की ये दल कोर्ट से कितना ऊपर हैं ? फिलहाल तो मैं उस भारत सरकार की आधिकारिक रिपोर्ट के कुछ तथ्य आप लोगों के समक्ष रख रहा हूँ जिनसे ये आप स्वयं दंगों के विषय में अनुमान लगा सकते हैं.

२७ फरवरी २००२ के गोधरा काण्ड में ५८ हिन्दू जलाकर मारे गए जिसमें २५ औरतें और १५ बच्चे भी शामिल थे. जिसके उपरान्त २८ फरवरी २००२ को अहमदाबाद में दंगे भड़के जिसका प्रमुख कारण वो अफवाह थी जिसमें कहा गया की गोधरा काण्ड के बाद तीन हिन्दू लड़कियों का अपहरण मुस्लिमों ने कर लिया है( हालांकि इस अफवाह के सच या झूठ की कितनी जांच पड़ताल हुई ये तो सरकार ही जाने ). दंगों की शुरुआत गुलबर्ग सोसाइटी से हुई. तत्पश्चात मस्जिदों से ये ऐलान किया गया की ” दूध में जहर है और इस्लाम खतरे में है” और गुजरात के विभिन्न जिलों में दंगा फ़ैल गया. अहमदाबाद, वड़ोदरा, साबरकांठा, पंचमहल, मेहसाना, खेडा, जूनागड़, पतन, आनंद, नर्मदा और गांधीनगर जिलों में अधिकतर हमले हिन्दुओं ने मुस्लिमों पर किये तथा मोडासा, हिम्मतनगर, भरूच, राजकोट, सूरत, भंडेरी पोल तथा दानिलिम्डा में मुसलामानों ने हिन्दुओं पर हमले किये.दंगों में कुल १०४४ लोग मारे गए, जिनमें ७९० मुस्लिम और २५४ हिन्दू थे. २५४८ घायल, २२३ लापता, ९१९ महिलायें विधवा हुईं और ६०६ बच्चे अनाथ. सात साल बाद लापता लोगों को भी मृत मान लिया गया और मृतकों की संख्या १२६७ हो गयी.

पुलिस ने दंगों को रोकने में लगभग १०००० राउण्ड गोलियां चलायीं, जिनमें जिनमें ९३ मुसलमानों और ७७ हिन्दुओं की मौत हुई. दंगों के दौरान १७९४७ हिन्दुओं और ३६१६ मुस्लिमों को गिरफ्तार किया गया बाद में कुल मिला कर २७९०१ हिन्दुओं को और ७६५१ मुस्लमों को गिरफ्तार किया गया.

ये आंकड़े मुझे http://en.wikipedia.org/wiki/2002_Gujarat_violence साईट से मिले हैं.

ये आंकड़े सरकारी हैं और गैरसरकारी आंकड़ों के हिसाब से २००० से ज्यादा लोग इन दंगों में मारे गए, लेकिन हमेशा ही गैर सरकारी आकडे सरकारी आंकड़ों से ज्यादा होते हैं……..पर महत्वपूर्ण विषय ये है यदि सरकार और पुलिस मूक दर्शक बनी थी या हिन्दुओं का साथ दे रही थी तो पुलिस की गोली से ७७ हिन्दुओं की मौत कैसे हो गयी…….. पुलिस ने २७००० से अधिक हिन्दुओं को क्यों गिरफ्तार किया जबकि मुस्लिमों को कम ……?इस रिपोर्ट के बाद और भी बहुत से प्रश्न दिमाग में आयेंगे …….. सोचिये और बताइए

2002 गुजरात दंगे में कितने मुसलमान मारे गए?

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक़, गुजरात में हुए 2002 दंगे में 790 मुसलमान और 254 हिंदू मारे गए थे. 223 लोग लापता हो गए और 2500 घायल हुए थे.

गोधरा कांड में कितने मुस्लिम मारे गए?

गोधरा कांड के बाद पूरे गुजरात में दंगे भड़क उठे। इन दंगों में एक हजार से ज्यादा लोग मारे गए थे, जिनमें 790 मुसलमान और 254 हिंदू थे

गुजरात दंगे में कितने हिंदू मारे गए?

249 निकायों में से अहमदाबाद में तीस हिंदू थे। मारे गए हिंदुओं में से तेरह की मौत पुलिस कार्रवाई के परिणामस्वरूप हुई थी और कई अन्य लोग मुस्लिम स्वामित्व वाली संपत्तियों पर हमला करते हुए मारे गए थे।

गुजरात दंगों में किसका हाथ था?

इस मौके पर 'नरसंहार के खिलाफ गठबंधन नामक' संगठन की ओर से हैदर खान ने कहा कि गुजरात में विधायक माया कोडनानी और पूर्व मंत्री अमित शाह को दोषी ठहराए गए हैं। इससे सिद्ध हो गया कि दंगों में मोदी प्रशासन का हाथ था