गुलमोहर कितने प्रकार के होते हैं? - gulamohar kitane prakaar ke hote hain?

गुलमोहर कितने प्रकार के होते हैं? - gulamohar kitane prakaar ke hote hain?

गुलमोहर कितने प्रकार के होते हैं? - gulamohar kitane prakaar ke hote hain?

गुलमोहर[1] लाल फूलों वाला पेड़ है। इसकी जन्मभूमि मेडागास्कर को माना जाता है। कहते है कि सोलहवीं शताब्दी में पुर्तगालियों ने मेडागास्कर में इसे देखा था। अठारहवीं शताब्दी में फ्रेंच किटीस के गवर्नर काउंटी डी प़ोएंशी ने इसका नाम बदल कर अपने नाम से मिलता-जुलता नाम पोइंशियाना रख दिया। बाद में यह सेंट किटीस व नेवीस का राष्ट्रीय फूल भी स्वीकृत किया गया। इसको रॉयल पोइंशियाना के अतिरिक्त फ्लेम ट्री के नाम से भी जाना जाता है। फ्रांसीसियों ने संभवत: गुलमोहर का सबसे अधिक आकर्षक नाम दिया है, उनकी भाषा में इसे स्वर्ग का फूल कहते हैं। वास्तव में गुलमोहर का सही नाम 'स्वर्ग का फूल' ही है। भरी गर्मियों में गुलमोहर के पेड़ पर पत्तियाँ तो नाममात्र होती हैं, परंतु फूल इतने अधिक होते हैं कि गिनना कठिन। यह भारत के गरम तथा नमी वाले स्थानों में सब जगह पाया जाता है। गुलमोहर के फूल मकरंद के अच्छे स्रोत हैं। शहद की मक्खियाँ फूलों पर खूब मँडराती हैं। मकरंद के साथ पराग भी इन्हें इन फूलों से प्राप्त होता है। फूलों से परागीकरण मुख्यतया पक्षियों द्वारा होता है। सूखी कठोर भूमि पर खड़े पसरी हुई शाखाओं वाले गुलमोहर पर पहला फूल निकलने के एक सप्ताह के भीतर ही पूरा वृक्ष गाढ़े लाल रंग के अंगारों जैसे फूलों से भर जाता है। ये फूल लाल के अलावा नारंगी, पीले रंग के भी होते हैं।[2]

भारत में इसका इतिहास करीब दो सौ वर्ष पुराना है। संस्कृत में इसका नाम 'राज-आभरण' है, जिसका अर्थ राजसी आभूषणों से सजा हुआ वृक्ष है। गुलमोहर के फूलों से श्रीकृष्ण भगवान की प्रतिमा के मुकुट का श्रृंगार किया जाता है। इसलिए संस्कृत में इस वृक्ष को 'कृष्ण चूड' भी कहते हैं। भारत के अलावा यह पेड़ युगांडा, नाइजीरिया, श्री लंका, मेक्सिको, आस्ट्रेलिया तथा अमेरिका में फ्लोरिडा व ब्राजील में खूब पाया जाता है। आजकल इसके वृक्ष यूरोप में भी देखे जा सकते हैं। मेडागास्कर से इस पेड़ का विकास हुआ पर अब वहां यह लुप्त होने की दशा में है; इसलिए इसकी मूल प्रजाति को अब संरक्षित वृक्षों की सूची में शामिल कर लिया गया है। गुलमोहर के फूल मकरंद के अच्छे स्रोत हैं। शहद की मक्खियाँ फूलों पर खूब मँडराती हैं। मकरंद के साथ पराग भी इन्हें इन फूलों से प्राप्त होता है। सूखी कठोर भूमि पर खड़े फैली हुई शाखाओं वाले गुलमोहर पर पहला फूल निकलने के एक सप्ताह के भीतर ही पूरा वृक्ष गाढ़े लाल रंग के अंगारों जैसे फूलों से भर जाता है। वसंत से गर्मी तक यानी मार्च अप्रैल से लेकर जून जुलाई तक गुलमोहर अपने ऊपर लाल-नारंगी रंग के फूलों की चादर ओढ़े भीषण गर्मी को सहता देखने वालों की आँखों में ठंडक का अहसास देता है। इसके बाद फूल कम होने लगते हैं, पर नवंबर तक पेड़ पर फूल देखे जा सकते हैं। इसकी इसी विशेषता के कारण पार्क, बगीचे और सड़क के किनारे इसे लगाया जाता है।[3]

गुलमोहर के फूलों के खिलने का मौसम अलग अलग देशों में अलग-अलग होता है। दक्षिणी फ्लोरिडा में यह जून के मौसम में खिलता है तो कैरेबियन देशों में मई से सितम्बर के बीच। भारत और मध्यपूर्व में यह अप्रैल-जून के मध्य फूल देता है। आस्ट्रेलिया में इसके खिलने का मौसम दिसम्बर से फरवरी है, जब इसको पर्याप्त मात्रा में गरमी मिलती है। उत्तरी मेरीयाना द्वीप पर यह मार्च से जून के बीच खिलता है।

चित्रदीर्घा

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    बीजों की फलियाँ

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    छाल

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    फूल

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    माली में ईंटों की मकान के सामने गुलमुहर

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    गुलमोहर हवाई में

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    मेक्सिको में एक चर्च के सामने गुलमोहर के नीचे कुछ दूकानदार

  • गुलमोहर कितने प्रकार के होते हैं? - gulamohar kitane prakaar ke hote hain?

    गुलमोहर बहार की प्रतीक्षा में।

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    बगीचे में गुलमोहर

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    गुलमोहर

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    गुलमोहर बृक्ष

सन्दर्भ

  1. Cowen, D. V. (1984). Flowering Trees and Shrubs in India, Sixth Edition. Bombay: THACKER and Co. Ltd. पृ॰ 1.
  2. "स्वर्ग का फूल गुलमोहर" (एचटीएम). वेब दुनिया. अभिगमन तिथि २७ जनवरी २००९. [मृत कड़ियाँ]
  3. "लाल फूलों वाला गुलमोहर". अभिव्यक्ति. मूल (एचटीएम) से 12 मई 2008 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि २७ जनवरी २००९.

गुलमोहर कितने प्रकार का होता है?

यह दो प्रकार की होती है पीली गुलमोहर और लाल गुलमोहर

गुलमोहर के पेड़ की पहचान कैसे करें?

भरी गर्मियों में गुलमोहर के पेड़ पर पत्तियाँ तो नाममात्र होती हैं, परंतु फूल इतने अधिक होते हैं कि गिनना कठिन। यह भारत के गरम तथा नमी वाले स्थानों में सब जगह पाया जाता है। गुलमोहर के फूल मकरंद के अच्छे स्रोत हैं। शहद की मक्खियाँ फूलों पर खूब मँडराती हैं।

गुलमोहर क्या काम आता है?

गुलमोहर के फूल एवं फलियाँ मधुर, खाने की इच्छा बढ़ाने वाला, मृदुकारी तथा पोषक होते हैं। सामान्य कमजोरी, प्यास, अतिसार या दस्त, खून की कमी, नाक से खून बहने की बीमारी, सफेद पानी, कामला या पीलिया, अरुचि एवं मधुमेह में लाभप्रद होता है। पीला गुलमोहर ठंडा, स्निग्ध तथा तीनों दोषो को कम करने वाला होता है

गुलमोहर का अर्थ क्या होता है?

आखिरी शेर में गुलमोहर की चर्चा अवश्य हुई है। यह एक खास तरह के फूलदार वृक्ष होते हैं। मगर शायर ने इसका सांकेतिक अर्थ लिया है। इस वृक्ष को सौंदर्य तथा शांति का प्रतीक माना जाता है।