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लेखिका महादेवी वर्मा द्वारा लिखित ‘गिल्लू’ रेखाचित्र विधा पर आधारित एक अनुपम रचना है। यह रेखाचित्र उनकी प्रसिद्ध कृति ‘मेरा परिवार’ से संकलित है। प्रस्तुत रचना में गिलहरी जैसे एक अतिसाधारण एवं उपेक्षित प्राणी की चेष्टाओं का सजीव चित्रण करते हुए उसे एक स्मरणीय व्यक्तित्व प्रदान किया गया है। लेखिका लिखती हैं कि पीली जुही के बेल पर लगी कली को देखकर उसे अचानक उस छोटे जीव गिलहरी की याद आ गई, जो कि इस बेल की हरियाली में रहता था और लेखिका को घायल अवस्था में मिला था। उस गिलहरी के बच्चे को लेखिका उठाकर
कमरे में ले आई और रूई से उसका रक्त पोंछकर उसके घाव पर पेंसिलीन का मरहम लगाया और रूई की बत्ती से उसे दूध पिलाने का प्रयास किया। SHARE THIS
Author: AdminI am writing to express my concern over the Hindi Language. I have iven my views and thoughts about Hindi Language. Hindivyakran.com contains a large number of hindi litracy articles. गिल्लू कहानी के प्रश्न उत्तरहिंदी साहित्य की प्रसिद्ध लेखिका महादेवी वर्मा द्वारा लिखित ‘गिल्लू’ रेखाचित्र विधा पर आधारित एक अनुपम रचना है। इस पाठ में लेखिका महादेवी वर्मा का एक छोटे, चंचल जीव गिलहरी के प्रति प्रेम झलकता है।गिल्लू कहानी के प्रश्न उत्तर पढने के लिए नीचे देखें : प्रश्न: सोनजुही क्या है? उत्तर: ‘सोनजुही’, जुही नामक बेल की एक किस्म है, जो पीली होती है। प्रश्न: सोनजुही में पीली कली को देखकर लेखिका को किसकी याद आ गई? उत्तर: सोनजुही में लगी पीली कली को देख लेखिका को अनायास ही गिलहरी के बच्चे (गिल्लू) की याद आ गई, जो लता की सघन हरीतिमा में से अचानक ही लेखिका के कंधे पर कूदकर उन्हें चौंका देता था। प्रश्न: लेखिका का ध्यान आकर्षित करने के लिए गिल्लू क्या करता था ? उत्तर: लेखिका का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने के लिए गिल्लू लेखिका के पैर तक आकर तेजी़ से पर्दे पर चढ़ जाता था और फिर तेजी़ से उतरता था। यह क्रम तब तक चलता रहता था जब तक लेखिका उसे पकड़ने के लिए उठती नहीं थी। प्रश्न: प्रस्तुत पाठ में लेखिका किसकी बात कर रही है और वह किसे खोज रही है? उत्तर: प्रस्तुत गद्यांश में लेखिका गिलहरी के बच्चे (गिल्लू) की बात कर रही है और उसे ही सोनजुही की कली के रूप में खोज रही है। प्रश्न: पाठ के आधार पर पुरखों को हमसे कुछ पाने के लिए क्या करना पड़ता है? उत्तर: गद्यांश के अनुसार पुरखों को हमसे कुछ पाने के लिए कौए के रूप में पृथ्वी पर आना पड़ता है। प्रश्न: लेखिका ने बरामदे में कौओं को क्या करते देखा? उत्तर: बरामदे में लेखिका ने कौओं को छुवा-छुवौवल जैसा खेल खेलते देखा। प्रश्न: कागभुशुण्डि कौन हैं? उत्तर: पाठ में कागभुशुण्डि का अर्थ ‘कौए’ से है। कागभुशुण्डि तुलसीदास कृत ‘श्रीरामचरितमानस’ के पात्र हैं, जो किसी शाप के कारण कौआ हो गए थे। उन्होंने गरुड़ को श्रीराम की कथा सुनाई थी। प्रश्न: कौआ समादरित वैसे होता है? उत्तर: पितृपक्ष में हम अपने पितरों की तृप्ति के लिए जब कौओं को भोजन कराते हैं तो उन्हें अत्यधिक श्रद्धा और सम्मान की दृष्टि से देखते है। इस प्रकार कौआ समादरित होता है। प्रश्न: पाठ के आधार पर दूर स्थित प्रियजनों का संदेश हमें किसके द्वारा प्राप्त होता है? उत्तर: दूर स्थित प्रियजनों के आने का संदेश हमें कौए की कर्कश वाणी (काँव-काँव) के द्वारा मिलता है। प्रश्न: परिचारिका किसे कहते हैं? उत्तर: परिचारिका से तात्पर्य रोगी की देखभाल करने वाली सेविका से है। प्रश्न: महादेवी जी की अस्वस्थता में उनके बालों को हौले-हौले कौन सहलाता रहता था? उत्तर: महादेवी जी की अस्वस्थता में गिल्लू उनके बालों को हौले-हौले सहलाता रहता था। प्रश्न: गर्मियों की दोपहर में गिल्लू की क्या चर्या थी? उत्तर: गर्मियों की दोपहरी में गिल्लू घर के बाहर नहीं जाता था। वह अपने झूले में भी नहीं बैठता था। वह लेखिका के पास रखी सुराही पर लेटा रहता था। इस तरह से वह लेखिका के समीप भी रहता था और ठंडक में भी। प्रश्न: लेखिका को कैसे अहसास हुआ कि गिल्लू का अंत आ गया है? उत्तर: गिल्लू ने न दिनभर कुछ खाया और न ही अपने घोंसले को छोड़कर बाहर गया, वैसे भी उसे लेखिका के पास रहते लगभग दो वर्ष हो गए थे; अत: उसकी आयु को पूर्ण हुआ देखकर लेखिका जान गई कि गिल्लू की जीवनयात्रा का अंत आ गया है। प्रश्न: पाठ के आधार पर बताइए कि गिल्लू को लेखिका के पास रहते हुए कितना समय हो गया था? उत्तर: गिल्लू को लेखिका के पास रहते लगभग दो वर्ष का समय हो गया था; क्योंकि लेखिका को गिल्लू नवजात शिशु के रूप में घायलावस्था में प्राप्त हुआ था और गिलहरियों का जीवनकाल दो वर्षों से अधिक नहीं होता। गिल्लू अब मरणासन्न अवस्था में है; अत: स्पष्ट है कि गिल्लू को लेखिका के पास रहते दो वर्ष बीत गए। प्रश्न: अंत समय में झूले से उतरकर उँगली पकड़कर हाथ से चिपक जाना, गिल्लू की किस भावना को प्रदर्शित करता है? उत्तर: गिल्लू का अपने अंत समय में लेखिका की उँगली पकड़कर उसके हाथ से चिपक जाना यह प्रदर्शित करता है कि गिल्लू को लेखिका से अत्यधिक प्रेम है। प्रश्न: गिल्लू के न रहने पर लेखिका ने क्या किया? उत्तर: गिल्लू के न रहने पर लेखिका ने गिल्लू के प्रिय झूले को उतारकर रख दिया और खिड़की की उस जाली को भी बंद कर दिया, जिससे गिल्लू खिड़की के बाहर आता जाता रहता था। प्रश्न: ‘सोनजुही पर वसंत आता ही रहता है’ से लेखिका का क्या अभिप्राय है? उत्तर: ‘सोनजुही पर वसंत आता ही रहता है।’ से लेखिका एक तो यह कहना चाहती है कि यह संसार अथवा जीवन गतिशील है। किसी की मृत्यु पर यह ठहर नहीं जाता, वरन् अपनी गति से चलता रहता है। यही कारण है कि जूही के वसंत का आनंद लेने वाला गिल्लू अब नहीं रहा, फिर भी उस पर वसंत आता रहता है। इस पंक्ति के द्वारा लेखिका यह भी कहना चाहती है कि गिल्लू आज भी उनकी स्मृति में पूर्ववत् बसा है। जब-जब जूही पर वसंत आता है, तब-तब उसकी स्मृति और गाढ़ी हो जाती है। प्रश्न: ʽप्रभात की पहली किरण के स्पर्श के साथ ही वह किसी और जीवन में जागने के लिए सो गयाʼ- का आशय स्पष्ट कीजिए। उत्तर: सुबह की पहली किरण ने जैसे ही गिल्लू का स्पर्श किया वैसे ही उसका प्राणांत हो गया। उसकी इस जीवन-लीला का अंत हो गया था और संभवतः किसी नए जन्म में नई जीवन- लीला में आँखें खोलने के लिए उसने इस जीवन से मुक्ति पा ली थी। प्रश्न: पाठ के आधार पर कौए को एक साथ समादरित और अनादरित प्राणी क्यों कहा गया है ? उत्तर: हमारे समाज में सदियों से ऐसी मान्यता रही है कि श्राद्ध के दिनों में कौओं के द्वारा ही हमारे पूर्वज हमारे द्वारा दिए गए भोजन को स्वीकार करते हैं। दूर स्थित प्रियजनों के आने का संदेश भी घर की छत पर बैठकर काँव-काँव करके ये कौए देते हैं। अतः इन स्थितियों में ये समादरित हैं। किंतु इनका काँव-काँव का कर्कश स्वर और स्वयं ये कौए सामान्य स्थितियों में अशुभ माने जाने के कारण अनादर पाते हैं। प्रश्न: गिल्लू किन अर्थों में परिचारिका की भूमिका निभा रहा था ? उत्तर: दुर्घटनाग्रस्त होने पर जब कुछ दिन तक अस्पताल में रहने के बाद लेखिका घर आईं तो गिल्लू उनकी उस अवस्था की स्थिति में उनके तकिए के सिरहाने पर बैठकर अपने नन्हें-नन्हें पंजों से उनके सिर और बाँहों को एक परिचारिका की भाँति धीरे-धीरे सहलाता रहता था। प्रश्न: गिलहरी के घायल बच्चे का उपचार किस प्रकार किया गया ? उत्तर: लेखिका ने गिलहरी के घायल बच्चे को कमरे में लाकर पहले उसका रक्त पोंछा और फिर उसके घावों पर मरहम लगाया। उसके बाद रुई की बत्ती को दूध में भिगोकर कई घंटों तक उसे दुध पिलाने का प्रयास किया गया। तब कहीं तीसरे दिन तक वह स्वस्थ हो सका। प्रश्न: गिल्लू को मुक्त करने की आवश्यकता क्यों समझी गई और उसके लिए लेखिका ने क्या उपाय किया? उत्तर: जब प्रथम बसंत के समय लेखिका के कमरे में नीम-चमेली की गंध भर गई और उन्होंने देखा कि खिड़की के बाहर की ओर गिलहरियाँ चिक्-चिक् के स्वर में गिल्लू से कुछ बात करती हैं और गिल्लू भी अंदर की ओर जाली से चिपककर बड़े ही अपनेपन से बाहर झाँकता है, तो लेखिका ने उसे मुक्त कर देना आवश्यक समझा। इसके लिए लेखिका ने जाली के एक कोने की कीलें निकालकर उस कोने से गिल्लू के बाहर आने-जाने का रास्ता बना दिया। प्रश्न: सोनजुही की लता के नीचे बनी गिल्लू की समाधि से लेखिका के मन में किस विश्वास का जन्म होता है उत्तर: गिल्लू की मौत के बाद लेखिका ने उसे सोनजुही की लता के नीचे गाड़ दिया था। वहीं गिल्लू की समाधि थी। वह लता गिल्लू को बहुत प्रिय भी थी। सोनजुही की लता के नीचे बनी गिल्लू की समाधि से लेखिका के मन में विश्वास का जन्म हुआ कि किसी बसंती दिन गिल्लू अवश्य ही जूही के छोटे से पीले फूल के रूप में खिलेगा। लेखिका के मन में विश्वास था कि गिल्लू एक न एक दिन फिर से उसके आसपास जन्म लेगा और वह फिर उसे किसी न किसी रूप में देख पाएगी। प्रश्न : लेखिका ने गिल्लू की समाधि कहाँ बनाई? उत्तर: लेखिका ने गिल्लू की समाधि सोनजुही की लता के नीचे बनाई। प्रश्न: कौन-सा विश्वास लेखिका को संतोष देता है? उत्तर: लेखिका का यह विश्वास उसे संतोष देता है कि एक दिन गिल्लू सोनजुही के फूल के रूप में खिलकर उसे अवश्य चौंकाएगा। गिल्लू का जीवन कितना था?गिलहरियों के जीवन की अवधि दो वर्ष से अधिक नहीं होती, अत: गिल्लू की जीवन यात्रा का अंत आ ही गया । दिन भर उसने न कुछ खाया न बाहर गया। रात में अंत की यातना में भी वह अपने झूले से उतरकर मेरे बिस्तर पर आया और ठंडे पंजों से मेरी वही उँगली पकड़कर हाथ से चिपक गया, जिसे उसने अपने बचपन की मरणासन्न' स्थिति में पकड़ा था।
गिल्लू कौन था उसकी विशेषताओं को अपने शब्दों में लिखिए?उत्तर- गिल्लू एक जीव था। वह बहुत ही जानकार था। वह लेखिका की थाली में बैठकर खाना खाता था। जब गिल्लू को भूख लगती थी तो वह चिक-चिक की आवाज करता था।
गिल्लू कहानी का उद्देश्य क्या है?गिल्लू पाठ प्रवेश
इस पाठ में लेखिका ने अपने जीवन के एक अनुभव को हमारे साथ सांझा किया है। यहाँ लेखिका ने अपने जीवन के उस पड़ाव का वर्णन किया है जहाँ उन्होंने एक गिलहरी के बच्चे को कवों से बचाया था और उसे अपने घर में रखा था। लेखिका ने उस गिलहरी के बच्चे का नाम गिल्लू रखा था।
गिल्लू के बारे में आप क्या जानते हैं?'गिल्लू गिलहरी का ही संक्षिप्त रूप है। महादेवी ने उसे कोई व्यक्तिवाचक नया नाम देने की बजाय उसके जातिवाचक नाम 'गिलहरी' से पुकारना ही ठीक समझा। इसलिए उससे उसे प्यार से 'गिल्लू कह दिया।
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