Solution : फादर की मृत्यु गैंग्रीन नामक रोग से हुई। इस रोग में शरीर के अंदर एक जहरीला फोड़ा हो जाता है, जो बहुत यातना देता है। लेखक ने फादर के शांत अमृतमय जीवन को देखा था। उन्होंने जीवन भर लोगों को दिया ही दिया था। लोगों को स्नेह, वात्सल्य और करुणा का दान दिया था। ऐसे व्यक्ति की मृत्यु बड़ी शांत होनी चाहिए । इसलिए लेखक ने उनकी यातनामय मृत्यु पर असंतोष प्रकट किया। Show Short Note फ़ादर बुल्के की मृत्यु से लेखक आहत क्यों था? Advertisement Remove all ads Solutionफ़ादर बुल्के लोगों से सद्व्यवहार करते हुए हमेशा प्यार बाँटते रहे। उन्हें किसी पर क्रोध करते हुए लेखक ने नहीं देखा था। उनके मन में दूसरों के लिए सदैव सहानुभूति एवं करुणा भरी रहती थी। ऐसे व्यक्ति की मृत्यु ज़हरबाद नामक कष्टदायी फोड़े से हुई। फ़ादर जैसे उदार महापुरुष की ऐसी मृत्यु के बारे में जानकर लेखक आहत हो गया। Concept: गद्य (Prose) (Class 10 A) Is there an error in this question or solution? Advertisement Remove all ads Chapter 13: सर्वेश्वर दयाल सक्सेना - मानवीय करुणा की दिव्या चमक - अतिरिक्त प्रश्न Q 1Q 12Q 2 APPEARS INNCERT Class 10 Hindi - Kshitij Part 2 Chapter
13 सर्वेश्वर दयाल सक्सेना - मानवीय करुणा की दिव्या चमक Advertisement Remove all ads फादर बुल्के की मृत्यु का मुख्य कारण क्या था?17 अगस्त 1982 में गैंगरीन के कारण एम्स, दिल्ली में इलाज के दौरान मृत्यु हो गयी।
फादर की मृत्यु किस रोग के कारण हुई लेखक ने उनके लिए उस रोग के विधान पर क्या टिप्पणी की है स्पष्ट कीजिए?Solution : फादर की मृत्यु गैंग्रीन नामक रोग से हुई। इस रोग में शरीर के अंदर एक जहरीला फोड़ा हो जाता है, जो बहुत यातना देता है। लेखक ने फादर के शांत अमृतमय जीवन को देखा था। उन्होंने जीवन भर लोगों को दिया ही दिया था।
फादर कामिल बुल्के की मृत्यु कहाँ हुई थी?17 अगस्त 1982कामिल बुल्के / मृत्यु तारीखnull
फादर कामिल बुल्के की मृत्यु कैसे हुई * 1 Point जहरवाद से पानी में डूबने से गिरने से बुखार से?फादर बुल्के की मृत्यु जबरबाद (गैंगरीन) नामक बीमारी से हुई थी। 'मानवीय करुणा की दिव्य चमक' नामक पाठ में लेखक ने फादर कामिल बुल्के के विषय में वर्णन किया है। फादर कामिल बुल्के बेल्जियम के मूल निवासी थी, जिन्होंने अपनी जीवन भारत में बिताया।
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