दोस्तों हमारा आज का टॉपिक चौपाई छंद की परिभाषा और उदाहरण | chaupai chhand in hindi | चौपाई छंद के उदाहरण है। हमे अनेक परीक्षाओं में छंदों से संबंधित प्रश्न आते हैं,जिनमे छंद के उदाहरण या उदाहरण देकर छंद का नाम पूछा जाता है। इसलिए hindiamrit.com आज आपको इस टॉपिक की विधिवत जानकारी देगा। Show
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सकुचाहीं। (5) रामु लखनु सिय सुनि मम नाऊँ । आप अन्य छंद भी पढ़िये» दोहा छंद » चौपाई छंद » सोरठा छंद » बरवै छंद » कुण्डलिया छंद » छप्पय छंद » रोला छंद » वीर/आल्हा छंद » उल्लाला छंद » गीतिका छंद » हरिगीतिका छंद चौपाई छंद के परीक्षा उपयोगी प्रश्न(6) ढोल गंवार सूद्र पशु नारी। (7) सुन सिय सत्य असीस हमारी। (8) बिनु पग चले सुने बिनु काना। (9) जय हनुमान ग्यान गुन सागर। (10) राम दूत अतुलित बलिधामा। सम्पूर्ण हिंदी व्याकरण पढ़िये ।» भाषा » बोली » लिपि » वर्ण » स्वर » व्यंजन » शब्द » वाक्य » वाक्य शुद्धि » संज्ञा » लिंग » वचन » कारक » सर्वनाम » विशेषण » क्रिया » काल » वाच्य » क्रिया विशेषण » सम्बंधबोधक अव्यय » समुच्चयबोधक अव्यय » विस्मयादिबोधक अव्यय » निपात » विराम चिन्ह » उपसर्ग » प्रत्यय » संधि » समास » रस » अलंकार » छंद » विलोम शब्द » तत्सम तत्भव शब्द » पर्यायवाची शब्द » शुद्ध अशुद्ध शब्द » विदेशी शब्द » वाक्यांश के लिए एक शब्द » समानोच्चरित शब्द » मुहावरे » लोकोक्ति » पत्र » निबंध बाल मनोविज्ञान चैप्टरवाइज पढ़िये uptet / ctet /supertet Uptet हिंदी का विस्तार से सिलेबस समझिए हमारे चैनल को सब्सक्राइब करके हमसे जुड़िये और पढ़िये नीचे दी गयी लिंक को टच करके विजिट कीजिये । https://www.youtube.com/channel/UCybBX_v6s9-o8-3CItfA7Vg दोस्तों आशा करता हूँ आपको यह आर्टिकल पसन्द आया होगा
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जाचक गुनगन गावन लागे ।। गुरु पद पदुम हरषि सिर नावा। 3. बंदउँ गुरु पद पदुम परागा।
दोहा चौपाई एवं सोरठा क्या कहलाते हैं?जिन छन्दों के चारों चरणों की मात्राएँ या वर्ण एक से हों वे सम कहलाते हैं , जैसे चौपाई , इन्द्रवज्रा आदि । जिनमें पहले और तीसरे तथा दूसरे और चौथे चरणों की मात्राओं या वर्गों में समता हो वे अर्द्धसम कहलाते हैं , जैसे दोहा , सोरठा आदि ।
चौपाई कैसे छंद है?यह अर्ध सम मात्रिक छंद है इसके 4 चरण होते हैं इसके सम चरणों 11,11 मात्रा होती हैं विषम चरणों में 13,13 मात्राएं होती हैं!
चौपाई कौन सा छंद है?चौपाई मात्रिक सम छन्द का एक भेद है। प्राकृत तथा अपभ्रंश के १६ मात्रा के वर्णनात्मक छन्दों के आधार पर विकसित हिन्दी का सर्वप्रिय और अपना छन्द है। गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरित मानस में चौपाइ छन्द का बहुत अच्छा निर्वाह किया है। चौपाई में चार चरण होते हैं, प्रत्येक चरण में १६-१६ मात्राएँ होती हैं तथा अन्त में गुरु होता है।
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