2 months ago बीन भी हूँ मैं तुम्हारी रागिनी भी हूँ! नयन में जिसके जलद वह तृषित चातक हूँ, आग हूँ जिससे ढुलकते बिंदु हिमजल के, नाश भी हूँ मैं अनंत विकास का क्रम भी बीन भी हूँ मैं तुम्हारी रागिनी भी हूं किसकी काव्य पंक्ति है?बीन भी हूँ मैं तुम्हारी रागिनी भी हूँ! / महादेवी वर्मा
तोड़ दो यह क्षितिज मैं भी देख लूं उस ओर क्या है?तोड़ दो यह क्षितिज मैं भी देख लूं उस ओर क्या है! जा रहे जिस पंथ से युग कल्प उसका छोर क्या है? आज मेरे श्वास घेरे? सिन्धु की नि:सीमता पर लघु लहर का लास कैसा?
क्या पूजन क्या अर्चन रे?क्या पूजन क्या अर्चन रे! उस असीम का सुंदर मंदिर, मेरा लघुतम जीवन रे! मेरी श्वासें करती रहतीं, नित प्रिय का अभिनंदन रे! पद रज को धोने उमड़े आते, लोचन में जल कण रे!
कह दे माँ अब क्या देखूँ कविता का अर्थ?कह दे मां अब क्या देखूँ! या जर्जर जीवन देखूँ! झरते आँसू-कण देखूँ! ठंढी सांसों को देखूँ।
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