बीसवीं शताब्दी का साम्राज्यवादी इतिहास लेखन Show
उन्नीसवीं शताब्दी के मध्य साम्राज्यावादी इतिहास लेखन
आरम्भिक बीसवीं शताब्दी का साम्राज्यवादी इतिहास लेखन
साम्राज्यवादी इतिहास लेखन क्या है?साम्राज्यवाद (Imperialism) वह दृष्टिकोण है जिसके अनुसार कोई महत्त्वाकांक्षी राष्ट्र अपनी शक्ति और गौरव को बढ़ाने के लिए अन्य देशों के प्राकृतिक और मानवीय संसाधनों पर अपना नियंत्रण स्थापित कर लेता है। यह हस्तक्षेप राजनीतिक, आर्थिक, सांस्कृतिक या अन्य किसी भी प्रकार का हो सकता है।
इतिहास के प्रति भारतीय दृष्टिकोण क्या है?प्राचीनकाल से ही इतिहास को अध्ययन के एक स्वतंत्र विषय के रूप में मान्यता प्राप्त है, किंतु अध्येताओं के दृष्टिकोण एवं पद्धति के अनुसार उसका स्वरूप बदलता रहा है, इसलिए कभी उसे कला के क्षेत्र में और कभी विज्ञान के क्षेत्र में स्थान दिया जाता रहा । वस्तुतः इतिहास कला है या विज्ञान, यह प्रश्न आज भी विवाद का विषय है।
इतिहास लेखन की राष्ट्रवादी विचारधारा के बारे में आप क्या जानते हैं?राष्ट्रवाद और आधुनिक राज्य के इतिहास के बीच एक संरचनात्मक कड़ी है। यूरोप में सोलहवीं और सत्रहवीं शताब्दी के आसपास आधुनिक राज्य का उदय हुआ, जिसने राष्ट्रवाद के उदय में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। राज्य का यह स्वरूप अपने पहले के स्वरूपों से भिन्न था। इसकी शक्ति केंद्रीकृत, संप्रभु और अविभाजित थी।
साम्राज्यवाद इतिहासकारों का मुख्य उद्देश्य क्या था?* साम्राज्यवादी इतिहासकारों के इतिहास लेखन का मुख्य उद्देश्य ब्रिटिश साम्राज्य को स्थायित्व प्रदान करना था । * उनका मानना था कि भारतीय समाज की जड़ता को ब्रिटिश शासन एवं उसके कानूनों द्वारा ही तोड़ा जा सकता है । अतः वे ब्रिटिश शासन की अधीनता में रहे ।
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