भारत में करेवा का संबंध किस राज्य से है - bhaarat mein kareva ka sambandh kis raajy se hai

First Published: March 10, 2022 | Last Updated:March 10, 2022

भारत में करेवा का संबंध किस राज्य से है - bhaarat mein kareva ka sambandh kis raajy se hai

करेवा कश्मीर घाटी में पाए जाने वाले अत्यधिक उपजाऊ जलोढ़ मिट्टी के भंडार हैं।

करेवा (Karewa)

  • कश्मीरी बोली में, करेवा का अर्थ है “ऊपर उठी हुई भूमि।” गॉडविन-ऑस्टिन (1859) करेवा शब्द का उपयोग करने वाले पहले व्यक्ति थे।
  • करेवा तलछट कश्मीर बेसिन के पैलियोज़ोइक-मेसोज़ोइक तलछट के ऊपर पाए जाते हैं और वे छतों, पठारों और टीले के रूप में होते हैं। आम तौर पर, वे हिमालय की पीर पंजाल रेंज जैसे पहाड़ों की तहों में स्थित हो सकते हैं।
  • करेवा तलछट में मानव सभ्यताओं के अवशेष, जीवाश्म, और उपजाऊ मिट्टी जमा होते हैं। इस प्रकार वे विशाल पुरातात्विक और कृषि महत्व रखते हैं।

करेवा का निर्माण

प्लेइस्टोसिन काल में पीर पंजाल श्रेणी के निर्माण के दौरान, पर्वत श्रृंखलाओं ने इस क्षेत्र में प्राकृतिक जल निकासी को अवरुद्ध कर दिया और 5,000 वर्ग किमी की एक झील का निर्माण किया। बाद में, पानी घट गया और इससे पहाड़ों के बीच की घाटियों में करेवा का निर्माण हुआ।

करेवा में खेती

  • करेवा केसर, बादाम, सेब और अन्य नकदी फसलों की खेती के लिए सबसे उपयुक्त हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि करेवा अत्यधिक उपजाऊ जलोढ़ मिट्टी और बलुआ पत्थर जैसे अन्य तलछट से बना है।
  • करेवा कश्मीरी केसर के लिए सबसे प्रसिद्ध हैं। मई 2020 में, कश्मीरी केसर के गहरे लाल रंग, उच्च सुगंध और स्वाद जैसी अनूठी विशेषताओं के लिए एक भौगोलिक संकेत (GI) टैग दिया गया था।

करेवा का विनाश

  • मुख्य रूप से मिट्टी के खनन के लिए विकास के नाम पर करेवा नष्ट किया जा रहा है। 1995 और 2005 के बीच, 125 किलोमीटर लंबी काजीगुंड-बारामूला रेलवे लाइन के निर्माण की सुविधा के लिए करेवा को नष्ट कर दिया गया था।
  • श्रीनगर हवाई अड्डे के निर्माण के लिए बडगाम में दामोदर करेवा को नष्ट किया गया था। पिछले साल, बारामूला प्रशासन ने श्रीनगर रिंग रोड के निर्माण के लिए मिट्टी प्राप्त करने के लिए करेवा की खुदाई की अनुमति दी थी।

करेवा के विनाश से पुरातत्व विरासत का भारी नुकसान होगा, झेलम जैसी नदियों में गाद जमा हो जाएगी जो अंततः बाढ़ की ओर ले जाती है।ऐसे में करेवा को बचाना जरूरी है।

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पूर्वोत्तर में केसर की खेती

प्रिलिम्स के लिये:

केसर, करेवा

मेन्स के लिये: 

भारत में केसर की खेती की संभावना

चर्चा में क्यों?

हाल ही में सिक्किम के दक्षिणी भाग यांगयांग में केसर के पौधों में पुष्पों का विकास प्रारंभ हो गया है। यहाँ केसर की खेती केंद्र सरकार द्वारा पूर्वोत्तर क्षेत्र में केसर की खेती की अनुकूलता का पता लगाने के लिये शुरु की गयी एक परियोजना के अंतर्गत हो रही है।

प्रमुख बिंदु

  • केसर:
    • केसर एक पौधा है जिसके सूखे वर्तिकाग्र (फूल के धागे जैसे भाग) का उपयोग केसर का मसाला बनाने के लिये किया जाता है।
    • माना जाता है कि पहली शताब्दी ईसा पूर्व के आस पास मध्य एशियाई प्रवासियों द्वारा कश्मीर में केसर की खेती शुरू की गई थी।
    • यह पारंपरिक कश्मीरी व्यंजनों के साथ जुड़ा हुआ है और क्षेत्र की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का प्रतिनिधित्व करता है।
    • यह बहुत कीमती और महंगा उत्पाद है।
    • प्राचीन संस्कृत साहित्य में केसर को 'बहुकम (Bahukam)’ कहा गया है।
    • केसर की खेती विशेष प्रकार की ‘करेवा’ (Karewa)’ मिट्टी में की जाती है।
  • महत्त्व:
    • यह स्वास्थ्य, सौंदर्य प्रसाधन और औषधीय प्रयोजनों के लिये उपयोग किया जाता है।
    • यह पारंपरिक कश्मीरी व्यंजनों के साथ जुड़ा हुआ है और क्षेत्र की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का प्रतिनिधित्व करता है।
  • मौसम:
    • भारत में, केसर की खेती जून और जुलाई के महीनों के दौरान और अगस्त और सितंबर में कुछ स्थानों पर की जाती है।
    • यह अक्तूबर में पुष्प पल्लवित होना शुरू करता है।
  • केसर की कृषि हेतु आवश्यक दशाएँ:
    • समुद्र तल से 2000 मीटर की ऊँचाई केसर की खेती के लिये अनुकूल होती है।
    •  मृदा: यह कई अलग-अलग मृदा के प्रकारों में बढ़ता है लेकिन यह Calcareous (वह मिट्टी जिसमें प्रचुर मात्रा में कैल्शियम कार्बोनेट होता है), मिट्टी में 6 और 8 pH मान वाली और अच्छी तरह से सूखी मिट्टी में केसर सबसे अच्छा पनपता है।
    • जलवायु: केसर की खेती के लिये एक स्पष्ट गर्मी और सर्दियों वाली  जलवायु की आवश्यकता होती है, जिसमें गर्मियों में  तापमान 35 या 40 डिग्री सेल्सियस से अधिक नहीं होता हो तथा सर्दियों में लगभग 15 डिग्री सेल्सियस होता हो।
    • वर्षा: इसके लिये पर्याप्त वर्षा की आवश्यकता होती है जो प्रतिवर्ष 1000-1500 मिमी. होती है।
  • भारत में केसर उत्पादन क्षेत्र:
    • केसर उत्पादन लंबे समय तक जम्मू और कश्मीर केंद्रशासित प्रदेश में एक सीमित भौगोलिक क्षेत्र तक ही सीमित रहा है।
    • पंपोर क्षेत्र, जिसे आमतौर पर कश्मीर के केसर के कटोरे के रूप में जाना जाता है, केसर उत्पादन में मुख्य योगदानकर्त्ता है।
      • कश्मीर का पंपोर केसर,  भारत में विश्व स्तर पर महत्त्वपूर्ण कृषि विरासत प्रणालियों (Globally Important Agricultural Heritage systems) की मान्यता प्राप्त साइटों में से एक है।
    • केसर का उत्पादन करने वाले अन्य ज़िले बडगाम, श्रीनगर और किश्तवाड़ हैं।
    • हाल ही में कश्मीरी केसर को भौगोलिक संकेतक (जीआई) टैग का दर्जा मिला।
  • भारत में उत्पादन और मांग:
    • भारत में लगभग 6 से 7 टन केसर की खेती होती है जबकि मांग 100 टन की है।
    • विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय (Ministry of Science and Technology) के माध्यम से विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (Department of Science and Technology) केसर की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिये अब पूर्वोत्तर (सिक्किम, मेघालय और अरुणाचल प्रदेश) के कुछ राज्यों में इसकी खेती को प्रोत्साहित कर रहा है। कश्मीर और पूर्वोत्तर के कुछ क्षेत्रों के बीच जलवायु और भौगोलिक परिस्थितियों में एक बड़ी समानता है। इस परियोजना को सिक्किम के ‘बॉटनी और हॉर्टिकल्चर विभाग’ के सहयोग से लागू किया गया है।
  • लाभ
    • केसर उत्पादन के विस्तार से भारत में वार्षिक मांग को पूरा करने में मदद मिलेगी।
    • यह आयात कम करने में मदद करेगा।
    • यह कृषि में विविधता भी लाएगा और किसानों को पूर्वोत्तर में नए अवसर प्रदान करेगा।
  • अन्य पहल:
    • केंद्र सरकार द्वारा वर्ष 2010 में नलकूपों और फव्वारा सिंचाई सुविधाओं के निर्माण में सहायता प्रदान करने के लिये राष्ट्रीय केसर मिशन को मंज़ूरी दी गई थी, जो केसर उत्पादन के क्षेत्र में बेहतर फसलों के उत्पादन में मदद करेगा।
    • हाल ही में, हिमालय जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान (CSIR-Institute of Himalayan Bioresource Technology) और हिमाचल प्रदेश सरकार ने संयुक्त रूप से दो मसालों (केसर और हींग) के उत्पादन में वृद्धि करने का फैसला किया है।
      • इस योजना के तहत, IHBT निर्यातक देशों से केसर की नई किस्मों को लाएगा तथा भारतीय परिस्थितियों के अनुसार इसको मानकीकृत (Standardized) करेगा।

आगे की राह:

  • राष्ट्रीय केसर मिशन और पूर्वोत्तर के लिये केसर उत्पादन के विस्तार जैसे प्रयासों से कृषि क्षेत्र में विविधता लाने में मदद मिलेगी। यह कृषि क्षेत्र में आत्मनिर्भर भारत अभियान को भी लागू करेगा।

करेवा (Karewa):

  • करेवा कश्मीर घाटी में पाए जाने वाली झील निक्षेप (मृदा) है। 
  • यह जम्मू-कश्मीर में पीरपंजाल श्रेणियों की ढालों में 1,500 से 1,850 मीटर की ऊँचाई पर मिलता है।

हिमालय जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान (IHBT):

  • इसकी स्थापना भारत सरकार द्वारा सितंबर, 1942 में एक स्वायत्त निकाय के रूप में की गई थी।
  • हिमालय जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान द्वारा संपूर्ण भारत में CSIR की मौजूदगी में 38 राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं, 39 दूरस्थ केंद्रों, 3 नवोन्मेषी कॉम्‍प्‍लेक्‍सों और 5 यूनिटों के सक्रिय नेटवर्क का संचालन किया जा रहा है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

भारत में करेवा का संबंध कौन से राज्य से हैं?

जम्मू-कश्मीर राज्य में पीर पंजाल श्रेणियों के पाश्र्वो में 1,500 से 1,850 मीटर की ऊंचाई पर मिलने वाली झीलीय निक्षेपों को करेवा के नाम से जाना जाता है।

करेवा कहाँ पाया जाता है?

यह बहुत कीमती और महंगा उत्पाद है। प्राचीन संस्कृत साहित्य में केसर को 'बहुकम (Bahukam)' कहा गया है। केसर की खेती विशेष प्रकार की 'करेवा' (Karewa)' मिट्टी में की जाती है।

केरवा किसका निक्षेप है?

इसका सही उत्तर कश्मीर हिमालय है।

केरवा क्या होता है?

केरवा नाम का अर्थ "हिमालय चोटी का नाम; भगवान शिव का निवास; भगवान शिव, भगवान शिव के कई नामों में से एक" होता है।