भारत के स्वतंत्रता संग्राम के अंतर्गत राजस्थान में समाचार पत्रों की क्या भूमिका रही - bhaarat ke svatantrata sangraam ke antargat raajasthaan mein samaachaar patron kee kya bhoomika rahee

उत्तर :

उत्तर की रूपरेखा :

  • स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान के समाचार पत्रों का  संक्षिप्त परिचय दें ।
  • कुछ महत्त्वपूर्ण सामाचार पत्रों का उल्लेख करें।
  • ये समाचार पत्र जनता को राजनीतिक रूप से शिक्षित करने के साथ सामूहिक भागीदारी कैसे सिखा रहे थे?

समाचार पत्र केवल समाचार उपलब्ध करवाने वाले दस्तावेज़ ही नहीं होते, बल्कि ये सामाजिक संपर्क स्थापित करके समाज के प्रत्येक वर्ग को एक सामूहिक भागीदारी भी सिखाते हैं। भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में भी सामाचार पत्रों की यही भूमिका रही।

भारत का प्रथम समाचार पत्र ‘बंगाल गजट’ माना जाता है जिसके द्वारा जेम्स अगस्ट हिक्की ने कंपनी शासन की कुरीतियों को उजागर करने का प्रयास किया था। किंतु राजनीतिक हस्तक्षेप के कारण इसे बंद करना पड़ा। कालांतर में ‘बंगाल क्रॉनिकल’, पायोनियर, इण्डियन मिरर, वाम बोधिनी, मिरातुल अखबार, इंडिपेंडेंट, केसरी, मराठा, यंग इंडिया, कामरेड, हमदर्द, इंडियन स्ट्रगल आदि अनेक समाचार पत्रों ने भारतीयों में राजनीतिक चेतना जगाने के साथ ही उन्हें विभिन्न सामाजिक विचारों का आदान-प्रदान करने का मंच या साधन भी प्रदान किया।

‘वाम बोधिनी’ में केशव चन्द्र सेन ने समाज में व्याप्त कुरीतियों पर तो कुठाराघात किया ही, विभिन्न राजनीतिक विचारों के प्रसार से भारतीय जनता में राजनीतिक चेतना भी जगाई। केसरी और मराठा के माध्यम से बाल गंगाधर तिलक ने राष्ट्रवाद की सामूहिक चेतना को प्रज्ज्वलित किया। जहाँ कॉमन वील और न्यू इंडिया में एनी बेसेंट ने भारतीयों में प्राचीन परंपरा के माध्यम से राजनीतिक प्रसार किया तो वहीं यंग इंडिया और हरिजन के द्वारा महात्मा गांधी दलितों के उत्थान के लिये प्रयास कर रहे थे।

‘इंडिया फॉर इंडियंस’ में चितरंजन दास भारतीयों से यह आवाहन करते हैं कि 30 करोड़ भारतीय अपने 60 करोड़ हाथ उठा लें तो ब्रिटिश शासन को भारत से उखाड़ फेंकना बहुत आसान होगा। ‘इंडियन स्ट्रगल’ में सुभाष चंद्र बोस भारतीयों से स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने का आवाहन करते हैं।

निष्कर्षतः यह कहा जा सकता है कि भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में समाचार पत्रों ने न केवल राजनीतिक चेतना को जगाया बल्कि भारतीयों की सामूहिक भागीदारी को सुनिश्चित करके उन्हें स्वतंत्रता के प्रति प्रतिबद्ध भी बनाया।

भारत के स्वतंत्रता संग्राम में अंतर्गत राजस्थान में समाचार पत्रों की क्या भूमिका रही?

समाचार पत्र राजस्थान के स्वतंत्रता संग्राम में जन जागृति एवं समाज सुधार के सशक्त माध्यम के रूप में उभर कर सामने आते हैं। हम पाते हैं कि राजस्थान की स्वतंत्रता आंदोलन एवं किसान आंदोलनों से जुड़े बड़े नेताओं ने समाचार पत्रों के माध्यम से देश के अन्य बड़े नेताओं का ध्यान अपनी ओर खींचा।

स्वतंत्रता आंदोलनों में समाचार पत्रों ने प्रमुख भूमिका कैसे निभाई?

समाचार पत्रों ने सामाजिक जागरूकता पैदा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और अंग्रेजों के चंगुल से स्वतंत्रता प्राप्त करने की आवश्यकता पर जोर दिया । 2. अखबारों ने स्वतंत्रता संग्राम में एकजुट होने के लिए जनता के बीच सामाजिक सुधारों की वकालत की।

भारत की स्वतंत्रता में पत्रकारिता का क्या योगदान है?

यह आस्था, विश्वास ही स्वतंत्रता संग्राम की सफलता का आधार था । इस महान् अनुष्ठान में बापू की हिंदी पत्रकारिता का योग निर्विवाद रूप से महत्वपूर्ण है । उन्होंने इसके द्वारा जनता को जगाया, उसकी शंकाओं का समाधान किया, उसमें नैतिक हिम्मत पैदा की और जूझने के लिए उनमें आत्मविश्वास पैदा किया ।

स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान अखबार ने क्या किया?

स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए अंग्रेजों के खिलाफ एकजुट होने के लिए देश के लोगों में जागरूकता फैलाने के लिए समाचार पत्रों का उपयोग किया गया था। मीडिया के माध्यम से लोकतंत्र, स्वतंत्रता, समानता और देशभक्ति के आधुनिक विचारों का प्रचार-प्रसार किया गया।