भगवान शिव की बहन कौन है? - bhagavaan shiv kee bahan kaun hai?

भाभी-ननद में क्यों नहीं पटती? भगवान शिव की बहन और माता पार्वती से जुड़ा है ये रहस्य

फीचर डेस्क, अमर उजाला Published by: गौरव शुक्ला Updated Mon, 14 Jan 2019 03:09 PM IST

भगवान शिव तथा उनके परिवार से भला कौन परिचित नहीं है। बहुत कम लोग जानते हैं कि शिव जी की एक बहन भी थी। जानें क्या है उनके जन्म की कहानी और कैसे थे देवी पार्वती से उनके संबंध। शास्त्रों के मुताबिक इनके संबंध में धर्म गंर्थों में ज्यादा नहीं बताया गया है। अब सवाल ये उठता है कि जब शिव का जन्म ही नहीं हुआ, यानी वे अजन्में हैं तब उनकी बहन कहां से आईं। 

पौराणिक कथा के मुताबिक, जब शंकर भगवान से विवाह के बाद माता पार्वती कैलाश पर्वत आईं थीं। तब उन्हें कैलाश पर्वत पर अत्यंत अकेलापन महसूस हुआ। एक दिन उनके मन में ख्याल आया काश! शिव शंकर की कोई बहन होती तो वह उनके साथ बातें करतीं। पार्वतीजी के मन में ये बात अनेकों बार उठी, किन्तु उन्होंने शंकरजी को कुछ नहीं बताया।

हालांकि माता पार्वती को परेशान देख एक बार भोले नाथ ने पूछा भी था कि कैलाश में कोई समस्या है तो मुझे बताओ देवी। लेकिन भगवान भोलेनाथ तो अंतर्यामी ठहरे, उन्होंने पार्वतीजी के मन की बात जान ली। माता पार्वती समझ गईं कि शिव शंकर ने उनके दिल की बात जान ली है। वह बोलीं, अगर आप मेरे मन की बात जान ही गए हैं तो भी आप मेरी इच्छा पूर्ण नहीं कर सकते।

भगवान शिव शंकर मुस्कराए और बोले मैं तुम्हे ननद तो लाकर दे दूं, लेकिन क्या आप उसके साथ निभा पाएंगी? इसके बाद शंकरजी ने अपनी माया से एक देवी को उत्पन्न किया। हालांकि उनका रूप बड़ा विचित्र था, वह बहुत मोटी थीं और उनके पैरों में काफी दरारें थीं। शिव ने उनका नाम असावरी देवी रखा। 

माता पार्वती अपनी ननद को देखकर काफी खुश हुईं। इस तरह माता पार्वती को ननद मिल गई। माता पार्वती ने असावरी देवी को स्नान करवाया और फिर भोजन पर आमंत्रित किया। लेकिन असावरी देवी ने जब खाना शुरू किया तो माता पार्वती के सारे भंडार खाली हो गए। महादेव और अन्य कैलाश वासियों के लिए कुछ भी शेष न रहा। ननद के ऐसे व्यवहार से माता पार्वती को काफी बुरा लगा, लेकिन उन्होंने किसी से कुछ नहीं कहा।

Updated: | Tue, 19 Sep 2017 07:30 AM (IST)

भगवान शिव और उनके परिवार से कौन परिचित नहीं भला, लेकिन क्या आप जानते हैं कि भगवान शिव की एक बहन भी थीं। इनके बारे में धर्म गंर्थों में बहुत कम बताया गया है। सवाल उठता है कि जब शिवजी का जन्म ही नहीं हुआ, यानी वे अजन्में हैं तो उनकी बहन कहां से आ गई। हम यहां आपको बताएंगे भगवान भोले की बहन असावरी देवी की पूरी कहानी।

इस कथा की शुरुआत तब से होती है कि जब शंकर भगवान से शादी के बाद माता पार्वती कैलाश पर्वत आ ही थीं। तब उन्हें कैलाश पर्वत पर बहुत अकेलापन महसूस होता था। वे मन ही मन सोचती कि काश, उनकी कोई ननद होती, तो वह उनके साथ बातें करतीं।

पार्वतीजी के मन में यह बात कई बार उठी, लेकिन उन्होंने शंकरजी को नहीं बताई। लेकिन भोले तो अंतर्यामी ठहरे। उन्हें पार्वतीजी के मन की बात पढ़ते देर नहीं लगी।

इसके बाद शंकरजी ने अपनी माया से एक देवी को उत्पन्न किया। हालांकि उनका रूप बड़ा विचित्र था। वह बहुत मोटी थीं और उनके पेरों में दरारें थीं। शिव ने उनका नाम असावरी देवी रखा।

इस तरह माता पार्वती को ननद मिल गई। पार्वती ने असावरी देवी को स्नान करवाया और फिर भोजन पर आमंत्रित किया। लेकिन असावरी देवी ने जब खाना शुरू किया तो माता पार्वती के सारे भंडार खाली हो गए। इससे पार्वती जी को बुरा लगा, लेकिन उन्होंने किसी से कुछ नहीं कहा।

इसके बाद असावरी देवी ने अपनी भाभी के साथ मजाक शुरू कर दिया। उन्होंने पार्वती को अपने पैरों की दरारों में छुपा लिया। शंकरजी खोजते हुए आए तो जोर से पैर पटककर बाहर निकाला। इससे माता पार्वती बहुत आहत हुईं। उन्होंने पति से कहा कि आप तो ननद को उसके ससुराल भेज दो। भगवान समझ गए कि भाभी-ननद मे बहुत पटने वाली नहींं है। इसके बाद उन्होंने असावरी देवी को कैलाश पर्वत से विदा कर दिया।

Posted By:

  • Font Size
  • Close

  • # Lord Shiva
  • # Mata Parvati
  • # Lord Ganesha
  • # Lord Shiva sister
  • # Mythology
  • # Spiritual news
  • # India news
  • # Secrtet of Devi Asavari

शिव शंकर से विवाह के उपरांत माता पार्वती अपना भरा-पूरा परिवार छोड़ कर कैलाश आ गई। वह स्वयं को बहुत तन्हा महसूस करती। उन्हें माता-पिता

शिव शंकर से विवाह के उपरांत माता पार्वती अपना भरा-पूरा परिवार छोड़ कर कैलाश आ गई। वह स्वयं को बहुत तन्हा महसूस करती। उन्हें माता-पिता का दुलार सखी- सहेलियों का साथ बहुत याद आता।

एक दिन उनके मन में ख्याल आया काश! शिव शंकर की कोई बहन होती जिसके साथ उनका दिल लगा रहता। वह उनसे दिल की बातें करती। कुछ अपनी कहती कुछ उनकी सुनती मगर ऐसा संभव न था क्योंकि भगवान शिव तो अजन्मे थे। तो उनकी बहन कैसे हो सकती थी। माता पार्वती ने अपने दिल की बात दिल में ही रखी शिव शंकर तो अन्तर्यामी हैं। उनसे किसी के दिल की बात छुपी नहीं रह सकती। शिव शंकर स्त्री स्वभाव से भी भली प्रकार से वाकिफ थे।

उन्होंने पार्वती से पूछा,"कोई समस्या है देवी तो मुझे बताओ?"

माता पार्वती समझ गई की शिव शंकर ने उनके दिल की बात जान ली है। वह बोली, "अगर आप मेरे मन की बात जान ही गए हैं तो भी आप मेरी इच्छा पूर्ण नहीं कर सकते।"

शिव शंकर मुस्कराए और बोले, " मैं तुम्हें ननद तो लाकर दे दूं, लेकिन क्या आप उसके साथ निभा पाएंगी?"

माता पार्वती ने कहा," मैं क्यों न निभा पाऊंगी उसके साथ। वह तो मेरे सुख-दुख की साथी होगी। मेरी बहनों के समान ही मैं उससे प्रेम करूंगी।"

शिव शंकर बोले," अगर आपकी यह ही इच्छा है तो मैं अपनी माया से आपको एक ननद ला देता हूं।"

उसी समय शिव शंकर ने अपनी माया से एक देवी को उत्पन्न किया। उस देवी का रूप बहुत वचित्र था। वह बहुत मोटी थी और उनके पैरों में ढेरों दरारें पड़ी हुई थीं। भगवान शिव ने उनका नाम रखा असावरी देवी।

माता पार्वती अपनी ननद को अपने सम्मुख देख कर बहुत प्रसन्न हुई। उनकी खुशी का कोई ठिकाना ही न रहा। वह असावरी देवी से बोली, " बहन ! जाओ आप स्नान कर आओ मैं आपके लिए अपने हाथों से भोजन तैयार करती हूं।"

असावरी देवी स्नान करके वापिस आई तो माता पार्वती ने उन्हें भोजन परोसा। असावरी देवी ने जब भोजन करना आरंभ किया तो माता पार्वती के भंडार में जो कुछ भी था सब खाली कर दिया। महादेव और अन्य कैलाश वासियों के लिए कुछ भी शेष न रहा। ननद के ऐसे व्यवहार से माता पार्वती के मन के मन को बहुत ठेस लगी मगर वह कुछ बोली नहीं।

असावरी देवी को पहनने के लिए माता पार्वती ने नए वस्त्र भेंट किए मगर वह इतनी मोटी थी की उन्हें वस्त्र छोटे पड़ गए। माता पार्वती उनके लिए दूसरे वस्त्र लेने गई तो

ननद का मन हुआ क्यों न भाभी के साथ हंसी ठिठोली की जाए। उसने अपनी भाभी को अपने पैरों की दरारों में छुपा लिया। पार्वती जी के लिए दरारों में सांस लेना भी मुश्किल हो गया।

उसी समय उधर से शिव शंकर आ गए और असावरी देवी से बोले,"आपको मालुम है पार्वती कहां है?"

असावरी देवी ने शरारत भरे लहजे में कहा," मुझे क्या मालुम कहां है भाभी?"

शिव शंकर समझ गए असावरी देवी कोई शरारत कर रही है। उन्होंने कहा, "सत्य बोलो मैं जानता हूं तुम झूठ बोल रही हो।"

असावरी देवी जोर-जोर से हंसने लगी और जोर से अपना पांव जमीन पर पटक दिया। इससे पैर की दरारों में दबी माता पार्वती झटके के साथ बाहर आ कर गिर गई। ननद के क्रूरता भरे व्यवहार से माता पार्वती का मन बहुत आहत हुआ। वह गुस्से में शिव शंकर से बोली,"आप की विशेष कृपा होगी अगर आप अपनी बहन को ससुराल भेज दें। मुझसे गलती हो गई जो मैंने ननद की इच्छा की।"

शिव शंकर ने असावरी देवी को कैलाश से विदा कर दिया। प्राचीन काल से आरंभ हुआ ननद और भाभी के बीच नोक-झोंक का सिलसिला आज तक चल रहा है।  

शंकर जी की बहन कौन है?

इनका नाम असावरी देवी है.

शंकर जी कितने भाई है?

शंकर जी को संहार का देवता कहा जाता है। ... .

भोलेनाथ की बेटी का नाम क्या है?

पद्म पुराण में भी शिव की पुत्री अशोक सुंदरी का जिक्र किया गया है. माना जाता है कि देवी पार्वती अपने अकेलेपन और उदासी से मुक्ति पाने के लिए कल्प वृक्ष से पुत्री की कामना की जिससे एक सुंदर सी पुत्री का जन्म हुआ. इसलिए उसका नाम अशोक सुंदरी रखा गया.

शिव भगवान के पिता कौन हैं?

प्रकृति रुपी आदिशक्ति दुर्गा ही माता हैं और परम ब्रह्म सदाशिव पिता हैं