‘उषा की दीपावली’ लघुकथा द्वारा प्राप्त संदेश लिखिए। Show 'उषा की दीपावली एक शिक्षाप्रद लघुकथा है। इस कथा में कई ऐसे प्रसंग हैं, जिनमें अनेक संदेश छुपे हुए हैं। बालिका उषा के घर में दीपावली के अवसर पर तरह-तरह के पकवान बनाए गए हैं, पर उषा की पसंद बाजारू चीजें हैं। इससे उसके मन में घर में बनी चीजों के प्रति अरुचि और बाजारू चीजों के प्रति आकर्षण के भाव दिखाई देते हैं, जो उचित नहीं हैं। बालिकाउषा सफाई करने वाले बबन को आटे के बुझे हुए दीप कचरे के डिब्बे में न डालकर
उन्हें सेंक कर खाने के लिए अपनी जेब में रखते हुए देखती है, तो उसकी आँखें ताज्जुब से भर उठती हैं। उसे लगता है कि एक ओर ऐसे लोग हैं, जो अनाज के एक-एक कौर को तरस रहे हैं और दूसरी ओर दावतों में भरी-भरी प्लेटें कचरे डिब्बें के हवाले कर दी जाती हैं, जिनसे कितने भूखे लोगों का पेट भर सकता था। इससे अन्न का सदुपयोग करने और उसकी बरबादी न करने का संदेश मिलता है। बबन ने दीपक जेब में क्यों रख लिए?दीपावली के अवसर पर वह देखती है कि सफाई का काम करने वाला बबन 'नरक चौदस' पर जलाए हुए आटे के दीपक कूड़े-कचरे के डिब्बे में न फेंकते हुए अपनी जेब में रख रहा है। बबन इतना गरीब था कि ये दीपक सेंककर खाना चाहता था। ये आटे के दीप जिसे लोग कचरे में फेंकते हैं वे किसी का पेट भरने के भी काम आते हैं। यह सुनकर उषा को तकलीफ होती है।
आटे के दीपक कंपाउंड की मुंडेर पर जलकर सुबह तक क्या हो गए थे?यह सब तो पड़ोसियों, नाते-रिश्तेदारों, घर आए मेहमानों के लिए हैं।" आटे के दीपक कंपाउंड की मुंडेर पर जलकर सुबह तक बुझ गए थे । उषा जॉगिंग के लिए फ्लैट से नीचे उतरी तो उसने देखा पूरा कंपाउंड पटाखों के कचरे से भरा हुआ था । उसने देखा, सफाई करने वाला बबन उन दीपों को कचरे के डिब्बे में न डाल अपनी जेब में रख रहा था ।
उषा ने बहन को कौन सी थैली?उषा ने बबन को दीपावली के लिए बने पटाखों पकवानों की थैली की थी। 'उषा की दीपावली' कहानी एक ऐसी कहानी है। जिसमें उषा नाम की एक बालिका है उषा को खाने-पीने की बाजारू वह चीजें पसंद है।
उषा को क्या पसंद है?➲ उषा को केवल चाकलेट और बंगाली मिठाई ही पसंद थी। ✎... उषा को मिठाई के नाम पर चाकलेट और बंगाली मिठाई ही पसंद थी।
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