Show अयमय खाँड़ न ऊखमय' का तात्पर्य …CBSE, JEE, NEET, NDAQuestion Bank, Mock Tests, Exam Papers NCERT Solutions, Sample Papers, Notes, Videos अयमय खाँड़ न ऊखमय' का तात्पर्य स्पष्ट कीजिए। Posted by Good Student 2 years, 1 month ago
विश्वामित्र ने परशुराम की अभिमानपूर्वक प्रकट की जाने वाली अपनी वीरता संबंधी बातों को सुन कर व्यंग्य भाव से कहा था कि मुनि को हरा-ही--हरा सूझ रहा था। वे सामान्य क्षत्रियों को सदा युद्ध में हराते रहे थे। इसलिए उन्हें लगने लगा था कि वे राम-लक्ष्मण को भी युद्ध में आसानी से हरा देंगे पर वे यह नहीं समझ पा रहे थे कि ये दोनों साधारण क्षत्रिय नहीं थे। वे गन्ने से बनी खांड के समान नहीं थे बल्कि फौलाद के बने खांडे के समान थे। मुनि व्यर्थ में बेसमझ बने हुए थे और इनके प्रभाव को नहीं समझ पा रहे थे। Posted by Adarsh Rai 4 weeks ago
Posted by Nipun Reddy . 1 week, 2 days ago
Posted by Ankur Verma 3 weeks ago
Posted by Anshika Anshika 2 weeks, 3 days ago
Posted by Anshika Anshika 2 weeks, 3 days ago
Posted by Ananya Pandey 1 week, 1 day ago
Posted by Lavanya Verma 1 week, 5 days ago
Posted by Gurleen Kaur 3 weeks, 5 days ago
Posted by Gurjott Kaurr 6 days, 15 hours ago
Posted by Jinesh Suthar 1 week ago
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Test GeneratorCreate papers at ₹10/- per paper अयमय खांड न ऊखमय अजहुं न बूझ अबूझ इसमें अयमय का आशय क्या है?अयमय खाँड़ न ऊखमय अजहुँ न बूझ अबूझ ।। विश्वामित्र ने परशुराम की अभिमानपूर्वक प्रकट की जाने वाली अपनी वीरता संबंधी बातों को सुन कर व्यंग्य भाव से कहा था कि मुनि को हरा-ही--हरा सूझ रहा था। वे सामान्य क्षत्रियों को सदा युद्ध में हराते रहे थे।
अयमय खाँड़ न ऊखमय में कौन सा अलंकार है?अयमय खाँड़ न ऊखमय अजहुँ न बूझ अबूझ।। इस काव्यांश में प्रयुक्त अलंकार लिखिए। उत्प्रेक्षा- तुम्ह तौ कालु हाँक जनु लावा। पुनरुक्तिप्रकाश- बार-बार।
अयमय खाँड़ न ऊखमय से क्या अभिप्राय है और यह कथन किसके लिए प्रयुक्त हुआ है?परशुराम जब विश्वामित्र से लक्ष्मण के बारे में कहते हैं कि इसे तो बस आपके शील के कारण छोड़ रहा हूँ, अन्यथा थोड़े परिश्रम से ही अपने फरसे से इसे मार कर मैं अपने गुरु के ऋण से मुक्त हो जाता, तब विश्वामित्र उनकी इस बात पर मन-ही-मन हँसते हुए सोचते हैं कि मुनि को हरा-ही-हरा सूझ रहा है।
लक्ष्मण के अनुसार परशुराम को किसकी चिंता है?1. लक्ष्मण ने परशुराम के क्रोध को अकारण इसलिए कहा क्योंकि धनुष के टूटने में राम का कोई दोष नहीं है। वह तो उनके छूते ही टूट गया था और पुराने धनुष के टूटने पर क्रोध क्यों करना| लक्ष्मण के अनुसार उनके लिए सब धनुष एक समान हैं, यह कोई विशेष धनुष न था। 2.
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