अंकेक्षण ( Auditing) के उद्देश्यों का अध्ययन करने से पहले लेखा पुस्तकों में होने वाली मुख्य व छोटी गलतियों/ अशुद्धियों आदि का अध्ययन करना आवश्यक है। कारण स्पष्ट है अंकेक्षण का मुख्य उद्देश्य ही होता है गलतियों की खोज करना और उन्हें रोकना, सुधार करना। Show
अशुद्धियों के विभिन्न प्रकार उदाहरण सहित समझाइएएक व्यवसाय के लेखा पुस्तक में विभिन्न प्रकार की अशुद्धियां/गलतियां/त्रुटि आदि होते हैं इन्हें पता लगाने व आवश्यक सुधार करने का कार्य अंकेक्षण का होता है। अंकेक्षण के द्वारा ही उस संस्था के लाभ-हानि विवरण तथा स्थिति विवरण वास्तविक स्थिति प्रकट कर रहे हैं या नहीं उसका पता लगाया जाता है। त्रुटियों के वर्गीकरण का संक्षिप्त वर्णन कीजिएत्रुटियां कई प्रकार की होती हैं जिसमें से कुछ नीचे दिए गए हैं –
सैद्धांतिक अशुद्धियां से आप क्या समझते हैं?सैद्धांतिक अशुद्धियों से आशय उन अशुद्धियों/गलतियों से है जो लेखाशास्त्र के सामान्य सिद्धांतों के उल्लंघन के कारण उत्पन्न होता है उदाहरण के लिए पूंजीगत व्यय को आयगत व्यय तथा आयगत व्यय को पूंजीगत व्यय मान लिया जाए। उदाहरण फर्नीचर खरीदा । (Purchase Furniture For ₹ 500) फर्नीचर के खरीदने पर किया गया व्यय पूंजीगत व्यय है लेकिन ऊपर में Entry आयगत व्यय के रूप में किया गया है। यहां पर Purchase A/C की जगह पर Furniture A/C को Debit करना होगा। इस तरह के होने वाले गलतियां को सैद्धांतिक गलतियां/अशुद्धियां ( Errors Of Principal) कहते हैं। ऐसी गलती होने पर ट्रायल बैलेंस पर कोई भी प्रभाव नहीं पड़ता है। हिसाब-किताब अशुद्धियांएक व्यवसाय में कई प्रकार के लेन-देन होते हैं। जब किसी लेन-देन की राशि को गलत लिख दिया जाए तो उसे हिसाब- किताब संबंधी अशुद्धियां ( Errors Of Omission) कहा जाता हैं। यह अशुद्धियां कई तरह के होते हैं-
क्षतिपूरक अशुद्धियां क्या हैं?जब एक गलती का प्रभाव किसी दूसरे गलती (Mistake) से दूर हो जाए तो उसे क्षतिपूरक अशुद्धियां कहेंगे। ऐसी गलती होने पर Trial Balance पर प्रभाव पड़ता हैं जिसे ढूंढना आसान होता हैं। उदाहरण – श्याम के खाते में ₹10,000 कम और दूसरे के Debit में ₹ 10,000 अधिक लिख दिया गया। लिपिकीय अशुद्विया क्या हैं?वैसी गलती को लिपिकीय अशुद्विया कहा जाता हैं जो लेखांकन करने के दौरान हो जाती हैं। इसे छूट जाने वाली अशुद्धि के नाम से भी जानते हैं। ये वैसी Errors होती हैं जिनके लेन – देन का लेखा आंशिक या पूरी तरह से छूट गया होता हैं। ऊपर आपने अशुद्धियों के विभिन्न प्रकार उदाहरण सहित समझा। तो जानते हैं कि अंकेक्षण के उद्देश्य क्या हैं?अंकेक्षण का मुख्य उद्देश्य ही होता है लेखा पुस्तकों में सत्यता और शुद्धता की जांच करना। शुरुआती लेखा पुस्तक की जांच तथा विवरणों के सत्यापन से लेखांकन की शुद्धता, नियम आदि आसानी से स्पष्ट हो जाते हैं और अपनी सुविधा के अनुसार अंकेक्षण उद्देश्य को कुछ इस तरह से विभाजित किए हैं –
प्राथमिक उद्देश्य क्या हैं?अंकेक्षण के प्राथमिक उद्देश्य में संस्था के लेखा – पुस्तक की जांच करना शामिल होता है। लेखा पुस्तकों की जांच प्रमाणक (Voucher) से किया जाता है प्रत्येक लेखा के लिए प्रमाणक का होना आवश्यक है वैसे कोई प्रमाणक ना हो जिसका लेखा ही ना किया गया हो। इसमें अंकेक्षण के द्वारा यह भी देखा जाता है कि वाउचर सही है या फिर गलत। इस प्रकार से लेखा पुस्तकों की सत्यता का जांच करना अंकेक्षण का प्राथमिक उद्देश्य है। सहायक उद्देश्य किसे कहते हैं?सहायक उद्देश्य प्राथमिक उद्देश्य से संबंधित होता है। यह अंकेक्षण के प्रमुख उद्देश्यों की पूर्ति करने के लिए होता हैं। इसके अन्तर्गत निम्नलिखित आते हैं- गलतियों की खोज करना – लेखा पुस्तक में जो लेखा किए गए हैं उनकी सत्यता हेतु अशुद्धियों को खोजना आवश्यक है। यह अंकेक्षक का दूसरा महत्वपूर्ण उद्देश्य है। अशुद्धियों के पता लगाने पर उनको सुधार करना चाहिए। जो – जो गलतियां लेखा पुस्तक में मिले हैं उसको मालिक के सामने पेश किया जाना चाहिए ताकि भविष्य में दोबारा वह गलती ना हो। कर्मचारियों पर नैतिक प्रभाव डालना – जब संस्था का अंकेक्षण कराया जाता है तो संस्था में कार्य करने वाले कर्मचारी के मन में भय उत्पन्न हो जाता है। यदि अंकेक्षक के द्वारा उनकी गलतियां पकड़ ली जाती है तो उसका परिणाम बहुत बुरा होगा यहां तक की नौकरी से भी हाथ धोना पड़ सकता है। अंकेक्षण से कर्मचारियों में नैतिकता जागृत होता है तथा समय, लगन व पूरी ईमानदारी के साथ काम को पूरा करने में लग जाते हैं। सरकारी अधिकारियों को संतुष्ट करना – एक बिजनेसमैन को अपने व्यापार पर पूरा विश्वास होता है और यह विश्वास दूसरों पर बनाने के लिए अंकेक्षण का सहारा लेता है। हालांकि Sole Trading, Partnership जैसे व्यवसाय के लिए अंकेक्षण अनिवार्य नहीं है लेकिन फिर भी यह अंकेक्षण करवाते हैं। स्वास्थ्य माहौल का सृजन – अंकेक्षण का उद्देश्य संस्था में अच्छा, शांत माहौल उत्पन्न करना है। जब कर्मचारी को इस बात की जानकारी हो कि उनके द्वारा किए गए कार्यों की जांच की जाएगी तो वह अपने कार्यों के प्रति अलर्ट हो जाते हैं जिससे गलतियां, कपट घोटाला की संभावना कम हो जाती है। अंकेक्षण के विशेष उद्देश्य से आप क्या समझते है ?अंकेक्षण कोई छोटा-मोटा कार्य नहीं है और ना ही एक बार कर देने से समाप्त हो जाता है। कोई संस्था ऐसी होती है जो केवल विशेष उद्देश्य के लिए ही अंकेक्षण कराती हैं। इसमें अंकेक्षण द्वारा जांच पड़ताल किसी एक पुस्तक पर विशेष तरीके से किया जाता है। ऐसे अंकेक्षक का उद्देश्य संस्था की मैनेजरियल क्षमता का पता लगाना होता है। सामाजिक उद्देश्यसरकार ने जनता के भलाई के लिए सामाजिक उद्देश्यों की पूर्ति हेतु केंद्र सरकार को कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 147 बनाया। जिसके अंतर्गत किसी भी कंपनी को विशेष स्थितियों में भी अंकेक्षण कराने का अधिकार प्राप्त हैं। Conclusion :मुझे उम्मीद है आप अंकेक्षण के उद्देश्य के बारे में जान गए होंगे। इस आर्टिकल में और कौन-कौन से पॉइंट ऐड होने चाहिए कमेंट करें। यह भी पढ़े –
अंकेक्षण का क्या अर्थ है और इसके उद्देश्यों का वर्णन कीजिए?अंकेक्षण के प्राथमिक उद्देश्य में संस्था के लेखा – पुस्तक की जांच करना शामिल होता है। लेखा पुस्तकों की जांच प्रमाणक (Voucher) से किया जाता है प्रत्येक लेखा के लिए प्रमाणक का होना आवश्यक है वैसे कोई प्रमाणक ना हो जिसका लेखा ही ना किया गया हो। इसमें अंकेक्षण के द्वारा यह भी देखा जाता है कि वाउचर सही है या फिर गलत।
लागत अंकेक्षण अंकेक्षण का क्या उद्देश्य है?लागत अंकेक्षण में अंकेक्षक को यह रिपोर्ट करनी होती है कि क्या कम्पनी के लागत लेखों का विवरण उचित प्रकार से रखा गया है, जिससे वे उत्पादन, प्रक्रियन, निर्माण या खनन गतिविधियों की लागत का सही एवं उचित चित्र प्रस्तुत कर सकें।
अंकेक्षण शब्द का अर्थ क्या होता है?एक व्यक्ति के द्वारा पुस्तपालन एवं लेखाकर्म के अभ्यंतर की गई लेखों की शुद्धता एवं सत्यता की जांच करना ही “अंकेक्षण” कहलाता है। जो व्यक्ति जांच करता है उसे अंकेक्षक कहते हैं।
अंकेक्षण की सीमाएं क्या है?इसे सुनेंरोकेंअंकेक्षण की सीमाएँ अंकेक्षक की नियुक्ति हिसाब-किताब की जाँच करके उसके सम्बन्ध में यह प्रमाणित करने के लिए की जाती है कि संस्था के लेखे नियमानुसार बनाए गए हैं तथा लाभ हानि खाता और चिट्ठा संस्था की सही एवं वास्तविक आर्थिक स्थिति प्रकट करते है।
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