Show ब्रुक्लन अजायबघर में रज़्मनामा का एक पन्ना। रज़्मनामा (फ़ारसी: رزم نامہ, जंग की किताब) महाभारत का फ़ारसी अनुवाद है जो कि मुग़ल बादशाह अकबर के समय में करवाया गया था। 1574 में अकबर ने फ़तेहपुर सीकरी में मकतबख़ाना (अनुवादघर) शुरू किया। इसके साथ अकबर ने राजतरंगिणी, रामायण, वग़ैरा जैसे संस्कृत ग्रंथों को फ़ारसी में अनुवाद करने के लिए हिमायत दी।[1] रज़्मनामा की तीन प्रतियाँ है प्रथम जयपुर अजायबघर में, दुसरी 1599 में तैयार जो वर्तमान समय में विविध संग्रहालय में रखी गई है और अंतिम रज़्मनामा रहीम का है जो 1616 में पुरा हुआ था। रज़्मनामा अपने चित्रों के कारण महत्त्वपूर्ण है। जयपुर प्रत के मुख्य चित्रकार दशवंत, वशावंत और लाल है। ई.स. 1599 की प्रत के मुख्य चित्रकार असी, धनु और फटु है। पहला अनुवाद[संपादित करें]महाभारत को फ़ारसी में अनुवाद करने का हुक्म 1582 में दिया गया और इसके 1 लाख श्लोकों का अनुवाद 1584 से 1586 तक किया गया। इस अनुवाद के दौरान मुशफ़ीक़ ने तस्वीरों बनाने का कार्य किया जिसके साथ महाभारत की कथा को समझने में सुविधा होती है। इस समय इस अनुवाद की एक नक़ल जयपुर शहर के "महल" अजायबघर में मौजूद है। [2] दूसरा अनुवाद[संपादित करें]इस किताब का दूसरा अनुवाद 1598 से 1599 के दौरान में किया गया। पहले अनुवाद की तुलना में दूसरा अनुवाद में ज़्यादा विस्तार है। इसमें 161 चित्र शामिल थे। इस अनुवाद की कई नक़ल शाही ख़ानदान के सदस्यों को तोहफ़े के तौर पर दीं गई थीं। सन्दर्भ[संपादित करें]
अकबर के काल में महाभारत का फारसी में अनुवाद किसने किया था?बदायूं : ¨हदुओं के प्रसिद्ध धार्मिक ग्रंथ रामायण और महाभारत का फारसी अनुवाद भी है। यह कार्य बादशाह अकबर के हुक्म से उनके दरबार के खास विद्वान मुल्ला अब्दुल कादिर बदायूंनी ने 16वीं सदी में किया था। मुल्ला कादरी फारसी, अरबी और उर्दू भाषा के साथ संस्कृत के भी प्रकांड विद्वान थे।
महाभारत का फारसी अनुवाद कौन सा है?रज़्मनामा (फ़ारसी: رزم نامہ, जंग की किताब) महाभारत का फ़ारसी अनुवाद है जो कि मुग़ल बादशाह अकबर के समय में करवाया गया था। 1574 में अकबर ने फ़तेहपुर सीकरी में मकतबख़ाना (अनुवादघर) शुरू किया। इसके साथ अकबर ने राजतरंगिणी, रामायण, वग़ैरा जैसे संस्कृत ग्रंथों को फ़ारसी में अनुवाद करने के लिए हिमायत दी।
महाभारत का फारसी अनुवाद का शीर्षक क्या है?महाभारत के फारसी अनुवाद का शीर्षक रज्मानामा है।
अकबर ने किन संस्कृत ग्रन्थों का फारसी में अनुवाद कराया?मुगल सम्राट अकबर को भारत के पौराणिक ग्रंथों में इतनी दिलचस्पी थी कि उसने न केवल 'महाभारत' और 'रामायण' बल्कि 'अथर्ववेद' का भी फारसी में अनुवाद कराया था ।
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