अपनी यात्रा के दौरान लेखक को किन कठिनाईयों का सामना करना पड़ा? Show
लेखक को निम्नलिखित कठिनाइयों का सामना करना पड़ा- 900 Views थोंगला के पहले के आख़िरी गाँव पहुँचने पर भिखमंगे के वेश में होने के वावजूद लेखक को ठहरने के लिए उचित स्थान मिला जबकि दूसरी यात्रा के समय भद्र वेश भी उन्हें उचित स्थान नहीं दिला सका। क्यों? लेखक को ठहरने के लिए उचित स्थान मिला इसका मुख्य कारण था - संबंधों का महत्व। तिब्बत में इस मार्ग पर यात्रियों के लिए एक-जैसी व्यवस्थाएँ नहीं थीं। इसलिए वहाँ जान-पहचान के आधार पर ठहरने का उचित स्थान मिल जाता था। पहली बार लेखक के साथ बौद्ध भिक्षु सुमति थे। सुमति की वहाँ जान-पहचान थी। पर पाँच साल बाद बहुत कुछ बदल गया था। भद्र वेश में होने पर भी उन्हें उचित स्थान नहीं मिला था। उन्हें बस्ती के सबसे गरीब झोपड़ी में रुकना पड़ा। यह सब उस समय के लोगों की मनोवृत्ति में बदलाव के कारण ही हुआ होगा। वहाँ के लोग शाम होते हीं छंङ पीकर होश खो देते थे और सुमति भी साथ नहीं थे। 874 Views उस समय के तिब्बत में हथियार का क़ानून न रहने के कारण यात्रियों को किस प्रकार का भय बना रहता था?उस समय के तिब्बत के पहाड़ों की यात्रा सुरक्षित नहीं थी। लोगों को डाकुओं का भय बना रहता था। डाकू पहले लोगों को मार देते और फिर देखते की उनके पास पैसा है या नहीं। तथा तिब्बत में हथियार रखने से सम्बंधित कोई क़ानून नहीं था। इस कारण लोग खुलेआम पिस्तौल बन्दूक आदि रखते थे। साथ ही, वहाँ अनेक निर्जन स्थान भी थे, जहाँ पुलिस का प्रबंध नहीं था। 632 Views लेखक लङ्कोर के मार्ग में अपने साथियों से किस कारण पिछड़ गया? लङ्कोर के मार्ग में लेखक का घोड़ा थककर धीमा चलने लगा था। उनका घोड़ा बहुत सुस्त था। इसलिए वे अपने साथियों से बिछड़ गया और अकेले में रास्ता भूल गया। वे रास्ता भटककर एक-डेढ़ मील ग़लत रास्ते पर चले गए थे। उन्हें वहाँ से वापस आना पड़ा। 579 Views लेखक ने शेकर विहार में सुमति को उनके यजमानों के पास जाने से रोका, परन्तु दूसरी बार रोकने का प्रयास क्यों नहीं किया? लेखक ने शेकर विहार में सुमति को यजमानों के पास जाने से रोका था क्योंकि अगर वह जाता तो उसे बहुत वक्त लग जाता और इससे लेखक को एक सप्ताह तक उसकी प्रतीक्षा करनी पड़ती। परंतु दूसरी बार लेखक ने उसे रोकने का प्रयास इसलिए नहीं किया क्योंकि वे अकेले रहकर मंदिर में रखी हुई हस्तलिखित पोथियों का अध्ययन करना चाहते थे। 549 Views कहाँ पर लोग लाठी की तरह पिस्तौल बन्दुक लिए फिरते थे * 1 Point?उत्तर: उस समय तिब्बत में हथियार का कानून न रहने के कारण, वहाँ के लोग बंदूक और पिस्तौल ऐसे रखते थे जैसे कि लोग लाठी रखते हैं। ऐसे में किसी भी ओर से जानलेवा हमले का खतरा बना रहता था।
लोग लाठी की तरह बंदूक पिस्तौल लिए क्यों घूमते हैं?हथियार का कानून न होने के कारण लोग लाठी की तरह पिस्तौल और बंदूक लिए घूमते हैं । डाकू लोग किसी यात्री को देखकर मार डालते थे बाद में देखते थे कि उनके पास कुछ पैसा है या नहीं । निर्जन स्थान पर कोई गवाह भी नहीं मिलता था । इसलिए उस समय तिब्बत में यात्रियों की जान को हमेशा खतरा रहता था ।
तिब्बत में हथियार के कानून की क्या व्यवस्था है?तिब्बत की कानून व्यवस्था अच्छी नहीं है। सरकार खुफ़िया विभाग व पुलिस पर अधिक खर्च नहीं करती। हथियार के संबंध में यहाँ कोई कानून नहीं है, इसलिए लोग अपनी सुरक्षा के लिए बंदूक और पिस्तौल लाठी की तरह लेकर घूमते हैं। चूँकि लेखक और उसका साथी, दोनों भिखमंगे के वेश में थे, इसलिए उन्हें डाकुओं का भय नहीं था।
तिब्बत में यात्रियों के लिए आराम की बात क्या है?(ख) तिब्बत में यात्रियों के लिए कई आराम की बातें थीं, जैसे । वहाँ जाति-पाँति, छुआछूत का सवाल ही नहीं है और न औरतें परदा ही करती हैं। चाहे आप बिलकुल अपरिचित हों, तब भी घर की बहू या सासू को अपनी झोली में से चाय दे सकते हैं। वह आपके लिए उसके पका देगी।
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