6 मंथ बेबी को पॉटी न आये तो क्या करे - 6 manth bebee ko potee na aaye to kya kare

6 मंथ बेबी को पॉटी न आये तो क्या करे - 6 manth bebee ko potee na aaye to kya kare

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घरेलू उपायोंं की मदद से शिशुओं में कब्‍ज की समस्‍या को दूर किया जा सकता है. Image Credit : Pixabay

Home Remedies For Constipation In Babies: शिशुओं (Babies) में कब्‍ज (Constipation) की शिकायत एक आम समस्‍या है. यहां कुछ घरेलू उपाय (Home Remedies) बताए जा रहे हैं जो कब्‍ज को दूर करने में बहुत असरदार है.

  • News18Hindi
  • Last Updated : June 29, 2021, 16:45 IST

    Home Remedies For Constipation In Babies:  शिशुओं के कब्‍ज की समस्‍या एक बहुत की कॉमन समस्‍या है. यह समस्‍या उन बच्‍चों में ज्‍यादा देखने को मिलती है जो मां का दूध नहीं पीते और पाउडर मिल्‍क पर निर्भर हैं. दरअसल ब्रेस्‍ट मिल्‍क यानी मां के दूध को बच्‍चे आसानी से पचा लेते हैं और इससे पेट भी बच्‍चों का आसानी से साफ हो जाता है. ऐसे में इन शिशुओं (Babies) में कब्‍ज की समस्‍या कम देखी जाती है. अगर आपके शिशु को कब्‍ज (Constipation) की शिकायत है तो डॉक्‍टर भी किसी तरह की दवा देने से परहेज करते हैं. ऐसे में नन्‍हें शिशुओं को इस समस्‍या से निकालने के लिए आप घरेलू उपायों (Home Remedies) की मदद ले सकते हैं .आइए जानते हैं किन उपायों से आप शिशुओं की कब्‍ज को दूर कर सकते हैं.

    1.व्‍यायाम कराएं

    शिशु के पैरों को हल्‍के हल्‍के उपर नीचे, आगे पीछे हिलाएं, इसके बाद सावधानी से उनके पैरों को साइकिल की तरह गोल गोल घुमाएं. ऐसा करने से उन्‍हें प्रेशर बनता है और कब्‍ज से राहत मिलती है.

    2.गुनगुने पानी से नहलाएं

    गुनगुने पानी से नहाने से शिशु के शरीर की मांसपेशियों को आराम मिलता है. पेट और इंटसटाइन व पॉटी एरिया में भी आराम मिलता है और वे पॉटी के लिए तैयार हो जाते हैं. कब्‍ज से हो रही परेशानी भी कम होती है.

    3.नारियल तेल का प्रयोग

    कब्‍ज से बचाने के लिए आप नारियल तेल का प्रयोग कर सकते हैं. अगर बच्‍चा 6 महीने से छोटा है तो उसके पॉटी एरिया यानी गुदा के आसपास नारियल तेल लगाएं.

    इसे भी पढ़ें : बच्चे की आंखों में काजल लगाना कितना सही और कितना गलत? जानें इससे जुड़ी बातें

    4.सौंफ का पानी

    सौंफ भी पाचन संबंधित समस्‍याओं के इलाज में बहुत फायदेमंद है. आप एक चम्‍मच सौंफ को एक कप पानी में उबालकर ठंडा करें और छान कर रखें और दिन में तीन से चार बार शिशु को चम्‍मच से पिलाएं.

    5.तरल पदार्थ का सेवन

    शरीर में पानी की कमी के कारण भी कब्‍ज होती है. अगर बच्‍चा छह महीने से अधिक उम्र का है तो उसके सूप, फलों का रस, दूध और पानी आदी खूब दें.

    6.मालिश जरूरी

    बच्‍चे के पेट और निचले हिस्‍से की हल्‍की मालिश करें. ऐसा करने से भी कब्‍ज दूर हो सकती है.

    7.फल और सब्जियों की प्‍यूरी दें

    अगर बच्‍चा छह महीने से बड़ा है तो उसे फल और सब्जियों को उबालकर और पीस कर खिलाएं. इनमें फाइबर भरपूर होते हैं जिससे कब्‍ज दूर होता है. (Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य जानकारियों पर आधारित हैं. Hindi news18 इनकी पुष्टि नहीं करता है. इन पर अमल करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें.)undefined

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    Tags: Baby Care, Lifestyle, Parenting

    FIRST PUBLISHED : June 29, 2021, 16:45 IST

    बच्चा जब से जन्म लेता है, तब से उसे किसी ना किसा स्वास्थ्य समस्या का सामना करना पड़ सकता है। जिसमें से ‘कब्ज’ भी एक समस्या है। नवजात बच्चे को कब्ज की समस्या होना बहुत सामान्य है। इसको अनदेखा करना कई बार बच्चे की सेहत के लिए नुकसानदायक हो सकती है। वैसे कब्ज की समस्या बच्चे और बड़ों दोनों में ही होना काफी आम होता है, क्योंकि जब पेट खराब होता है, तो तबियत भी अजीब सी ही लगती है। इसके अलावा आपने सुना होगा कि पेट अन्य कई बीमारियों का घर भी होता है। नवजात बच्चे को कब्ज होने के कई कारण हो सकते हैं। छोटे बच्चे को कब्ज की सही जानकारी होने पर बच्चों के कब्ज का इलाज आसान बना देती है। इस आर्टिकल में हम जानेंगे कि बच्चों में कब्ज होने के क्या कारण हैं और इसका इलाज कैसे कर सकते हैं?

    और पढ़ेंः इन फूड्स की वजह से बच्चों को हो सकता है कब्ज, ऐसे करें दूर

    नवजात बच्चे को कब्ज होना क्या है?

    नवजात बच्चे को कब्ज की समस्या को लेकर हैलो स्वास्थ्य ने मुंबई के खारघर स्थित मदरहुड हॉस्पिटल के पीडियाट्रिक्स एंड निओनेटोलॉजिस्ट डॉ. सुरेश बिरजदार से बात की। डॉ. बिरजदार का कहना है कि “कब्ज एक ऐसी समस्या है, जिसमें बच्चों की स्टूल पास या पॉटी करने की फ्रीक्वेंसी में कमी आ जाती है। ज्यादातर लोग दिन में दो बार स्टूल पास करते हैं लेकिन, इसकी फ्रीक्वेंसी बच्चों से लेकर बड़ों में अलग-अलग हो सकती है। आमतौर पर यदि बच्चा दो या इससे अधिक दिन तक पॉटी नहीं करता है तो उसे कब्ज की समस्या हो सकती है।”

    डॉ. बिरजदार कहते हैं कि “बच्चे को पॉटी करने में काफी तकलीफ का सामना करना पड़ता है और इसके कारण से उसके पेट में भी दर्द रहता है। इसके अलावा मां बेबी पूप कलर यानी कि बच्चे के पॉटी का रंग देख कर कब्ज होने का पता लगा सकती है।”

    बच्चा दिन में कितनी बार पॉटी करता है?

    बच्चे के उम्र के हिसाब से उसके पॉटी करने की एक फ्रिक्वेंसी होती है, जिसमें अगर कमी आती है तो बच्चे को कब्ज की समस्या हो सकती है। आइए जानते हैं कि बच्चा दिन में कितनी बार पॉटी करता है?

    • जन्म से 3 महीने तक का बच्चा एक दिन में 3 से 6 बार पॉटी करता है।
    • 3 से 6 महीने तक का बच्चा एक दिन 2 से 3 बार पॉटी करता है।
    • 6 से 12 महीने तक का बच्चा एक दिन में 1 से 2 बार पॉटी करता है।
    • 1 से 3 साल तक का बच्चा बच्चा एक दिन 1 से 2 बार पॉटी कर सकता है।

    नवजात बच्चे को कब्ज की समस्या क्यों होती है?

    डॉक्टर बिरजदार के मुताबिक “नवजात शिशु दिन में चार या पांच बार या हर ब्रेस्टफीडिंग के बाद स्टूल पास करते हैं। यह सामान्य स्थिति होती है कि बच्चे का स्टूल मुलायम से टाइट होना या पास करने में दिक्कत होना कब्ज का ही रूप है। ज्यादातर शिशुओं का स्टूल हमेशा वॉटरी या मुलायम आता है। हालांकि, इसकी फ्रीक्वेंसी में विभिन्नता हो सकती है। अगर छोटे बच्चे का चार या पांच दिन में पॉटी मुलायम आती है, तो उसे कब्ज की दिक्कत नहीं होती है। हालांकि, मां का दूध पीने पर शिशु की बॉडी अलग तरह से प्रतिक्रिया देती है। वहीं, फॉर्मूला बेस्ड फूड जैसे फॉर्मूला मिल्क, गाय का दूध देने पर शिशु दिन में एक बार या अगले दिन स्टूल पास कर सकता है। पाउडर वाले दूध का शिशु की बॉडी में अलग प्रभाव पड़ सकता है, जिससे मां का दूध पीने पर स्टूल पास करने की फ्रीक्वेंसी और फॉर्मूला मिल्क पीने पर पॉटी की फ्रीक्वेंसी भिन्न हो सकती है।”

    और पढ़ें- कब्ज और ह्रदय रोग वालों के लिए वरदान है ज्वार (Jowar), जानें फायदे

    कैसे पता करें कि आपके बच्चे को कब्ज है?

    नवजात बच्चे को कब्ज है ये बात तो बच्चा खुद नहीं बताएगा। ऐसे में बच्चे के शारीरिक गतिविधि और लक्षणों के आधार पर आप पता कर सकती हैं कि बच्चे को कब्ज है या नहीं। आइए जानते हैं कि नवजात बच्चे में कब्ज के लक्षण क्या हो सकते हैं?

    • चार से पांच दिन बाद पॉटी करना
    • मल त्याग करने में दिक्कत होना
    • पॉटी करने की फ्रीक्वेंसी में कमी आना
    • पॉटी का टाइट होना
    • कई बार स्टूल पास करते वक्त ब्लीडिंग होना
    • बच्चे के पेट का टाइट होना या बच्चे का असहज महसूस करना
    • पॉटी ना करने पर या करने के दौरान बच्चे का लगातार रोना
    • बच्चे की पाॅटी छोटे कंकड़ की तरह कठोर होना

    उपरोक्त बताए गए लक्षणों के आधार पर कोई भी मां बच्चे को कब्ज है या नहीं ये समझ सकती हैं। अगर फिर भी आपको बच्चे की समस्या समझ में ना आए तो अपने डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें।

    नवजात बच्चे को कब्ज होने का कारण क्या है?

    डॉ. बिरजदार ने कहा कि “छह महीने तक शिशु मां के दूध पर निर्भर रहते हैं। ज्यादा दूध पीना भी कब्ज का एक कारण होता है। छह महीने की अवधि पूरा करने के बाद शिशु को अन्य सॉलिड फूड या खाना ना खिलाने से कब्ज हो सकता है। दूध में कैल्शियम होता है, कैल्शियम जैसे पोषक तत्व का अधिक मात्रा में शिशु की बॉडी में जाने से पॉटी सख्त हो जाता है।”

    डॉक्टर ने बताया कि “शिशु की बॉडी में पानी की कमी से पॉटी टाइट हो सकती है, जिससे कब्ज की समस्या पैदा हो सकती है। इसके अलावा, बच्चों को डायट में फल और सब्जियां ना देने से भी कब्ज हो सकता है, क्योंकि फल और सब्जियों में फाइबर होता है। फाइबर पॉटी को मुलायम बनाने का कार्य करता है। इसके अलावा, अगर बच्चा बड़ा हो गया है और वह सिर्फ नॉनवेज डायट पर रहता है, तो भी कब्ज हो सकता है।”

    डॉ. बिरजदार के अनुसार “इन सभी कारणों के अलावा बच्चे की आंत में भी परेशानी हो सकती है, जो इंटेस्टाइन के कार्य में अवरोध पैदा करती है। स्टूल पास करने वाले एरिया में इंजरी या सफाई करते वक्त उसे रगड़ने से उस हिस्से को नुकसान पहुंचता है। इसकी वजह से वहां दर्द पैदा होता है और बच्चा कई दिनों तक स्टूल को रोके रखता है।”

    और पढ़ें: नवजात की देखभाल करने के लिए नैनी या आया को कैसे करें ट्रेंड?

    नवजात बच्चे के कब्ज का निदान कैसे करें?

    अगर नवजात बच्चे को कब्ज है, तो उसका निदान कर के इलाज करना बहुत जरूरी है। इसके लिए आप अपने बच्चे को डॉक्टर को दिखाएं। ज्यादातर मामलों में डॉक्टर बच्चे को देख कर दवा दे देते हैं, लेकिन जब समस्या का समाधान फिर भी नहीं होता है, तो डॉक्टर कुछ टेस्ट करते हैं। नवजात बच्चे को कब्ज होने पर डॉक्टर आपको निम्न जांचें कराने की सलाह दे सकते हैं :

    रेक्टम की जांच

    जब बच्चा तीन दिन से ज्यादा समय तक अगर पॉटी नहीं करता है तो डॉक्टर रेक्टम की जांच करते हैं। इसके लिए डॉक्टर हाथों में दस्ताने पहन कर बच्चे के एनस में उंगली के द्वारा रेक्टम की जांच करते हैं।

    एक्स-रे

    कई बार बच्चे को सही से पॉटी ना होने का कारण बड़ी आंत भी बन सकती है, ऐसे में डॉक्टर बच्चे के पेट का एक्स-रे कराते हैं और बड़ी आंत की जांच करते हैं।

    बेरियम टेस्ट

    बेरियम एक प्रकार का रसायन है, जिसे बच्चे को पिलाया जाता है। इसके बाद बेरियम छोटी आंत, बड़ी आंत और मलाशय को कवर कर लेता है, जिससे एक्स-रे में इन अंगों की स्पष्ट तस्वीर मिलती है। जिससे नवजात बच्चे को कब्ज क्यों है, इस बात का पता लगाया जा सकता है।

    नवजात बच्चे को कब्ज होने पर इलाज कैसे करें?

    डॉ. सुरेश बिरजदार ने कहा “शिशुओं और बच्चों को कब्ज में लैक्सेटिव नहीं दिया जाना चाहिए। इन्हें देने से बच्चों को डीहाइड्रेशन हो सकता है, जिससे उन्हें डायरिया होने की संभावना रहती है।’ उन्होंने कहा कि बच्चों की डायट में वैरायटी लाकर कब्ज का इलाज किया जा सकता है। दूध की मात्रा को सीमित करके फाइबर युक्त फल और सब्जियां दी जाएं।”

    उनके मुताबिक “बच्चों की एक्टिविटी बढ़ाकर और डायट में मोडिफिकेशन करना जरूरी है। इससे कब्ज का इलाज किया जा सकता है।’ उन्होंने कहा कि शिशु के छह महीने की अवधि पूरा करने पर उसे दूध के अलावा दाल का पानी भी पिलाया जाना चाहिए। यदि बच्चे को छह हफ्तों से ज्यादा तक कब्ज रहता है तो इस स्थिति में डॉक्टर की सलाह पर लैक्सेटिव दिया जा सकता है। कब्ज का इलाज करने के लिए एक लिए एक वर्ष से ऊपर की आयु के बच्चों को ही लैक्सेटिव दिया जाता है।”

    और पढ़ेंः क्या सामान्य है बेबी का दूध पलटना (milk spitting) ?

    एक्सपर्ट के अनुसार बच्चों में कब्ज की समस्या का इलाज करने के लिए घर में एनिमा देना उचित नहीं होता। इंटेस्टाइन में दिक्कत होने पर डॉक्टर के पास जाना चाहिए। बच्चों की डायट में वैरायटी लाने के लिए दूध के साथ अतिरिक्त अलग-अलग प्रकार की सब्जियों को मिलाकर खिचड़ी, पराठा और थेपले दिए जा सकते हैं। साथ ही उन्हें फाइबर युक्त डायट देकर कब्ज की समस्या को दूर किया जा सकता है।

    नवजात बच्चे को कब्ज से कैसे बचाएं?

    नवजात बच्चे को कब्ज ना हो इसके लिए रोकथाम की जा सकती है, जिसके लिए आपको निम्न बातों का ध्यान रखना होगा:

    • जैसा कि कब्ज एक पेट संबंधी समस्या है, तो ऐसे में मां और बच्चे के खानपान का ध्यान रखना चाहिए। अगर मां स्तनपान करा रही है, तो उसे ऐसी चीजें खानी चाहिए, जिससे बच्चे को कब्ज ना हो। मां को हरी सब्जियां और रंग बिरंगे फल खिलाना चाहिए।
    • नवजात बच्चे को कब्ज से राहत दिलाने के लिए मां को फाइबर युक्त भोजन का सेवन करना चाहिए, क्योंकि फाइबर का सेवन करने से पाचन तंत्र अच्छा रहता है।
    • कई बार नवजात बच्चे को कब्ज कम दूध पीने के कारण भी होता है। इसके लिए मां को पूरा प्रयास करना चाहिए कि अगर बच्चा कम दूध पीता है, तो उसे स्तनपान अधिक से अधिक बार कराएं। इससे बच्चे में कब्ज की समस्या बार-बार नहीं बनेगी।
    • बच्चे को पॉटी कराते समय उसके सीटिंग पोजीशन पर भी ध्यान दें, कई बार बच्चों में कब्ज की वजह गलत सीटिंग पोजिशन हो सकती है।

    नवजात बच्चे को कब्ज से बचाव के लिए घरेलू उपाय क्या है?

    6 महीने तक बच्चे सिर्फ मां का ही दूध पीते हैं। मां के दूध के अलावा उन्हें कुछ भी खिलाने-पिलाने से डॉक्टर सख्त मना करते हैं। ऐसे में मां जो भी खाएगी उसका असर बच्चे पर भी होता है। इसलिए मां को भी अपने आहार पर विशेष ध्यान देना चाहिएः

    • छोटे शिशु सिर्फ मां का दूध पीते हैं, इसलिए जरूरी है कि मां अपनी डायट मेंहरी सब्जियां, फल और फाइबर युक्त खाद्य पदार्थों को शामिल करें।
    • शिशु के शौच करने का एक निश्चित समय निर्धारित करें।
    • शिशु को कभी भी भूखा न रखें और न ही उसे बहुत ज्यादा दूध पिलाएं। हर दो से तीन घंटे के बीच में बच्चे को थोड़ी-थोड़ी मात्रा में दूध पिलाएं रहें।

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    क्या बच्चे को ग्राइप वॉटर देने से कब्ज से राहत मिलती है?

    ग्राइप वॉटर को हिंदी में घुट्टी कहा जाता है, जिसे अक्सर मां बच्चे के पेट की समस्या से राहत दिलाने के लिए देती है। हालांकि, ग्राइप वॉटर बच्चे को पेट दर्द से राहत दिलाने के लिए दिया जा सकता है, लेकिन कब्ज में ग्राइप वॉटर आराम देता है या नहीं, इसका अभी तक कोई प्रमाणिक साक्ष्य नहीं है।

    इस तरह से आपने जाना कि नवजात बच्चे को कब्ज होने पर आप क्या कर सकते हैं? हमेशा याद रखें कि बच्चे नाजुक होते हैं और इसलिए उनका ध्यान बहुत संभाल कर रखना होता है। उम्मीद है कि बच्चे को कब्ज से संबधित यह लेख पसंद आया होगा। कृपया हमें इस बारे में कमेंट कर के बताएं। इसके अलावा इस विषय में अधिक जानकारी के लिए आप अपने डॉक्टर से संपर्क कर सकते हैं।

    ६ मंथ बेबी को पॉटी न आये तो क्या करे?

    बच्‍चों में कब्‍ज दूर करने के घरेलू तरीके.
    एक्‍सरसाइज मूवमेंट करने से शिशु की मल त्‍याग की क्रिया वयस्‍कों की तरह ही उत्तेजित होती है। ... .
    ​सेब का रस बच्‍चों में भी फाइबर की कमी के कारण कब्‍ज हो सकती है। ... .
    ​गर्म पानी से नहलाना ... .
    ​ऑर्गेनिक नारियल तेल ... .
    ​टमाटर ... .
    सौंफ ... .
    ​पपीता ... .
    ​तरल पदार्थ.

    6 महीने के बच्चे को कब्ज?

    बच्चों में कब्ज के मुख्य कारण अगर आप अपने 6 महीने से कम उम्र के बच्चे को फार्मूला मिल्क दे रही हैं तो एक बार इसे बदल कर देखें, बच्चे को कब्ज में आराम मिल सकता है. जब तक आपका बच्चा एक साल का नहीं हो जाता, कोशिश करें कि उसका मुख्य आहार दूध ही हो. अधिक ठोस भोजन लेने से बच्चे को कब्ज की परेशानी हो सकती है.

    6 महीने का बच्चा कितनी बार पॉटी करता है?

    यह बदलता रहता है, एक हफ्ते में बच्चा दिन में 6 से 8 बार मल त्याग कर सकता है। मल के फ्रीक्वेंसी इतनी मायने नहीं रखती है जब तक कि बच्चे को कोई असुविधा और उलटी न हो, फीड न कर पाने या पेट भरा होने जैसे लक्षण न दिखाई दें। जब आपका बच्चा ठोस खाद्य पदार्थ खाना शुरू करता है, तो बच्चे का मल कुछ कुछ बड़ों के जैसे दिखने लगता है।

    शिशु में कब्ज के लिए घर उपचार?

    आइए जानते हैं किन उपायों से आप शिशुओं की कब्‍ज को दूर कर सकते हैं..
    व्‍यायाम कराएं ... .
    गुनगुने पानी से नहलाएं ... .
    नारियल तेल का प्रयोग ... .
    सौंफ का पानी ... .
    तरल पदार्थ का सेवन ... .
    मालिश जरूरी ... .
    फल और सब्जियों की प्‍यूरी दें.