Author: JagranPublish Date: Mon, 19 Jul 2021 08:02 AM (IST)Updated Date: Mon, 19 Jul 2021 08:02 AM (IST) सुरेश गर्ग चरखी दादरी रविवार दोपहर बाद हुई वर्षा से जलभराव को लेकर दादरी
नगर में जो सुरेश गर्ग, चरखी दादरी रविवार दोपहर बाद हुई वर्षा से जलभराव को लेकर दादरी नगर में जो हालात बने उससे स्थानीय नागरिकों के जहन में सन 1995 सितंबर के पहले सप्ताह में यहां आई विनाशकारी बाढ़ की यादें ताजा हो गई। उस साल भी सामान्य से थोड़ी अधिक वर्षा होने के चलते न केवल दादरी शहर बल्कि पूरे इलाके में हजारों मकान, दुकान क्षतिग्रस्त हुए थे, सैकड़ों ढह गए थे, करोड़ों रुपये की संपत्ति का नुकसान हुआ था तथा दर्जनों लोगों को बाढ़ के कारण फैली महामारियों के कारण जान गंवानी पड़ी थी। उस
समय भी वर्षा इतनी अधिक नहीं थी कि इस इलाके में बाढ़ आ सके। लेकिन निकासी के इंतजाम ध्वस्त होने से हालात बेहद विकट बनते गए थे। उल्लेखनीय है कि सन 1995 में मई माह से लेकर अगस्त माह के तीसरे सप्ताह तक वर्षा न होने से लोगों को यह चिता सताने लगी थी कि इस साल अकाल जैसे हालात बन सकते हैं। उसके बाद अगस्त के अंतिम सप्ताह में बारिश होना शुरू हुई थी। दिन बदलने के साथ बारिश का वेग बढ़ता गया। इसी के चलते तीन व चार सितंबर को पूरे इलाके में बाढ़ जैसे हालात बन चुके थे। दादरी शहर के दर्जनों बाजारों, सैंकड़ों
कालोनियों में पांच से लेकर आठ फुट तक पानी भर चुका था। ऐसे लगने लगा था कि पूरा शहर पानी के टापू में तबदील हो चुका है। उस समय अचानक आई इस आपदा से स्थानीय प्रशासन के भी हाथ पैर फुल गए थे तथा बारिश बंद होने के बाद भी महीने भर तक पानी की निकासी नहीं हो पाई थी। जिस कारण हुई व्यापक तबाही के चलते लोगों को खामियाजा भुगतना पड़ा था। हालांकि बाद में सरकार ने कई बड़े कदम उठाते हुए पानी की निकासी के लिए बड़े स्तर पर काम किया था। सन 1995 जैसे हालात आज तो नहीं हैं लेकिन जिस तरह से दादरी शहर में सीवरेज सिस्टम
करीब-करीब नकारा हो चुका है तथा पानी की निकासी के इंतजामों को लेकर भी सवाल उठाए जा रहे हैं उसके चलते यदि सामान्य से थोड़ी अधिक वर्षा हो जाती है तो एक बार फिर लोगों का भारी आपदा से सामना हो सकता है। संक्रामक बीमारियों की चपेट में था पूरा क्षेत्र 1995 के सितंबर माह के पहले सप्ताह में आई बाढ़ के चलते संपत्ति की तबाही के अलावा स्थानीय नागरिकों को अगले कुछ माह तक गंभीर बीमारियों का सामना करना पड़ा था। शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में जलभराव होने तथा लंबे समय तक पानी की निकासी न होने से कई प्रकार की
संक्रामक व वायरस से जुड़ी बीमारियां तेजी से फैलने लगी थी। जिसके चलते दादरी इलाके में उस समय सैंकड़ों लोगों को असमय प्राण गंवाने पड़े थे। स्थिति को काबू करने में स्वास्थ्य विभाग को काफी दिनों तक जद्दोजहद करनी पड़ी थी। पूरे इलाके के ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में चिकित्सा शिविरों के साथ लोगों को आपात उपचार की सुविधाएं मुहैया करवाई गई थी। अधिक वर्षा नहीं, निकासी न होने से बिगड़े हालात 1995 की बाढ़ की जो मुख्य वजह मानी गई उसमें वर्षा के पानी की निकासी के लिए पर्याप्त इंतजाम न होना था। हालांकि उस समय
एक सप्ताह तक करीब 240 एमएम वर्षा ही हुई थी। इतनी वर्षा में कोई बाढ़ आने की कल्पना भी नहीं कर सकता। कुछ लोगों ने तो इसे बाढ़ नहीं बल्कि अव्यवस्थाओं के चलते निकासी के इंतजाम न होना बताया था। उस साल के बाद लगातार पानी की निकासी के लिए योजनाएं बनाई जाती रही हैं लेकिन रविवार की वर्षा से जो दादरी शहर के हालात बने उनसे कई प्रकार के सवाल उठना लाजिमी हैं। Edited By: Jagran
सोमवार, 30 मई 2022 को ज्येष्ठ अमावस्या है, इस तिथि पर शनि जयंती है। अभी शनि ग्रह कुंभ राशि में है। शनि इस राशि का स्वामी है। 29 मई, 1995 में यानी 27 साल पहले शनि जयंती, सोमवार और कुंभ राशि में शनि का योग 2022 में बन रहा है। सोमवती अमावस्या पर कृत्तिका नक्षत्र रहेगा और इस बार सर्वार्थ सिद्धि योग में शनि जन्मोत्सव मनाया जाएगा। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार शनि सूर्य के पुत्र हैं। इनकी माता का नाम छाया है। शनि सूर्य से शत्रुता रखता है। बुध, शुक्र शनि के मित्र हैं। गुरु सम है और चंद्र-मंगल भी शत्रु हैं। शनि तुला राशि में उच्च का रहता है और मेष राशि में नीच का होता है। शनि जयंती पर क्या करें और क्या न करें
शनि देव के जन्म की कथा सूर्य देव का विवाह देव पुत्री संज्ञा से हुआ था। यमराज और यमुना जी सूर्य और संज्ञा की संतानें हैं। संज्ञा सूर्य का तेज सहन नहीं कर पाती थीं। इस कारण उन्होंने अपनी छाया को सूर्य की सेवा में नियुक्त कर दिया और खुद वहां से अपने पिता के यहां चली गईं। शनि देव सूर्य और छाया की संतान हैं। छाया पुत्र होने की वजह से ही शनि का रंग काला माना गया है। शनि ने तपस्या करके ग्रह का और न्यायाधीश का पद प्राप्त किया है। यमराज, यमुना शनि के सौतेले भाई-बहन हैं। ऐसे करें शिव पूजा सोमवती अमावस्या पर घर के मंदिर में या किसी अन्य मंदिर में पूजा करने का संकल्प लें। गणेश पूजा करें और फिर शिव पूजा करें। शिवलिंग पर तांबे के लोटे से जल चढ़ाएं। बिल्व पत्र, धतूरा, आंकड़े के फूल, जनेऊ, चावल, चंदन, शहद आदि चीजें चढ़ाएं। ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जप करें। मिठाई का भोग लगाएं। धूप-दीप जलाएं और आरती करें। पूजा के बाद भगवान से जाने-अनजाने में हुई गलतियों के क्षमा मांगे। अंत में प्रसाद बांटें और खुद भी ग्रहण करें। सभी 12 राशियों के लिए कैसा रह सकता है शनि जयंती का पर्व मेष- एकादश शनि की वजह से लाभ हो सकता है। शुभ कार्य और पदलाभ होगा। वृषभ- दशम शनि के कारण कार्य की अधिकता रहेगी। रोजगार प्राप्त हो सकता है। पिता से लाभ होगा। मिथुन- नवम शनि आपका भाग्य उदय कर सकता है। आर्थिक लाभ होगा, समय पर काम होगा। कर्क- इस राशि के लिए अष्टम शनि है। भय चिंता और परेशानी बढ़ाने वाला समय रहेगा। कमाई कम हो सकती है। सिंह- आपके लिए सप्तम शनि है। परेशानियां हो सकती हैं, लेकिन लाभ भी होगा। कन्या- षष्ठम शनि की वजह से अनावश्यक विवाद हो सकते हैं। आय बढ़ाने वाला समय होगा। तुला- पंचम शनि के कारण संतान से विवाद हो सकता है। रोग के संबंध में सतर्क रहें। वृश्चिक- इन लोगों के लिए शनि चतुर्थ रहेगा। दांतों से और नसों से संबंधित दिक्कतें हो सकती हैं। धनु- तृतीय शनि के कारण भाइयों से विवाद हो सकता है। कार्यों में सफलता मिलेगी, आर्थिक लाभ होगा। मकर- द्वितीय शनि संपत्ति से नुकसान करा सकता है। विवाद, पद हानि और धन की कमी हो सकती है। कुंभ- शनि इसी राशि में है। परेशानी बढ़ सकती है, धन की कमी हो सकती है। मीन- द्वादश शनि के कारण आर्थिक हानि हो सकती है। परेशानी, तनाव, काम की अधिकता रह सकती है। |