अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन.Russia-Ukraine Conflict: जो यूक्रेन इस वक्त रूस के सामने बेहद कमजोर दिख रहा है, आज से 30 साल पहले वह ऐसी स्थिति में बिल्कुल नहीं था. वर्ष 1991 तक यूक्रेन के पास 5000 से अधिक परमाणु हथियार थे. इसके अलावा यूक्रेन के पास अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइलें और सामरिक बमवर्षक विमान भी थे.अधिक पढ़ें ...
नई दिल्ली: यूक्रेन आज जिस संकट में है उसके लिए अमेरिका और नाटो को भी खलनायक के रूप में देखा जा रहा है. रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने 22 फरवरी 2022 को पूर्वी यूक्रेन के दो राज्यों, दोनेत्स्क और लुहांस्क को अलग देश का दर्जा दे दिया. इसके बाद 24 फरवरी की सुबह यूक्रेन पर हमला कर दिया. यूक्रेन जब संकट में पड़ा तो न ही NATO और न ही अमेरिका, ने मदद के लिए अपने सैनिक उसकी धरती पर भेजे. यूक्रेन की उदारता अब उस पर बुहत भारी पड़ रही? यूक्रेन कभी दुनिया की तीसरी बड़ी परमाणु शक्ति था यूक्रेन, बेलारूस, कजाकिस्तान के पास परमाणु हथियार तो थे, लेकिन इसके इस्तेमाल की जानकारी नहीं थी. इसको देखते हुए अंतरराष्ट्रीय समुदाय जिसमें अमेरिका अगुवा था, ने यूक्रेन, बेलारूस, कजाकिस्तान को START I संधी और अप्रसार संधि (Non-Proliferation Treaty) के अंतर्गत आने को कहा. इसका मतलब था कि यूक्रेन, बेलारूस, कजाकिस्तान को अपने परमाणु हथियार रूस को देकर कुछ कम करने होंगे या उन्हें नष्ट करना होगा. ये तीनों देश ऐसा करने के लिए तैयार हो गए. इसे लेकर 1994 में रूस, यूक्रेन, अमेरिका, बेलारूस, कजाकिस्तान के बीच बुडापेस्ट ज्ञापन (Budapest Memorandum) पर हस्ताक्षर हुआ. यूक्रेन के लिए अभिशाप बना परमाणु हथियार त्यागना? रूस लगाता है मिंस्क समझौते के उल्लंघन का अरोप यूक्रेन की मदद को आगे नहीं आए अमेरिका और नाटो वर्ल्ड ऑर्डर बदलने की महत्वकांक्षा पालकर बैठा है चीन रूस के खिलाफ युद्ध छेड़ने की स्थिति में नहीं है अमेरिका ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी | आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी | Tags: America, Russia, Ukraine FIRST PUBLISHED : February 25, 2022, 23:36 IST |