1911 क च न क क र त

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वुहान में सन यात सेन की प्रतिमा

चीन की 1911 की क्रांति के फलस्वरूप चीन के अन्तिम राजवंश (चिंग राजवंश) की समाप्ति हुई और चीनी गणतंत्र बना। यह एक बहुत बड़ी घटना थी। मंचू लोगों का शासन चीन पर पिछले तीन सौ वर्षों से चला आ रहा था जिसका अंत हो गया। बीसवीं शताब्दी में चीन एशिया का प्रथम देश था, जहाँ गणतांत्रिक सरकार की स्थापना हुई। चीन के क्रांतिकारियों ने फ्रांसवालों का अनुकरण किया और राजतंत्र का सदा के लिए अंत कर दिया।

क्रांति के कारण[संपादित करें]

विदेशी शोषण के विरूद्ध प्रतिक्रिया[संपादित करें]

अंतर्राष्ट्रीय जगत में चीन ने हमेशा अपने को सर्वश्रेष्ठ राष्ट्र माना है। किन्तु दो अफीम युद्धों में पराजय के बाद चीन का सारा आत्माभिमान और गर्व गिरकर चकनाचूर हो गया। जब यूरोपीय लुटेरों ने चीन का दरवाजा जबरदस्ती खोल दिया और जब से चीन पर आर्थिक प्रभुत्व कायम करने के लिए विविध यूरोपीय देशों में एक भीषण होड़ प्रारंभ हो गई। चीन के कुछ देशभक्त नागरिक अपने देश की इस दुर्दशा से बहुत चिंतित रहते थे। उन्होंने समझ लिया कि जब तक उन्हें विदेशियों से छुटकारा नहीं मिलेगा, तब तक उनकी स्थिति में किसी तरह का सुधार नहीं होगा। वे मंचू-शासन को चीनी जनता का विदेशियों द्वारा शोषण के लिए मुख्य रूप से उत्तरदायी मानते थे। इसलिए विदेशियों का विरोध करने के लिए और मंचू-शासन का अंत करने के लिए वे अपना संगठन बनाने लगे। उन्नीसवीं शताब्दी के अंत में विदेशियों द्वारा शोषण इस कदर बढ़ गया कि चीन की जनता के समक्ष विदेशी शोषण से छुटकारा पाने के लिए अब एक व्यापक क्रांति के सिवा कोई दूसरा विकल्प न रहा।

सुधारों की असफलता[संपादित करें]

ऐसी स्थिति में देश को क्रांति से बचाने का एक उपाय होता है- शासन व्यवस्था में सुधार। चीन में सुधारों के लिए कुछ दिनों से आंदोलन हो रहा था, लेकिन सम्राज्ञी त्जूशी एक प्रतिक्रियावादी शासिका थी और वह शासन व्यवस्था में किसी तरह का परिवर्तन नहीं चाहती थी। इस हालत में चीन के देशभक्त यह सोचने के लिए मजबूर हो गए कि मंचू-शासन का अंत कर एक नई क्रांतिकारी सरकार की स्थापना की जाए। विदेशी शोषण के देश की रक्षा के लिए यही एकमात्र उपाय था। बॉक्सर विद्रोह के उपरांत चीन के सुधारवादियों ने शासन को कुछ सुधार योजनाओं को कार्यान्वित करने के लिए बाध्य किया। इसलिए चीन में सुधारों की एक योजना लागू की गई। सेना के संगठन में कई सुधार किए गए। 1905 ई. में चीन की पुरानी परीक्षा पद्धति समाप्त करने की आज्ञा जारी की गई और चीनी शासनतंत्र को आधुनिक ढंग पर ढालने का प्रयत्न

किया गया। रूस और जापान के युद्ध में जापान की विजय से भी चीन में सुधारवादी आंदोलन को पर्याप्त बल मिला। ऐसी स्थिति में चीन में सुधार आंदोलन ने तीव्र रूप धारण कर लिया, लेकिन सरकार की ओर से सुधार-कार्य अत्यंत धीमी गति से कार्यान्वित किए जा रहे थे। सुधारवादी लोग चीन में संसदीय शासन ओर वैध राजसत्ता की स्थापना चाहते थे। किन्तु सरकार ने संसदीय व्यवस्था कायम करने की माँग ठुकरा दी। इस हालत में क्रांति का होना अवश्यंभावी हो गया।


जनसंख्या में वृद्धि- 18 85 ईस्वी में चीन में कुल जनसंख्या 37 करोड़ 70 लाख थी किंतु 1911 ईस्वी में आते आते यह 43 करोड़ हो गई थी। मंजू शासन में उत्पादन वृद्धि के लिए विशेष प्रयास नहीं किए गए और खेती के लिए अतिरिक्त भूमि की व्यवस्था भी नहीं की गई पुलिस टॉप फल पैदावार की कमी के कारण चारों और भुखमरी फैल गई और जनसाधारण के लिए जीवन का निर्वाह करना कठिन हो गया।

नए विचारों की उथल-पुथल[संपादित करें]

चीन की नई पीढ़ी में जागरण चीन की क्रांति का एक आधारभूत कारण था। 1905 ई. में चीन में प्राचीन परीक्षा पद्धति और राजकीय पद्धति का अंत हो गया और राजकीय पदों पर नियुक्ति के लिए आधुनिक शिक्षा को महत्व दिया गया। इसलिए, 1905 ई. के बाद बहुत से चीनी विद्यार्थी अमेरिका और यूरोप जाने लगे, लेकिन जो लोग यूरोप या अमेरिका नहीं जा सकते थे, वे जापान में ही शिक्षा प्राप्त करने लगे। इस तरह चीनीवालों का विदेशों से संपर्क कायम हुआ। वे यूरोप, अमेरिका आदि देशों से बहुत प्रभावित हुए और अपने देश के उद्धार के लिए पाश्चात्य देशों के नमूने पर सुधार के पक्षपाती हो गए। इस समय जापान में बहुत-से ऐसे चीनी देशभक्त रहते थे, जो चीन की सरकार के कोपभाजन बने थे ओर जिन्हें देश से निकाल दिया गया था। जापान में इन लोगों के क्रांतिकारी संगठन कायम कर लिए थे। चीन के जो विद्यार्थी जापान जाते थे, उनका संबंध इन क्रांतिकारी संगठनों से अनिवार्य रूप से होता था और जब वे स्वदेश लौटते थे तो क्रांतिकारी विचारों से ओतप्रोत होते थे। 1908 ई. में जो चीनी क्रांतिकारी नेता जापान में आश्रय ग्रहण करने के लिए विवश हुए थे, वे इन चीनी विद्यार्थियों में बड़े उत्साह से अपने विचारों का प्रसार कर रहे थे। जापान के प्रभाव के कारण देश को मजबूत बनाने और समाज को आधुनिक रूप देने की प्रवृत्ति जोर पकड़ रही थी। फलतः, लोगों के दिमाग में नए विचार भर गए, जिन्होंने क्रांति की चिनगारियाँ सुलगा दीं।

आर्थिक अधोगति[संपादित करें]

चीन की क्रांति का एक और कारण था, आर्थिक दुर्दशा। आर्थिक दृष्टि से चीन की जनता में घोर अशांति थी। चीन की आबादी बड़ी तेजी से बढ़ रही थी और सरकार उसके भोजन का इंतजाम नहीं कर पा रही थी। देश में दुर्भिक्ष और बाढ़ों की प्रचुरता थी, जिसके कारण खेती को बहुत अधिक नुकसान पहुँचता था। 1910-11 में चीन की अनेक नदियों में भयंकर बाढ़ आई। इससे कृषि तो नष्ट हुई साथ ही सहस्रों गाँव भी बह गए। लाखों व्यक्ति बेघरबार हो गए और उनकी आजीविका का कोई भी साधन नहीं रहा। सरकार ने इस स्थिति में जनता की सहायता का कोई प्रबंध नहीं कियां इस तरह की आर्थिक स्थिति में क्रांति के विचारों का आना बिल्कुल स्वाभाविक था।

चीन के मजदूरों का प्रभाव[संपादित करें]

देश की आर्थिक स्थिति से परेशान होकर चीन के लोग आजीविका की तलाश में विदेशों में जाकर बसने लगे। सबसे पहले वे संयुक्त राज्य अमेरिका गए। कुछ दिनों तक अमेरिकी सरकार ने इसका विरोध नहीं किया, लेकिन जब बहुत बड़ी संख्या में चीनी लोग अमेरिका पहुँचने लगे तो सरकार ने कानून बनाकर उनका आगमन रोक दिया। जब अमेरिका का दरवाजा चीनियों के लिए बंद हो गया तो वे पास-पड़ोस के अन्य देश मलाया, फिलीपाइन्स, हवाई द्वीप इत्यादि में जाकर बसने लगे। इस प्रकार, चीनी जनता का एक बहुत बड़ा भाग विदेशों के संपर्क में आया। यह भाग पढ़े-लिखे लोगों से भिन्न था और इसके द्वारा चीन के निम्न वर्ग में क्रांति की भावना ने प्रवेश किया।

क्रांतिकारी प्रवृत्ति का विकास[संपादित करें]

बीसवीं शताब्दी के प्रथम दशक में चीन में क्रांतिकारी प्रवृत्तियों का जोर बहुत बढ़ गया और क्रांतिकारी दलों का संगठन व्यापक रूप से हुआ। बॉक्सर विद्रोह के दमन के बाद चीन के कई क्रांतिकारी दल नष्ट कर दिए गए थे, फिर भी चीन में क्रांति की भावना कभी दबाई नहीं जा सकी। बॉक्सर विद्रोह के तुरंत बाद चीन में पुनः क्रांतिकारी पाटियाँ संगठित होने लगीं। इन क्रांतिकारी संगठनों में एक अत्यंत महत्वपूर्ण था, जिसका नेता डॉ॰ सनयात सेन था।

सनयात सेन के कार्य[संपादित करें]

चीन के क्रांतिकारियों को संगठित करने में डॉ॰ सन यात सेन का बड़ा ही महत्वपूर्ण योगदान था। 1884-85 ई. के बीच चीन को फ्रांस के मुकाबले बड़ा अपमान सहना पड़ा और वे सब मिलकर मंचू राजवंश के अंत की योजना बनाने लगे। अंततः, वे चीनी क्रांति के जन्मदाता सिद्ध हुए। 1900 ई. के बॉक्सर विद्रोह के असफल होने पर डॉ॰ सेन की लोकप्रियता पुनः कायम हो गई और चीनी लोग अधिकाधिक संख्या में उसकी ओर आकृष्ट होने लगे। इन घटनाओं के बाद सनयात सेन की ख्याति में बड़ी वृद्धि हो गई।

तात्कालिक कारण[संपादित करें]

1911 ई. के पूर्व सही पिकिंग की केन्द्रीय सरकार के विरूद्ध प्रांतीय शासकों में विरोध की भावना विकसित हो रही थी। पिकिंग की सरकार से अनुमति प्राप्त कर कई विदेशी फर्म में चीन में रेलवे लाइनों का निर्माण करा रही थी। चीन के कई प्रांतपति चाहते थे कि उनके सूबों में उन्हें ही रेलवे लाइन का निर्माण का अधिकार मिले। लेकिन, पिकिंग की सरकार ऐसा नहीं चाहती थी। वह स्वयं रेलवे लाइनों का निर्माण करना चाहती थी। लेकिन, इसके लिए उसे पास धन का अभाव था। चीन की सरकार विदेशों से कर्ज लेकर इस काम को पूरा करना चाहती थी। विदेशी कर्ज लेने से चीन की केन्द्रीय सरकार पर विदेशियों का प्रभाव बढ़ता जा रहा था। इस कारण प्रांतों के शासक बड़े चिंतित हो रहे थे और इस बात पर जोर दे रहे थे कि उनके अपने प्रदेशों में रेलवे निर्माण का भार उन्हीं के सुपुर्द कर दिया जाए। इस विषय पर केन्द्रीय और प्रांतीय सरकारो के बीच मतभेद बहुत बढ़ गया। प्रांतों में केन्द्रीय शासन की नीति के कारण असंतोष बहुत गढ़ गया और इसी समय जब एक विदेशी कंपनी को एक रेलवे लाइन बनाने का अधिकार दे दिया गया तो क्रांति की लहर चारों ओर फैल गई। अनेक स्थानों पर मंचू शासन के खिलाफ विद्रोह शुरू हो गया।

क्रांति की घटनाएँ[संपादित करें]

विद्रोह की आग तुरंत ही संपूर्ण देश में फैल गई। क्रांति की ज्वाला तेजी से यांगत्सी तट पर ऊपर, नीचे तथा दक्षिण की ओर फैलने लगी। दक्षिण में कुछ समय के लिए शातुंग प्रांत ने अपनी स्वतंत्रता घोषित कर दी, यद्यपि वह शीघ्र ही पुनः केन्द्रीय शासन के अधीन आ गया। चिहली में भी विशेषकर सैनिकों में विद्रोह की भावना फैली, किंतु यांगत्सी के उत्तर में शान्सी प्रांत को छोड़कर, सभी प्रान्त केन्द्रीय शासन के प्रति निष्ठावान रहे और वहाँ शासन सुदृढ़ रहा। पूरा आंदोलन एकाएक और स्वतंत्र रूप से हुए विद्रोह की श्रृंखला लगता था, सुनियोजित क्रांति नहीं। इसका एक कारण यह था कि क्रांतिकारी पहले विभिन्न केन्द्रों में क्रांतिकारी भावनाओं को उभारना चाहते थे। इन छिटपुट विद्रोहों का एक दूसरा कारण यह भी था कि क्रांति के समर्थकों के गुट अनिवार्यतः स्थानीय स्तर पर बनाए गए थे, राष्ट्रीय स्तर पर नहीं और उनकी योजनाएँ भी स्थानीय स्तरों पर बनी थीं। यह भी दावा किया गया कि बाद में किसी तिथि को एक साथ सभी क्रांतिकारी गुटों के विद्रोह कर देने की भी योजना बनी थी, किंतु हाँकों में बम फटने और तत्पश्चात पुलिस कार्यवाही के कारण विद्रोह कर देना अनिवार्य हो गया।

पिकिंग में संवैधानिक सरकार[संपादित करें]

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इन घटनाओं से पिकिंग में घबराहट फैल गई। सरकार ने युआन शीह काई (Yuan Shikai) को हूपेल और हूनान का गवर्नर नियुक्त किया। उसने यह पद संभालने के पहले शर्त रखी कि अगले साल संसद की बैठक बुलाई जाएगी, उसके प्रति उत्तरदायी मंत्रिमण्डल बनाया जाएगा। क्रांतिकारी दल की मान्यता दी जाएगी और उसे सेना के पुनर्गठन का पूरा अधिकार दिया जाएगा। 27 अक्टूबर को युआन को सब सेनाओं का उच्चाधिकारी नियुक्त किया गया।

इसी बीच उसने 22 अक्टूबर, 1911 को केन्द्रीय विधानसभा की बैठक बुलाई। विधानसभा इस समय मंचू राजा से सुधार करने का प्रस्ताव कर रही थी। उसने यह माँग की कि उन पदाधिकारियों को अपदस्थ कर दिया जाए, जो विदेशियों के समर्थक हैं। मंचू राजा को बाध्य होकर ऐसा करना पड़ा और विदेशियों के समर्थक सभी राजअधिकारियों को पदच्युत कर दिया गया। निस्संदेह यह लोकमत की भारी विजय थी। इस समय बड़ी आवश्यकता इस बात की थी कि शासनसूत्र का संचालन एक योग्य व्यक्ति को दिया जाए, जो अव्यवस्था और विद्रोह का दमन कर देश में शांति की स्थापना करे। यह काम युआन शीह काई को दिया गया। 1 नवम्बर, 1911 ई. को उसे प्रधानमंत्री के पद पर नियुक्त कर दिया गया। इसी बीच विधानसभा ने उन्नीस धाराओं का एक संविधान तैयार कर लिया, जिसका आशय चीन में वैधानिक राजतंत्र कायम करना था। 16 नवम्बर को युआन शीह काई ने अपनी सरकार बना ली।

सनयात सेन का आगमन[संपादित करें]

चीन में जब क्रांति का विस्फोट हुआ, उस समय डॉ॰ सनयात सेन अमेरिका में था। 24 दिसमबर को वह शंघाई पहुँचा। सभी क्रांतिकारियों ने उसे गुटबंदियों से दूर रहने वाला व्यक्ति मानते हुए उसका स्वागत किया और यह आशा व्यक्त की गई कि वह क्रांति की एकता को सही नेतृत्व प्रदान करेगा। 29 दिसम्बर को क्रांतिकारियों ने उसे अपनी सरकार का अध्यक्ष चुन लिया। सत्तरह प्रांतों में से सोलह प्रांतों के प्रतिनिधियों ने 1 जनवरी, 1912 ई . को उसे अध्यक्ष पद पर आसीन किया।

क्रान्ति का परिणाम[संपादित करें]

इस प्रकार, अब चीन में दो सरकारें हो गई। एक नानकिंग की गणतांत्रिक सरकार और दूसरी पिकिंग की मंचू सरकार। मंचू सरकार पूरी तरह युआन शीह पर आश्रित थी। सनयात सेन की क्रांतिकारी सरकार बन जाने से युआन शीह काई को राष्ट्रपति पद पर आसीन करने की जो बातचीत चल रही थी, वह समाप्त हो गई। इससे क्रांतिकारी सरकार और पिकिंग सरकार के बीच चल रही बातचीत का तार टूटने लगा। मंचू सरकार ने नानकिंग सरकार को कुचलने का निश्चय किया। लेकिन, इसे लिए उसके पास शक्ति नहीं थी। डॉ॰ सनयात सेन ने भी अनुभव किया कि केन्द्रीय सरकार से युद्ध जारी रखना बेकार है। दोनों पक्ष थके-माँदे थे। उनके पास धन, नेतृत्व और एकता सबकी कमी थी। साथ ही, विदेशी हस्तक्षेप का भी भय था। इसलिए चीन की दोनों सरकारों के मध्य समझौते की बातचीत चलने लगी। क्रांतिकारी सरकार के नेताओं का विचार था कि चीन के नवनिर्माण तथा उद्धार के लिए मंचू राजवंश का अंत होना आवश्यक है; क्योंकि मंचू दरबार इतना विकृत हो चुका है कि उसमें नवजीवन का संचार करना असंभव है। युआन शीह काई ने इस बात को स्वीकार किया और इसी आधार पर डॉ॰ सनयात सेन के साथ उसने 12 फरवरी, 1912 ई. को एक समझौता कर लिया। इस समझौते के अनुसार चीन से मंचू राजवंश के शासन का अंत कर दिया गया और चीन में गणराज्य की स्थापना कर दी गई।

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

  • चीन की साम्यवादी क्रांति

Why is the 1911 so special?

The 1911 was the first high volume production of a short recoil design whereby the barrel and slide would unlock independently. This design became the basis for almost all popular centerfire semi autos in the 20th century. The .45 ACP cartridge also had excellent stopping power as opposed to other offerings in use at the time.

Is the 1911 a reliable pistol?

The most reliable when dirty, wet etc are those from Colt. Reliability in a 1911 is kind of a balancing act. Tight tolerances and better the fit and finish usually come at the expense of reliability in cases where you’re shooting dirty ammo or not cleaning it frequently.

What makes a good 1911?

What really makes a 1911 a 1911

  • Short recoil operation with tilting barrel and swinging link. You’ll notice that 1911 pistol barrels have a moving link on the bottom under the chamber. ...
  • Grip safety. On a 1911, the back of the grip has a safety “pad” that is pushed into the frame by the web of your shooting hand.
  • Single-action trigger. ...
  • Trigger geometry. ...
  • Slide lock safety. ...

Who makes the best looking 1911?

Who makes the best looking 1911

  • sigsauerbarnett
  • RickB. EDC: SIG P938.
  • melensdad. Hands down winner is Safari Arms!
  • Beltfedleadhead. I like most any pistol with vertical rear cocking serrations, and NONE in the front. ...
  • russel5150
  • shlonak. Look in the USGI section for the best looking 1911s.
  • Old Dog. ...
  • 45collector. ...
  • Johnny handgun. ...
  • nala1911

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1911 की चीन की क्रांति के क्या कारण थे?

चीन की क्रांति का एक और कारण था, आर्थिक दुर्दशा। आर्थिक दृष्टि से चीन की जनता में घोर अशांति थी। चीन की आबादी बड़ी तेजी से बढ़ रही थी और सरकार उसके भोजन का इंतजाम नहीं कर पा रही थी। देश में दुर्भिक्ष और बाढ़ों की प्रचुरता थी, जिसके कारण खेती को बहुत अधिक नुकसान पहुँचता था।

1911 की चीनी क्रांति के जनक कौन थे?

वस्तुतः, 1911 ई० की क्रांति के जनक सनयातसेन ही थे। साम्राज्यवाद और मंचू सरकार को अकर्मण्यता के प्रति घृणा और विद्रोह की भावना ने अनेक क्रांतिकारी संगठनों को जन्म दिया।

1911 की क्रांति के बाद चीन का राष्ट्रपति कौन बना?

(2) चीनी क्रांति का आगाज 1911 ई. में हुआ. (3) चीनी क्रांति का नायक सनयात सेन था.

चीन की क्रांति कब हुई थी?

10 अक्तूबर 1911१९११ की चीन की क्रांति / शुरू होने की तारीखnull