1857 की क्रांति के प्रतीक चिन्ह कौन से थे? - 1857 kee kraanti ke prateek chinh kaun se the?

'रोटी और खिलता हुआ कमल' को माना प्रतीक

Publish Date: Tue, 10 May 2011 07:08 PM (IST)Updated Date: Thu, 17 Nov 2011 12:12 AM (IST)

बलिया: देश के क्रांतिकारी बहादुर शाह जफर, तात्या टोपे, वीर कुंवर सिंह, रानी लक्ष्मीबाई आदि ने बडे़ सुनियोजित ढंग से क्रांति की तिथि 10 मई 'रोटी और खिलता हुआ कमल' को प्रतीक मानकर पूरे अखंड भारत में गुप्त ढंग से सूचना भेज रखी थी। रोटी का अर्थ रहा हम सभी भारतीय अपनी रोटी मिल बांटकर खाएंगे तथा खिलते कमल का अर्थ कि हम सभी मिलकर देश को कमल के समान खिलते देखना चाहेंगे। उक्त बातें शहीद मंगल पांडेय इंटर कालेज नगवां में 1857 के स्वतंत्रता संग्राम की नियत तिथि 10 मई के अवसर पर आयोजित सभा में वक्ताओं ने कहीं। कहा कि 10 मई 1857 को पूरे भारत में स्वतंत्रता संग्राम शुरू करने की तिथि तय की गयी थी लेकिन मंगल पांडेय इसे लंबा समय मान बैठे और संग्राम की शुरूआत 29 मार्च 1857 को ही करके चार अंग्रेज अधिकारियों को बैरक छावनी में मार गिराया। अंतत: मंगल पांडेय को बर्बर अंग्रेजों ने 8 अप्रैल 1857 को फांसी पर झुला दिया। वक्ताओं ने कहा कि पूर्ण स्वतंत्रता संग्राम 10 मई 1857 को पूर्ण रूप से पूरे भारत में जरूर शुरु किया गया परंतु कुछ अन्य कारणों से हम 90 वर्ष बाद 1947 में पूर्ण स्वतंत्र हो सके। सभा में क्षेत्रीय लोगों समेत हजारों की संख्या में छात्र-छात्राओं ने भाग लिया। कालेज परिसर में स्थित मंगल पांडेय के पुराने स्मारक पर उपस्थित लोगों ने फूल माला चढ़ाया। इस अवसर पर कालेज के उप प्रबंधक कृष्ण कांत पाठक, वरिष्ठ अध्यापक कौशल कुमार सिंह, शैलेश दुबे, अमरजीत सिंह, महेन्द्र नाथ मिश्र, दिनेश शर्मा, वीरेन्द्र नाथ तिवारी, उदय नारायण तिवारी, हरेन्द्र कुमार चौबे, अमरनाथ चतुर्वेदी, संजय प्रकाश पांडेय, दयानंद उपाध्याय, छोटेलाल पाठक, मोहन लाल चौबे, रणजीत कुमार सिंह आदि क्षेत्र के गणमान्य एवं कालेज के समस्त कर्मचारी उपस्थित थे। अध्यक्षता रामजन्म पाठक व संचालन प्रधानाचार्य प्रद्युम्न सिंह ने किया।

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1857 की क्रान्ति के चिन्ह क्या थे?

बलिया: देश के क्रांतिकारी बहादुर शाह जफर, तात्या टोपे, वीर कुंवर सिंह, रानी लक्ष्मीबाई आदि ने बडे़ सुनियोजित ढंग से क्रांति की तिथि 10 मई 'रोटी और खिलता हुआ कमल' को प्रतीक मानकर पूरे अखंड भारत में गुप्त ढंग से सूचना भेज रखी थी।

क्रांति का प्रतीक क्या है?

फूल और रंग फूलों की क्रांति के अलावा रंगों की भी क्रांतियां हुई हैं. इनमें यूक्रेन की ऑरेंज क्रांति के अलावा ट्यूलिप और गुलाब क्रांति भी है.

1857 की क्रांति का दूसरा नाम क्या है?

१८५७ का भारतीय विद्रोह, जिसे प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम, सिपाही विद्रोह और भारतीय विद्रोह के नाम से भी जाना जाता है ब्रिटिश शासन के विरुद्ध एक सशस्त्र विद्रोह था। यह विद्रोह दो वर्षों तक भारत के विभिन्न क्षेत्रों में चला।

1857 के विद्रोह के नेता कौन थे?

लखनऊ: यह अवध की राजधानी थी। अवध के पूर्व राजा की बेगमों में से एक बेगम हज़रत महल ने विद्रोह का नेतृत्व किया। कानपुर: विद्रोह का नेतृत्व पेशवा बाजी राव द्वितीय के दत्तक पुत्र नाना साहब ने किया था। झाँसी: 22 वर्षीय रानी लक्ष्मीबाई ने विद्रोहियों का नेतृत्व किया।