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Anusvaar Definition, Use, Rules, Examples अनुस्वार की परिभाषा, अनुस्वार के उदाहरण

Anusvaar (अनुस्वार): इस लेख में हम अनुस्वार के बारे में जानेंगे। इस लेख में हम, अनुस्वार किसे कहते हैं? अनुस्वार का प्रयोग कहाँ किया जाता है? अनुस्वार को पंचम वर्ण में बदलने का क्या नियम है? और अनुस्वार का प्रयोग करते हुए हमें किन-किन नियमों का पालन करना आवश्यक होता है? इन सभी प्रश्नों के बारे में विस्तार से जानेंगे

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अनुस्वार की परिभाषा

अनुस्वार का शाब्दिक अर्थ है – अनु + स्वर अर्थात स्वर के बाद आने वाला।

दूसरे शब्दों में – अनुस्वार स्वर के बाद आने वाला व्यञ्जन है। इसकी ध्वनि नाक से निकलती है। हिंदी भाषा की लिपि में अनुस्वार का चिह्न बिंदु (.) के रूप में विभिन्न जगहों पर प्रयोग किया जाता है।

अनुस्वार का प्रयोग

अनुस्वार (ं) का प्रयोग पंचम वर्णों (ङ, ञ, ण, न, म ये पंचाक्षर कहलाए जाते हैं) के स्थान पर किया जाता है।

जैसे –
गङ्गा = गंगा
चञ्चल = चंचल
डण्डा = डंडा
गन्दा = गंदा
कम्पन = कंपन

अब हम ये तो जान गए हैं कि अनुस्वार (ं) का प्रयोग पंचम वर्णों (ङ, ञ, ण, न, म) के स्थान पर किया जाता है। परन्तु ऊपर दिए गए उदाहरणों में आप देख सकते हैं कि प्रत्येक पंचाक्षर के स्थान पर (ं) अनुस्वार का प्रयोग एक समान है। ऐसे में हमें कैसे पता चले कि कौन सा अनुस्वार (ं) किस पंचाक्षर का उच्चारण कर रहा है? इसके लिए एक नियम को जानना अति आवश्यक है।

अनुस्वार को पंचाक्षर में बदलने का नियम

अनुस्वार के चिह्न के प्रयोग के बाद आने वाला वर्ण जिस वर्ग का होगा अनुस्वार का चिह्न उसी वर्ग के पंचम-वर्ण का स्थान लेगा तथा उसी की उच्चारण ध्वनि निकालेगा।

इस नियम को अच्छे से समझने के लिए आपको हिंदी वर्णमाला के पाँच-वर्गों का ज्ञान होना चाहिए –

‘क’ वर्ग यानी क, ख, ग, घ, ङ
‘च’ वर्ग यानी च, छ, ज, झ, ञ
‘ट’ वर्ग यानी ट, ठ, ड, ढ़, ण
‘त’ वर्ग यानी त, थ, द, ध, न
‘प’ वर्ग यानी प, फ, ब, भ, म

अब उदाहरण की सहायता से इस नियम को और अच्छे से समझेंगे –

गंगा = गङ्गा
यहाँ पर अनुस्वार (ं) के चिह्न के प्रयोग के बाद ‘क’ वर्ग का वर्ण ‘ग’ है। अतः यहाँ अनुस्वार का चिह्न (ं) ‘ङ’ यानि ‘क’ वर्ग के पंचम-वर्ण का उच्चारण कर रहा है।

चंचल = चञ्चल
यहाँ पर अनुस्वार (ं) के चिह्न के प्रयोग के बाद ‘च’ वर्ग का वर्ण ‘च’ है। अतः यहाँ अनुस्वार का चिह्न (ं) ‘ञ’ यानि ‘च’ वर्ग के पंचम-वर्ण का उच्चारण कर रहा है।

डंडा = डण्डा
यहाँ पर अनुस्वार (ं) के चिह्न के प्रयोग के बाद ‘ट’ वर्ग का वर्ण ‘ड’ है। अतः यहाँ अनुस्वार का चिह्न (ं) ‘ण’ यानि ‘ट’ वर्ग के पंचम-वर्ण का उच्चारण कर रहा है।

गंदा = गन्दा
यहाँ पर अनुस्वार (ं) के चिह्न के प्रयोग के बाद ‘त’ वर्ग का वर्ण ‘द’ है। अतः यहाँ अनुस्वार का चिह्न (ं) ‘न’ यानि ‘त’ वर्ग के पंचम-वर्ण का उच्चारण कर रहा है।

कंपन = कम्पन
यहाँ पर अनुस्वार (ं) के चिह्न के प्रयोग के बाद ‘प’ वर्ग का वर्ण ‘प’ है। अतः यहाँ अनुस्वार का चिह्न (ं) ‘म’ यानि ‘प’ वर्ग के पंचम-वर्ण का उच्चारण कर रहा है।

अनुस्वार के कुछ मुख्य नियम

(1) यदि पंचम अक्षर के बाद किसी अन्य वर्ग का कोई वर्ण आए तो पंचम अक्षर अनुस्वार (ं) के रूप में परिवर्तित नहीं होगा।

जैसे –
वाड्.मय, अन्य, उन्मुख आदि सभी शब्द वांमय, अंय, उंमुख के रुप में नहीं लिखे जा सकते।

(2) पंचम वर्ण यदि द्वित्व रूप में दोबारा आए तो पंचम वर्ण अनुस्वार (ं) के रूप में परिवर्तित नहीं होगा।

जैसे –
प्रसन्न, अन्न, सम्मेलन आदि को प्रसंन, अंन, संमेलन इस तरह नहीं लिखा जाता।

(3) हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि संयुक्त वर्ण दो व्यंजनों से मिलकर बनता है। जैसे – त् + र – त्र, ज् + ञ – ज्ञ बन जाता है इसीलिए अनुस्वार के बाद संयुक्त वर्ण आने पर जिन व्यंजनों से संयुक्त वर्ण बना है, उसका पहला वर्ण जिस वर्ग से जुड़ा है अनुसार उसी वर्ग के पंचम वर्ण के लिए प्रयुक्त होता है।

जैसे –
मंत्र शब्द में
म + अनुस्वार + त्र (त् + र) संयुक्त अक्षर से मिलकर बना है। अनुस्वार के बाद त् आया है और त् वर्ग का पंचम अक्षर है न् इसीलिए अनुस्वार न् के उच्चारण के लिए कार्य कर रहा है।

(4) अनुस्वार के बाद यदि य, र, ल, व, श, ष, स, ह हो तो अनुस्वार (ं) म के रूप में लिखा जाता है।

जैसे –
संरक्षक शब्द में है सम् + रक्षक। यहाँ अनुस्वार के बाद ’र’आया है। व्यंजन संधि के नियमानुसार यहाँ अनुस्वार ‘म्’के उच्चारण के लिए कार्य कर रहा है।
 

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