43 Show 1हे इस्राएल तेरा रचने वाला और हे याकूब तेरा सृजनहार यहोवा अब यों कहता है, मत डर, क्योंकि मैं ने तुझे छुड़ा लिया है; मैं ने तुझे नाम ले कर बुलाया है, तू मेरा ही है। 2जब तू जल में हो कर जाए, मैं तेरे संग संग रहूंगा और जब तू नदियों में हो कर चले, तब वे तुझे न डुबा सकेंगी; जब तू आग में चले तब तुझे आंच न लगेगी, और उसकी लौ तुझे न जला सकेगी। 3क्योंकि मैं यहोवा तेरा परमेश्वर हूं, इस्राएल का पवित्र मैं तेरा उद्धारकर्ता हूं। तेरी छुड़ौती में मैं मिस्र को और तेरी सन्ती कूश और सबा को देता हूं। 4मेरी दृष्टि में तू अनमोल और प्रतिष्ठित ठहरा है और मैं तुझ से प्रेम रखता हूं, इस कारण मैं तेरी सन्ती मनुष्यों को और तेरे प्राण के बदले में राज्य राज्य के लोगों को दे दूंगा। 5मत डर, क्योंकि मैं तेरे साथ हूं; मैं तेरे वंश को पूर्व से ले आऊंगा, और पच्छिम से भी इकट्ठा करूंगा। 6मैं उत्तर से कहूंगा, दे दे, और दक्खिन से कि रोक मत रख; मेरे पुत्रों को दूर से और मेरी पुत्रियों को पृथ्वी की छोर से ले आओ; 7हर एक को जो मेरा कहलाता है, जिस को मैं ने अपनी महिमा के लिये सृजा, जिस को मैं ने रचा और बनाया है॥ 8आंख रहते हुए अन्धों को और कान रहते हुए बहिरों को निकाल ले आओ! 9जाति जाति के लोग इकट्ठे किए जाएं और राज्य राज्य के लोग एकत्रित हों। उन में से कौन यह बात बता सकता वा बीती हुई बातें हमें सुना सकता है? वे अपने साक्षी ले आएं जिस से वे सच्चे ठहरें, वे सुन लें और कहें, यह सत्य है। 10यहोवा की वाणी है कि तुम मेरे साक्षी हो और मेरे दास हो, जिन्हें मैं ने इसलिये चुना है कि समझ कर मेरी प्रतीति करो और यह जान लो कि मैं वही हूं। मुझ से पहिले कोई ईश्वर न हुआ और न मेरे बाद कोई होगा। 11मैं ही यहोवा हूं और मुझे छोड़ कोई उद्धारकर्ता नहीं। 12मैं ही ने समाचार दिया और उद्धार किया और वर्णन भी किया, जब तुम्हारे बीच में कोई पराया देवता न था; इसलिये तुम ही मेरे साक्षी हो, यहोवा की यह वाणी है। 13मैं ही ईश्वर हूं और भविष्य में भी मैं ही हूं; मेरे हाथ से कोई छुड़ा न सकेगा; जब मैं काम करना चाहूं तब कौन मुझे रोक सकेगा॥ 14तुम्हारा छुड़ाने वाला और इस्राएल का पवित्र यहोवा यों कहता है, तुम्हारे निमित्त मैं ने बाबुल को भेजा है, और उसके सब रहने वालों को भगोड़ों की दशा में और कसदियों को भी उन्हीं के जहाजों पर चढ़ाकर ले आऊंगा जिन के विषय वे बड़ा बोल बोलते हैं। 15मैं यहोवा तुम्हारा पवित्र, इस्राएल का सृजनहार, तुम्हारा राजा हूं। 16यहोवा जो समुद्र में मार्ग और प्रचण्ड धारा में पथ बनाता है, 17जो रथों और घोड़ों को और शूरवीरों समेत सेना को निकाल लाता है, (वे तो एक संग वहीं रह गए और फिर नहीं उठ सकते, वे बुझ गए, वे सन की बत्ती की नाईं बुझ गए हैं।) वह यों कहता है, 18अब बीती हुई घटनाओं का स्मरण मत करो, न प्राचीनकाल की बातों पर मन लगाओ। 19देखो, मैं एक नई बात करता हूं; वह अभी प्रगट होगी, क्या तुम उस से अनजान रहोगे? मैं जंगल में एक मार्ग बनाऊंगा और निर्जल देश में नदियां बहाऊंगा। 20गीदड़ और शुतर्मुर्ग आदि जंगली जन्तु मेरी महिमा करेंगे; क्योंकि मैं अपनी चुनी हुई प्रजा के पीने के लिये जंगल में जल और निर्जल देश में नदियां बहाऊंगा। 21इस प्रजा को मैं ने अपने लिये बनाया है कि वे मेरा गुणानुवाद करें॥ 22तौभी हे याकूब, तू ने मुझ से प्रार्थना नहीं की; वरन हे इस्राएल तू मुझ से उकता गया है! 23मेरे लिये होमबलि करने को तू मेम्ने नहीं लाया और न मेलबलि चढ़ा कर मेरी महिमा की है। देख, मैं ने अन्नबलि चढ़ाने की कठिन सेवा तुझ से नहीं कराई, न तुझ से धूप ले कर तुझे थका दिया है। 24तू मेरे लिये सुगन्धित नरकट रूपऐ से मोल नहीं लाया और न मेलबलियों की चर्बी से मुझे तृप्त किया। परन्तु तू ने अपने पापों के कारण मुझ पर बोझ लाट दिया है, और अपने अधर्म के कामों से मुझे थका दिया है॥ 25मैं वही हूं जो अपने नाम के निमित्त तेरे अपराधों को मिटा देता हूं और तेरे पापों को स्मरण न करूंगा। 26मुझे स्मरण करो, हम आपस में विवाद करें; तू अपनी बात का वर्णन कर जिस से तू निर्दोष ठहरे। 27तेरा मूलपुरूष पापी हुआ और जो जो मेरे और तुम्हारे बीच बिचवई हुए, वे मुझ से बलवा करते चले आए हैं। 28इस कारण मैं ने पवित्रस्थान के हाकिमों को अपवित्र ठहराया, मैं ने याकूब को सत्यानाश और इस्राएल को निन्दित होने दिया है॥ तीसरी लहर के डर के बीच क्या ये स्कूल खोलने का सही वक़्त है?
22 जुलाई 2021 इमेज स्रोत, Thinkstock दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल कह चुके हैं कि जब तक राज्य में पूरी आबादी को वैक्सीन नहीं लग जाती, तब तक स्कूल नहीं खुलेंगे. लेकिन अरविंद केजरीवाल के इस फ़ैसले को अब स्वास्थ्य विशेषज्ञ चुनौती दे रहे हैं. मंगलवार को भारत में हुए चौथे देशव्यापी सीरो सर्वे में पता चला है कि 6 से 9 साल के 57 फ़ीसदी बच्चों में एंटीबॉडी मिली है. वहीं 10 से 17 साल के 62 फ़ीसदी बच्चों में एंटीबॉडी मिली है. इस आधार पर तर्क दिया जा रहा है कि अब भारत में प्राइमरी क्लास के बच्चों के लिए स्कूल खोले जा सकते हैं. ग़ौरतलब है कि भारत में ज़्यादातर राज्यों में प्राइमरी स्कूल पिछले साल मार्च से ही बंद हैं. 9वीं-12वीं कक्षा के छात्रों के लिए किसी-किसी राज्य ने थोड़ी छूट दी थी, लेकिन प्राइमरी कक्षा के छात्रों को वो मौक़ा पिछले डेढ़ साल से नहीं मिला है. तीसरी लहर के डर के बीच, आईसीएमआर के सीरो सर्वे की जानकारी अभिभावकों की तरफ़ से मिली-जुली प्रतिक्रिया लेकर आई है. कुछ अभिभावकों के मन में अब भी शंका है. स्कूल खोलने के मुद्दे पर लोकल सर्कल्स नाम के कम्युनिटी सोशल प्लेटफ़ॉर्म ने भारत के 19 हज़ार अभिभावकों पर एक सर्वे किया था. जून में हुए इस सर्वे में 76 फ़ीसदी अभिभावकों ने कहा कि वो अपने बच्चों को स्कूल तब तक नहीं भेजना चाहते, जब तक उनको वैक्सीन न लग जाए या कोविड 19 बीमारी के मामले उनके इलाक़े में शून्य तक न पहुंच जाएं. ऐसे में ये जानना दिलचस्प है कि किस आधार पर स्वास्थ्य विशेषज्ञ प्राइमरी स्कूल खोलने का तर्क दे रहे हैं. स्कूल खोलने के पीछे क्या हैं तर्कबीबीसी ने इस बारे में बात की भारत के जाने माने जन-नीति और स्वास्थ्य तंत्र विशेषज्ञ डॉक्टर चंद्रकांत लहरिया से. हाल ही में कोरोना महामारी पर आई किताब 'टिल वी विन: इंडियाज़ फ़ाइट अगेंस्ट कोविड-19 पैन्डेमिक' के वो सह-लेखक भी हैं. डॉक्टर लहरिया की मानें, तो स्कूल खोलने की शुरुआत प्राइमरी क्लास से करने की ज़रूरत है. वो अपने बयान के पीछे कई तर्क देते हैं.
इतना ही नहीं, दिल्ली के कुछ स्लम क्लस्टर में बच्चों में 80-90 फ़ीसदी एंटीबॉडी पाई गई है. राष्ट्रीय स्तर पर भी ये आंकड़े 55-60 फ़ीसदी के बीच हैं. ये वो वैज्ञानिक तर्क हैं जिनके आधार पर स्वास्थ्य विशेषज्ञ दावा कर रहे हैं कि प्राइमरी क्लास के बच्चों के लिए स्कूल खोलने का भारत में सही वक़्त आ गया है. उनका कहना है कि 9-12वीं के बच्चों के लिए पहले स्कूल खोलने का तर्क वैज्ञानिक आधार पर सही नहीं है. शुरुआत प्री प्राइमरी, प्राइमरी और मिडिल स्कूल से बच्चों से की जानी चाहिए क्योंकि वहाँ ख़तरा कम है. राज्यों में स्कूल खोलने की स्थितिएक तरफ़ जहाँ स्वास्थ्य विशेषज्ञ सेकेंडरी स्कूलों को बाद में और प्राइमरी स्कूलों को पहले खोलने की बात कर रहे हैं, वहीं राज्य सरकारें इसके उलट दिशा निर्देश जारी कर रही हैं. स्कूली शिक्षा राज्यों का विषय है. इस वजह से भारत में अलग-अलग राज्यों में स्कूल बंद रखने को लेकर अलग-अलग स्थिति है. जैसे:-
ऐसे में एक डर माता-पिता के अंदर तीसरी लहर का भी है, जिसमें 40 फ़ीसदी आबादी के लिए कोरोना का ख़तरा अब भी माना जा रहा है. आख़िर उसका क्या? डॉक्टर लहरिया कहते हैं कि फ़ैसला आख़िरकार अभिभावकों को ही लेना है, कि वो बच्चों को स्कूल भेजेंगे या नहीं. हम वैज्ञानिक आधार ही बता सकते हैं. स्कूल न जाने से बच्चों पर असरएम्स के डायरेक्टर रणदीप गुलेरिया ने एक निजी टेलीविज़न चैनल इंडिया टुडे से बातचीत में कहा कि उनके ख़्याल से स्कूलों को खोलने के प्लान पर अब विचार करना चाहिए. इसके पीछे उन्होंने कई तर्क भी गिनाए हैं. जैसे:- बच्चों की पढ़ाई-लिखाई के लिए ही नहीं, बल्कि उनके सर्वांगीण विकास के लिए ये बेहद ज़रूरी है. स्कूलों में मिलने वाली मिड-डे मील योजना से बहुत से बच्चों का पेट भरता है. डिजिटल डिवाइड की वजह से कई ग़रीब बच्चे ऑनलाइन क्लास नहीं कर पा रहे हैं. कई बच्चे इस वजह से स्कूल सिस्टम से निकल चुके हैं, वैसे बच्चों के लिए स्कूल जाकर पढ़ाई करना समय की मांग है. रणदीप गुलेरिया भारत सरकार की तरफ़ से बनाई गई टास्क फ़ोर्स के सदस्य भी हैं. ऐसे में उनकी इस राय को सरकार की राय से जोड़ कर देखा जा रहा है. 'प्रथम' एनजीओ फ़ाउंडेशन की सीईओ रुक्मिणी बनर्जी प्राइमरी शिक्षा क्षेत्र से जुड़ी हैं. बीबीसी से बातचीत में वो कहती हैं, "बच्चे स्कूल केवल पढ़ाई के लिए नहीं जाते. बच्चों का स्कूल जाना सोशल और इमोशनल ग्रोथ के लिए भी ज़रूरी होता है. अपने घर-परिवार से दूर रह कर अपने उम्र के दोस्तो और बच्चों के साथ कैसे रहना होता है, बच्चा स्कूल में ये भी सीखता है." "प्रथम की ओर से तैयार की गई 'असर 2018' की रिपोर्ट बताती है कि ग्रामीण भारत में लगभग 70 फ़ीसदी बच्चे अपनी कक्षा के स्तर से पीछे हैं. उदाहरण के तौर पर तीसरी में पढ़ने वाले बच्चे पिछले डेढ़ साल से स्कूल नहीं गए हैं. उनको तीसरी का पाठ्यक्रम अब देना सही नहीं होगा. बच्चों के 'लर्निंग आउटकम लेवल' को देख कर आज की पढ़ाई शुरू करनी होगी. बच्चों में 'लर्निंग लॉस' ज़रूर हुआ होगा, लेकिनआज हमें 'लर्निंग गेन' की तैयारी करनी होगी."
इमेज स्रोत, SAMIRATMAJ MISHRA/BBC स्कूल खोलने के लिए प्लान ज़रूरीहालांकि रणदीप गुलेरिया एक प्लान के तहत ही राज्यों को स्कूल खोलने की सलाह देते है. इसी तरह की सलाह आईसीएमआर के डीजी बलराम भार्गव भी देते हैं. उनके मुताबिक़ बच्चे जवान लोगों से ज़्यादा बेहतर तरीक़े से कोविड 19 के वायरल लोड को संभाल पाते हैं. हालांकि उन्होंने आगाह ये भी किया कि स्कूल खोलने के पहले कुछ बातों का ध्यान रखा जाए. जैसे :- •पहले प्राइमरी स्कूल से शुरुआत की जाए, फिर सेकेंडरी स्कूलों के बारे में सोचा जाए. •स्कूल के सपोर्टिंग और रेगुलर स्टाफ़ को वैक्सीन पहले से लगा दी जाए. •जिन इलाक़ों में पॉज़िटिविटी रेट कम है, उन्हीं इलाक़ों में प्राइमरी स्कूल खोलने से शुरुआत की जा सकती है. •इसके लिए क्लास रूम में ज़रूरी बदलाव करना होगा. •क्लास में वेंटिलेशन अच्छा होना चाहिए. •कुछ बच्चों को एक दिन और कुछ बच्चों को दूसरे दिन बुलाने पर भी विचार किया जा सकता है. •हफ़्ते में एक से दो दिन के क्लास पर भी विचार किया जा सकता है. बलराम भार्गव ने स्कैन्डिनेवियाई देशों और यूरोप के दूसरे देशों का उदाहरण भी दिया, जहाँ स्कूल कोरोना के किसी भी लहर में बंद नहीं हुए. स्वीडन, फ़्रांस, नीदरलैंड्स और कुछ हद तक सिंगापुर वो देश है, जहाँ बच्चों को स्कूल भेजने के लिए कई तरह के बदलाव किए, लेकिन स्कूल बंद नहीं किए गए. भारत उन देशों से इस मामले में सीख सकता हैं. यहां एक बात ध्यान देने वाली है कि भारत की तुलना इन देशों से नहीं की जा सकती, इस वजह से अपनी आबादी और स्कूलों को ध्यान में रख कर ही क़दम उठाने की ज़रूरत है. |