शुद्ध और विकृत स्वर क्या होते हैं? - shuddh aur vikrt svar kya hote hain?

इसे सुनेंरोकेंआधुनिक ग्रन्थकारों के अनुसार सात शुद्ध स्वरों के अतिरिक्त विकृत स्वरों की संख्या पाँच निश्चित की गई है। संक्षेप में शुद्ध तथा विकृत स्वरों को इस प्रकार समझ सकते हैं। स्वर हैं। इन सात शुद्ध स्वरों में से षड्ज और पंचम ये दो अचल स्वर है क्योंकि ये अपने निश्चित स्थान पर स्थिर रहते हैं, अतः इनके दो रूप नहीं हो सकते ।

शुद्ध कोमल और तीव्र कुल कितने स्वर है?

इसे सुनेंरोकेंषड़ज और पंचम शुद्ध स्वर है, और इनमें किसी प्रकार का विकार नहीं होता । शेष पाँचों स्वर (ऋषभ, गंधर्व, मध्यम, धैवत और निषाद) कोमल और तीव्र दो प्रकार के होते हैं । जों स्वर धीमा और अपने स्थान से कुछ नीचा हो, वह कोमल कहलाता है ।

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वर्जित स्वर क्या है?

इसे सुनेंरोकेंकिसी राग का वर्जित स्वर को उस राग का वीवादी स्वर कहते हैं। कभी-कभी राग की रंजकता बढ़ाने के लिए विवादी स्वर प्रयोग किया जाता है। पर इसकी प्रयोग बहुत सतर्कता पूर्वक किया जाता हैं। इसलिए कोई भी राग में विवादी स्वर का प्रयोग आंशिक रूप में किया जाता हैं ताकि इसके प्रयोग राग की सुंदरता को खराब ना कर दे।

श्रुतियों की संख्या कितनी है?

इसे सुनेंरोकेंसंस्कृत में श्रृ का अर्थ है सुनना। अर्थात जो कानो से सुनी जा सके वह श्रुति है । श्रुति की संख्या २२ है । इन्ही से 7 स्वरों की उत्पति होती है।

कौन सा स्वर तीव्र विकृत होता है?

इसे सुनेंरोकेंइनमें से दो स्वर “सा” और “प” शुद्ध स्वर कहलाते हैं और बाकी पांचों स्वर दो प्रकार के होते हैं — कोमल एवं तीव्र । आपके प्रश्नानुसार तीव्र स्वर पांच होते हैं । स -प शुद्ध होता है । संगीत में तीव्र स्वर में म तीव्र विकृत होता है।

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कोमल स्वर कैसे लिखते हैं?

  1. मध्य सप्तक: सा रे ग म प ध नि कोमल स्वर: रे ग ध नि तीव्र स्वर: म’ या ‘म
  2. मन्द्र सप्तक: .नि .ध .प .म .ग .रे .सा कोमल स्वर: .रे .ग .ध .नि तीव्र स्वर: .म’
  3. तार सप्तक: सां रें गं मं पं धं निं

तीव्र विकृत स्वर की क्या पहचान है?

इसे सुनेंरोकेंजब कोई स्वर अपने स्थान से ऊपर होता है तो उसे तीव्र विकृत स्वर कहते हैं। सिर्फ एक स्वर ऐसा है जो तीव्र विकृत होता है। म तीव्र विकृत होता है।

तीव्र विकृत स्वर कौन सा है?

इसे सुनेंरोकेंभारतीय शास्त्रीय संगीत में जब कोई स्वर अपनी शुद्धावस्था से ऊपर होता है तब उसे तीव्र विकृत स्वर कहते हैं। ऐसा स्वर मध्यम है। जिसे म के लघु रूप में भी जाना जाता है। अनेक रागों में शुद्ध के साथ अथवा केवल तीव्र मध्यम का प्रयोग होता है।

दो रुप कर दिए हैं क्योंकि यह अपनी जगह से हटते रहते हैं । अतः इन्हें विकारी स्वर भी कहते हैं । इन्हें कोमल, तीव्र इन नामों से पुकारते है ।

  किसी स्वर की नीयत आवाज को नीचे उतारने पर वह कोमल स्वर्ग कहलाता है और कोई स्वर अपनी नीयत आवाज से ऊंचा जाने पर तीव्र कहलाता है । रे,,, नी यह चारों स्वर जब अपनी जगह से नीचे हटते हैं तो कोमल बन जाते हैं और जब इन्हें फिर अपने नियत स्थान पर ऊपर पहुंचा दिया जाएगा तो इन्हें तीव्र या शुद्ध कहेंगे । किंन्तु  ‘ म ‘ यानी मध्यम स्वर जब अपने नियत स्थान से हटता है तो वह नीचे नहीं जाता, क्योंकि उसका नियत स्थान पहले ही नीचा है । अत: म स्वर जब हटेगा यानी विकृत होगा तो ऊँचा जाकर म तीव्र कहलाएगा और जब फिर अपने नियत स्थान पर आजाएगा तब कोमल या शुद्ध कहलाएगा । गवैया की साधारण बोलचाल में कोमल स्वरों को “ उतरे स्वर “ और तीव्र स्वरों को “चढे स्वर” कहते हैं । अंग्रेजी भाषा में कोमल स्वर को

सात स्वर, अलंकार सा, रे, ग, म, प ध, नि

Submitted by Anand on 20 June 2021 - 11:53am

राग परिचय

सा और प को अचल स्वर माना जाता है। जबकि अन्य स्वरों के और भी रूप हो सकते हैं। जैसे 'रे' को 'कोमल रे' के रूप में गाया जा सकता है जो कि शुद्ध रे से अलग है। इसी तरह 'ग', 'ध' और 'नि' के भी कोमल रूप होते हैं। इसी तरह 'शुद्ध म' को 'तीव्र म' के रूप में अलग तरीके से गाया जाता है। 
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सुर की समझ गायकी के लिए बहुत जरूरी है.

Submitted by Anand on 1 March 2019 - 6:00am

राग परिचय

सुर की समझ गायकी के लिए बहुत जरूरी है. आईये हम सुर की प्राथमिक जानकारी हासिल करते हैं. 
स्वर
आवाज़ की एक निर्धारित तेजी और चढ़ाव को स्वर बोलते हैं. स्वर को आम बोलचाल की भाषा में सुर भी कहते हैं. 
सप्तक
संगीत में सबसे पहली बात हम सीखते है कि संगीत में कुल सात सुर होते हैं. ये सात सुर सब तरह के संगीत के लिए, चाहे गाने के लिए या बजाने के लिए, सबसे बुनियादी इकाई हैं. इन सात सुरों को तरह तरह के क्रम में लगा कर राग बनते हैं. सात सुरों के इस समूह को सप्तक कहते हैं. सात सुर ये हैं: 
1.स - षडज
2.रे - ऋषभ
3.ग - गंधार 
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संगीत से सम्बन्धित 'स्वर' के बारे में है

Submitted by Pari Mam on 16 July 2018 - 12:58am

भारतीय शास्त्रीय संगीत

संगीत में वह शब्द जिसका कोई निश्चित रूप हो और जिसकी कोमलता या तीव्रता अथवा उतार-चढ़ाव आदि का, सुनते ही, सहज में अनुमान हो सके, स्वर कहलाता है। भारतीय संगीत में सात स्वर (notes of the scale) हैं, जिनके नाम हैं - षड्ज, ऋषभ, गांधार, मध्यम, पंचम, धैवत व निषाद।
यों तो स्वरों की कोई संख्या बतलाई ही नहीं जा सकती, परंतु फिर भी सुविधा के लिये सभी देशों और सभी कालों में सात स्वर नियत किए गए हैं। भारत में इन सातों स्वरों के नाम क्रम से षड्ज, ऋषभ, गांधार, मध्यम, पंचम, धैवत और निषाद रखे गए हैं जिनके संक्षिप्त रूप सा, रे ग, म, प, ध और नि हैं।
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शुद्ध स्वर

Submitted by Anand on 9 June 2018 - 12:06am

राग परिचय

सा, रे, ग, म, प, ध, नि शुद्ध स्वर कहे जाते हैं। इनमें सा और प तो अचल स्वर माने गए हैं, क्योंकि ये अपनी जगह पर क़ायम रहते हैं। बाकी पाँच स्वरों के दो-दो रूप कर दिए गए हैं, क्योंकि ये अपनी जगह पर से हटते हैं, इसलिए इन्हें कोमल व तीव्र नामों से पुकारते हैं। इन्हें विकृत स्वर भी कहा जाता है। Read More : शुद्ध स्वर about शुद्ध स्वर

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विकृत स्वर क्या है?

विकृत स्वर संज्ञा पुं॰ [सं॰] वह स्वर जो अपने नियत स्थान से हटकर दूसरी श्रुतियों पर जाकर ठहरता है ।

शुद्ध स्वर क्या है?

1. शुद्ध स्वर - जब स्वर अपने निश्चित स्थान पर रहते हैं, शुद्ध स्वर कहलाते हैंशुद्ध स्वर की संख्या 7 मानी गयी है। इनके नाम हैं - सा, रे, ग, म, प, ध, नि।

विकृत स्वर की संख्या कितनी होती है?

Detailed Solution. भारतीय संगीत में बारह स्वर हैं, जिनमें सप्त स्वर और विकृत स्वर (कोमल और तीव्र) शामिल हैं। इस प्रकार कुल मिलाकर 12 स्वर - 7 स्वर और 5 विकृत होते हैं।

शुद्ध स्वर कितने प्रकार के होते हैं?

इस तरह सात शुद्ध स्वर, चार कोमल और एक तीव्र मिलकर बारह स्वर तैयार होते हैं। सात स्वरों को 'सप्तक' कहा गया है, लेकिन ध्वनि की ऊँचाई और नीचाई के आधार पर संगीत में तीन तरह के सप्तक माने गये।

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