पूजा-पाठ के दौरान नियम का पालन किया जाता है। खासकर महिलाओं को नियमों का विशेष ध्यान रखना होता है।
Verified by Astrologer Prashant Mishra
हिंदू धर्म में पूजा-पाठ का विशेष महत्व होता है। ऐसे में पूजा के दौरान कई तरह के नियमों का पालन किया जाता है। पूजा के दौरान साफ वस्त्र पहनने से लेकर शुद्धता का काफी ध्यान दिया जाता है। वहीं पूजा के दौरान महिलाओं के लिए भी कई तरह के नियम पालन करने का विधान है। ऐसे में महिलाओं को इन नियमों का पालन करना जरूरी होता है। इनमें से एक नियम पीरियड्स के दौरान महिलाओं को पूजा-पाठ करने की मनाही होती है। इसके अलावा इन दिनों महिलाओं का मंदिर जाना भी वर्जित होता है।
ऐसे में कई बार महिलाएं व्रत रखती है लेकिन तभी पीरियड्स हो तो इस स्थिति में वह पूजा कैसे करें। क्या महिलाओं को पीरियड्स के दौरान पूजा-पाठ करना चाहिए? इस तरह के सवाल अक्सर हमारे मन में आते हैं। अगर आपके दिमाग में भी इस तरह के सवाल आते हैं तो हम इस लेख में आपके सभी सवालों के जवाब देंगे। इस विषय पर अधिक और सटीक जानकारी के लिए हमने जाने माने पंडित, एस्ट्रोलॉजी, कर्मकांड,पितृदोष और वास्तु विशेषज्ञ प्रशांत मिश्रा जी से बातचीत की उन्होंने बताया कि पीरियड्स के दौरान मानसिक रूप से पूजा करना चाहिए। आइए जानते हैं पीरियड्स के दौरान पूजा कैसी करनी चाहिए।
व्रत के दौरान पीरियड होने पर क्या करें ?
कई बार महिलाओं को व्रत के दौरान पीरियड हो जाता है। ऐसे में समझ नहीं आता है कि पूजा करनी है या नहीं। एक्सपर्ट के अनुसार ऐसी स्थिति में व्रत तो करना चाहिए लेकिन उस दौरान आप पूजा नहीं कर सकते हैं। वहीं यह व्रत गिना नहीं जाता है। ऐसे में आप किसी अन्य व्यक्ति से पूजा कराएं।
पीरियड्स के दौरान पूजा-पाठ की क्यों है मनाही?
पीरियड्स के दौरान महिलाओं को पूजा-पाठ नहीं करना चाहिए यह मान्यता प्राचीन काल से चली आ रही है। ऐसा माना जाता है कि उस समय महिलाओं के शरीर में ऊर्जा का संचार अधिक होता है। कहा जाता है कि इस ऊर्जा को भगवान भी नहीं सेहन कर सकते हैं। उदाहरण के लिए जब कोई महिला पीरियड्स के दौरान लगातार तुलसी में जल डालती हैं, तो तुलसी सूख जाती है। उसी तरह भगवान भी इस ऊर्जा को सहन नहीं कर पाते हैं। इसलिए पीरियड्स के दौरान महिलाओं को पूजा-पाठ की मनाही होती है। (पीरियड्स में कैसे करें देखभाल)
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पीरियड्स के दौरान इस तरह करें पूजा
- अगर व्रत या पूजा-पाठ के दौरान पीरियड्स आ जाएं तो ऐसे में महिलाओं को अपना व्रत पूरा करना चाहिए।
- इस दौरान मानसिक रूप से भगवान की आस्था करनी चाहिए।
- पूजा-पाठ के दौरान दूर बैठकर किसी अन्य व्यक्ति से पूजा करवा सकती हैं।
- इस दौरान पूजा-पाठ के सामान को नहीं छूना चाहिए।
- पीरियड्स के दौरान आप मन में मंत्रों का जाप कर सकती हैं।
पीरियड्स के कितने दिन बाद करें पूजा
कहा जाता है कि पीरियड्स के 5वें दिन आप हेयर वॉश करके पूजा में शामिल हो सकती हैं। कुछ महिलाओं के पीरियड्स 7 दिनों तक चलते हैं लेकिन जरूरी पूजा-पाठ में आप 5 दिन बाद पूजा कर सकती हैं। (पूजा करने का सही नियम)
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पीरियड्स के दौरान पूजा के अलावा इन चीजों की है मनाही
पीरियड्स के दौरान महिलाओं को कई तरह के नियम का पालन करना पड़ता है। इस दौरान महिलाओं को आचार छूने के लिए मना किया जाता है। ऐसा कहा जाता है इससे आचार खराब हो सकता हैं। वहीं कुछ जगह पर किचन में खाने बनाने को लेकर भी मना किया जाता है।
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पीरियड्स के दौरान एक महिला को अपवित्र माना जाता है, उसके लिए कई तरह के नियम बनाए गए हैं जिनका उसको पालन करना होता है. पीरियड्स के दौरान पूजा न करने का भी एक नियम है, जानिए इसके पीछे की वजह.
पीरियड्स के दौरान पूजा के नियम
हिंदू धर्म (Hindu Religion) में महिलाओं के लिए पीरियड्स के दौरान कई तरह के नियम बनाए गए हैं. इन नियमों के अनुसार महिला को पीरियड्स (Periods) के दिनों में पूजा पाठ करने, मंदिर जानें की मनाही है. ऐसे में अक्सर महिलाओं के मन में एक सवाल उठता है कि जो शक्ति एक महिला को सृजन करने की क्षमता देती हो, वो आखिरकार अपवित्र क्यों मानी जाती है ? वहीं अगर कोई महिला किसी व्रत (Fast) को पूरी श्रद्धा के साथ रखे और उसे अचानक पीरियड आ जाए तो वो क्या करे, क्या ऐसी स्थिति में उसका व्रत मान्य नहीं होगा? इस तरह के सवाल अगर आपको भी परेशान करते हैं, तो यहां हम आपकी इस उलझन को समाप्त करेंगे.
जानिए पीरियड्स के दौरान पूजा की मनाही क्यों
पुराने समय में जो भी मान्यताएं बनाई गई हैं, उनके पीछे कोई न कोई वैज्ञानिक तथ्य था. लेकिन उस तथ्य को न तो समझने का प्रयास किया गया और न ही समझाया गया, इसलिए वो मान्यता अंधविश्वास और कुप्रथा में बदल गई. पीरियड्स के दौरान पूजा पाठ न करने के पीछे वजह ये है कि पुराने समय में पूजा पद्धति मंत्रोच्चार के बिना पूरी नहीं होती थी. इसके अलावा बड़े बड़े अनुष्ठान किए जाते थे, जिसमें काफी समय और ऊर्जा खर्च होती थी. मंत्रोच्चार को पूरी शुद्धता के साथ किया जाता था. पीरियड्स के दौरान महिलाओं के शरीर में कई तरह के हार्मोनल बदलावों के चलते काफी दर्द और थकान जैसी रहती है. ऐसे में महिला के लिए लंबे समय तक बैठकर मंत्रोच्चारण या अनुष्ठान करना संभव नहीं होता था.
इसके अलावा पूजा में हमेशा शुद्धता का खयाल रखा जाता है. लेकिन पुराने समय में पीरियड्स के दिनों में स्वच्छता को बनाए रखने के बहुत साधन भी नहीं हुआ करते थे. इस कारण महिला के वस्त्र वगैरह कई बार खराब हो जाते थे. ऐसे में महिला को आराम देने के लिए उसे पीरियड्स के दिनों में पूजा न करने की छूट दे दी गई थी और वो अपना पूरी तरह खयाल रख सके, इस कारण उसे रहने के लिए एक अलग कक्ष या जगह दी जाती थी. बिस्तर खराब न हों, इस कारण महिला जमीन पर अपना अलग बिस्तर बिछाकर सोती थी. लेकिन मानसिक पूजा और जाप की कभी मनाही नहीं थी. समय बीतता गया लेकिन लोगों ने इन वजहों को जानने का प्रयास नहीं किया इसलिए ये एक रुढ़िवादी सोच बन गई. देखा जाए तो आज के समय में पीरियड्स के दौरान स्वच्छता और ऊर्जा दोनों को बनाए रखने के तमाम साधन हैं. ऐसे में वजह को समझकर नियमों में बदलाव करने की जरूरत है.
व्रत के दौरान पीरियड्स आने पर क्या करें
– अगर आपने कोई व्रत रखा है और आपको बीच में ही पीरियड्स आ जाएं तो भी आपको अपना व्रत पूरा करना चाहिए. पीरियड्स के दौरान भी आपके मन में ईश्वर के प्रति आस्था कम नहीं होती और ईश्वर सिर्फ उस आस्था को ही समझता है. भगवान के लिए मन की शुद्धता सबसे ज्यादा जरूरी है, शारीरिक शुद्धता उसके बाद आती है.
– व्रत के दौरान अगर आपने किसी विशेष पूजा का संकल्प लिया है और पीरियड्स आ गए हैं तो आप दूर बैठकर उस धार्मिक काम को किसी अन्य व्यक्ति के जरिए करवा सकती हैं.
– पीरियड्स के दौरान भी व्रत के सभी नियमों का पालन करें. प्रभु के मंत्र का अधिक से अधिक मनन करें और कोई विशेष पाठ पढ़ना चाहती हैं तो फोन के जरिए उस पाठ को पढ़ सकती हैं. बस स्वच्छता का खयाल रखें. स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनकर ही पाठ करें.
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