मुंडन का वैज्ञानिक कारण क्या है? - mundan ka vaigyaanik kaaran kya hai?

भारत एक ऐसा देश है जहां कई धर्म और समुदाय के लोग रहते हैं। हिंदू धर्म की बात करें तो इसके कई नियम और कायदे होते हैं। इसमें एक बच्चों का मुंडन कराना भी शामिल है। मुंडन को हिंदू धर्म में 16 संस्कारों में से एक माना जाता है। आप ने देखा होगा कि लोग अक्सर अपने बच्चों का जन्म के कुछ समय बाद (सामान्यतः पहले या तीसरे वर्ष में) मुंडन करवाते हैं। इस दौरान बच्चे के बाल उतारकर यज्ञ करवाया जाता है। इसे ही मुंडन संस्कार कहते हैं।

लेकिन क्या आप जानते हैं कि ये मुंडन आखिर क्यों करवाया जाता है? बच्चे का मुंडन करवाने को लेकर लोग अक्सर धार्मिक तर्क देते हैं। लेकिन कुछ पढ़े लिखे लोग इन तर्कों की हंसी उड़ाते हैं। इसे अंधविश्वास या दिखवा कहते हैं। लेकिन इस मुंडन के पीछे सिर्फ धार्मिक ही नहीं बल्कि वैज्ञानिक कारण भी है। आज हम आपको बच्चों का मुंडन (Mundan Ceremony) कराने का वैज्ञानिक कारण बताने जा रहे हैं।

किटाणुओं का खात्मा

एक बच्चा 9 महीने मां के गर्भ में रहता है। जब वह बाहर आता है तो उसके सिर में कई तरह के किटाणु रहते हैं। ये किटाणु और बैक्टेरिया शैंपू करने के बाद भी नहीं जाते हैं। इसलिए बच्चों का मुंडन करवाया जाता है। उनके बाल मुंडवा देने के बाद सिरसे सारे जर्म्स और बैक्टेरिया दूर हो जाते हैं। इस तरह बच्चा इन जर्म्स के चलते बार-बार बीमार भी नहीं पड़ता है।

फोड़े, फुंसी, दस्त में राहत

जब बच्चों का मुंडन किया जाता है तो उसका बॉडी टेम्परेचर अच्छे से कंट्रोल होता है। इससे बच्चे को फोड़े, फुंसी और दस्त जैसी बीमारियाँ नहीं होती है। इससे उसका सिर ठंडा भी हो जाता है। शरीर में अतिरिक्त गर्मी नहीं बढ़ती है। वह सेहतमंद रहता है। उसकी हेल्थ सुधरती है।

दिमाग का विकास

जब बच्चे का मुंडन होता है तो उसके सिर के सभी बाल हट जाते हैं। इस कारण सूरज की रोशनी सीधा उसके माथे पर पड़ती है। धूप की वजह से उसके दिमाग का विकास अच्छा होता है। ये धूप बच्चों की कोशिकाएं एक्टिव करती है। वहीं इससे नसों में खून का बहाव भी अच्छे से होने लगता है।

दांत आने में नहीं होती तकलीफ

बच्चों के जब दांत निकलते हैं तो उन्हें कई तकलीफों का सामना करना पड़ता है। इसमें दस्त होना सबसे आम बात है। वहीं उन्हें बुखार भी आ जाता है। लेकिन जब उसका मुंडन करवा लिया जाता है तो उसे दांत आने में ज्यादा तकलीफों को नहीं सहन करना पड़ता है।

हम मुंडन (Mundan) क्यों करते हैं? इसको आंख बंद कर फ़ॉलो करने के बजाय इस पर कुछ शोध करें. मुंडन संस्कार की प्रथा सदियों पुरानी है. लेकिन क्या इस समारोह के पीछे कोई वैज्ञानिक कारण है? ऐसा कहा जाता है कि बिना बालों के सूरज की रोशनी के संपर्क में आने पर विटमैन डी बच्चे के शरीर में तेजी से अवशोषित होता है....

Socially Team Latestly| Jan 18, 2022 01:43 PM IST

Mundan Benefits: हम मुंडन (Mundan) क्यों करते हैं? इसको आंख बंद कर फ़ॉलो करने के बजाय इस पर कुछ शोध करें. मुंडन संस्कार की प्रथा सदियों पुरानी है. लेकिन क्या इस समारोह के पीछे कोई वैज्ञानिक कारण है? ऐसा कहा जाता है कि बिना बालों के सूरज की रोशनी के संपर्क में आने पर विटमैन डी बच्चे के शरीर में तेजी से अवशोषित होता है. यहां तक कि डॉक्टर भी नवजात शिशुओं को सुबह बिना कपड़ों के धूप में रखने की सलाह देते हैं. नीचे मुंडन के कई फायदे दिए गए हैं, जिनके बारे में आप जान सकते हैं.

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Mundan Mundan Benefits Scientific reason behind mundan मुंडन मुंडन के पीछे वैज्ञानिक कारण मुंडन के फायदे

हेल्थ डेस्क: हिंदू धर्म अपनी परंपराओं और रस्मों के कारण अपनी अलग ही छाप छोड़ता है। कई ऐसी मान्यताएं भी है जिनका होने का कारण की लोगों को नहीं मालूम होता है। फिर भी वह मान्यताएं मानते है। इन्हीं में से एक मान्यता है मुंडन संस्कार। इसका होने का क्या पौराणिक कथा या क्या परंपरा है। लेकिन मुंडन संस्कार कराने से स्वास्थ्य में जरुर प्रभाव पड़ता है।

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हिंदू धर्म में मुंडन संस्कार में बच्चे की उम्र के पहले वर्ष के अंत में या तीसरे, पांचवें या सातवें वर्ष के पूर्ण होने पर उसके बाल उतारे जाते हैं और यज्ञ किया जाता है जिसे मुंडन संस्कार या चूड़ाकर्म संस्कार कहा जाता है। जानिए इसके कराने के पीछे क्या है वैज्ञानिक कारण।

बैक्टीरिया को को करें खत्म

वैज्ञानिक तथ्य के अनुसार जब बच्चा मां की गर्म में होता है, तो उसके सिर के बालों पर अधिक मात्रा में बैक्टीरिया, जीवाणु आदि होते है। जोकि साधारण धोने से नहीं जाते है। इसलिए बच्चें का मुंडन कराने की प्रथा है।

माइंड को रखें ठंडा
शिशु को जन्म के बाद भी मां की गर्मी की जरुरत होती है। जोकि किसी दूसरे इंसान से नहीं मिल सकती है। वही एक उम्र के बाद इस गर्मी की जरुरत नहीं होती है। जिसके कारण मुंडन कराया जाता है। जिससे कि यह गर्मी खत्म हो जाएं। इससे दिमाग व सिर ठंडा रहता है व बच्चों में दांत निकलते समय होने वाला सिर दर्द व तालु का कांपना बंद हो जाता है। शरीर पर और विशेषकर सिर पर विटामिन-डी (धूप के रूप) में पड़ने से कोशिकाएं जाग्रत होकर खून का प्रसारण अच्छी तरह कर पाती हैं जिनसे भविष्य में आने वाले बाल अच्छे होते है।

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