मन का प्रारंभिक दूध बच्चे के लिए क्यों आवश्यक है? - man ka praarambhik doodh bachche ke lie kyon aavashyak hai?

कोलोस्ट्रम शिशु के जन्म के बाद वाला मां का पहला दूध होता है, जो कि गहरे पीले रंग का होता है। यह दूध पोषक तत्वों और एंटीबॉडिज़ से भरपूर होता है, जो कि बच्चे को पूरा पोषण प्रदान करता है तथा यह बच्चे को बीमारी और संक्रमण से भी बचाता है।

स्तनपान बच्चे के लिए क्यों महत्वपूर्ण है?

  • यह बच्चे के लिए आवश्यक पोषण की उचित मात्रा प्रदान करता है। 
  • यह बच्चे को संक्रमण और बीमारी से बचाता है। 
  • यह उम्र के पहले वर्ष के दौरान बच्चे के लिए बेहतर जीवन सुनिश्चित करता है, क्योंकि इस अवधि के दौरान बच्चे को संक्रमण की संभावना अधिक होती है।

मां के लिए स्तनपान के क्या लाभ हैं?

यह निश्चित स्वास्थ्य स्थितियों जैसे कि अवसाद, हृदय रोग, कैंसर-डिम्बग्रंथि के कैंसर और स्तन कैंसर के ज़ोखिम के ख़तरे को कम करने में मदद करता है। यह प्रसव के बाद मां का वज़न कम करने में भी मदद करता है।

मां को स्तनपान कब तक कराना चाहिए?

स्तनपान विशेषत: जन्म के बाद 6 महीने तक कराना जारी रखा जाना चाहिए। फिर इसे अन्य पूरक आहार के साथ 2 वर्ष की अवस्था तक या उससे अधिक तक जारी रखा जाना चाहिए।

पहले कुछ हफ्तों में कितनी बार स्तनपान कराना चाहिए?

स्तनपान, बच्चे की भूख या दिन में 8 बार या 2 से 3 घंटे पर शिशु की आवश्यकता के अनुसार कराना चाहिए।

स्तनपान कैसे कराया जाता है?

स्तनपान एक तकनीक है, जिसमें बच्चे को सही स्थिति में रखा जाना चाहिए। यह शिशु को स्तनपान के लिए स्तन पकड़ने में मदद करता है। 

क्या मां को दोनों स्तनों का उपयोग करना चाहिए?

यदि बच्चा स्तनपान के दौरान पहले स्तन से दूध पीना समाप्त कर देता हैं, तो बच्चे को दूसरे स्तन से दूध पिलाया जाना चाहिए, क्योंकि प्रत्येक स्तनपान के दौरान आगे वाला दूध (प्यास मिटाने वाला दूध) और पीछे वाला दूध (वसा युक्त दूध) दो प्रकार का दूध होता है। दोनों बच्चे के लिए आवश्यक हैं।

क्या स्तनपान कराने वाली मां के लिए धूम्रपान, पीना या दवाओं का उपयोग करना सुरक्षित है?

स्तनपान कराने वाली मां को हमेशा अल्कोहल और तंबाकू से बचना चाहिए। स्तनपान कराने वाली माँ को हमेशा किसी भी तरह की दवा का सेवन करने से पहले चिकित्सक से परामर्श करना चाहिए, क्योंकि कुछ दवाएं आसानी से मां के दूध के माध्यम से शिशु में पारित होती हैं तथा बच्चे को नुकसान पहुंचा सकती हैं।

मां के दूध को कैसे पंप और संग्रहित किया जाना चाहिए?

यदि माँ बच्चे को सीधे स्तनपान करने में असमर्थ है, तो मां का दूध हाथ के दवाब, मैनुअल पंप या बिजली स्तन पंप के साथ पंपित किया जा सकता हैं। इसे रिफ्रिजरैशन में 3 से 8 दिनों के लंबे समय के लिए संग्रहीत किया जाना चाहिए। दूध को उपयोग करने से पहले गर्म पानी के तहत रखकर गर्म करें, लेकिन दूध गर्म करने के लिए माइक्रोवेव का उपयोग न करें।

स्तनपान के बारे में कुछ सामान्य गलतफ़हमियां क्या हैं?

सामान्य गलतफ़हमियां निम्नलिखित है -

  • "लगातार स्तनपान कराने से ख़राब दूध पैदा होता है"। 
  • "माँ का पहला दूध (कोलोस्ट्रम) बच्चे के लिए अच्छा नहीं होता है"।  
  • शिशु को 5 से 10 मिनट में स्तनपान के माध्यम से आवश्यतानुसार समस्त दूध मिल जाता है। 
  • स्तनपान कराने वाली मां को दूध पिलाने के दौरान समय अंतराल रखना चाहिए ताकि स्तन में दोबारा दूध तैयार होने के लिए समय मिल जाएँ।

इन आधारहीन गलतफ़हमियों को दूर किया जाना चाहिए।

दूध छुड़ाना अन्य खाद्य पदार्थों व तरल पदार्थों के साथ धीरे-धीरे स्तनपान कम कराने की प्रक्रिया है, जिसे जन्म के पहले 6 महीने के बाद शुरू किया जाना चाहिए।

पशु पालकों कोदय्री फार्मिंग से पूरा लाभ उठाने के लिए नवजात बछडियों की उचित देखभाल व पालन-पोषण करके उनकी मृत्यु डर घटना आवश्यक है| नवजात बछडियों को स्वत रखने तथा उनकी मृत्यु डर कम करने के लिए हमें निम्नलिखित तरीके अपनाने चाहिए:
  1. 1.गाय अथवा भैंस के ब्याने के तुरन्त बाद बच्चे के नाक व मुंह से श्लैष्मा व झिल्ली को साफ कर देना चाहिए जिससे बच्चे के शरीर में रक्त का संचार सुचारू रूप से हो सके|
  2. 2.बच्चे की नाभि को ऊपर से 1/2 इंच छोडकर किसी साफ कैंची से काट देना चाहिए तथा उस पर टिंचर आयोडीन लगानी चाहिए|
  3. 3.जन्म के 2 घंटे के अन्दर बच्चे को माँ का पहला दूध (खीस) अवश्य पिलाना चाहिए| खीस एक प्रकार का गढा दूध होता है जिसमें साधारण दूध की अपेक्षा विटामिन्स, खनिज तथा प्रोटीन्स की मात्रा अधिक होती है| इसमें रोग निरोधक पदार्थ जिन्हें एन्टीवाडीज कहते हैं भी प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं|एन्तिबडीज नवजात बच्चे को रोग ग्रस्त होने से बचाती है|खीस में दस्तावर गुण भी होते हैं जिससे नवजात बच्चे की आंतों में जन्म से पहले का जमा मल (म्युकोनियम) बाहर निकल जाता है तथा उसका पेट साफ हो जाता है| खीस को बच्चे के पैदा होने के 4-5 दिन तक नियमित अंतराल पर अपने शरीर के बजन के दसवें भाग के बराबर पिलाना चाहिए| अधिक मात्र में खीस पिलाने से बच्चे को दस्त लग सकते हैं|
  4. 4.यदि किसी कारणवश (जैसे माँ की अकस्मात् मृत्यु अथवा माँ का अचानक बीमार पड़ जाना आदि) खीस उपलब्ध न हो तो किसी और पशु की खीस को प्रयोग किया जा सकता है| और यदि खिन और भी यह उपलब्ध न हो तो नवजात बच्चे को निम्नलिखित मिश्रण दिन में 3-4 बार दिया जा सकता है| 300 मि.ली. पानी को उबाल कर ठंडा करके उसमें एक अंडा फेंट लें| इसमें 600 मि.ली.साधारण दूध व आधा चमच अंडी का तेल मिलाएं| फिर इस मिश्रण में एक चम्मच फिश लिवर ओयल तथा 80मि.ग्रा.औरियोमायसीन पाउडर मिलाएं| इस मिश्रण को देने से बच्चे को कुछ लाभ हो सकता है लेकिन फिर भी यह प्राकृतिक खीस की तुलना नहीं कर सकता क्योंकि प्राकृतिक खीस में पाई जाने वाली एंटीबाड़ीज नवजात बच्चे को रोग से लड़ने की क्षमता प्रदान करती है| खीस पीने के दो घंटे के अन्दर बच्चा म्युकोनियम (पहला मल) निकाल देता है लेकिन ऐसा न होने पर बच्चे को एक चम्मच सोडियम बाईकार्बोनेट को एक लीटर गुनगुने पानी में घोल कर एनीमा दिया जा सकता है|
  5. 5.कई बार नवजात बच्चे में जन्म से ही मल द्वार नहीं होता इसे एंट्रेसिया एनाई कहते हैं| यह एक जन्म जात बिमारी है तथा इसके कारण बच्चा मल विसर्जन नहीं कर सकता और वह बाद में मृत्यु का शिकार हो जाता हैं| इस बीमारी को एक छोटी सी शल्य क्रिया द्वारा ठीक किया जा सकता है| मल द्वार के स्थान पर एक +के आकार का चीर दिया जाता है तथा शल्य क्रिया द्वारा मल द्वार म्ब्नाक्र उसको मलाशय (रेक्टम) से जोड़ दिया जात है जिससे बच्चा मल विसर्जन करने लगता है| यह कार्य पशुपालक को स्वयं न करके नजदीकी पशु चिकित्सालय में करना चाहिए क्योंकि कई बार इसमें जटिलतायें पैदा हो जाती है|
  6. 6.कभी-कभी बच्छियों में जन्म से ही चार थनों के अलावा अतिरिक्त संख्या में थन पाए जाते है| अतिरिक्त थनों को जन्म के कुछ दिन बाद जीवाणु रहित की हुई कैंची से काट कर निकाल देना चाहिए| इस क्रिया में सामान्यत: खून नहीं निकलता| अतिरिक्त थनों को न काटने से बच्छी के गाय बनने पर उससे दूध निकालते समय कठिनाई होती है|
  7. 7.यदि पशु पालक बच्चे को माँ से अलग रखकर पालने की पद्यति को अपनाना चाहता है तो उसे बच्चे को शुरू से ही बर्तन में दूध पीना सिखाना चाहिए तथा उसे मन से जन्म से ही अलग कर देना चाहिए|इस पद्यति में बहुत सफाई तथा सावधानियों की आवश्यकता होती है जिनके बिना बच्चों में अनेक बिमारियों के होने की सम्भावना बढ़ जाती है|
  8. 8.नवजात बच्चों को बड़े पशुओं से अलग एक बड़े में रखना चाहिए ताकि उन्हें चोट लगने का खतरा न रहे| इसके अतिरिक्त उनका सर्दी व गर्मीं से भी पूरा बचाव रखना आवश्यक है|

मां का प्रारंभिक दूध बच्चों के लिए क्यों आवश्यक है?

माँ के दूध में आवश्यक पोषक तत्व, खनिज, विटामिन, प्रोटीन, वसा, एंटीबाडीज और ऐसे प्रतिरोधक कारक मौजूद होते हैं, जो नवजात शिशु के सम्पूर्ण विकास और स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है। शिशु के जन्म के छह माह बाद तक माँ का दूध ही बच्चे के लिए सम्पूर्ण आहार की सभी जरूरतें पूरी करता है।

मां का दूध बच्चे के लिए कितना फायदेमंद है?

मां के पहले दूध में कोलोस्ट्रम नाम का फ्लूइड होता है, जो कि बच्चे के लिए अमृत समान होता है. इसमें प्रोटीन और अन्य पोषक तत्वों की भरमार होती है. इम्यून सिस्टम को मजबूत करने वाली एंटीबॉडीज मिलती हैं. यह शिशु को कई संक्रमणों से बचाव प्रदान करती हैं.

मां के दूध शिशु के लिए क्यों हितकारी है?

माँ के दूध में कोलेस्ट्रॉम का उत्पादन होता है जिसमें प्रोटीन, कैल्सियम, एन्टीबॉडी, लिपिड, कार्बोहाइड्रेड, मिनरल और बहुत सारे पौष्टिक तत्व होते हैं जो शिशु के शारीरिक और आंतरिक विकास के लिए ज़रूरी होता है।

प्रसवोपरांत प्रारंभिक दूध क्या है?

माँ के पहले दूध से मिलता है कोलोस्ट्रम कोलोस्ट्रम गाढ़ा, चिपचिपा और पीले रंग का होता है। यह धीरे-धीरे प्रसव के बाद के कुछ हफ्तों में परिपक्व दूध में बदल जाता है। इसमें वसा की मात्रा कम होती है जबकि, कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन और एंटीबॉडी की मात्रा अधिक होती है। यह बच्चे की इम्युनिटी बढ़ाने में मदद करता है।

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