Mayer Ka Chunav Kaun Karta Hai
GkExams on 12-05-2019
पद: मेयर, सीनियर डिप्टी मेयर और डिप्टी मेयर पद के लिए चुनाव होता है।
प्रक्रिया: जनता के चुने हुए और निर्वाचित पार्षद तथा सांसद वोट डाल कर चुनते हैं। जनता द्वारा निर्वाचित पार्षद ही उक्त तीनों पदों के लिए चुनाव लड़ सकते हैं। इस समय जनता द्वारा चुने गए 25 पार्षद हैं और 9 मनोनीत हैं।
कार्यकाल: मेयर का कार्यकाल एक साल का होता है। नगर निगम के चुनाव हर पांच साल बाद होते हैं।
आरक्षण
नगर निगम के पांच साल के कार्यकाल में पहले और चौथे साल का मेयर का पद महिला पार्षद के लिए आरक्षित होता है। दूसरे वर्ष और पांचवें वर्ष का कार्यकाल जनरल, तीसरे वर्ष का अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित होता है।
सम्बन्धित प्रश्न
Comments rashid on 30-10-2022
umra tur price
Athar on 19-01-2022
Kisi Nagar ka Mayor chunav Kaun karta hai
राजकुमार on 17-12-2021
किसी नगर निगम के मेय्रर का चुनवा कौन करता है
Payal on 26-08-2021
Kisi nagar nigam ke mayor ka chunav kon karta hai?
Mayer kaun hota hai on 07-08-2021
Mayer kaun hota hai
Rakesh sahni on 18-03-2021
Kisi Nagar Nigam ke mayor ka chunav Kaun karta hai
Hii on 25-01-2021
Sabse jada koila kiss das ma hota hi
Chandramohan on 20-01-2021
किसी मेयर का चुनाव कौन करता है?
Kumkum on 04-12-2020
Kisi nager nigam maiyer ka chunaw kon karta h
Bharti on 26-09-2020
Nagar palika me chairman ka selection Kon krta h
Asfakalam on 04-02-2020
Kisi nagar nigar me meyar ka chunaw kon karta hai
shravan kumar on 04-02-2020
किसी नगर निगम के मेयर का चुनाव कौन करता है
Shiv kumar on 04-02-2020
Kisi nagar nigam me meyar ka chunaw kaon karta hai
neha on 12-05-2019
Mahapor ka chunav kon karata hai
Manoj Manoj Manoj on 17-11-2018
Nagar Palika ki gathan evam karoon ka Pariksha Karan kijiy
हाइलाइट्स
पहले साल महिला के लिए मेयर पद आरक्षित
तीसरे साल एससी के लिए मेयर पद आरक्षित
दिल्ली नगर निगम चुनाव के नतीजे आ गए हैं. नतीजों के बाद अब मेयर को लेकर जंग तेज हो गई है. हार के बाद भी बीजेपी ने अपना मेयर होने का दावा किया है तो आम आदमी पार्टी मेयर पद को लेकर आश्वस्त है. लेकिन अगर नियमों पर नजर डालें तो सिर्फ चुनाव में जीत से मेयर का पद तय नहीं होता है. मेयर बनाने का काम सिर्फ पार्षदों के हाथ में है. एमसीडी के कुछ नियम ऐसे हैं, जिसकी वजह से बीजेपी मेयर पद को लेकर उत्साहित है. चंडीगढ़ नगर निगम चुनाव में हार के बाद भी बीजेपी ने अपना मेयर बनाया है. इसलिए बीजेपी के दावे को लेकर हलचल तेज हो गई है.
AAP की जीत, मेयर पर बीजेपी का दावा-
एमसीडी चुनाव में आम आदमी पार्टी को पूर्ण बहुमत मिला है. जबकि बीजेपी दूसरी बड़ी पार्टी बनी है. एमसीडी चुनाव में सबसे खराब प्रदर्शन कांग्रेस का रहा है. कांग्रेस दहाई का आंकड़ा भी नहीं छू पाई है. आम आदमी पार्टी ने 134 सीटों पर जीत दर्ज की है. बीजेपी
को 104 सीटों पर जीत हासिल हुई है. जबकि कांग्रेस के खाते में सिर्फ 9 सीटें आई हैं. भले ही सीटों में बीजेपी पिछड़ गई है. लेकिन पार्टी ने मेयर पद पर दावा ठोका है. बीजेपी नेता अमित मालवीय ने ट्वीट किया और कहा कि मेयर कौन बनता है? ये इसपर निर्भर है कि पार्षद किस तरह से मतदान करते है. मालवीय ने चंडीगढ़ में बीजेपी का मेयर चुने जाने का उदाहरण दिया.
क्या बीजेपी का हो सकता है मेयर-
एमसीडी में AAP की जीत हुई है. उसे पूर्ण बहुमत मिला है. लेकिन इसके बावजूद ये तय नहीं है कि आम आदमी
पार्टी का ही मेयर बनेगा. क्योंकि एमसीडी में मेयर चुनने का नियम अलग है. इन नियमों की वजह से बीजेपी को बल मिला है. फिलहाल AAP के 134 पार्षद जीतकर आए हैं. जबकि बीजेपी के पास 104 पार्षद हैं. लेकिन मेयर का चुनाव एमसीडी की बैठक में पार्षद करेंगे. अगर चुनाव में क्रॉस वोटिंग होती है तो किसी भी पार्टी का मेयर बन सकता है.
मेयर चुनाव में दल बदल कानून लागू नहीं-
दिल्ली में मेयर के चुनाव में दल बदल कानून लागू नहीं होगा. इसका मतलब है कि पार्षद किसी भी मेयर उम्मीदवार को वोट कर सकते
हैं. दरअसल कानून है कि नगर निकाय चुनाव में दल बदल कानून लागू नहीं होता है. अगर कोई पार्षद क्रॉस वोटिंग करता है तो उसे अयोग्य घोषित नहीं किया जा सकता.
मेयर के चुनाव में केंद्र की भूमिका-
एमसीडी एक्ट की धारा 53 के मुताबिक हर वित्तीय वर्ष की पहली बैठक में महापौर का चुनाव होता है. यानी की अप्रैल महीने में पहली वित्तीय बैठक होती है. लेकिन इस बार चुनाव दिसंबर महीने में हुए हैं. इसलिए मेयर चुनने का अधिकार स्वत: ही केंद्र सरकार के पास चला गया है. अब केंद्र सरकार की भूमिका बढ़
गई है. नियम के मुताबिक एमसीडी के कमिश्नर चीफ सेक्रेटरी के जरिए एलजी को बैठक बुलाने और मेयर के चुनाव के लिए प्रिसाइडिंग ऑफिसर नियुक्त करने को लिखेंगे. इसको लेकर ये भी परंपरा है कि एलजी गृहमंत्रालय से हरी झंडी के बाद ही इसे मंजूरी देते हैं. जब तक महापौर का चुनाव नहीं होता है तब तक केंद्र सरकार के जरिए विशेष अधिकारी की नियुक्ति की जा सकती है. जो महापौर के चुनाव तक एमसीडी के कामकाज को देख सके. केंद्र सरकार ने मई 2022 में आईएएस अधिकारी अश्विनी कुमार को एकीकृत एमसीडी के लिए विशेष अधिकारी नियुक्त किया
है.
मेयर के लिए कौन करता है वोटिंग-
दिल्ली में मेयर के चुनाव में सिर्फ पार्षद ही वोट नहीं डालते हैं. इसमें दिल्ली के सांसद भी वोट करते हैं. इसका मतलब है कि 250 पार्षद, 7 लोकसभा सासंद और 3 राज्यसभा सासंद मिलकर मेयर का चुनाव करेंगे. इसके अलावा विधानसभा अध्यक्ष के मनोनीत 14 विधायक भी मेयर पद के लिए वोट डालते हैं. इसलिए दिल्ली में मेयर बनने के लिए 138 वोट पाना जरूरी है. आपको बता दें कि दिल्ली में सातों लोकसभा सांसद बीजेपी के हैं, जबकि तीनों राज्यसभा सांसद आम आदमी
पार्टी के हैं.
कैसे होता है मेयर का चुनाव-
एमसीडी एक्ट के मुताबिक चुनाव के बाद जब सदन की पहली बैठक होती है. तब मेयर के चुनाव की प्रकिया शुरू होती है. पहले मेयर पद के लिए नामांकन होता है और उसके बाद पार्षद वोटिंग के जरिए मेयर चुनते हैं. दिल्ली में पार्षदों का कार्यकाल 5 साल के लिए होता है. लेकिन मेयर का कार्यकाल सिर्फ एक साल के लिए होता है. पार्षद हर साल नया मेयर चुनते हैं.
पहले साल महिला ही मेयर-
दिल्ली नगर निगम एक्ट के मुताबिक पहले साल
महिला मेयर होना अनिवार्य है. पहले साल के लिए मेयर का पद महिला पार्षद के लिए आरक्षित है. इतना ही नहीं, ये भी तय है कि तीसरे साल अनुसूचित जाति का ही मेयर होगा. बाकी बचे 3 सालों के लिए मेयर का पद अनारक्षित है. कोई भी पार्षद मेयर का चुनाव लड़ सकता है.
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