गति के प्रथम समीकरण कौन सा है? - gati ke pratham sameekaran kaun sa hai?

इसे सुनेंरोकेंगति का पहला समीकरण प्रारंभिक वेग, अंतिम वेग, त्वरण और समय के बीच संबंध दर्शाता है। गति का पहला समीकरण, एक वस्तु द्वारा किसी निश्चित समय बिंदु पर लगने वाले वेग का मान है। गति का दूसरा समीकरण s = ut + ½at2 के रूप में दिया गया है। यह एक निश्चित समय t में किसी वस्तु द्वारा यात्रा की गई दूरी (s) का मान देता है।

एक समान त्वरित गति क्या है?

इसे सुनेंरोकें”जब कोई वस्तु इस प्रकार गति करती है कि समान समय अंतराल में वस्तु के वेग में समान परिवर्तन होता है तो वस्तु की इस गति को एक समान त्वरित गति कहते हैं। “

त्वरित गति क्या है?

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इसे सुनेंरोकेंयदि किसी समय के अंतराल में वस्तु का वेग प्रारंभिक व अंतिम स्थितियों के मध्य बदल रहा हो तो उसकी गति त्वरित गति कहलाती है ।

गति के तीन समीकरण कौन कौन से हैं?

इसे सुनेंरोकेंगति के समीकरण मुख्य रूप से तीन तरह के होते हैं। समीकरण (i) वेग–समय के संबध को दिखालाता है। समीकरण (ii) स्थिति तथा समय के संबंध को दिखलाता है। तथा समीकरण (iii) स्थिति तथा वेग के बीच संबंध को दिखलाता है।

गति का द्वितीय समीकरण क्या है?

इसे सुनेंरोकेंगति के द्वितीय समीकरण S=ut+12at2 की शुद्धता की जाँच विमीय विधि द्वारा कीजिए |

गति क्या है परिभाषा?

इसे सुनेंरोकेंयदि कोई वस्तु अन्य वस्तुओं की तुलना में समय के सापेक्ष में स्थान परिवर्तन करती है, तो वस्तु की इस अवस्था को गति (motion/मोशन) कहा जाता है। सामान्य शब्दों में गति का अर्थ – वस्तु की स्थिति में परिवर्तन गति कहलाती है।

क्या गति की परिभाषा है?

इसे सुनेंरोकेंसामान्य शब्दों में गति का अर्थ – वस्तु की स्थिति में परिवर्तन गति कहलाती है। गति (Motion)= यदि कोई वस्तु अपनी स्थिति अपने चारों ओर कि वस्तुओं की अपेक्षा बदलती रहती है तो वस्तु की इस स्थिति को गति कहते है। जैसे- नदी में चलती हुई नाव, वायु में उडता हुआ वायुयान आदि।

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गति का दूसरा समीकरण क्या है?

इसे सुनेंरोकेंगति का समीकरण: किसी गतिशील वस्तु पर कार्य करनेवाले बल पर विचार किए बिना किसी गतिशील वस्तु के अंतिम वेग, विस्थापन, समय आदि को खोजने के लिए प्रयुक्त गणितीय समीकरणों को गति के समीकरण कहा जाता है। ये समीकरण केवल तभी मान्य होते हैं जब निकाय का त्वरण स्थिर होता है और वे एक सीधी रेखा पर चलते हैं।

गति का तीसरा नियम क्या होता है?

इसे सुनेंरोकेंन्यूटन का गति का तृतीय नियम:- न्यूटन के गति के तृतीय नियम के अनुसार जब कभी एक वस्तु किसी दूसरी वस्तु पर बल लगाती है तो दूसरी वस्तु भी पहली वस्तु पर बराबर और विपरीत बल लगाती है ।

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गति का प्रथम समीकरण होता है एस बराबर में युति प्लस हाफेटी से यहां पर अधूरी होती है यूं हमारी इनिशियल बेगो था शुरुआती देव होता है और यह हमारा एक्सीलरेशन होती हमारा टाइम होता है

gati ka pratham samikaran hota hai s barabar mein yuti plus hafeti se yahan par adhuri hoti hai yun hamari initial bego tha shuruati dev hota hai aur yah hamara eksilareshan hoti hamara time hota hai

गति का प्रथम समीकरण होता है एस बराबर में युति प्लस हाफेटी से यहां पर अधूरी होती है यूं हमा

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गति के समीकरण, ऐसे समीकरणों को कहते हैं जो किसी पिण्ड के स्थिति, विस्थापन, वेग आदि का समय के साथ सम्बन्ध बताते हैं।

गति के समीकरणों का स्वरूप भिन्न-भिन्न हो सकता है। यह इस बात पर निर्भर करता है कि गति में स्थानान्तरण हो रहा है या केवल घूर्णन है या दोनो हैं, एक ही बल काम कर रहा है या कई, बल (त्वरण) नियत है या परिवर्तनशील, पिण्ड का द्रव्यमान स्थिर है या बदल रहा है (जैसे रॉकेट में) आदि।

परम्परागत भौतिकी (क्लासिकल फिजिक्स) में गति का समीकरण इस प्रकार है :-

m⋅d2r→(t)dt2=∑iF→i(r→,t){\displaystyle m\cdot {\frac {d^{2}{\vec {r}}(t)}{dt^{2}}}=\sum _{i}{\vec {F}}_{i}({\vec {r}},t)}

.

इसे निम्नलिखित रूप में भी लिखा जा सकता है :-

m⋅a→=∑iF→i{\displaystyle m\cdot {\vec {a}}=\sum _{i}{\vec {F}}_{i}}

जहाँ m{\displaystyle m}

, वस्तु का द्रव्यमान है, तथा F→i(r→,t){\displaystyle {\vec {F}}_{i}({\vec {r}},t)}
वस्तु पर लगने वाले बल हैं।

नियत त्वरण के अधीन रेखीय गति के समीकरण[संपादित करें]

स्प्रिंग से जुड़े हुए दो द्रव्यमानों की गति

डुबकी मारते समय पिण्ड (व्यक्ति) का जड़त्वाघूर्ण परिवर्तनशील रहता है।

यदि कोई वस्तु एक नियत त्वरण के अन्तर्गत रेखीय गति कर रही है (उदाहरणः पृथ्वी के गुरुत्व बल के आधीन किसी वस्तु का मुक्त रूप से गिरना) तो :

v=u+at{\displaystyle v=u+at\,}...(१)s=12(u+v)t{\displaystyle s={\frac {1}{2}}(u+v)t}...(२)s=ut+12at2{\displaystyle s=ut+{\frac {1}{2}}at^{2}}...(३)s=vt−12at2{\displaystyle s=vt-{\frac {1}{2}}at^{2}}...(४)v2=u2+2as{\displaystyle v^{2}=u^{2}+2as\,}...(५)

समीकरण (२) और (१) को मिलाकर समीकरण (३), (४) एवं (५) प्राप्त किये जा सकते हैं।

उपरोक्त समीकरणों में,

s = विस्थापन है (आरम्भिक स्थिति से अन्तिम स्थिति तक का स्थिति सदिश)u = आरम्भिक वेगv = अन्तिम वेगa = अपरिवर्तनशील त्वरणt = समय, अर्थात वस्तु द्वारा आरम्भ की स्थिति से अन्तिम स्थिति तक पहुँचने में लिया गया समय

यदि वस्तु नियत कोणीय त्वरण के अन्तर्गत घूर्णन (rotation) कर रही है तो उपरोक्त समीकरणों की भाँति उसकी घूर्णीय गति को व्यक्त करने वाले समीकरण इस प्रकार होंगे:

ω=ω0+αt{\displaystyle \omega =\omega _{0}+\alpha t\,}ϕ=ϕ0+12(ω0+ω)t{\displaystyle \phi =\phi _{0}+{\begin{matrix}{\frac {1}{2}}\end{matrix}}(\omega _{0}+\omega )t}ϕ=ϕ0+ω0t+12αt2{\displaystyle \phi =\phi _{0}+\omega _{0}t+{\begin{matrix}{\frac {1}{2}}\end{matrix}}\alpha {t^{2}}\,}(ω)2=(ω0)2+2αΔϕ{\displaystyle (\omega )^{2}=(\omega _{0})^{2}+2\alpha \Delta \phi \,}ϕ=ϕ0+ωt−12αt2{\displaystyle \phi =\phi _{0}+\omega t-{\begin{matrix}{\frac {1}{2}}\end{matrix}}\alpha {t^{2}}\,}

जहाँ :

α{\displaystyle \alpha } कोणीय त्वरण (angular acceleration) हैω{\displaystyle \omega } कोणीय वेग (angular velocity) हैϕ{\displaystyle \phi } कोणीय विस्थापन (angular displacement) हैω0{\displaystyle \omega _{0}} प्रारम्भिक कोणीय वेग (initial angular velocity) हैϕ0{\displaystyle \phi _{0}} प्रारम्भिक कोणीय विस्थापन (initial angular displacement)Δϕ{\displaystyle \Delta \phi } कोणीय विस्थापन में परिवर्तन (ϕ{\displaystyle \phi } - ϕ0{\displaystyle \phi _{0}}). है

जब आरम्भिक स्थिति, आरम्भिक वेग, और त्वरण अलग-अलग दिशाओं में हों[संपादित करें]

प्रक्षेप्य गति भी देखें।

उस कण का पथ (Trajectory) जिसका आरम्भिक स्थिति सदिश r0 है तथा वेग v0 है, तथा वह एक नियत त्वरण a के साथ गति कर रही है। ये तीनों राशियाँ अलग-अलग दिशा में (किन्तु समय के साथ अपरिवर्ती) हैं। इस चित्र में स्थिति r(t) तथा वेग v(t) को t पर दर्शाया गया है।

आरम्भिक स्थिति सदिश, आरम्भिक वेग सदिश तथा त्वरण सदिश एक ही दिशा में होना आवश्यक नहीं है।

v=at+v0[1]r=r0+v0t+12at2[2]r=r0+12(v+v0)t[3]v2=v02+2a⋅(r−r0)[4]r=r0+vt−12at2[5]{\displaystyle {\begin{aligned}\mathbf {v} &=\mathbf {a} t+\mathbf {v} _{0}\quad [1]\\\mathbf {r} &=\mathbf {r} _{0}+\mathbf {v} _{0}t+{\tfrac {1}{2}}\mathbf {a} t^{2}\quad [2]\\\mathbf {r} &=\mathbf {r} _{0}+{\tfrac {1}{2}}\left(\mathbf {v} +\mathbf {v} _{0}\right)t\quad [3]\\v^{2}&=v_{0}^{2}+2\mathbf {a} \cdot \left(\mathbf {r} -\mathbf {r} _{0}\right)\quad [4]\\\mathbf {r} &=\mathbf {r} _{0}+\mathbf {v} t-{\tfrac {1}{2}}\mathbf {a} t^{2}\quad [5]\\\end{aligned}}}

इन समीकरणों को देखिए। ये अधिकांशतः उन समीकरणों जैसे ही हैं जिनमें आरम्भिक स्थिति, आरम्भिक वेग और त्वरण सब एक ही दिशा में होते हैं। केवल समीकरण संख्या [4] अलग है जिसमें सदिशों के साधारण गुणन के बजाय अदिश गुणनफल (डॉट प्रोडक्ट) लिया गया है। इन समीकरणॉं को व्युत्पन्न करने का तरीका भी एकदिश केस जैसा ही है-

समीकरण [4] को टोरिसेली समीकरण कहा जाता है। इसे निम्नलिखित प्रकार से निकाला गया है-

v2=v⋅v=(v0+at)⋅(v0+at)=v02+2t(a⋅v0)+a2t2{\displaystyle v^{2}=\mathbf {v} \cdot \mathbf {v} =(\mathbf {v} _{0}+\mathbf {a} t)\cdot (\mathbf {v} _{0}+\mathbf {a} t)=v_{0}^{2}+2t(\mathbf {a} \cdot \mathbf {v} _{0})+a^{2}t^{2}}(2a)⋅(r−r0)=(2a)⋅(v0t+12at2)=2t(a⋅v0)+a2t2=v2−v02{\displaystyle (2\mathbf {a} )\cdot (\mathbf {r} -\mathbf {r} _{0})=(2\mathbf {a} )\cdot \left(\mathbf {v} _{0}t+{\tfrac {1}{2}}\mathbf {a} t^{2}\right)=2t(\mathbf {a} \cdot \mathbf {v} _{0})+a^{2}t^{2}=v^{2}-v_{0}^{2}}∴v2=v02+2(a⋅(r−r0)){\displaystyle \therefore v^{2}=v_{0}^{2}+2(\mathbf {a} \cdot (\mathbf {r} -\mathbf {r} _{0}))}

कोई वस्तु दूर प्रक्षेपित करनी हो (दागनी हो) तो ऊपर दिये गये समीकरणों का प्रयोग किया जा सकता है। किन्तु ध्यान रहे कि उपरोक्त समीकरणों में वायु का प्रतिरोध नगण्य मानकर उन समीकरणों को व्युत्पन्न किया गया है। यदि वायु का प्रतिरोध नगण्य न हो तो उस प्रक्षेप्य के गति की गणना अलग तरीके से करनी होगी।

त्रिविम अवकाश में, गोलीय निर्देशांक (r, θ, φ) के अन्तर्गत स्थिति, वेग और त्वरण के व्यंजक निम्नलिखित हैं। यहाँ êr, êθ तथा êφ, तीन इकाई सदिश हैं ।

गति का पहला समीकरण कौन है?

गति का पहला समीकरण प्रारंभिक वेग, अंतिम वेग और समय के बीच प्रदान करता है। गति का पहला समीकरण v = u + at के रूप में बतया जाता है। भौतिकी में, गति एक निश्चित समय के अंतराल में अपने परिवेश के संबंध में किसी वस्तु की स्थिति में परिवर्तन है।

गति का दूसरा समीकरण कौन है?

गति के द्वितीय समीकरण `S=ut+1/2at^2` की शुद्धता की जाँच विमीय विधि द्वारा कीजिए | UPLOAD PHOTO AND GET THE ANSWER NOW! Solution : समीकरण में प्रयुक्त प्रतीकों के मान विमाओं के रूप में इस प्रकार हैं- <br> विस्थापन S = L, वेग `u= LT^(-1)` , त्वरण `a =LT^(-2)` , समय `t=T` तथा `1/2` विमाहीन है।

गति के तीनो समीकरण क्या होते हैं?

सही उत्तर 2as = u2 – v2 है। एक समान त्वरण के मामले में गति के तीन समीकरण होते हैं जिन्हें स्थिर त्वरण के नियम के रूप में भी जाना जाता है। जहाँ, s = विस्थापन; u = प्रारंभिक वेग; v = अंतिम वेग; a = त्वरण; t = गति का समय।

गति के प्रथम समीकरण का सूत्र क्या है?

यदि F = 0 , तो a = 0 ( m ≠ 0 ) अर्थात् यदि वस्तु पर बल न लगायी जाय , तो वस्तु में त्वरण भी उत्पन्न नहीं होगा । अतः त्वरण के शून्य होने का अर्थ है कि वस्तु या तो विरामावस्था में है या नियम वेग से गतिमान है । अत : न्यूटन का वेग विषयक द्वितीय नियम प्रथम नियम का ही एक रूप है । इस नियम से बल का व्यंजक प्राप्त होता है ।

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