गुजरात दंगों में कितने लोग मारे गए थे? - gujaraat dangon mein kitane log maare gae the?

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आज ही के दिन 2002 में गुजरात के गोधरा स्टेशन पर एक दुखद घटना हुई थी। साबरमती एक्सप्रेस ट्रेन के S-6 डिब्बे में आग लगा दी गई थी, जिसमें 59 लोगों की मौत हो गई थी।

इस घटना ने भारतीय इतिहास को बदल कर रख दिया। अहमदाबाद जाने के लिए साबरमती एक्सप्रेस गोधरा स्टेशन से चली ही थी कि किसी ने चेन खींचकर गाड़ी रोक ली और फिर पथराव के बाद ट्रेन के एक डिब्बे में आग लगा दी। ट्रेन में अयोध्या से लौट रहे तीर्थयात्री सवार थे।

गोधरा कांड के बाद गुजरात में भड़के थे दंगे

गोधरा कांड के बाद पूरे गुजरात में दंगे भड़क उठे। इन दंगों में एक हजार से ज्यादा लोग मारे गए थे, जिनमें 790 मुसलमान और 254 हिंदू थे। गोधरा कांड के एक दिन बाद 28 फरवरी को अहमदाबाद की गुलबर्ग हाउसिंग सोसायटी में बेकाबू भीड़ ने 69 लोगों की हत्या कर दी थी। मरने वालों में उसी सोसाइटी में रहने वाले कांग्रेस के पूर्व सांसद एहसान जाफरी भी शामिल थे। इन दंगों से राज्य में हालात इस कदर बिगड़ गए कि स्थिति काबू में करने के लिए तीसरे दिन सेना उतारनी पड़ी।

मोदी को मिली थी क्लीन चिट

गुजरात में इस घटना के समय नरेंद्र मोदी राज्य के मुख्यमंत्री थे। मार्च 2002 में उन्होंने गोधरा कांड की जांच के लिए नानावटी-शाह आयोग बनाया। हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज केजी शाह और सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज जीटी नानावटी इसके सदस्य बने।

आयोग ने अपनी रिपोर्ट का पहला हिस्सा सितंबर 2008 को पेश किया। इसमें गोधरा कांड को सोची-समझी साजिश बताया गया। साथ ही नरेंद्र मोदी, उनके मंत्रियों और वरिष्ठ अफसरों को क्लीन चिट दी गई।

2009 में जस्टिस केजी शाह का निधन हो गया। जिसके बाद गुजरात हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस अक्षय मेहता इसके सदस्य बने और तब आयोग का नाम नानावटी-मेहता आयोग हो गया। आयोग ने दिसंबर 2019 में अपनी रिपोर्ट का दूसरा हिस्सा पेश किया। इसमें भी रिपोर्ट के पहले हिस्से में कही गई बात दोहराई गई।

गोधरा कांड के 31 दोषियों को उम्रकैद

गोधरा कांड के बाद चले मुकदमों में करीब 9 साल बाद 31 लोगों को दोषी ठहराया गया था। 2011 में SIT कोर्ट ने 11 दोषियों को फांसी और 20 को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। बाद में अक्टूबर 2017 में गुजरात हाईकोर्ट ने 11 दोषियों की फांसी की सजा को भी उम्रकैद में बदल दिया था।

देश-दुनिया के इतिहास में 27 फरवरी की महत्वपूर्ण घटनाएं

2010: 8वीं कॉमनवेल्थ शूटिंग प्रतियोगिता में भारत ने 35 गोल्ड, 25 सिल्वर और 14 ब्रॉन्ज समेत 74 मेडल जीतकर पहला स्थान हासिल किया।

2010: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के बड़े नेता और भारत रत्न नानाजी देशमुख का निधन।

2004: फिलीपींस में एक आतंकवादी ने एक नाव को बम से उड़ा दिया, जिसमें 116 लोगों की मौत हो गई।

1999: नाइजीरिया में 15 साल में पहली बार असैन्य शासक चुनने के लिए वोटिंग हुई। देश में 1979 से पूर्व सैन्य शासक ऑल्युसेगन ऑब्सान्जो ने सत्ता संभाली थी।

1956: लोकसभा के पहले अध्यक्ष जीवी मावलंकर का निधन।

1951: अमेरिकी संविधान में 22वां संशोधन किया गया, जिसके बाद तय हुआ कि कोई भी व्यक्ति सिर्फ दो कार्यकाल तक ही राष्ट्रपति बन सकता है। इससे पहले यहां ऐसी लिमिट नहीं थी।

1931: क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद ने इलाहाबाद के अल्फ्रेड पार्क में ब्रिटिश पुलिस से मुठभेड़ के दौरान खुद को गोली मार ली। उनका कहना था कि वो आजाद हैं और आजाद ही रहेंगे। आज अल्फ्रेड पार्क को चंद्रशेखर आजाद पार्क कहा जाता है।

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सुप्रीम कोर्ट ने 2002 के गुजरात दंगों से जुड़े 9 में से 8 केस बंद करने का आदेश दिया है। इन सभी मामलों से जुड़ी कई याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में लंबित थीं। CJI जस्टिस यूयू ललित की अगुआई वाली तीन जजों की बेंच ने मंगलवार को कहा कि इतना समय गुजरने के बाद इन मामलों पर सुनवाई करने का कोई मतलब नहीं है। वहीं, एक अन्य मामले में कोर्ट ने एक्टिविस्ट तीस्ता सीतलवाड़ को राहत के लिए अपील करने की इजाजत दे दी।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि गुजरात दंगों से जुड़े 9 में से 8 केस में निचली अदालतें फैसला सुना चुकी हैं। इनमें राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग यानी NHRC की याचिका भी शामिल है, जिसमें दंगों के दौरान हुई हिंसा की जांच की मांग की गई थी। कोर्ट ने दंगा पीड़ितों और सिटीजंस फॉर जस्टिस नाम के NGO की रिट याचिका पर भी विचार किया। NGO ने 2003-2004 में दाखिल याचिका में दंगों की जांच गुजरात पुलिस से लेकर CBI को सौंपने की मांग की थी।

9 में से 8 केस का ट्रायल पूरा, एक की सुनवाई जारी
सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस यूयू ललित की अगुआई वाली तीन जजों की बेंच ने यह फैसला सुनाया। बेंच में जस्टिस रवींद्र भट और जस्टिस जेबी पारदीवाला शामिल हैं। बेंच ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट पहले ही गुजरात दंगों से जुड़े 9 केस की जांच के लिए SIT गठित कर चुका है। इनमें से 8 केस का ट्रायल पूरा हो चुका है। नारोदा गांव से जुड़े मामले की सुनवाई अभी जारी है। गुजरात दंगों से जुड़े 9 अहम केस नीचे दिए ग्राफिक में जान सकते हैं...

बेंच ने कहा, 'पीड़ित परिवारों के वकील अपर्णा भट, ऐजाज मकबूल और अमित शर्मा भी SIT के बयान से सहमति जता चुके हैं। ऐसे में सारे मामलों का कोई मतलब नहीं रह गया है। इसलिए अदालत यह मानती है कि इन याचिकाओं पर आगे विचार करने की जरूरत नहीं है।'

नारोदा केस में SIT कानूनी कदम उठा सकेगी
SIT के वकील मुकुल रोहतगी ने कोर्ट को बताया कि 9 मामलों में से केवल नारोदा गांव इलाके में हुई हिंसा का मामला ही लंबित है और उसमें भी अंतिम दलीलें ही बाकी हैं। बाकी 8 मामलों में सुनवाई पूरी हो चुकी है और वे हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में अपीलेट स्टेज में हैं। इस पर कोर्ट ने कहा कि कानून के मुताबिक नारोदा गांव केस का ट्रायल जारी रहेगा। सुप्रीम कोर्ट की बनाई SIT इस केस में कानून के अनुसार जरूरी कदम उठा सकती है।'

तीस्ता सीतलवाड़ को राहत के लिए अपील की इजाजत
सुनवाई के दौरान तीस्ता सीतलवाड़ की वकील अपर्णा भट ने कहा कि उनकी क्लाइंट कस्टडी में है, इसलिए वे उनसे बात नहीं कर पा रही हैं। इस पर कोर्ट ने सीतलवाड़ को सक्षम अधिकारियों के सामने राहत के लिए आवेदन करने की इजाजत दे दी। कोर्ट ने कहा, 'सीतलवाड़ की तरफ से जब भी आवेदन आएगा, उस पर कानून के मुताबिक विचार किया जाएगा।' इसके साथ ही कोर्ट ने इस केस का भी निपटारा कर दिया।

अब 4 पॉइंट में गुजरात दंगों और इन पर हुई कानूनी कार्रवाई के बारे में जान लीजिए...

1. गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस का कोच जलाया गया
गुजरात के गोधरा स्टेशन पर 27 फरवरी 2002 को साबरमती एक्सप्रेस ट्रेन के S-6 डिब्बे में आग लगा दी गई थी। आग लगने से 59 लोग मारे गए थे। ये सभी कारसेवक थे, जो अयोध्या से लौट रहे थे। इसके बाद गुजरात में सांप्रदायिक तनाव फैल गया। गोधरा में सभी स्कूल-दुकानें बंद कर दी गईं। कर्फ्यू लगा दिया गया। पुलिस को दंगाइयों को देखते ही गोली मारने के आदेश दिए गए।

गुजरात के गोधरा में 27 फरवरी 2002 को साबरमती एक्सप्रेस के S-6 कोच को बाहर से आग लगाई थी, जिससे अंदर बैठे लोगों को बाहर निकलने का मौका नहीं मिला था।

2. गोधरा के बाद पूरे गुजरात में सांप्रदायिक हिंसा फैली
गोधरा कांड के बाद पूरे गुजरात में दंगे भड़क उठे। इन दंगों में 1,044 लोग मारे गए, जिनमें 790 मुसलमान और 254 हिंदू थे। उपद्रवियों ने पूर्वी अहमदाबाद स्थित अल्पसंख्यक समुदाय की बस्ती 'गुलबर्ग सोसाइटी' को भी निशाना बनाया था। इसमें जकिया जाफरी के पति पूर्व कांग्रेस सांसद एहसान जाफरी सहित 69 लोग मारे गए थे। इनमें से 38 लोगों के शव बरामद हुए थे, जबकि जाफरी सहित 31 लोगों को लापता बताया गया था।

यह फोटो पूर्वी अहमदाबाद में अल्पसंख्यक समुदाय की बस्ती 'गुलबर्ग सोसाइटी' की है, जिसे दंगों के दौरान निशाना बनाया गया था। इसमें 69 लोगों की मौत हुई थी।

3. सुप्रीम कोर्ट ने दंगों की जांच के लिए SIT बनाई
2008 में सुप्रीम कोर्ट ने SIT का गठन किया था। कोर्ट ने SIT से इस मामले में हुईं तमाम सुनवाइयों पर रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया। बाद में जकिया की शिकायत की जांच भी SIT को सौंपी गई। SIT ने मोदी को क्लीन चिट दी और 2011 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर SIT ने मजिस्ट्रेट को क्लोजर रिपोर्ट सौंपी।

2013 में जकिया ने क्लोजर रिपोर्ट का विरोध करते हुए मजिस्ट्रेट के सामने याचिका दायर की थी। मजिस्ट्रेट ने यह याचिका खारिज कर दी। इसके बाद जाकिया ने गुजरात हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। हाईकोर्ट ने 2017 में मजिस्ट्रेट का फैसला बरकरार रखा।

4. SIT ने PM मोदी को क्लीन चिट दी, SC ने बरकरार रखी
जकिया ने हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। सुप्रीम कोर्ट ने 24 जून 2022 को जकिया जाफरी की तरफ से PM मोदी के खिलाफ दाखिल याचिका को खारिज कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि जकिया की याचिका में मेरिट नहीं है।

गुजरात दंगों में कितने हिंदू मारे गए?

गुजरात के गोधरा में 27 फरवरी 2002 को साबरमती एक्सप्रेस के S-6 कोच को बाहर से आग लगाई थी, जिससे अंदर बैठे लोगों को बाहर निकलने का मौका नहीं मिला था। गोधरा कांड के बाद पूरे गुजरात में दंगे भड़क उठे। इन दंगों में 1,044 लोग मारे गए, जिनमें 790 मुसलमान और 254 हिंदू थे।

2002 गुजरात में कितने मुसलमान मारे गए?

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक़, गुजरात में हुए 2002 दंगे में 790 मुसलमान और 254 हिंदू मारे गए थे. 223 लोग लापता हो गए और 2500 घायल हुए थे.

गोधरा कांड में कितने मुसलमान मारे गए?

इन दंगों में एक हजार से ज्यादा लोग मारे गए थे, जिनमें 790 मुसलमान और 254 हिंदू थे। गोधरा कांड के एक दिन बाद 28 फरवरी को अहमदाबाद की गुलबर्ग हाउसिंग सोसायटी में बेकाबू भीड़ ने 69 लोगों की हत्या कर दी थी।

मुजफ्फरनगर दंगे में कितने हिंदू मारे गए?

२७ अगस्त २०१३ मुज़फ़्फ़र नगर जिले के कवाल गाँव में हिन्दू -मुस्लिम हिंसा के साथ यह दंगा शुरू हुआ जिसके कारण अब तक 65 जाने जा चुकी है और ९३ हताहत हुए हैं। १७ सितम्बर को दंगा प्रभावित हर स्थानों से कर्फ्यु हटा लिया गया और सेना वापस बुला ली गयी।

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