बाड़मेर में कौन से होली खेली जाती है? - baadamer mein kaun se holee khelee jaatee hai?

जागरण संवाददाता, जयपुर। देश के सभी क्षेत्रों में रंगों से होली मनाई जाती है, लेकिन राजस्थान के आदिवासी गांवों में महज एक मान्यता के चलते होली के मौके पर खून-खराबा होता है।

राजस्थान के बांसवाड़ा और डूंगरपुर जिले के आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र की इस अजीब मान्यता के चलते प्रतिवर्ष होली के दिन कई लोग घायल होते है। डूंगरपुर के गांव भीलूड़ा एवं रामगढ़ में तो होली के मौके पर एंबुलेंस 108 लगाई जाती है। यहां कई लोग अस्पताल पहुंच जाते हैं। लोगों ने पत्थर इकट्ठा कर लिए हैं। ये खेल होलिका दहन के बाद रात से ही शुरू होता है तो धूलंडी तक चलता है। माहौल में वीर रस भरने के लिए ढोल और चंग बजने लगते हैं। इस होली को लोग राड़ की होली कहते हैं, राड़ यानी दुश्मनी। 

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ढोल और चंग की आवाज जैसे-जैसे तेज होती है, वैसे-वैसे लोग दूसरी टीम को तेजी से पत्थर मारना शुरू कर देते हैं। बचने के लिए हल्की-फुल्की ढाल और सिर पर पगड़ी का इस्तेमाल होता है। खेल में दो या दो से अधिक टीमें बंट जाती है। गांव का बड़ा-बुजुर्ग बतौर निर्णायक एक पत्थर उछाल देता है। इसके बाद दोनों तरफ की टीमें गोफण (रस्सी से बने पारंपरिक गुलेल) से एक दूसरे पर पत्थर बरसाने लगते हैं। इसे कई चक्कर घुमाकर तेजी से मारते हैं।

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इस खेल में जो भी जितना घायल होता है, वो अपने आप को उतना ही भाग्यशाली समझता है। कुछ घायलों का स्थानीय अस्पताल में इलाज कराया जाता है और गंभीर रूप से घायल लोगों को भर्ती तक करना पड़ता है। जमीन पर जगह-जगह खून के धब्बे फैल जाते हैं।

पत्थरमार होली की वजह 

आदिवासी क्षेत्र के बड़े बुजुर्गो की मानें तो सदियों पहले यहां के राजा ने किसी पाटीदार जाति के व्यक्ति को होली के दिन मरवा दिया था। मृतक की पत्नी उसकी लाश को गोद में लेकर सती हो गई और मारते-मरते श्राप दे गई। उसने कहा कि होली के दिन यदि यहां मानव रक्त नहीं गिरेगा तो प्राकृतिक आपदा आएगी। बस इसी मान्यता के चलते ही यहां हर वर्ष होली पर पत्थर मार होली खेली जाती है।

बाड़मेर. सनावड़ा की गैर- होली के दूसरे दिन धुलंडी को बाड़मेर से करीब 35 किमी दूर सनावड़ा गांव में गैर का रंग जमता है। पीढिय़ों से आंगी-बांगी के साथ ढोल की धमक औैर थाली की खनक के साथ जमने वाली गेर को देखने को हजारों लोग जुटते। करीब 100 गांवों से लोग गेर को देखने पहुंचते हैं। गेर का रंग ऐसा जमता है कि दोपहर बाद शुरू होता है जो देर रात तक चलता है और लोगों का हुजूम भी कम नहीं होता है।
गेर नृत्य
गोल घेरे में इस नृत्य की संरचना होने के कारण यह 'घेरÓ और कालांतर में गेर कहा जाने लगा है। नृत्य करने वालों को गेरिया कहते हैं। यह होली के दूसरे दिन धुलंडी से प्रारंभ होता है तथा 15 दिन तक चलता है। यह मेवाड़ व बाड़मेर क्षेत्र का प्रसिद्ध लोक नृत्य है, जो पुरुषों द्वारा सामूहिक रूप से गोल घेरा बनाकर ढोल, बांकिया, थाली आदि वाद्य यंत्रों के साथ हाथों में डंडा लेकर किया जाता है।
ऐसा लगता है जैसे युद्ध क्षेत्र
इस नृत्य को देखने से ऐसा लगता है मानो तलवारों से युद्ध चल रहा है। नृत्य की सारी प्रक्रियाएं और पद संचलन तलवार युद्ध जैसी लगती है। मेवाड़ के गैरिए नृत्यकार सफेद अंगरखी, धोती व सिर पर केसरिया पगड़ी धारण करते हैं, जबकि बाड़मेर के गैरिए सफेद आंगी और तलवार के लिए चमड़े का पट्टा धारण करते हैं। पुरुष एक साथ मिलकर वृताकार रूप में नृत्य करते-करते अलग-अलग प्रकार का मंडल बनाते हैं
कणाना बाड़मेर का प्रसिद्ध गेर नृत्य
मेवाड़ और बाड़मेर के गैर नृत्य की मूल रचना एक ही प्रकार हैं लेकिन नृत्य की लय, चाल और मंडल में अंतर है। गेर के अन्य रूप भी है, जिनमें आंगी-बांगी(लाखेटा गांव), गैर नृत्य (मरु प्रदेश), तलवारों की गेर नृत्य ( मेवाड़-मेनार गांव ) के रूप में जानी जाती है। कणाना बाड़मेर का प्रसिद्ध गेर नृत्य है।

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Q.1342 :  राजस्थान में गोगाजी का मेला कहां लगता हैं ?(b) रामदेवरा में(c) गोगामेड़ी में(d) ओसियां मेंAnswer : गोगामेड़ी में

Q.1341 :  राजस्थान में पत्थर मार होली के लिए प्रसिद्ध हैं ?(b) बाड़मेर(c) अलवर(d) सवाईमाधोपुरAnswer : बाड़मेर

Q.1340 :  राजस्थान में लट्ठमार होली मनायी जाती हैं ?(b) कोटा(c) बाड़मेर(d) जयपुरAnswer : महावीर जी

Q.1339 :  राजस्थान में मारवाड़ क्षेत्र में शीतलाष्टमी के दिन मनाये जाने वाले त्यौहार का नाम हैं ?(b) घुड़ला(c) गोगानवमी(d) अनन्त चतुर्दशीAnswer : घुड़ला

Q.1338 :  राजस्थान में माता कुंडालिनी का मेला बैसाख सुदी पूर्णिमा को लगता हैं ?(b) धुलेव (मेवाड़ )(c) राश्मी (चित्तौड़गढ़)(d) रामदेवरा (पोकरण )Answer : राश्मी (चित्तौड़गढ़)

Q.1337 :  राजस्थान में पोकरण के पास रामदेवरा में कौनसा मेला भरता हैं ?(b) रामदेवरा का मेला(c) गोगाजी का मेला(d) चारभुजा का मेलाAnswer : रामदेवरा का मेला

Q.1336 :  राजस्थान में ब्यावरा बादशाह मेले के प्रसिद्ध है, बूंदी में कौन-सा मेला प्रसिद्ध हैं ?(b) कजली तीज का मेला(c) गोगाजी का मेला(d) चारभुजा का मेलाAnswer : कजली तीज का मेला

Q.1335 :  राजस्थान की कला साहित्य एवं संस्कृति में सर्वाधिक योगदान हैं ?(b) राजपूतों का(c) जैनियों का(d) भीलों काAnswer : राजपूतों का

Q.1334 :  निम्न में से किस त्यौहार का सम्बन्ध जैन धर्म से हैं ?(b) होली(c) पर्यूषण(d) क्रिसमस डेAnswer : पर्यूषण

Q.1333 :  राजस्थान में आदिवासियों का सबसे आस्था केन्द्र, जहां मेला लगता हैं ?(b) बेणेश्वर ( डूंगरपुर )(c) आमेर(d) भरतपुरAnswer : बेणेश्वर ( डूंगरपुर )

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बाड़मेर में कौन सी होली मनाई जाती है?

पत्थरमार होली (बाड़मेर, जैसलमेर व डूंगरपुर) खासकर, डूंगरपुर, बांसवाड़ा, बाड़मेर, बारां आदि में आदिवासी पत्थरमार होली खेलते हैं.

लठमार होली कौन से जिले में खेली जाती है?

सही उत्तर विकल्प 4 अर्थात् बरसाना और नंदगाँव है। लठमार होली हिंदू त्योहार होली मे मनाया जाने वाला एक स्थानीय उत्सव है। बरसाना और नंदगाँव में लठमार होली मनाई जाती है। बरसाना और नंदगाँव शहर उत्तर प्रदेश में स्थित हैं।

लट्ठमार होली कहाँ की प्रसिद्ध है?

ब्रज के बरसाना गाँव में होली एक अलग तरह से खेली जाती है जिसे लठमार होली कहते हैं। ब्रज में वैसे भी होली ख़ास मस्ती भरी होती है क्योंकि इसे कृष्ण और राधा के प्रेम से जोड़ कर देखा जाता है। यहाँ की होली में मुख्यतः नंदगाँव के पुरूष और बरसाने की महिलाएं भाग लेती हैं, क्योंकि कृष्ण नंदगाँव के थे और राधा बरसाने की थीं।

3 राजस्थान में लट्ठमार होली कहाँ खेली जाती है?

[1] बरसाने की लट्ठमार होली फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाई जाती है। इस दिन नंदगाँव के ग्वाल बाल होली खेलने के लिए राधा रानी के गाँव बरसाने जाते हैं और विभिन्न मंदिरों में पूजा अर्चना के पश्चात नंदगांव के पुरुष होली खेलने बरसाना गांव में आते हैं और बरसाना गांव के लोग नंदगांव में जाते हैं।

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