वायुमंडल में सबसे गर्म मंडल कौन सा है? - vaayumandal mein sabase garm mandal kaun sa hai?

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Last updated on Dec 17, 2022

SSC CGL Tier III Result has been released on 20th December 2022 for the 2021 cycle. The candidates who cleared the Tier III are eligible for Document Verification/ Skill Test. Earlier, Staff Selection Commission had released the SSC CGL Answer Key on 17th December 2022. SSC CGL 2022 Tier I Exam was conducted from 1st to 13th December 2022. The SSC CGL 2022 Notification was out on 17th September 2022. The SSC CGL Eligibility is a bachelor’s degree in the concerned discipline. This year, SSC had completely changed the exam pattern and for the same, the candidates can read the SSC CGL New Exam Pattern to know more.

पृथ्वी को घेरती हुई जितने स्थान में वायु रहती है उसे वायुमण्डल कहते हैं। वायुमंडल[1] के अतिरिक्त पृथ्वी का स्थलमण्डल ठोस पदार्थों से बना और जलमण्डल जल से बना हैं। वायुमंडल कितनी दूर तक फैला हुआ है, इसका ठीक पता हमें नहीं है, पर यह निश्चित है कि पृथ्वी के चतुर्दिक् कई सौ मीलों तक यह फैला हुआ है।[2]

वायुमंडल के निचले भाग को (जो प्राय: चार से आठ मील तक फैला हुआ है) क्षोभमंडल, उसके ऊपर के भाग को समतापमण्डल और उसके और ऊपर के भाग को मध्य मण्डल और मध्य मण्डल से ऊपरी भाग को आयनमंडल कहते हैं। क्षोभमंडल और समतापमंडल के बीच के भाग को क्षोभसीमा और समतापमंडल और मध्यमंडल के बीच के भाग को समतापसीमा कहते हैं। साधारणतया ऊपर के तल बिलकुल शांत रहते हैं।[3]

प्राणियों और पादपों के जीवनपोषण के लिए वायु अति अत्यावश्यक है। पृथ्वीतल के अपक्षय पर भी इसका गहरा प्रभाव पड़ता है। नाना प्रकार की भौतिक और रासायनिक क्रियाएँ वायुमंडल की वायु के कारण ही संपन्न होती हैं। वायुमंडल के अनेक दृश्य, जैसे इंद्रधनुष, बिजली का चमकना और कड़कना, उत्तर ध्रुवीय ज्योति, दक्षिण ध्रुवीय ज्योति, प्रभामंडल, किरीट, मरीचिका इत्यादि प्रकाश या विद्युत के कारण ही उत्पन्न होते हैं।

वायुमंडल का घनत्व एक सा नहीं रहता। समुद्रतल पर वायु का दबाव 760 मिलीमीटर पारे के स्तंभ के दाब के बराबर होता है। ऊपर उठने से दबाव में कमी होती जाती है। ताप या स्थान के परिवर्तन से भी दबाव में अंतर आ जाता है।

सूर्य की लघुतरंग विकिरण ऊर्जा से पृथ्वी गरम होती है। पृथ्वी से दीर्घतरंग भौमिक ऊर्जा का विकिरण वायुमंडल में अवशोषित होता है। इससे वायुमंडल का ताप - 68 डिग्री सेल्सियस से 55 डिग्री सेल्सियस के बीच ही रहता है। 100 किमी के ऊपर पराबैंगनी प्रकाश से आक्सीजन अणु आयनों में परिणत हो जाते हैं और परमाणु इलेक्ट्रॉनों में। इसी से इस मंडल को आयनमंडल कहते हैं। रात्रि में ये आयन या इलेक्ट्रॉन फिर परस्पर मिलकर अणु या परमाणु में परिणत हो जाते हैं, जिससे रात्रि के प्रकाश के वर्णपट में हरी और लाल रेखाएँ दिखाई पड़ती हैं।[3]

वायुमंडल संगठन[संपादित करें]

पृथ्वी के वातावरण के इकाई आयतन में गैसों की मात्रा

पृथ्वी के चारों ओर सैकड़ो किमी की मोटाई में लपेटने वाले गैसीय आवरण को वायुमण्डल कहते हैं। वायुमण्डल विभिन्न गैसों का मिश्रण है जो पृथ्वी को चारो ओर से घेरे हुए है। निचले स्तरों में वायुमण्डल का संघटन अपेक्षाकृत एक समान रहता है। ऊँचाई में गैसों की आपेक्षिक मात्रा में परिवर्तन पाया जाता है।

शुद्ध और शुष्क वायु में नाइट्रोजन 78 प्रतिशत, ऑक्सीजन, 21 प्रतिशत, आर्गन 0.93 प्रतिशत कार्बन डाई ऑक्साइड 0.03 प्रतिशत तथा हाइड्रोजन, हीलियम, ओज़ोन, निऑन, जेनान, आदि अल्प मात्रा में उपस्थित रहती हैं। नम वायुमण्डल में जल वाष्प की मात्रा 5 प्रतिशत तक होती है। वायुमण्डीय जल वाष्प की प्राप्ति सागरों, जलाशयों, वनस्पतियों तथा मृदाओं के जल से होती है। जल वाष्प की मात्रा भूमध्य रेखा से ध्रुवों की ओर घटती जाती है। जल वाष्प के कारण ही बादल, कोहरा, पाला, वर्षा, ओस, हिम, ओला, हिमपात आदि होता है। वायुमण्डल में ओजोन परत की पृथ्वी और उस पर रहने वाले जीवों के लिए बड़ी ही महत्त्वपूर्ण भूमिका है। यह परत सूर्य से आने वाली उच्च आवृत्ति की पराबैंगनी प्रकाश (किरणों) को अवशोषित कर लेती है, जो पृथ्वी पर जीवन के लिये हानिकारक है। ओजोन की परत की खोज 1913 में फ़्राँस के भौतिकविद फैबरी चार्ल्स और हेनरी बुसोन ने की थी।

पृथ्वीतल पर की शुष्क वायु का औसत संगठन इस प्रकार है-

गैसप्रतिशत आयतन
नाइट्रोजन 78.09
ऑक्सीजन 20.95
आर्गन 0.93
कार्बन डाइआक्साइड 0.03
निऑन 0.0018
हाइड्रोजन 0.001
हीलियम 0.000524
क्रिप्टन 0.0001
ज़ेनान 0.000008
ओज़ोन 0.000001
मीथेन अल्प मात्रा

वायुमण्डल गर्मी को रोककर रखने में एक विशाल 'कांच घर' का काम करता है, जो लघु तरंगों (short waves) और विकिरण को पृथ्वी के धरातल पर आने देता है, परंतु पृथ्वी से विकसित होने वाली तरंगों को बाहर जाने से रोकता है। इस प्रकार वायुमण्डल पृथ्वी पर सम तापमान बनाए रखता है। वायुमण्डल में जलवाष्प एवं गैसों के अतिरिक्त सूक्ष्म ठोस कण भी उपस्थित हैं।[3]

वायुमंडलीय आर्द्रता[संपादित करें]

वायुमंडलीय आर्द्रता वायु में उपस्थित जलवाष्प के ऊपर निर्भर करती है। यह जलवाष्प वायुमंडल के निचले स्तरों में रहता है। इसकी मात्रा सभी स्थानों में तथा सदैव एक सी नहीं रहती। समयानुसार उसमें अंतर होते रहते हैं। यह जलवाष्प नदी, तालाब, झील, सागर आदि के जल के वाष्पीकरण से बनता है।

वायुमंडलीय आर्द्रता में दो बातों पर ध्यान देना चाहिए:

  1. परम आर्द्रता - किसी विशेष ताप पर वायु के इकाई आयतन में विद्यमान भाप की मात्रा को कहते हैं।
  2. आपेक्षिक आर्द्रता - प्रतिशत में व्यक्त वह संबंध है जो उस वायु में विद्यमान भाप की मात्रा में और उसी ताप पर उसी आयतन की संतृप्त वायु की भाप मात्रा में होता है।

वायुमंडलीय आर्द्रता को मुख्यत: दो प्रकार के मापियों से मापते हैं:

  1. रासायनिक आर्द्रतामापी
  2. भौतिक आर्द्रतामापी

वायुमंडलीय ताप का मूलस्रोत सूर्य है। वायु को सूर्य की अपेक्षा पृथ्वी के संस्पर्श से अधिक ऊष्मा मिलती है, क्योंकि उसपर धूलिकणों का प्रभाव पड़ता है। ये धूलिकण, जो ऊष्मा के कुचालक होते हैं, भूपृष्ठ पर एवं उसके निकट अधिक होते हैं और वायुमंडल में ऊँचाई के अनुसार कम होते जाते हैं। अत: प्रारंभ में सूर्य की किरणें धरातल को गरम करती हैं। फिर वही ऊष्मा संचालन (conduction) द्वारा क्रमश: वायुमंडल के निचले स्तर से ऊपरी स्तर की ओर फैलती जाती है। इसके अतिरिक्त गरम होकर वायु ऊपर उठती है, रिक्त स्थान की पूर्ति अपेक्षाकृत ठंढी वायु करती है; फिर वह भी गरम होकर ऊपर उठती है। फलत: संवाहन धाराएँ उत्पन्न हो जाती हैं। अत: ऊष्मा के ऊपर फैलने में संचालन और संवाहन काम करते हैं।

वायुमंडलीय दबाव[संपादित करें]

उंचाई के साथ वायुमण्डल के घनत्व तथा तापमान का परिवर्तन

वायुमंडलीय दबाव अथवा वायुदाब किसी स्थान के इकाई क्षेत्रफल पर वायुमंडल के स्तंभ का भार होता है। किसी भी समतल पर वायुमंडल दबाव उसके ऊपर की वायु का भार होता है। यह दबाव भूपृष्ठ के निकट ऊँचाई के साथ शीघ्रता से, तथा वायुमंडल में अधिक ऊंचाई पर धीरे धीरे, घटता है। परंतु किसी भी स्थान पर वायु की ऊँचाई के सापेक्ष स्थिर नहीं रहता है। मौसम और ऋतुओं के परिवर्तन के साथ इसमें अंतर होते रहते हैं।

वायुमंडलीय दबाव विभिन्न वायुदाबमापियों (बैरोमीटरों) द्वारा नापा जाता है। सागर तल पर वायुमंडलीय दबाव 760 मिमि पारास्तम्भ के दाब के बराबर होता है। वायु दाब मापने की इकाई मिलीबार है। समुंद्री तल पर औसत वायुमंडलीय दाब 1013.25 मिलीबार(MB) होता है । इनका अर्थ एक ही है। इसके आधार पर मानचित्र पर इसे समदाब रेखाओं द्वारा प्रदर्शित किया जाता है। इन्हीं पर वायु-भार-पेटियाँ, हवाओं की दिशा, वेग, दिशा परिवर्तन आदि निर्भर करते हैं।[4]

वायुमण्डल की परतें[संपादित करें]

वायुमण्डल की विभिन्न परतों में क्या-क्या उपस्थित हैं

वायुमण्डल का घनत्व ऊंचाई के साथ-साथ घटता जाता है। वायुमण्डल को 5 विभिन्न परतों में विभाजित किया गया है।

  • क्षोभमण्डल
  • समतापमण्डल
  • मध्यमण्डल
  • तापमण्डल
  • बाह्यमण्डल

क्षोभमंडल[संपादित करें]

क्षोभमण्डल वायुमंडल की सबसे निचली परत है। यह मण्डल जैव मण्डलीय पारिस्थितिकी तंत्र के लिए सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण है क्योंकि मौसम संबंधी सारी घटनाएं इसी में घटित होती हैं। प्रति 165 मीटर की ऊंचाई पर वायु का तापमान 1 डिग्री सेल्सियस की औसत दर से घटता है। इसे सामान्य ताप पतन दर कहते है। इसकी ऊँचाई ध्रुवो पर 8 से 10 कि॰मी॰ तथा विषुवत रेखा पर लगभग 18 से 20 कि॰मी॰ होती है।

इस मंडल को संवहन मंडल,अधो मंडल और वायु मंडल की सबसे छोटी परत भी कहा जाता हैं। और निम्न स्तर का परत भी कहा जाता है।

समतापमण्डल[संपादित करें]

  • ओजोन मण्डल समतापमंडल 38 से 50 किलोमीटर तक विस्तृत है। (समतापमंडल में लगभग 60 से 80 किलोमीटर तक ओजोन गैस पाया जाता है जिसे ओजोन परत कहा जाता है ) इस मण्डल में तापमान स्थिर रहता है तथा इसके बाद ऊंचाई के साथ बढ़ता जाता है। समताप मण्डल बादल तथा मौसम संबंधी घटनाओं से मुक्त रहता है। इस मण्डल के निचले भाग में जेट वायुयान के उड़ान भरने के लिए आदर्श दशाएं हैं। इसकी ऊपरी सीमा को 'स्ट्रैटोपाज' कहते हैं। इस मण्डल के निचले भाग में ओज़ोन गैस बहुतायात में पायी जाती है। इस ओज़ोन बहुल मण्डल को ओज़ोन मण्डल कहते हैं। ओज़ोन गैस सौर्यिक विकिरण की हानिकारक पराबैंगनी किरणों को सोख लेती है और उन्हें भूतल तक नहीं पहुंचने देती है तथा पृथ्वी को अधिक गर्म होने से बचाती हैं।यहाँ से ऊपर जाने पर तापमान में बढोतरी होती है ओजोन परत टूटने की इकाई डाब्सन मे मापी जाती है।ओजोन परत को के लिए 1987 ईo में मौंट्रियल समझौता कनाडा में हुआ।

मध्यमण्डल[संपादित करें]

यह वायुमंडल की तीसरी परत है जो समताप सीमा के ऊपर स्थित है। इसकी ऊंचाई लगभग 80 किलोमीटर तक है। अंतरिक्ष से आने वाले उल्का पिंड इसी परत में जलते है। इस मंडल में ऊंचाई के साथ तापमान में पुनः गिरावट होने लगती है।[5]

ताप मंडल[संपादित करें]

इस मण्डल में ऊंचाई के साथ ताप में तेजी से वृद्धि होती है। तापमण्डल को पुनः दो उपमण्डलों 'आयन मण्डल' तथा 'आयनसीमा मण्डल' में विभाजित किया गया है। आयन मण्डल, तापमण्डल का निचला भाग है जिसमें विद्युत आवेशित कण होते हैं जिन्हें आयन कहते हैं। ये कण रेडियो तरंगों को भूपृष्ठ पर परावर्तित करते हैं और बेहतर संचार को संभव बनाते हैं। तापमण्डल के ऊपरी भाग आयनसीमा मण्डल की कोई सुस्पष्ट ऊपरी सीमा नहीं है। इसके बाद अन्तरिक्ष का विस्तार है। यह बहुत ही महत्वपूर्ण परत है।

तापमंडल के निचले हिस्से में आयनमण्डल नामक परत पाई जाती है। यह परत 80 से 500 किलोमीटर की ऊंचाई तक विस्तृत है। आयन मंडल की निचली सिमा में ताप प्रायः कम होता है जो ऊंचाई के साथ बढ़ते जाता है जो 250 किमी० में 700℃ हो जाता है। इस मंडल में सूर्य के अत्यधिक ताप के कारण गैसें अपने आयनों में टुट जाती हैं। इस लेयर से रेडियो वेब रिटर्न होती है

बाह्यमण्डल[संपादित करें]

धरातल से 500 से 1000 किमी० के मध्य बहिर्मंडल पाया जाता है, कुछ विद्वान इसको 1600 किमी० तक मानते है। इस परत का विशेष अध्ययन लैमेन स्पिट्जर ने किया था। इसमें हीलियम तथा हाइड्रोजन गैसों की अधिकता है।[3]

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

  • वायुमंडल (खगोलीय)
  • वायुमंडलीय दाब
  • अंतरिक्ष
  • मौसम
  • मौसम विज्ञान
  • जलवायु
  • पवन

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. "क्यों है पृथ्वी पर वायुमंडल?". देशबंधु. 15 मार्च 2019.
  2. "पृथ्वी के वायुमंडल से जुड़े महत्‍वपूर्ण तथ्‍य और जानकारी". आज तक. मूल से 17 फ़रवरी 2017 को पुरालेखित.
  3. ↑ अ आ इ ई "पृथ्वी के वायुमण्डल की संरचना व संगठन". जागरण जोश. मूल से 2 सितंबर 2017 को पुरालेखित.
  4. "भूमंडलीय आदर्श वायुदाब वाले क्षेत्रो की सूची". जागरण जोश.
  5. "वायुमंडल की संरचना". Jagran Josh. मूल से 2 सितंबर 2017 को पुरालेखित.

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]

  • वायुमंडल किसे कहते हैं | वायुमंडल की परतें
  • वायुमंडल का संघटन एवं संरचना

वायुमंडल का सबसे गर्म मंडल कौन सा है?

वायुमंडल वातावरण की सबसे गर्म परत है जबकि मध्यमण्डल वातावरण की सबसे ठंडी परत है।.
सौर गतिविधि ताप मंडल में तापमान को दृढ़ता से प्रभावित करती है, इस परत का तापमान अधिकतम 1500 डिग्री सेल्सियस हो सकता है।.
सूर्य की एक्स-रे और यूवी विकिरण थर्मोस्फियर में अवशोषित होती है।.

सर्वाधिक गर्म मंडल कौन सा है?

हमारे सौर मंडल का सबसे गर्म ग्रह है शुक्र. हालांकि बुध ग्रह सूरज के सबसे क़रीब है इसलिए उसे सबसे गर्म होना चाहिए लेकिन सूरज के इतने क़रीब होने की वजह से ही उसका वायुमंडल नष्ट हो चुका है. जबकि शुक्र का वायुमंडल मुख्यरूप से कॉर्बनडाइऑक्साइड से भरा हुआ है जो एक तरफ़ा रास्ते का काम करता है.

वायुमंडल की सबसे ठंडी परत का नाम क्या है?

मध्यमंडल, वायुमंडल की सबसे ठंडी परत है।.
इसका विस्तार 80 किलोमीटर से 640 किलोमीटर तक है।.
ऊंचाई में वृद्धि के साथ इस परत में तापमान बढ़ता है।.
आयनमंडल रेडियो तरंगों को दर्शाता है।.

वायुमंडल के गर्म होने को क्या कहते हैं?

तापमान तथा उष्मा का क्षैतिज रूप में स्थानांतरण अभिवहन कहलाता हैं! क्षैतिजाकार गतिमान वायु किसी भी स्थान पर पहुँच कर वहाँ के तापमान को प्रभावित करतीं हैं! गर्म हवाएँ तापमान को बढ़ा देती है और शीतल हवाएं तापमान को कम कर देती हैं वायुमंडल के इस प्रकार गर्म अथवा ठंडे होने की प्रक्रिया को अभिवहन कहते हैं!

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