कल्पना चावला की मौत कैसे हुई थी वीडियो - kalpana chaavala kee maut kaise huee thee veediyo

कल्पना चावला… नाम सुनते ही चेहरा सामने आ जाता है। जिनकी मुस्कान ये बता रही थी कि हम भारतीय हैं। ना किसी से वैर है हमारा, बस प्रीत का नाता है। हमें कम मत आंकना हमें आसमान झुकाना आता है। वो पहली भारतीय महिला थीं जो NASA में अंतरिक्ष यात्री के तौर पर शामिल हुईं। 1 फरवरी 2003 को अंतरिक्ष में 16 दिन बिताने के बाद कल्पना चावला अपने 6 अन्य साथियों के साथ धरती पर लौट रही थीं, तभी यान क्षतिग्रस्त हो गया था। इस दुर्घटना में चावला समेत सभी यात्रियों की मौत हो गई थी। लेकिन देश की बेटी को हमने अपने दिलों में आज भी जिंदा रखा है। आज भी वो हमारे लिए एक मिसाल हैं और हमेशा रहेंगी।

1998 में चुना गया था

कल्पना चावला को साल 1998 में पहली उड़ान के लिए चुना गया था। वो अंतरिक्ष में उड़ने वाली पहली भारतीय महिला थीं। इससे पहले राकेश शर्मा ने 1984 में सोवियत अंतरिक्ष यान से उड़ान भरी थी।

अंतरिक्ष में किया इतना सफर

कल्पना चावला ने अपने पहले मिशन में 1.04 करोड़ मील सफर तय कर पृथ्वी की 252 परिक्रमाएं और 360 घंटे अंतरिक्ष में बिताए।

इस दिन हुई थीं पैदा…

वैसे तो उनका जन्म 17 मार्च, 1962 को हुआ था लेकिन ऑफिशल जन्म तिथि 1 जुलाई, 1961 दर्ज करवाई गई थी ताकि उनके दाखिले में आसानी हो।

प्यार से बुलाते थे मोंटू

उनका जन्म हरियाणा के करनाल में हुआ। पिता बनारसी लाल चावला और मां संजयोती के घर 17 मार्च 1962 को जन्मीं कल्पना अपने चार भाई-बहनों में सबसे छोटी थीं। घर में सब उन्हें प्यार से मोंटू बुलाते थे।

पिता चाहते थे कि डॉक्टर बनें

उनकी शुरू की पढ़ाई तो करनाल के टैगोर बाल निकेतन में हुई। जब वह आठवीं क्लास में पहुंचीं तो उन्होंने अपने पिता से इंजिनियर बनने की इच्छा जाहिर की। पिता चाहते थे कि वो डॉक्टर या टीचर बने।

बचपन से ही स्पेस में थी रूचि

उनके परिजनों का कहना है कि बचपन से ही कल्पना की दिलचस्पी अंतरिक्ष में थी। वो खगोलीय परिवर्तन को लेकर काफी पढ़ती रहती थी। वह अकसर अपने पिता से पूछा करती थीं कि ये अंतरिक्षयान आकाश में कैसे उड़ते हैं? क्या मैं भी उड़ सकती हूं? पिता बनारसी लाल उनकी इस बात को हंसकर टाल दिया करते थे।

कराटे भी सीखा थे

पढ़ाई के साथ-साथ उनकी रूचि खेलों में भी थी। उन्होंने अपने कॉलेज के दिनों में कराटे भी सीखा था। उन्हें बैडमिंटन खेलना और दौड़ों में भाग लेना भी काफी पसंद था।

अमेरिका में की पढ़ाई

कहते हैं ना कि सपनों की उड़ान को कोई नहीं रोक सकता। वो अपने इन्हीं सपनों की उड़ान भरने के लिए 1982 में अमेरिका गईं और यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सस से एयरोस्पेस इंजिनियरिंग में मास्टर्स डिग्री ली।

पायलट का लाइसेंस भी था

पता है आपको कल्पना चावला के पास सीप्लेन, मल्टि इंजन एयर प्लेन और ग्लाइडर के लिए कमर्शल पायलट लाइसेंस थे। 1995 में कल्पना नासा में अंतरिक्ष यात्री के तौर पर शामिल हुई थीं। और 1998 में उन्हें अपनी पहली उड़ान के लिए चुना गया।

मिल चुके हैं कई पुरस्कार

उनका विवाह जीन पीएर हैरिसन से 1983 में हुआ। वह उड़ान प्रशिक्षक और विमानन लेखक थे। उनको कई पुरस्कार भी मिल चुके हैं, जिनमें कॉन्ग्रेशनल अंतरिक्ष पदक सम्मान, नासा अंतरिक्ष उड़ान पदक और नासा विशिष्ट सेवा पदक शामिल हैं।

इसे बोलते हैं हिम्मती होना

पता है उनके वे शब्द सत्य हो गए जिसमें उन्होंने कहा था, ‘मैं अंतरिक्ष के लिए ही बनी हूं। हर पल अंतरिक्ष के लिए ही बिताया है और इसी के लिए मरूंगी।’

अंतरिक्ष में जाने वाली पहली भारतीय महिला कल्पना चावला की मौत 1 फरवरी 2003 को अंतरिक्ष से वापस लौटते वक्त हुई थी.

खास बातें

  • कल्पना चावला की मौत 1 फरवरी 2003 को अंतरिक्ष से वापस लौटते वक्त हुई थी.
  • 41 साल की उम्र में अपनी दूसरी अंतरिक्ष यात्रा के दौरान हुआ था हादसा.
  • कल्पना हरियाणा के करनाल में पैदा हुई थीं.

नई दिल्ली:

अंतरिक्ष में जाने वाली पहली भारतीय महिला कल्पना चावला की मौत 1 फरवरी 2003 को अंतरिक्ष से वापस लौटते वक्त हुई थी. अक्सर कल्पना कहा करती थीं मैं अंतरिक्ष के लिए ही बनीं हूं, हर पल अंतरिक्ष के लिए बिताया और इसी के लिए मरूंगी. यह बात उनके लिए सच भी साबित हुई. उन्होंने 41 साल की उम्र में अपनी दूसरी अंतरिक्ष यात्रा की, जिससे लौटते समय वह एक हादसे का शिकार हो गईं. आइए जानते हैं उनकी लाइफ से जुड़ी ऐसी बातें जो बहुत कम लोग जानते हैं...

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कैसे सपना हुआ सच
कल्पना हरियाणा के करनाल में बनारसी लाल चावला के घर 17 मार्च 1962 को जन्मी थीं. अपने चार भाई-बहनों में वह सबसे छोटी थीं. प्यार से घर में उन्हें मोंटू पुकारा जाता था. कल्पना में 8वीं क्लास के दौरान ही अपने पिता से इंजीनियर बनने की इच्छा जाहिर कर दी थी, लेकिन उनके पिता की इच्छा थी कि वह डॉक्टर या टीचर बनें. उनकी शुरुआती पढ़ाई करनाल के टैगोर बाल निकेतन में हुई. स्कूली पढ़ाई के बाद कल्पना ने पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज 1982 में ग्रेजुएशन पूरा किया.

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इसके बाद वह अमेरिका चली गईं और 1984 टेक्सस यूनिवर्सिटी से आगे की पढ़ाई की. 1995 में कल्पना नासा में अंतरिक्ष यात्री के तौर पर शामिल हुईं और 1998 में उन्हें अपनी पहली उड़ान के लिए चुना गया. कल्पना के बारे में कहा जाता है कि वह आलसी और असफलता से घबराने वाली नहीं थीं.

ऐसे हुई मौत
जब उनका विमान कामयाबी के आगाज के साथ धरती पर लौट रहा था. तभी अचानक सफलता का यह जश्न पलभर में ही मातम में बदल गया और हर मुस्कुराते चेहरे पर उदासी छा गई. सभी बेसब्री से कल्पना चावला के लौटने का इंतजार कर रहे थे, लेकिन खबर कुछ और ही आई. वैज्ञानिकों के मुताबिक- जैसे ही कोलंबिया ने पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश किया, वैसे ही उसकी उष्मारोधी परतें फट गईं और यान का तापमान बढ़ने से यह हादसा हुआ.

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कल्पना चावला की मृत्यु का क्या कारण था?

कल्पना चावला (भारांग: फाल्गुन 26, 1883 / ग्रेगोरी कैलेण्डर: मार्च 17, 1962 - 1 फरवरी 2003), एक भारतीय अमरीकी अन्तरिक्ष यात्री और अन्तरिक्ष शटल मिशन विशेषज्ञ थी और अन्तरिक्ष में जाने वाली प्रथम भारतीय महिला थी। वे कोलंबिया अन्तरिक्ष यान आपदा में मारे गए सात यात्री दल सदस्यों में से एक थीं।

कल्पना चावला की अंतरिक्ष में मृत्यु कैसे हुई?

वह अंतरिक्ष पर उड़ान भरने वाली पहली भारतीय मूल की महिला थीं। उनकी यह उपलब्धि केवल महिलाओं के लिए प्रेरणा नहीं, बल्कि पूरे भारत के लिए गर्व की बात है। आज कल्पना चावला की पुण्यतिथि है। 1 फरवरी 2003 को कोलंबिया स्पेस शटल के दुर्घटनाग्रस्त होने के साथ ही यान में सवार सभी अंतरिक्ष यात्रियों की मौत हो गई थी।

कल्पना चावला जिंदा है क्या?

1 फ़रवरी 2003कल्पना चावला / मृत्यु तारीखnull

कल्पना चावला के अंतरिक्ष यान का नाम क्या था?

सही उत्तर कोलंबिया है। कल्पना चावला एक अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री, इंजीनियर और अंतरिक्ष में जाने वाली भारतीय मूल की पहली महिला थीं। उन्होंने पहली बार मिशन विशेषज्ञ और प्राथमिक रोबोटिक आर्म ऑपरेटर के रूप में 1997 में अंतरिक्ष यान कोलंबिया में उड़ान भरी।

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