बच्चों में आयरन की कमी को दूर करने के लिए सरकारी अभियान चलाया जा रहा है, ताकि एनीमिया की समस्या पर काबू पाया जा सके। इसका लाभ कैसे उठाएं, क्या सावधानी बरतें, बता रही हैं क्षमा शर्मा
देश में इन दिनों मां-बच्चों की सुरक्षा के लिए आयरन और नीली गोली का अभियान चलाया जा रहा है। इसमें बच्चों के स्कूलों को भी शामिल किया गया है। हर हफ्ते बच्चों को एक गोली खानी है। स्वास्थ्य मंत्रालय के सर्वेक्षण में पता चला है कि यहां बच्चे बहुत अधिक आयरन की कमी से पीडित हैं। देश भर में 30 फीसदी किशोरियां और 56 फीसदी किशोर आयरन की कमी से पीडित हैं। आंकड़े बताते हैं कि हर दो लड़कियों में से एक लड़की और हर तीन लड़कों में से एक लड़के को एनीमिया है।
क्या होता है एनीमिया से
एनिमिक होने के कारण इन बच्चों को तमाम तरह की शारीरिक और मानसिक बीमारियों को झेलना पड़ता है। उनकी याददाश्त, शारीरिक विकास, थकान और सांस फूलने के कारण वे छोटे-छोटे काम भी नहीं कर पाते, जबकि भारत में किशोरों की संख्या दुनियाभर के किशोरों की तुलना में ज्यादा है। यह संख्या 243 मिलियन है। भारत में आज भी बड़ी
संख्या में छोटी उम्र में लड़कियों की शादी कर दी जाती है। अगर वे पहले से एनिमिक हैं और गर्भवती भी हो गईं हैं तो उन्हें काफी मुश्किलों से गुजरना पड़ता है। यही नहीं, उनकी संतानों को भी एनिमिक होने का खतरा रहता है।
एनीमिया है क्या
आखिर एनीमिया क्या है। खून के लाल सैल को हीमोग्लोबिन कहते हैं। ये लाल रक्त कण फेफड़ों तथा शरीर के अन्य भागों में ऑक्सीजन पहुंचाते हैं। शरीर में हीमोग्लोबिन ठीक रहे, इसके लिए शरीर में आयरन, फॉलिक एसिड, विटामिन सी, प्रोटीन और विटामिन बी 12 की मात्रा
ठीक होनी चाहिए। ये शरीर के जरूरी तत्व हैं और इनमें से किसी को भी शरीर खुद नहीं बना सकता। अगर भोजन में इनमें से किसी भी तत्व की कमी हो तो शरीर में हीमोग्लोबिन कम हो जाता है और शरीर में पीलापन आ जाता है। जब किसी के शरीर में उसकी आयु के मुताबिक कम हीमोग्लोबिन होता है तो उसे एनिमिक कहा जाता है। हीमोग्लोबिन कम होने से शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा कम हो जाती है। सांस फूलने लगती है। थकान और चिड़चिड़ापन बना रहता है। आयरन की कमी के कारण सबसे अधिक एनीमिया होता है। आंखें, जीभ, त्वचा, होंठ पीले पड़ जाते हैं।
चेहरे और पांवों में सूजन आ जाती है। 50 प्रतिशत से ज्यादा एनीमिया आयरन की कमी के कारण होता है। ऐसे में छोटे से छोटा काम करने पर भारी थकावट महसूस होती है। इससे बच्चों का पढ़ाई में भी मन नहीं लगता। वे मैथ्स में अच्छा नहीं कर पाते और कमजोरी के कारण अक्सर स्कूल से अनुपस्थित रहते हैं। किशोरावस्था के दौरान ही बच्चे बढ़वार में पड़ते हैं, लड़कियों को मासिक धर्म शुरू होता है, जिससे उनमें एनिमिक होने का खतरा बढ़ जाता है। एनिमिक लड़कियों के बच्चे अक्सर एनिमिक होते हैं, इसलिए जरूरी है कि किशोरावस्था में ही
हीमोग्लोबिन की कमी को दूर किया जाए, जिससे किशोर-किशोरियां स्वस्थ नागरिक बन सकें। इसके लिए ऐसे भोजन की जरूरत है, जिसमें आयरन भरपूर मात्रा में हो। इसीलिए स्वास्थ्य मंत्रालय, नेशनल रूरल हैल्थ मिशन, युनिसैफ व तमाम समाजसेवी संस्थाओं ने मिल कर तय किया कि आयरन की कमी को दूर करने के अभियान को राष्ट्रीय स्तर पर चलाया जाए। एनीमिया तीन तरह का हो सकता है- माइल्ड, मॉडरेट और सीवियर। हीमोग्लोबिन का प्रतिशत यदि सात से कम हो तो सीवियर एनीमिया कहलाता है, जो एक गम्भीर स्थिति है।
हाल ही में हरियाणा सरकार,
नेशनल रूरल हैल्थ मिशन और युनिसैफ ने मिल कर एक सेमिनार का आयोजित किया था, जिसमें बच्चों को नियमित रूप से आयरन और फॉलिक एसिड लेने पर जोर दिया गया था।
किशोरों की मदद क्यों?
ताकि कक्षा में ध्यान केन्द्रित कर सकें।
दिनभर ऊर्जावान महसूस करें।
खेलने में परेशानी न हो।
अच्छी तरह से पढ़ सकें।
आयरन की गोली खाते वक्त इन बातों का ध्यान रखें
कभी खाली पेट न खाएं।
गोली को चबा कर न खाएं
गोली खाने के साथ एक गिलास पानी जरूर पिएं।
बीमार होने पर खाना बंद न करें।
कोई दिक्कत हो तो डॉक्टर से संपर्क करें।
जंक फूड से हो सकते हैं एनीमिया के शिकार
ऑल इंडिया मेडिकल साइंस, नई दिल्ली में हुई एक रिसर्च के अनुसार जो बच्चे कुपोषित नहीं हैं और ठीक से खाते-पीते हैं, वे भी एनीमिया का शिकार हो सकते हैं। दिल्ली में मोटापे के शिकार 5 से 11 साल के बच्चों में 31 प्रतिशत एनीमिया के शिकार हैं। जंक फूड अधिक खाने और किसी भी प्रकार की फिजिकल एक्टिविटी न करने से ऐसा होता है।
क्या खाने से आयरन बढ़ सकता है
पालक, बथुआ, मेथी, सोया, चुकंदर, गाजर, टमाटर, आंवला, सेब, खजूर, मांस, मछली, अंडा, बाजरा
इस भोजन के साथ फोलिक एसिड और छह महीने में एक बार पेट के कीड़े मारने वाली दवा जरूर लेनी चाहिए, जिससे आयरन शरीर में अच्छी तरह से खप सके। खाने से दो घंटे पहले और दो घंटे बाद तक चाय-कॉफी नहीं लेनी चाहिए। खाने के साथ अमरूद, बेर, संतरा, नींबू और आंवले का प्रयोग भी करना चाहिए।
आयरन की गोली सप्ताह में एक बार लेने से शरीर में आयरन की कमी को दूर किया जा सकता है। इसीलिए इसे जादुई गोली भी कहा जाता है।
हाल ही में हरियाणा में शुरू हुए इस अभियान में 16 लाख स्कूली बच्चों और तीस हजार स्कूल से बाहर के बच्चों को इस दवा की खुराक देने में शामिल किया गया है। जल्दी ही देश के करोड़ों बच्चे इसका लाभ उठा सकेंगे।
गांव के जिन स्कूलों में डॉक्टर जाते हैं, वहां बच्चों में भरोसा पैदा करने के लिए पहले वह गोली खाकर दिखाते हैं। शुरू में इसे खाने से उल्टी या पेट दर्द की शिकायत हो सकती है, मगर इससे न घबराएं। लगातार इस गोली को खाने से साइड इफेक्ट कम हो जाते हैं। हमेशा आयरन की गोली खाना खाने के बाद खाएं।
कितना हो हीमोग्लोबिन
उम्र हीमोग्लोबिन
6 माह से 5 वर्ष 11.00
5 से 11 वर्ष 11.50
12 से 14 वर्ष 12.00
किशोरियां 12.00
गर्भवती स्त्रियां 11.00
किशोर और पुरुष 13.00