निम्न में से कौन रक्त परिसंचरण को नियंत्रित करता है? - nimn mein se kaun rakt parisancharan ko niyantrit karata hai?

हमारा हृदय हमारे शरीर के सबसे महत्वपूर्ण अंगों में से एक है। यह अंग हमारे परिसंचरण प्रणाली के बीच में स्थित है, जो धड़कते हुए शरीर के चारों ओर रक्त का प्रवाह करता है। रक्त शरीर में ऑक्सीजन और पोषक तत्व भेजता है और अवांछित कार्बन डाइऑक्साइड और अपशिष्ट पदार्थों को बाहर निकालता है। हृदय कार्डियोवास्कुलर सिस्टम का एक प्रमुख अंग होता है, जिसमें रक्त वाहिकाएं शामिल होती हैं जो रक्त को हृदय से पूरे शरीर तक और फिर वापस हृदय तक ले जाती हैं।

हृदय पंजरे के नीचे, सीने के केंद्र में और फेफड़ों के बीच में स्थित होता है। यह शंख के आकार जैसा होता है, जिसका सिरा बाईं ओर नीचे की ओर होता है और इसका वजन लगभग 298 ग्राम या 10.5 औंस होता है। हृदय 75% छाती के बाईं ओर और बाकी दाईं ओर स्थित होता है। चूँकि यह मांसपेशियों का पंप है, इसमें चार चैम्बर और वाल्व शामिल हैं जो हृदय से पूरे शरीर तक और फिर वापस हृदय तक रक्त पंप करने का अपना कार्य करते हैं। हृदय के शीर्ष दोनों चैम्बर्स को एट्रिआ के रूप में जाना जाता है, जबकि नीचे के दोनों हिस्सों को वेंट्रिकल कहा जाता है। इस प्रकार, हृदय के दाहिने हिस्से में दायाँ एट्रिआ और दायाँ वेंट्रिकल होते हैं तथा बाएं हिस्से में बायाँ एट्रिआ बायाँ वेंट्रिकल शामिल होते हैं। मांसपेशियों की दीवार जो दोनों पक्षों को अलग करती है, उसे सेप्टम कहा जाता है। एट्रिआ और वेंट्रिकल एक साथ काम करते हैं, जो  हृदय से रक्त को पंप करके पुरे शरीर में भेजते हैं, फिर रक्त वापस लाने के लिए संकुचन और आराम करते हैं।

हमारे हृदय का प्रमुख काम है धमनियों के माध्यम से ऑक्सीजन और पोषक तत्वों से भरपूर रक्त को ऊतकों और शरीर के अन्य हिस्सों तक पंप करते हुए पहुंचाना। हृदय के रक्त पंप चक्र को हृदय चक्र कहा जाता है। हमारे हृदय को हमारे शरीर की सबसे कठिन काम करने वाली मांसपेशी माना जाता है, और औसतन एक सामान्य मानव का दिल एक मिनट में 72 से 80 बार धड़कता है यानी 4,800 बार प्रति घंटा, 115,200 बार प्रति दिन, और 42,048,000 बार प्रति वर्ष के करीब धड़कता है। यदि कोई व्यक्ति 80 वर्ष तक जीवित रहता है तो उसका दिल पूरे जीवनकाल में 3 बिलियन बार धड़कता है। क्या कमाल की मांसपेशी होती है! उचित परिसंचरण चक्र में, ऑक्सीजन-मुक्त रक्त दाएं एट्रिअम के माध्यम से हृदय में प्रवेश करता है और फिर दाएं वेंट्रिकल के माध्यम से फेफड़ों में जाता है ताकि ऑक्सीजन भर सके और कार्बन डाइऑक्साइड छोड़ सके। ताजा ऑक्सीजन युक्त रक्त को फिर से पुनर्वितरण के लिए दिल के बाएं कक्षों के माध्यम से शरीर के अन्य भागों में भेजा जाता है। पूरे शरीर में लगभग 5.6 लीटर रक्त प्रसारित होता रहता है।

दिल के बारे में रोचक तथ्य:

  • दिल का आकार औसतन एक वयस्क की मुट्ठी के बराबर होता है
  • एक दिल हर दिन लगभग 100,000 बार धड़कता है
  • शरीर में लगभग 100,000 मील रक्त वाहिकाएं हैं
  • गर्भाधान के 4 सप्ताह बाद दिल धड़कना शुरू कर देता है
  • दिल हर दिन लगभग 2000 गैलन रक्त पंप करता है
  • दिल मस्तिष्क या शरीर के बिना कार्य कर सकता है। इसकी अपनी विद्युत प्रणाली है जिसे कार्डियक चालन प्रणाली के रूप में जाना जाता है, जो हृदय की लय को नियंत्रित करती है
  • व्यक्ति के ब्रेन डेड होने के बाद भी या दिल को हटा दिए जाने के बाद भी दिल तब तक धड़कता रहता है, जब तक उसके पास ऑक्सीजन होती है
  • परी मक्खी (ततैया) में किसी भी जीवित प्राणी का सबसे छोटा दिल होता है और स्तनधारियों में, व्हेल का दिल सबसे बड़ा होता है
  • औसतन एक पुरुष का दिल एक महिला के दिल से 2 औंस भारी होता है
  • एक महिला का दिल एक पुरुष के दिल की तुलना में थोड़ा तेज धड़कता है
  • 1893 में पहली ओपन-हार्ट सर्जरी संयुक्त राज्य अमेरिका में डैनियल हेल विलियम्स द्वारा की गई थी
  • एक नवजात शिशु की हृदय गति प्रति मिनट 70 से 190 बीट्स होती है जबकि एक औसत वयस्क की हृदय गति 60 और 100 बीट्स प्रति मिनट होती है।

स्वस्थ आहार और स्वस्थ जीवन शैली दिल के स्वास्थ्य को बनाए रखने में बहुत महत्वपूर्ण है। अक्सर तनाव, व्यायाम की कमी, अस्वास्थ्यकर आहार की आदतों के कारण दिल का दौरा, दिल की विफलता, हृदय रोग आदि जैसी स्थितियां पैदा होती हैं, जो हृदय और जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित करती हैं। एक स्वस्थ जीवन के लिए दिल को हमेशा स्वस्थ बनाए रखें।

डॉ. शनमुख हिरमथ, वरिष्ठ सलाहकार कार्डियोवास्कुलर और थोरैसिक सर्जन, एसडीएम नारायणा हार्ट सेंटर, धारवाड़

बाँये आलिन्द (ऑक्सिजिनेटेड रक्त) `to` फेंफड़े (डीऑक्सिजिनेड रक्त) `to` दाँया आलिबाँया आलिन्द (डीऑक्सिजिनेटेड रक्त) `to` फेंफड़े (ऑक्सिजिनेटेड रक्त)`to` दाँया आलिन्द बाँया निलय (ऑक्सिजिनेटेड रक्त) `to` फेंफड़े (डीऑक्सिजिनेटेड रक्त) `to` बाँया आलिन्द दाँया आलिन्द (डीऑक्सिजिनेटेड रक्त) `to` फेंफड़े (ऑक्सिजिनेटेड रक्त) `to` बाँया आलिन्द

Solution : क्योंकि हृदय पेसमेकर हृदय आवेगों को उत्पन्न और नियंत्रित करता है।

तत्व यौगिक एवं मिश्रण भौतिक एवं रासायनिक अभिक्रियाएं धातु एवं अधातु-1 धातु एवं अधातु-2 प्रकाश लैंस विधुत धारा पारिस्थितिकी जन्तुओं का आर्थिक महत्त्व पोषक पदार्थ (विटामिन,प्रोटिन,वसा,खनिज,जल) पादपों का आर्थिक महत्त्व मानव तंत्रिका तंत्र(मस्तिष्क, मेरूरज्जु.......) अंतःस्त्रावी तंत्र(ग्रंथियां एवं हार्मोन्स) रक्त परिसंचरण तंत्र(हृदय, रक्त एवं रक्त वाहिनियां) मानव पाचन तंत्र उत्सर्जन तंत्र मानव रोग(कारक, कारण व निवारण) न्यूटन की गति के नियम अंतरिक्ष अनुसंधान कोशिका

विज्ञान

तत्व यौगिक एवं मिश्रण भौतिक एवं रासायनिक अभिक्रियाएं धातु एवं अधातु-1 धातु एवं अधातु-2 प्रकाश लैंस विधुत धारा पारिस्थितिकी जन्तुओं का आर्थिक महत्त्व पोषक पदार्थ (विटामिन,प्रोटिन,वसा,खनिज,जल) पादपों का आर्थिक महत्त्व मानव तंत्रिका तंत्र(मस्तिष्क, मेरूरज्जु.......) अंतःस्त्रावी तंत्र(ग्रंथियां एवं हार्मोन्स) रक्त परिसंचरण तंत्र(हृदय, रक्त एवं रक्त वाहिनियां) मानव पाचन तंत्र उत्सर्जन तंत्र मानव रोग(कारक, कारण व निवारण) न्यूटन की गति के नियम अंतरिक्ष अनुसंधान कोशिका

Please enable JavaScript

रक्त परिसंचरण तंत्र(हृदय, रक्त एवं रक्त वाहिनियां)

रक्त परिसंचरण तंत्र की खोज विलियम हार्वे ने कि।

पक्षियों एवं स्तनधारियों में बंद परिसंचरण (रक्त वाहिनियों में बहता है।) तंत्र होता है। कीटों में खुला परिसंचरण (रक्त सिधा अंगों के सम्पर्क में रहता है।)तंत्र होता है।

इसके मुख्य रूप से 3 अंग है।

  1. हृदय
  2. रक्त
  3. रक्त वाहिनियां

हृदय

मानव हृदय लाल रंग का तिकोना, खोखला एवं मांसल अंग होता है, जो पेशिय उत्तकों का बना होता है। यह एक आवरण द्वारा घिरा रहता है जिसे हृदयावरण कहते है। इसमें पेरिकार्डियल द्रव भरा रहता है जो हृदय की ब्राह्य आघातों से रक्षा करता है।

हृदय में मुख्य रूप से चार प्रकोष्ट होते हैै जिन्हें लम्बवत् रूप से दो भागों में बांटा जा सकता है।

दाहिने भाग में - बायां आलिन्द एवं बायां निलय

बायें भाग में - दायां आलिन्द एवं दायां निलय

हृदय का कार्य शरीर के विभिनन भागों को रक्त पम्प करना है। यह कार्य आलिन्द व निलय के लयबद्ध रूप से संकुचन एवं विश्रांती(सिकुड़ना व फैलना) से होता है। इस क्रिया में आॅक्सीकृत रक्त फुफ्फुस शिरा से बांये आलिन्द में आता है वहां से बायें निलय से होता हुआ महाधमनी द्वारा शरीर में प्रवाहित होता है। शरीर से अशुद्ध या अनाक्सीकृत रक्त महाशिरा द्वारा दाएं आलिंद में आता है और दाएं निलय में होता हुआ फुफ्फुस धमनी द्वारा फेफड़ों में आॅक्सीकृत होने जाता है। यही क्रिया चलती रहती है।

एक व्यस्क मनुष्य का हृदय एक मिनट में 72 बार धड़कता है। जबकि एक नवजात शिशु का 160 बार।

एक धड़कन में हृदय 70 एम. एल. रक्त पंप करता है।

हृदय में आलींद व निलय के मध्य कपाट होते है। जो रूधिर को विपरित दिशा में जाने से रोकते हैं। कपाटों के बन्द होने से हृदय में लब-डब की आवाज आती है।

हृदय धड़कन का नियंत्रण पेस मेकर करता है। जो दाएं आलिन्द में होता है इसे हृदय का हृदय भी कहते है।

हृदय धड़कन का सामान्य से तेज होना - टेकीकार्डिया

हृदय धड़कन का सामान्य से धीमा होना -ब्रेडीकार्डिया

तथ्य

हृदय का वजन महिला - 250 ग्राम, पुरूष - 300 ग्राम

हृदय के अध्ययन को कार्डियोलाॅजी कहते है।

प्रथम हृदय प्रत्यारोपण - 3 दिसम्बर 1967 डा. सी बर्नार्ड(अफ्रिका)

भारत में प्रथम 3 अगस्त 1994 डा. वेणुगोपाल

हृदय में कपाटों की संख्या - 4 होती है।

जारविस -7 प्रथम कृत्रिम हृदय है। जिसे राॅबर्ट जार्विक ने बनाया।

सबसे कम धड़कन ब्लु -व्हेल के हृदय की है - 25/मिनट

सबसे अधिक धड़कन छछुंदर - 800/मिनट

एक धड़कन में हृदय 70 एम. एल. रक्त पंप करता है।

मानव शरीर का सबसे व्यस्त अंग हृदय है।

हृदय में चार प्रकोष्ठ होते हैं।

रक्त

रक्त एक प्रकार का तरल संयोजी ऊतक है। रक्त का निर्माण लाल अस्थि मज्जा में होता है तथा भ्रूणावस्था में प्लीहा में रक्त का निर्माण होता है।

सामान्य व्यक्ति में लगभग 5 लीटर रक्त होता है। रक्त का Ph मान 7.4(हल्का क्षारीय) होता है।

रक्त का तरल भाग प्लाज्मा कहलाता है। जो रक्त में 55 प्रतिशत होता है। तथा शेष 45 प्रतिशत कणीय(कणिकाएं) होता है।

प्लाज्मा

प्लाज्मा में लगभग 92 प्रतिशत जल व 8 प्रतिशत कार्बनिक व अकार्बनिक पदार्थ घुलित या कोलाॅइड के रूप में होते है।

प्लाज्मा शरीर को रोगप्रतिरोधक क्षमता प्रदान करता है। उष्मा का समान वितरण करता है। हार्मोन को एक स्थान से दुसरे स्थान पर ले कर जाता है।

कणिय भाग(कणिकाएं)

रूधिर कणिकाएं तीन प्रकार की होती है।

1. लाल रूधिर कणिकाएं(RBC)

ये कुल कणिकाओं का 99 प्रतिशत होती है। ये केन्द्रक विहीन कोशिकाएं है। इनमें हिमोग्लोबिन पाया जाता है। जिसके कारण रक्त का रंग लाल होता है।हीमोग्लोबिन O2 तथा CO2 का शरीर में परिवहन करता है। इसकी कमी से रक्तहीनता(एनिमिया) रोग हो जाता है। लाल रक्त कणिकाएं प्लीहा में नष्ट होती है। अतः प्लीहा को लाल रक्त कणिकाओं का कब्रिस्तान भी कहते है।

एक व्यस्क मनुष्य में लाल रक्त कणिकाओं की संख्या लगभग 50 लाख/mm3 होती है इसका जिवन काल 120 दिन होता है।

2. श्वेत रक्त कणिकाएं(WBC)

ये प्रतिरक्षा प्रदान करती है। इसको ल्यूकोसाइट भी कहते है। इनकी संख्या 10 हजार/mm3 होती है। ये अस्थि मज्जा में बनती है। केन्द्रक की आकृति व कणिकाओं के आधार पर श्वेत रक्त कणिकाएं 5 प्रकार की होती है।

रक्त में श्वेत रक्त कणिकाओं का अनियंत्रित रूप से बढ़ जाना ल्यूकेमिया कहलाता है। इसे रक्त कैसर भी कहते है।

3. रक्त पट्टिकाएं(प्लेटलेट्स)

ये केन्द्रक विहिन कोशिकाएं है जो रूधिर का धक्का बनने में मदद करती है।इसका जिवन काल 5-9 दिन का होता है। ये केवल स्तनधारियों में पाई जाती है। रक्त फाइब्रिन की मदद से जमता है।

लसिका तंत्र

हल्के पीले रंग का द्रव जिसमें RBC तथा थ्रोम्बोसाइट अनुपस्थित होता है। केवल WBC उपस्थित होती है।

कार्य

रक्त की Ph को नियंत्रित करना।

रोगाणुओं को नष्ट करना।

वसा वाले ऊतकों को गहराई वाले भागों तक पहुंचाना।

लम्बी यात्रा करने पर लसिका ग्रन्थि इकठ्ठा हो जाती हैैै तब पावों में सुजन आ जाती है।

तथ्य

रक्त का अध्ययन हिमोटाॅलाॅजी कहलाता है।

रक्त निर्माण की प्रक्रिया हीमोपोइसिस कहलाती है।

ऊट व लामा के RBC में केन्द्रक उपस्थित होता है।

रक्त का लाल रंग फेरस आयन के कारण होता है जो हिमाग्लोबिन में पाया जाता है।

ऊंचाई पर जाने पर RBC की मात्रा बढ़ जाती है।

लाल रक्त कणीका का मुख्य कार्य आक्सीजन का परिवहन करना है।

मानव शरीर में सामान्य रक्त चाप 120/80 एम.एम. होता है।

लाल रक्त कणीकाओं का जीवनकाल 120 दिन का होता है।

रक्त समुह

मनुष्य के रक्त समुहों की खोज कार्ल लैण्डस्टीनर ने कि इन्हें चार भागों में बांटा जा सकता है।

  1. A(25%)
  2. B(35%)
  3. AB(10%)
  4. O(30%)

प्रतिजन(Antigen) - ये ग्लाइको प्रोटीन के बने होते है। ये RBC की सतह पर पाये जाते है। ये दो प्रकार के होते है।

  1. A
  2. B

प्रतिरक्षी(Antibody) - ये प्रोटिन के बने होते है। ये प्लाज्मा में पाए जाते है। ये दो प्रकार के होते है।

  1. a
  2. b

ये रक्त में प्रतिजन से विपरित यानि A प्रतिजन वाले रक्त में b प्रतिरक्षि होते है।

Blood GroupAntigenAntibodyAAbBBaABA,BNILONila,b

यदि दो भिन्न समुह के रूधिर को व्यक्ति में प्रवेश करवाया जाये तो प्रतिरक्षी व प्रतिजन परस्पर क्रिया कर चिपक जाते है। जिसे रक्त समुहन कहते है।

Rh factor(आर एच कारक)

इसकी खोज लैण्डस्टीनर तथा वीनर ने की यह एक प्रकार का प्रतिजन है। जिन व्यक्त्यिों में यह पाया जाता है उन्हें Rh +ve व जिनमें नहीं पाया जाता उन्हें Rh -ve कहते है।

यदि Rh +ve पुरूष का विवाह Rh -ve महिला से होता है तो पहली संतान तो सामान्य होगी परन्तु बाद वाली संतानों की भ्रूण अवस्था में मृत्यु हो जाती है। या बच्चा कमजोर और बिमार पैदा होता है इससे बचाव के लिए पहले बच्चे के जन्म के बाद Rh o का टिका लगाया जाता है जिससे गर्भाश्य में बने प्रतिरक्षी निष्क्रीय हो जाते है।

समान रूधिर समुह व भिन्न आर. एच. कारक वाले व्यक्तियों के मध्य रक्तदान कराने पर भी रूधिर समुहन हो जाने से रोगी की मृत्यु हो जाती है।

‘पीपी’ ब्लड ग्रुप

कर्नाटक में कस्तूरबा मेडिकल काॅलेज ने एक रेयर ब्लड गुप का पता लगाया है। इसका नाम ‘पीपी’ या ‘पी नल फेनोटाइप’ है। डाॅक्टरों का कहना है कि यह देश का पहला और अभी तक का इकलौता ऐसा व्यक्ति है। मरीज के ब्लड में ‘पीपी फेनोटाइप’ सेल्स हैं।

तथ्य

एक बार में मनुष्य 10 प्रतिशत रक्तदान कर सकता है। 2 सप्ताह बाद पुनः कर सकता है।

अधिकत्म 42 दिन तक रक्त को रक्त बैंक में रख सकते है।

रक्त को 4.4 oC तापमान पर रखा जाता है।

रक्त को जमने से रोकने के लिए इसमें सोडियम साइट्रेट, सोडियम ड्रेक्सट्रेट व EDTA मिलाते है जिसे प्रतिस्कन्दक कहते है। ये कैल्शीयम को बांध लेते है। जिससे रक्त जमता नहीं है।

Rh factor की खोज रीसस बंदर में कि गई।

सर्वदाता रक्त-समूह ओ 'O' है।

रक्त समूह AB को सर्वग्राही रक्त-समूह कहा जाता है।

रक्त वाहिनियां

शरीर में रक्त का परिसंचरण वाहिनियों द्वारा होता है। जिन्हें रक्त वाहिनियां कहते है। मानव शरीर में तीन प्रकार की रक्त वाहिनियां होती है।

1. धमनी 2. शिरा 3. केशिका

धमनी

शुद्ध रक्त को हृदय से शरीर के अन्य अंगों तक ले जाने वाली वाहिनियां धमनी कहलाती है। इनमें रक्त प्रवाह तेजी व उच्च दाब पर होता है। महाधमनी सबसे बड़ी धमनी है। फुफ्फुस धमनी में अशुद्ध रक्त प्रवाहित होता है।

शिरा

शरीर के विभिन्न अंगों से अशुद्ध रक्त को हृदय की ओर लाने वाली वाहिनियां शिरा कहलाती है। फुफ्फुस शिरा में शुद्ध रक्त होता है।

केशिकाएं

ये पतली रूधिर वाहिनियां है इनमें रक्त बहुत धीमे बहता है।

रूधिर दाब

हृदय जब रक्त को धमनियों में पंप करता है तो धमनियों की दिवारों पर जो दाब पड़ता है उसे रक्त दाब कहते है।

एक सामान्य मनुष्य में रक्त दाब 130/90 होता है।

रक्त दाब मापने वाले यंत्र को स्फिग्नोमिटर कहते है।

तथ्य

प्रत्येक रक्त कण को शरीर का चक्र पुरा करने में लगभग 60 सैकण्ड लगते हैं।

सामान्य मनुष्य के शरीर में 5 लीटर रक्त होता है प्रत्येक धड़कन में हृदय लगभग 70 एम.एल. रक्त पंप करता है।

सामान्य मनुष्य का हृदय एक मिनट(60 सैकण्ड) में 70-72 बार धड़कता है।

अतः 70X70 - 4.9 ली. जो की लगभग सामान्य मनुष्य के कुल रक्त के बराबर है।

Start Quiz!

« Previous Next Chapter »

Exam

Here You can find previous year question paper and model test for practice.

Start Exam

Current Affairs

Here you can find current affairs, daily updates of educational news and notification about upcoming posts.

निम्नलिखित में से कौन रक्त परिसंचरण में मदद करता है?

Detailed Solution. सही उत्‍तर है → लिम्फोसाइट्स।

रक्त परिसंचरण तंत्र का सबसे महत्वपूर्ण अंग कौन सा है?

इस तंत्र का केंद्र हृदय है, जो रुधिर को निरंतर पंप करता रहता है और धमनियाँ वे वाहिकाएँ हैं जिनमें होकर रुधिर अंगों में पहुँचता है तथा केशिकाओं द्वारा वितरित होता है।

निम्नलिखित में से कौन सा अशुद्ध रक्त संचार करता है?

महाधमनी सबसे बड़ी धमनी है। फुफ्फुस धमनी में अशुद्ध रक्त प्रवाहित होता है।

परिसंचरण का मुख्य अंग कौन है?

मानव के परिसंचरण तंत्र में रक्त नलिकाएं (Blood vessels) तथा हृदय मुख्य रूप से कार्य करते हैं। हृदय एक पेशीय अंग है, जिसका वजन लगभग 280 ग्राम होता है। हृदय एक पंप की तरह काम करता है। हृदय से रक्त धमनियों द्वारा शरीर के विभिन्न भागों को जाता है तथा वहां से शिराओं के द्वारा हृदय में वापस आता है।

Toplist

नवीनतम लेख

टैग