2 2011 की जनगणना के अनुसार भारत में जनजातियों की प्रतिशत जनसंख्या क्या है? - 2 2011 kee janaganana ke anusaar bhaarat mein janajaatiyon kee pratishat janasankhya kya hai?

जनजातीय कार्य मंत्रालय

वर्षांत समीक्षा 2018 : जनजातीय कार्य मंत्रालय

सभी मंत्रालयों से संबंधित अनुसूचित जनजाति घटक में वर्ष 2017-18 के 31,920 करोड़ रुपये से वर्ष 2018-19 में 37,802.94 करोड़ रुपये का इजाफा

ईमआरएस के गठन के संबंध में योजना में सुधार और विस्तार के लिए सरकार द्वारा महत्वपूर्ण उपायों की घोषणा

लगभग 5 करोड़ जनजातीय लोगों की आजीविका और आय में सुधार के लिए प्रधानमंत्री ने वन-धन योजना लांच की

जनजातीय स्वतंत्रता सेनानियों के योगदान को मान्यता देने के लिए दो राष्ट्र स्तरीय और चार राज्य स्तरीय संग्रहालयों का गठन

Posted On: 21 DEC 2018 2:16PM by PIB Delhi

अनुसूचित जनजाति के विकास संबंधी सभी नीतियों, योजनाओं और कार्यक्रमों के समन्वय के लिए जनजातीय कार्य मंत्रालय नोडल मंत्रालय है। वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार भारत की आबादी में लगभग 8.6 प्रतिशत अनुसूचित जनजातियां हैं। वर्ष 2018 में जनजातीय कार्य मंत्रालय ने जनजातीय लोगों की शिक्षा पर ध्यान दिया। इसके अलावा जनजातीय आबादी के आर्थिक सशक्तिकरण के लिए नई पहले की गईं तथा जनजातीय स्वतंत्रता सेनानियों के योगदान को रेखांकित करने तथा जनजातीय संस्कृति को उजागर करने के लिए संग्रहालय बनाने का फैसला किया गया। इस साल एकलव्य आदर्श आवासीय स्कूलों के गठन संबंधी प्रमुख योजना को दुरुस्त करने और उसमें सुधार के लिए एक बड़ी पहल की गई, ताकि जनजातीय लोगों तक बेहतर शिक्षा पहुंच सके।

वर्ष 2018 के दौरान प्रमुख गतिविधियां और उपलब्धियां

जनजातीय कार्य मंत्रालय, शिक्षा, अवसंरचना और आजीविका जैसी विशेष रूप से जनजातीय लोगों के लिए बनाई गई योजनाओं के जरिए अनुसूचित जनजाति के सामाजिक – आर्थिक विकास के लिए प्रयास कर रहा है। सरकार की कामकाज नियमावली के तहत मंत्रालय को अब यह अधिकार मिल गया है कि वह नीति आयोग द्वारा प्रतिपादित कार्य प्रणाली तथा रूपरेखा के आधार पर केन्द्रीय मंत्रालयों की निधि संबंधी जनजातीय उप-योजना (अब अनुसूचित जनजाति घटक) की निगरानी करेगा। लोक सेवा में लगातार सुधार के लिए जनजातीय कार्य मंत्रालय विभिन्न योजनागत पहलों की लगातार समीक्षा करता है। इसमें वे पहलें भी शामिल हैं जिनके तहत छात्रवृत्ति योजनाओँ को युक्तिसंगत बनाया जा रहा है। इनमें डीबीटी प्लेटफॉर्म और एनजीओ अनुदानों के लिए ऑनलाइन पोर्टल भी शामिल हैं।

जनजातीय कार्य मंत्रालय का बजट प्रावधान वर्ष 2017-18 के 5329.32 करोड़ रुपये से बढ़कर वर्ष 2018-19 में 5957.18 करोड़ रुपये हो गया है। मंत्रालय ने अनुसूचित जनजाति के विभिन्न विकास संबंधी पहलों के लिए आवंटित रकम का 74.69 प्रतिशत इस्तेमाल कर लिया है। मंत्रालय के दो विशेष क्षेत्र कार्यक्रम के तहत 2385.90 करोड़ रुपये की रकम 9 दिसंबर, 2018 को जारी कर दी गई। इनमें जनजातीय उप-योजना की विशेष केन्द्रीय सहायता तथा शिक्षा, स्वास्थ्य, आजीविका/आय सृजन गतिविधियों के लिए संविधान के अनुच्छेद 275(1) के तहत अनुदान शामिल हैं। इसी तरह सभी मंत्रालयों से संबंधित अनुसूचित जनजाति घटक में वर्ष 2017-18 के 31,920 करोड़ रुपये से वर्ष 2018-19 में 37,802.94 करोड़ रुपये का इजाफा हुआ है।

लोक वित्त प्रबंधन प्रणाली (पीएफएमएस) के कार्यान्वयन के साथ निधियों के आवंटन की कुशलता और उसे जारी करने की निगरानी में सुधार आया है जिसके साथ पारदर्शिता और जवाबदेही भी बढ़ी है। मंत्रालय द्वारा निधियां प्राप्त करने वाली सभी एजेंसियों को प्रणाली में शामिल किया गया है। इससे योजना लागू करने वाली एजेंसियों द्वारा निधियों के इस्तेमाल की समय पर निगरानी करने की सुविधा हो गई है।

जनजातीय विकास के लिए निधियों की निगरानी

कामकाजी नियमावली में जनवरी 2017 में संशोधन किया गया था। इससे जनजातीय कार्य मंत्रालय को केन्द्रीय मंत्रालयों के एसटीसी निधियों की निगरानी करने का अधिकार मिल गया है। जनजातीय कार्य मंत्रालय ने ऑनलाइन निगरानी प्रणाली तैयार की है, जिसके तहत जनजातीय उप-योजना/अनुसूचित जनजातीय घटक निधियों की निगरानी की जाती है। इसकी वेबसाइट का पता //stcmis.gov.in है। इस प्रणाली के अंतर्गत सीधे लोक वित्त प्रबंधन प्रणाली से आंकड़े लिए जा सकते हैं और यह खर्च तथा प्रावधान के जरिए समस्त जानकारियां देता है। पहलों के नतीजों और कामकाज की वास्तविक निगरानी को भी प्रणाली में शामिल किया गया है। एमआईएस में एक ऐसी सटीक पद्धति विकसित की गई है, जिसके तहत चालू परियोजनाओं के स्थान और लाभार्थियों का विवरण प्राप्त किया जा सकता है। इसके अलावा समन्वय और निगरानी के लिए मंत्रालयों/विभागों में नोडल अधिकारियों को नियुक्त किया गया है। नतीजों इत्यादि संबंधी आंकड़े अपलोड करने के लिए आवश्यक जानकारी नोडल अधिकारियों से साझा की जाती है। कारगर निगरानी के लिए नियमित समीक्षा बैठकें होती हैं।

299 विभिन्न योजनाओं के जरिए व्यापक क्षेत्रों में विशेष जनजातीय विकास के लिए एसटीसी निधियों वाले कुल 37 केन्द्रीय मंत्रालय और विभाग मौजूद हैं, जैसा कि बजट 2018-19 के व्यय रूपरेखा के वक्तव्य 10बी में दिया गया है। सभी मंत्रालयों में अनुसूचित जनजाति का कल्याण संबंधी प्रावधान वित्त वर्ष 2016-17 के 24,005 करोड़ रुपये से वित्त वर्ष 2017-18 में 31,920 करोड़ रुपये हो गया है। जनजातीय कार्य मंत्रालय के प्रयासों से एसटीसी खर्च कुल प्रावधान के 85 प्रतिशत से अधिक हो गया है। यह 2016-17 में संशोधित अनुमान चरण के कुल प्रावधान के आधार पर है और 2017-18 में इस आधार पर यह 96 प्रतिशत हो गया है। वर्ष 2018-19 के दौरान 37,802.94 करोड़ रुपये के कुल प्रावधान में से 9 दिसंबर, 2018 को 23,772.05 करोड़ रुपये जारी किये जा चुके हैं, जो कुल प्रावधान का 62.88 प्रतिशत है।

जहां तक राज्य टीएसपी निधियों का संबंध है, तो जनजातीय कार्य मंत्रालय के अथक प्रयासों से 2010 – 13 के ब्लॉक वर्षों के दौरान राज्यों के राज्य जनजाति उप-योजना के खर्च में 98 प्रतिशत का इजाफा हुआ है। उल्लेखनीय है कि ब्लॉक वर्ष 2010 – 13 में कुल 1,65,691 करोड़ रुपये खर्च किए गए थे। यह इजाफा वर्ष 2014-17 के संबंध में है, जहाँ कुल 3,27,574 करोड़ रुपये खर्च किए गए थे।

9 दिसम्बर, 2018 को विभिन्न केन्द्रीय मंत्रालयों/विभागों ने शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, सिंचाई, सड़क, आवास, विद्यतीकरण, रोजगार सृजन, कौशल विकास आदि से जुड़ी विभिन्न विकास परियोजनाओं के लिए कुल आवंटित एसटीसी राशि का 63 प्रतिशत जारी किया।

एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय योजना (ईएमआरएस)  

अनुसूचित जनजाति के बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के लिए एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय एक उत्कृष्ट प्रस्ताव है। छात्रावासों और कर्मचारियों के लिए मकान सहित स्कूल की इमारत के अलावा ईएमआरएस में खेल के मैदान, छात्रों के लिए कम्प्यूटर लैब, अध्यापकों के लिए कमरे आदि का प्रावधान किया गया है। इस योजना का उद्देश्य सामान्य आबादी और आदिवासियों की आबादी के बीच साक्षरता के स्तर में उत्पन्न खाई को पाटना है।

इस तारीख तक कुल 284 ईएमआरएस को मंजूरी दी गई, जिनमें से 219 काम कर रही हैं, इनमें करीब 65,231 छात्रों का नाम लिखा गया है।

आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति ने 17 दिसम्बर, 2018 को हुई अपनी बैठक में फैसला किया कि वर्ष 2022 तक 50 प्रतिशत से अधिक जनजातीय आबादी और कम से कम 20,000 जनजातीय व्यक्तियों वाले प्रत्येक खंड में एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय होगा। एकलव्य विद्यालय, नवोदय विद्यालयों की तर्ज पर होंगे और उनमें खेलों और कौशल विकास में प्रशिक्षण प्रदान करने के अलावा स्थानीय कला और संस्कृति को सुरक्षित रखने के लिए विशेष सुविधाएं होंगी। वर्ष 2022 तक शेष 462 जिलों में नई ईएमआरएस स्थापित करने का प्रस्ताव है, जिन्हें विभिन्न चरणों में इस प्रकार स्थापित किया जाएगा:-

वर्ष

2018-19

2019-20

2020-21

2021-22

कुल

ईएमआरएस की संख्या

50

100

150

162

462

जनजातीय मंत्रालय के अंतर्गत ईएमआरएस को चलाने के लिए नवोदय विद्यालय के समान स्वायत्तशासी सोसायटी स्थापित करने का फैसला किया गया है।

वर्ष 2019-20 से प्रति छात्र प्रति वर्ष आवर्ती लागत वर्तमान 61,500 रुपये से बढ़कर 1,09,000 रुपये कर दी गई है।

सीसीए के फैसले में खेल कोटा के अंतर्गत 20 प्रतिशत सीटों के आरक्षण और गैर अनुसूचित जनजाति छात्रों के लिए 10 प्रतिशत सीटों के आरक्षण की बात कही गई है।

वर्ष 2018-19 और 2019-20 के दौरान 2238.47 करोड़ रुपये के खर्च से प्रस्तावित योजना की शुरूआत की गई।

कौशल विकास

विशेष केन्द्रीय सहायता से लेकर जनजातीय उप-योजना (एससीए से टीएसएस) योजना के अंतर्गत विभिन्न राज्यों के लिए 118.65 करोड़ रुपये का खर्च रखा गया है। योजना व्यापारों के संपूर्ण विस्तार में 31,000 से अधिक पुरूष और महिला आदिवासी लाभान्वितों के लिए (i) कार्यालय प्रबंधन सहित योजना और प्रबंधन (ii) सौर तकनीशियन/इलैक्ट्रीशियन (iii) सौंदर्य विशेषज्ञ (iv) हस्तशिल्प (v) रोजमर्रा के निर्माण कार्यों (जैसे नलसाज, राजमिस्त्री, इलैक्ट्रीशियन, फिटर, वेल्डर, बढ़ई आदि) के लिए आवश्यक कौशल (vi) रेफ्रिजरेशन और एसी की मरम्मत (Vii) मोबाइल मरम्मत (Viii) पोषण (ix) आयुर्वेदिक और जनजातीय औषधियां  (x) आईटी (xi) डेटा इंट्री (xii) फेब्रिकेशन (xiii) पेरामेडिक्स और घर पर नर्स का प्रशिक्षण (xiv) वाहन चलाने एवं मैकेनिक्स  (xv) इलैक्ट्रिक्स और मोटर वाइंडिंग (xvi) सुरक्षा गार्ड (xvii) हाउस कीपिंग और प्रबंधन (xviii) रिटेल प्रबंधन (xix) आतिथ्य सत्कार (xx) इको-पर्यटन (xxi) साहसिक पर्यटन में कौशल विकास के लिए अनुच्छेद 275 (1) के अंतर्गत अनुदान की व्यवस्था की गई है।

जनजातीय स्वाधीनता सैनानियों के लिए संग्रहालय का निर्माण

सरकार ने उन राज्यों में स्थायी संग्रहालय स्थापित करने की परिकल्पना और योजना बनाई जहां आदिवासी रहते हैं, जहां उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ संघर्ष किया, विदेशी शासन के समक्ष घुटने टेकने से इंकार किया और बलिदान देने के लिए काफी आगे रहे। मंत्रालय ने जनजातीय स्वतंत्रता सेनानियों के लिए गुजरात में राष्ट्रीय महत्व के एक आधुनिक संग्रहालय के निर्माण का फैसला किया जिस पर कुल खर्च 102.55 करोड़ रुपये आएगा। जनजातीय मामलों का मंत्रालय इसके लिए 50 करोड़ रुपये का योगदान देगा। राष्ट्रीय महत्व का दूसरा संग्रहालय 36.66 करोड़ रुपये की खर्च से झारखंड में बनाया जाएगा और मंत्रालय 25 करोड़ रुपये का योगदान देगा। मंत्रालय ने राज्य स्तर के संग्रहालयों के निर्माण के लिए चार राज्यों- आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ, केरल और मध्य प्रदेश का चयन किया है। इन राज्यों के लिए जारी धनराशि नीचे दी गई हैं-

क्र.सं.

राज्य

स्थान

परियोजना लागत (करोड़ रुपये में)

जनजातीय मामलों के  मंत्रालय की प्रतिबद्धता

(करोड़ रुपये में)

दिनांक (10.12.2018) को जारी धनराशि

(करोड़ रुपये में)

1

आंध्र प्रदेश

लम्मासिंगी

35.00

15.00

7.50

2

छत्तीसगढ

नया रायपुर

25.66

15.00

4.65

3

केरल

कोझीकोड

16.16

15.00

7.50

4

मध्य प्रदेश

छिंदवाड़ा

38.26

15.00

6.93

कुल

135.00

60.96

वनाधिकार अधिनियम (एफआरए) के अंतर्गत 31.12.2017 से 10.12.2018 तक की अवधि की उपलब्धियां

प्राप्‍त हुए  कुल  दावे (वैयक्तिक और सामुदायिक)

मान्‍यता प्राप्‍त स्‍वामित्‍वों की संख्‍या

वन भूमि का क्षेत्रफल जिसके लिए स्‍वामित्‍व प्रदान किए  गए 

(एकड़ में)

10.12.2018 तक की स्थिति

42,19,741

18,89,835

1,78,48,733.00

31.12.2017 तक की स्थिति

41,88,966

18,34,108

1,46,07,791.25

2018 के दौरान उपलब्धियां (10.12.2018 तक)

30,775

55,727

32,40,941.75

विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों के लिए उठाए गए कदम  (पीवीटीजीएस) 

  • i. ने पीवीटीजीएस के विकास के लिए निधियों का आवंटन वर्ष 2017-18 के 240.00 करोड़ रुपये से बढ़ाकर वर्ष  2018-19 में 260.00 करोड़ रुपये किया गया।
  • ii. सरकार को बेस लाइन सर्वेक्षणों के माध्‍यम से चिन्हित की गई कमियों के मुताबिक निधियों का उपयोग करने की छूट दी गई है।
  • iii. का समग्र विकास सुनिश्चित करने के लिए जनजातियों की जीआईएस मैपिंग का इस्‍तेमाल करते हुए सूक्ष्‍म नियोजन पर बल दिया गया है।
  • iv. सह विकास (सीसीडी) दृष्टिकोण में पीवीटीजीएस की वि‍रासत और संस्‍कृति को बनाए रखने के साथ-साथ परंपरागत स्‍थापत्‍य,परंपरागत स्‍वास्‍थ्‍य पद्धतियों, खान-पान के संरक्षण पर भी बल दिया गया है।

छात्रवृत्ति योजनाएं

  • I. मैट्रिक छात्र‍वृत्ति
  • ऑन लाइन आवेदन आमंत्रित करना – छात्रों के आवेदन प्राप्‍त करने के लिए राज्‍य अपने स्‍वयं के पोर्टल अथवा राष्‍ट्रीय छात्रवृत्ति पोर्टल का उपयोग कर रहे हैं।  
  • वित्‍तीय सहायता वर्ष 2017-18 के 265.00 करोड़ रुपये से बढ़ाकर वर्ष  2018-19 में 350.00 करोड़ रुपये कर दी गई, जिसमें से 294.58 करोड़ रुपये की राशि 06.12.2018 तक राज्‍यों को जारी की जा चुकी है।
  1. मैट्रिक पश्‍चात छात्रवृत्ति
  • ऑन लाइन आवेदन आमंत्रित करना – छात्रों के आवेदन प्राप्‍त करने के लिए राज्‍य अपने स्‍वयं के पोर्टल अथवा राष्‍ट्रीय छात्रवृत्ति पोर्टल का उपयोग कर रहे हैं।  
  • वर्ष 2018-19 के लिए वित्‍तीय सहायता 1347.07 करोड़ रुपए से बढ़ाकर 1586.00 करोड़ रुपए कर दी गई है, जिसमें से 06-12-2018 तक राज्‍यों के लिए 1308.77 करोड़ रुपए जारी किए गए हैं।

III - अनुसूचित जनजाति के छात्रों की उच्‍च शिक्षा के लिए राष्‍ट्रीय अध्‍येतावृति और छात्रवृति योजना। वर्ष 2018-19 के लिए योजना के तहत 100.00 करोड़ रुपए की वित्‍तीय सहायता निर्धारित है।

  •  शीर्ष दर्जे की छात्रवृति योजना
  • ऑनलाइन आवेदन आमंत्रित करना- चयनित शीर्ष दर्जे के संस्‍थानों में अध्‍ययन करने वाले छात्रों से आवेदन आमंत्रित करने के लिए एनएसपी का इस्‍तेमाल किया जा रहा है।
  • संस्‍थानों के लिए ट्यूशन शुल्‍क का सीधे तौर पर भुगतान किया जाता है, जबकि पीएफएमएस के माध्‍यम से सीधे तौर पर छात्रों के व्‍यक्तिगत खाते में रखरखाव भत्‍ता जमा कराया जाता है।
  • वर्ष 2018 के दौरान इस योजना में 87 नए संस्‍थान जोड़े गए हैं।

(ब) अध्‍येतावृति योजना

  • वर्ष 2017-18 से मंत्रालय ने विश्‍वविद्यालय अनुदान आयोग से इस योजना का कार्यान्‍वयन अपने हाथ में ले लिया है।
  • ऑनलाइन आवेदन आमंत्रित करना – नए आवेदनों को ऑनलाइन आमंत्रित करने के लिए एनएफएसटी पोर्टल चालू किया गया है। वर्ष 2018-19 के दौरान 2302 आवेदन प्राप्‍त किए गए हैं।
  • छात्रों की समस्‍याओं की समस्‍याओं का समाधान पीएफएमएस और बैंकों के साथ समन्‍वयपूर्वक किया जाता है।
  • विकलांगों, पीवीटीजी, बीपीएल और महिलाओं को उच्‍च प्राथमिकता दी जाती है।

(स) अनुसूचित जनजाति के छात्रों के लिए राष्‍ट्रीय विदेशी छात्रवृति

  • मंत्रालय द्वारा पोर्टल शुरू किया गया है और इसे मंत्रालय के एनआईसी सर्वर पर रखा गया है।
  • छात्रों के लिए अध्‍ययन के पाठ्यक्रमों को परिवर्तनीय बनाया गया है
  • वर्ष 2018-19 के लिए 138 आवेदन प्राप्‍त किए गए हैं, जिनकी प्रक्रिया चल रही है।

(द) प्रत्‍यक्ष लाभ अंतरण

  • प्रत्‍येक माह आंकड़े को संग्रहित करके डीबीटी भारत पोर्टल पर रखा जाता है।

वन-धन योजना

प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी द्वारा 14 अप्रैल 2018 को बीजापुर में प्रथम वन-धन विकास केंद्र की शुरूआत के साथ जनजातीय कार्य मंत्रालय ने जनजातीय लोगों के लिए ‘वन-धन योजना’ नामक एक महत्‍वाकांक्षी योजना शुरू की है। इसका लक्ष्‍य कौशल उन्‍नयन और क्षमता निर्माण प्रशिक्षण प्रदान करना और प्राथमिक प्रसंस्करण और मूल्‍य संवर्धन सुविधा स्‍थापित करना है।

योजना के अनुसार, ट्राइफेड बहुउद्देशीय वन-धन विकास केंद्रों की स्‍थापना की सुविधा प्रदान करेगा। जनजातीय क्षेत्रों में 30 जनजातीय एमएफपी को मिलाकर 10 स्‍वयं सहायता समूहों का एक कलस्‍टर कायम होगा। इस पहल का लक्ष्‍य बुनियादी रूप से प्राथमिक स्‍तर पर मूल्‍य संवर्धन से लेकर एमएफपी को बढ़ावा देकर जनजातीय समुदाय को मुख्‍यधारा में लाना है।

इस पहल के माध्‍यम से गैर-टिम्‍बर वनोत्‍पाद की मूल्‍य श्रृंखला में जनजातियों की हिस्‍सेदारी मौजूदा 20 प्रतिशत से बढ़कर लगभग 60 प्रतिशत होने की संभावना है। देश के वनाच्‍छादित जनजातीय जिले में दो वर्षों में लगभग 3000 ऐसे वन-धन केंद्र स्‍थापित करने का प्रस्‍ताव है। शुरूआत में, 50 प्रतिशत से अधिक जनजातीय जनसंख्‍या वाले 39 जिले में प्राथमिकता के आधार पर यह पहल की जाएगी और उसके बाद धीरे-धीरे देश के अन्‍य जनजातीय जिले में इसे लागू किया जायेगा। इस पहल का लक्ष्‍य जनजातीय लोगों और कारीगरों के एमएफपी-केंद्रित आजीविका विकास को बढ़ावा देना है। एमएफपी अथवा गैर टिम्‍बर वनोत्‍पाद देश के लगभग पांच करोड़ जनजातीय लोगों के लिए आय और आजीविका का प्राथमिक साधन है।

आदि महोत्सव

जनजातीय कार्य मंत्रालय ने ट्राईफेड के सहयोग से दिल्ली हाट, आईएनए में 16 नवम्बर, 2018 से लेकर 30 नवम्बर, 2018 तक ‘आदि महोत्सव’ के नाम से राष्ट्रीय जनजातीय महोत्सव आयोजित किया। इस महोत्सव का प्रमुख उद्देश्य जनजातीय शिल्प, संस्कृति, व्यंजन एवं वाणिज्य की सराहना करना, उन्हें संजोना और बढ़ावा देना था। माननीय जनजातीय कार्य मंत्री श्री जुआल ओराम ने इस महोत्सव का उद्घाटन किया था।

20 राज्यों के 1000 से भी अधिक कारीगरों, 80 जनजातीय रसोइयों (शेफ) और 250 से भी अधिक कलाकारों वाली 14 नृत्य मंडलियों ने आदि महोत्सव में भाग लिया। आदि महोत्सव की प्रमुख बातें ये रहीं – पारंपरिक जनजातीय खाद्य एवं पेय पदार्थों को प्रदर्शित किया गया, लाख की चूड़ियां प्रदर्शित की गईं, चित्रकला की 4 विभिन्न शैलियों यथा वारली, पिथौरा, गोंड और साउरा को प्रदर्शित किया गया, जनजातीय वस्त्रों, फैशन से जुड़ी सहायक सामग्री, इत्यादि का फैशन शो आयोजित किया गया। महोत्सव में प्रदर्शित किए गए जनजातीय उत्पादों में ये शामिल हैं - साड़ियों का विरासत या धरोहर संग्रह, कपास, ऊनी एवं रेशम की जैकेटों सहित पुरुष परिधानों का संग्रह, मध्य प्रदेश, राजस्थान एवं झारखंड के कुर्ते, छत्तीसगढ़, ओडिशा, मध्य प्रदेश एवं आन्ध्र प्रदेश के बेल मेटल, गुजरात, महाराष्ट्र, ओडिशा एवं मध्य प्रदेश की पेंटिंग्स, हिमाचल प्रदेश, उत्तरांचल एवं जम्मू-कश्मीर के ऊनी वस्त्र, विभिन्न राज्यों के मसाले, शहद, ड्राई फ्रूट इत्यादि, हिमाचल प्रदेश, ओडिशा, पूर्वोत्तर क्षेत्र, मध्य प्रदेश के जनजातीय आभूषण, मणिपुर एवं राजस्थान के मिट्टी के बर्तन, राजस्थान, पूर्वोत्तर क्षेत्र, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश की होम फर्निशिंग, गुजरात, तेलंगाना एवं झारखंड के बैग संग्रह और पश्चिम बंगाल, झारखंड एवं केरल की घास की चटाई एवं कॉयर का संग्रह।

माननीय जनजातीय कार्य मंत्री श्री जुआल ओराम ने 30 नवम्बर 2018 को दिल्ली हाट में राष्ट्रीय जनजातीय महोत्सव के समापन समारोह के दौरान जानी-मानी जनजातीय महिला खिलाड़ी सुश्री मैरी कॉम का अभिनंदन किया। सुश्री मैरी कॉम ने छठी बार महिला विश्व मुक्केबाजी चैंपियन बनने की असाधारण उपलब्धि हासिल की है जिसे ध्यान में रखते हुए ही उनका अभिनंदन किया गया। सुश्री मैरी कॉम ट्राइब्स इंडिया (उत्पादों की पंचतंत्र रेंज या श्रृंखला) की ब्रांड अम्बेसडर भी हैं।

यह प्रस्ताव भी किया गया है कि मार्च, 2019 तक 17 राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों में राष्ट्रीय जनजातीय महोत्सव आयोजित किए जायेंगे, ताकि ये देश भर में जनजातीय संस्कृति पर प्रकाश डालने की दृष्टि से व्यापक प्लेटफॉर्म के रूप में उभर कर सामने आ सकें।  

एनजीओ को अनुदान

‘अनुसूचित जनजातियों के कल्याण के लिए कार्य कर रहे स्वैच्छिक संगठनों को अनुदान सहायता’ की योजना के तहत एनजीओ (गैर सरकारी संगठन) के प्रस्तावों की प्रोसेसिंग के लिए सक्रिय की गई ऑनलाइन आवेदन प्रणाली ‘एनजीओ अनुदान ऑनलाइन आवेदन एवं निगरानी प्रणाली ’ (www.ngograntsmota.gov.in) के कार्यान्वयन से सूचनाओं का प्रवाह तेज हो गया है और योजना को सुचारू ढंग से लागू करना संभव हो गया है। इसके अलावा आवेदनों की संख्या भी बढ़ गई है।

लघु वन उपज के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य

‘न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के जरिए लघु वन उपज (एमएफपी) के विपणन और एमएफपी के लिए मूल्य श्रृंखला (वैल्यू चेन) के विकास की व्यवस्था’ (इसे संक्षेप में एमएफपी के लिए एमएसपी के रूप में जाना जाता है) से जुड़ी योजना का शुभारंभ वर्ष 2013-14 में किया गया था। उस समय इस योजना के दायरे में केवल 10 एमएफपी आइटम ही आते थे और इसे सिर्फ अनुसूचित V से संबंधित राज्यों में लागू किया गया था। इसके बाद अक्टूबर, 2016 में कुछ और एमएफपी को शामिल कर इस योजना का दायरा एवं कवरेज बढ़ा दी गई और इसके साथ ही यह योजना पूरे देश में लागू कर दी गई। इस योजना में आरंभ में मूल रूप से शामिल की गई 10 उपजों या आइटम के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में नवम्बर, 2017 में फिर से संशोधन किया गया। एमएफपी आइटमों की सूची का विस्तार करने के साथ-साथ मौजूदा एमएफपी आइटमों की एमएसपी में आगे और संशोधन करने के मुद्दों पर मंत्रालय विचार कर रहा है।

आरकेमीणा/एएम/एपी/केपी/आरआरएस/आरके/एस

(Release ID: 1556932) Visitor Counter : 3299


2011 की जनगणना के अनुसार भारत में जनजातीय जनसंख्या का प्रतिशत कितना है?

वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार भारत की आबादी में लगभग 8.6 प्रतिशत अनुसूचित जनजातियां हैं।

भारत में 2011 की कुल जनसंख्या में जनजातियों की संख्या कितनी है?

जनगणना 2011 के आंकड़ों से संकेत मिलता है कि अनुसूचित जाति की आबादी का प्रतिशत हिस्सा कुल जनसंख्या में 13.31 प्रतिशत था जबकि अनुसूचित जनजातियों का 9 . 74 प्रतिशत था। ... जिला मुख्य आकर्षण- 2011 की जनगणना.

भारत में जनजातियों का प्रतिशत कितना है?

आदिवासी देश की कुल आबादी का 8.14% हैं,और देश के क्षेत्रफल के करीब 15% भाग पर निवास करते हैं। यह वास्तविकता है कि आदिवासी लोगों पर विशेष ध्यान की जरूरत है, जिसे उनके निम्न सामाजिक, आर्थिक और भागीदारी संकेतकों में किया जा सकता है।

जनजातीय जनसंख्या का लगभग कितना प्रतिशत भाग मध्य भारत में रहता है?

अनुसूचित जनजाति समुदाय देश के लगभग 15 प्रतिशत क्षेत्र पर निवास करते हैं। सामान्य आबादी के 53 प्रतिशत की तुलना में अनुसूचित जनजातियों के 80 प्रतिशत से अधिक लोग प्राथमिक क्षेत्र में कार्यरत हैं।

संबंधित पोस्ट

Toplist

नवीनतम लेख

टैग