दामोदर घाटी परियोजना स्वतंत्र भारत की पहली बहुउद्देशीय नदी घाटी परियोजना है। यह योजना बिहार और पश्चिम बंगाल राज्यों की संयुक्त योजना है और इसका प्रबंधन दामोदर नदी घाटी निगम द्वारा किया जाता है। इसके वित्त की व्यवस्था भारत सरकार, बिहार सरकार और पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा मिलकर की जाती है।
- दामोदर नदी छोटा नागपुर के पठार से 900 मीटर की ऊंचाई से निकलकर बिहार में 288 कि.मी. तक बहती है और पश्चिम बंगाल में 250 किलोमीटर दूरी के बाद हुगली नदी से जाकर मिलती है।
- दामोदर नदी की सहायक नदियों में जमुनिया, बराकर, कोनार, और बोकारो हैं।
जल विद्युत उत्पादन,
पेय जल उपलब्ध करवाना,
मछलीपालन
Contents
- 1 निर्माण कार्य
- 1.1 प्रथम चरण
- 1.1.1 तिलैया बांध
- 1.1.2 कोनार बांध
- 1.1.3 मैथान बांध
- 1.1.4 पंचेत पहाड़ी बांध
- 1.1.5 दुर्गापुर सिंचाई बांध
- 1.1.6 ताप विद्युत गृह
- 1.2 द्वितीय चरण
- 1.1 प्रथम चरण
- 2 दामोदर नदी घाटी परियोजना के लाभ
- 3 रोचक तथ्य | Amazing Facts
- 4 FAQ
- 4.0.0.1 यह भी पढ़े
निर्माण कार्य
दामोदर नदी घाटी परियोजना का निर्माण कार्य दो चरणों में बांटा गया है जो निम्नलिखित है।
प्रथम चरण
प्रथम चरण में निम्न लिखित कार्य पूरे किए जा चुके हैं।
तिलैया बांध
- दामोदर नदी की सहायक नदी बाराकुर नदी पर तिलैया नामक स्थान पर 30.18 मीटर ऊंचा और 365.8 मीटर लंबा एक तिलैया बांध बनाया गया।
- बांध पर 4000 मि. बाट जल विद्युत गृह भी बनाया गया है और इस बांध का कार्य साल 1953 में पूर्ण हो गया था।
कोनार बांध
- दामोदर नदी की सहायक नदी कोनार पर कोनार नामक स्थान पर 47.7 मीटर ऊंचा और 3548.5 मीटर लंबाई का कोनार बांध बनाया गया।
- इसका मुख्य उद्देश्य सिंचाई है और इसका निर्माण कार्य 1955 में पूर्ण हो गया था।
मैथान बांध
- दामोदर नदी की सहायक नदी बाराकुर पर 49.4 मीटर ऊंचा और 994 मीटर लंबा मैथान बांध बनाया गया है।
- इसका निर्माण कार्य साल 1957 में पूर्ण हो गया था।
- इसपर एक बिजलीघर बनाया गया जो जमीन के नीचे है उसमे 20 हजार किलोवाट की 3 मशीन लगाई गई है।
पंचेत पहाड़ी बांध
- यह बांध दामोदर नदी पर मैथान बांध के दक्षिण में 20 कि.मी. दूरी पर स्थित है।
- इसकी ऊंचाई 44.8 मीटर और लंबाई 2545.4 मीटर है।
- इसका निर्माण कार्य साल 1959 में पूर्ण हो गया था।
- इसपर 40000 किलोवाट विद्युत क्षमता का एक विद्युत घर भी बनाया गया है।
दुर्गापुर सिंचाई बांध
- ऊपर के जो चार बांध है (तिलैया, कोनार, मैथान, पंचेत) जिनमे जो अतरिक्त पानी निकलता है उसे रोकने के लिए दामोदर नदी पर दुर्गापुर स्थान पर एक बांध बनाया गया है।
- इसकी लंबाई 692 मीटर और ऊंचाई 11.58 मीटर का एक सिंचाई के लिए बांध है।
- बांध के दाएं और बाएं दोनो ओर नहरें निकाली गई है जिनमे दाएं वाली 89 किलोमीटर लंबी और बाएं वाली 147 किलोमीटर लंबी है।
- इस बांध का निर्माण कार्य 1955 में पूर्ण हो गया था।
ताप विद्युत गृह
बोकारो2.25 लाख किलोवाटदुर्गापुर2.90 लाख किलोवाटचंद्रपुरा4.20 लाख किलोवाटद्वितीय चरण
- द्वितीय चरण अभी चल रहा है और इसके अंतर्गत अटयर, बलपहाड़ी और बोकारो में बांध बनाने और विद्युत गृह स्थापित करने का कार्यक्रम है।
- तेनुघाट नामक स्थान पर दामोदर नदी पर एक बांध का निर्माण कार्य चल रहा है।
दामोदर नदी घाटी परियोजना के लाभ
- बाढ़ पर नियंत्रण :- बहुत ज्यादा बाढ़ आने के कारण दामोदर नदी को बंगाल का शोक कहा जाता था क्योंकि पहले इस नदी में भीषण बाढ़ आती थी जिसके कारण जान माल की बहुत हानि होती थी लेकिन इसपर और इसकी सहायक नदियों पर बांध बनाकर बाढ़ पर नियंत्रण पा लिया गया है।
First Published: February 22, 2021
दामोदर नदी पर कई बांध बनाए गए हैं। बाँध बाढ़ को नियंत्रित करने के साथ-साथ पनबिजली पैदा करने के उद्देश्य को पूरा करते हैं। बांध न केवल अच्छी तरह से कल्पना की गई परियोजनाएं हैं, बल्कि वे साल भर में हजार पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। इस नदी के कुछ महत्वपूर्ण बांध इस प्रकार हैं –
पंचेत बांध
यह झारखंड के धनबाद जिले में स्थित है और इसका निर्माण दामोदर नदी के पार किया गया है। बांध 22,155 फीट लंबा और 134 फीट ऊंचा है। दामोदर घाटी निगम का एक हिस्सा होने के नाते, इसमें 40 MV बिजली की क्षमता के साथ एक हाइडल पावर स्टेशन है। कुमारडुबी रेलवे स्टेशन इस बांध से 10 किमी दूर स्थित है और निकटतम रेलवे स्टेशन है।
फरक्का बैराज को दामोदर घाटी निगम (DVC) की तर्ज पर बहुत डिजाइन किया गया था। यह नेहरूवादी-प्रभावित भारत द्वारा शुरू की गई पहली बड़ी नदी परियोजनाओं में से एक है। उत्तर भारत में DVC और भाखड़ा परियोजना दोनों ही सरकार के दृष्टिकोण के प्रति संवेदनशील थे कि भारत में दामोदर नदी प्रबंधन परियोजनाओं को बड़े बांधों पर अपने लुक आउट के साथ पश्चिमी तर्ज पर फिर से बनाने की आवश्यकता थी।
कोनार बांध
यह इस नदी का एक महत्वपूर्ण बांध है और झारखंड के हजारीबाग जिले में हजारीबाग से 51 किमी दक्षिण पूर्व में स्थित एक पिकनिक स्थल भी है।
दामोदर घाटी परियोजना के पहले खंड में प्रस्तावित चार बहुउद्देश्यीय बांधों में से यह दूसरा बांध था।
तिलैया बांध
तिलैया बांध इस नदी पर बना एक और बांध है और इसका निर्माण बड़कर नदी के पार दामोदर घाटी निगम द्वारा किया गया है। यह कोडरमा जिले का पहला डैम और पनबिजली स्टेशन है। बांध 1,200 फीट लंबा और 99 फीट ऊंचा है। यह बांध एक बड़े जलाशय के साथ सुंदर वातावरण का दावा करता है, जिसकी लंबाई 36 वर्ग किमी तक फैली हुई है। इसका निर्माण बाढ़ को नियंत्रित करने के मिशन के साथ किया गया था और यह 4 MV बिजली उत्पन्न करता है। तिलैया बांध कोडरमा रेलवे स्टेशन से 20 किमी दूर है।विज्ञापन
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दामोदर नदी पर कौन कौन से बांध बनाए गए हैं?
दामोदर नदी घाटी पर बांध.पंचेत बांध यह झारखंड के धनबाद जिले में स्थित है और इसका निर्माण दामोदर नदी के पार किया गया है। ... .कोनार बांध यह इस नदी का एक महत्वपूर्ण बांध है और झारखंड के हजारीबाग जिले में हजारीबाग से 51 किमी दक्षिण पूर्व में स्थित एक पिकनिक स्थल भी है। ... .तिलैया बांध.दामोदर घाटी परियोजना में कितने बांध है?
दामोदर घाटी परियोजना: मूल परियोजना में सात प्रमुख बांधों का निर्माण किया जाना था। लेकिन DVC द्वारा केवल चार बांधों (तिलैया, मैथन, कोनार और पंचेत) का निर्माण किया।दामोदर घाटी परियोजना कहाँ पर है?
झारखंड राज्य में पड़ने वाले दामोदर घाटी क्षेत्र में नदी बराकर पर बाल पहाड़ी बाँध के निर्माण के लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) सीडब्ल्यूसी के माध्यम डीवीसी द्वारा तैयार की गयी है।दामोदर नदी घाटी परियोजना कब बना?
दामोदर घाटी निगम के निर्माण के 74 वर्ष पूरे हो रहे हैं। 7 जुलाई 1948 को डीवीसी की स्थापना हुई थी।