श्रावण की पूर्णिमा को कौन सा त्यौहार मनाया जाता है? - shraavan kee poornima ko kaun sa tyauhaar manaaya jaata hai?

आस्थादर्शनग्रन्थशास्त्रसम्बन्धित

इस संदूक को: देखें  संवाद  संपादन

हिन्दू धर्म
श्रेणी

इतिहास · देवता
सम्प्रदाय · पूजा ·
पुनर्जन्म · मोक्ष
कर्म · माया
दर्शन · धर्म
वेदान्त ·योग
शाकाहार शाकम्भरी  · आयुर्वेद
युग · संस्कार
भक्ति {{हिन्दू दर्शन}}
वेदसंहिता · वेदांग
ब्राह्मणग्रन्थ · आरण्यक
उपनिषद् · श्रीमद्भगवद्गीता
रामायण · महाभारत
सूत्र · पुराण
शिक्षापत्री · वचनामृत
विश्व में हिन्दू धर्म
गुरु · मन्दिर देवस्थान
यज्ञ · मन्त्र
हिन्दू पौराणिक कथाएँ  · हिन्दू पर्व
विग्रह
प्रवेशद्वार: हिन्दू धर्म

हिन्दू मापन प्रणाली

सावन का महीना रिमझिम फुहारों और हरियाली से मन को आनंदित कर देता है। इसी महीने की पूर्णिमा को मनाया जाता है भारत में रक्षाबंधन के त्योहार के रूप में।

बेहद उल्लासपूर्ण तरीके से मनाए जाने वाले इस त्योहार की सबसे खास बात है भाई-बहन के पवित्र रिश्तों की मिठास। यह पूरे भारत में मनाया जाता है। असल में श्रावण पूर्णिमा देश में हर प्रांत में अलग-अलग रूपों में मनायी जाती है।

श्रावण पूर्णिमा को दक्षिण भारत में नारयली पूर्णिमा व अवनी अवित्तम, मध्य भारत में कजरी पूनम, उत्तर भारत में रक्षा बंधन और गुजरात में पवित्रोपना के रूप में मनाया जाता है। हमारे त्योहारों की यही विविधता ही तो भारत की विशिष्टता की पहचान है।

आइए अब हम देखते हैं कि इस दिन को भारतवासी कैसे अलग-अलग रूपों में मनाते हैं।

नारयली पूर्णिमा[संपादित करें]

पश्चिमी घाट पर रहने वाले लोगों का एकमात्र आधार समुद्र ही है। समुद्री सामग्री पर जीवन निर्वाह करने वाले लोग इस दिन समुद्र के देवता वरुण की पूजा करते हैं। यह समय मानसून की वापसी का होता है इस कारण समुद्र भी शांत होता है। मछुआरे अपनी-अपनी नावों को सजाकर समुद्र के किनारे लाते हैं। नाचते गाते हैं और वरुण देवता को नारियल अर्पित कर प्रार्थना करते हैं कि उनका जीवन निर्वाह अच्छे से हो।

नारियल इसलिए अर्पित किया जाता है क्योंकि नारियल की तीन आँखे होने के कारण उसे शिव का प्रतीक माना जाता है। हमारे देश में किसी भी काम की शुरूआत से पहले भगवान को नारियल अर्पित करना उनसे आशीर्वाद लेने तथा उन्हें धन्यवाद देने का सबसे प्रचलित तरीका है।

अवनी अवित्तम[संपादित करें]

तमिलनाडु, केरल, उड़ीसा और महाराष्ट्र में यजुर्वेद पढ़ने वाले ब्राह्मण इस दिन को अवनी अवित्तम के रूप में मनाते हैं। इस दिन पुराने पापों से छुटकारे के लिए महासंकल्प लिया जाता है। ब्राह्मण स्नान करने के बाद नया यज्ञोपवीत धारण करते हैं।

उपक्रमम का अर्थ होता है शुरूआत। इसी दिन से यजुर्वेदी ब्राह्मण अगले छः महीने तक यजुर्वेद पढ़ने की शुरूआत करते हैं। यह दिन इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि भारतीय मिथकों के अनुसार इस दिन भगवान विष्णु ने ज्ञान के देवता हयाग्रीव के रूप में अवतार लिया था।

कजरी पूर्णिमा[संपादित करें]

यह त्योहार भी श्रावण पूर्णिमा के दिन ही पड़ता है। कजरी पूर्णिमा को मध्य भारत में खासकर मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और उत्तर प्रदेश के कुछ भागों में मनाया जाता है। श्रावण अमावस्या के नौंवे दिन यानी कि कजरी नवमी से उसकी तैयारी शुरु हो जाती है। यह त्योहार पुत्रवती महिलाएँ मनाती हैं। कजरी नवमी के दिन महिलाएँ पेड़ के पत्तों के पात्रों में खेत से मिट्टी भरकर लाती हैं। इसमें जौ को बोया जाता है। इन पात्रों को अंधेरे में रखा जाता है। जहाँ ये पात्र रखे जाते हैं। वहाँ पर चावल के घोल से चित्रकारी भी की जाती है।

कजरी पूर्णिमा के दिन सारी महिलाएँ इन जौ को सिर पर रखकर जुलूस निकालती हैं और पास के किसी तालाब या नदी में विसर्जित कर देती हैं। महिलाएँ इस दिन उपवास रखकर अपने पुत्र की लंबी आयु की कामना करती हैं।

रक्षाबंधन[संपादित करें]

उत्तर भारत के अधिकतर हिस्सों में इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं। उनकी आरती उतारती हैं। इसके बदले में भाई अपनी बहन को उपहार तथा रक्षा का वचन देता है। इस दिन भाई राखी बंधवाने के लिए दूर-दूर से आते हैं।

पवित्रोपना[संपादित करें]

गुजरात में शिव भगवान की उपासना बड़े जोर-शोर से होती है। पूरे साल लोग शिवलिंग पर जल चढ़ाते हैं। श्रावण पूर्णिमा जल चढ़ाने का अंतिम दिन होता है। इस दिन शिव जी का पूजन भी होता है। पवित्रोपना के तहत रूई की बत्तियाँ पंचग्वया (गाय के घी, दुध, दही आदि) में डुबाकर शिव को अर्पित की जाती हैं।

इस दिन को हमारे देश मनाने के कारण और तरीके कितने ही अलग क्यों न हो परंतु इन सबके मूल में रक्षा की भावना ही होती है। इससे हमारे देश की अनेकता में एकता की बात पुष्ट होती है।

कुशनभवपुर दिवस[संपादित करें]

अयोध्या और प्रयाग के मध्य गोमती नदी के दाएं बाएं हाथ की तरह सई और तमसा के बीच कभी यह भूभाग कभी दुर्गम हुआ करता था । गोमती के किनारे का यह क्षेत्र कुश काश के लिए प्राचीन काल से ही प्रसिद्ध है , कुश काश से बनने वाले बाध की प्रसिद्ध मंडी यही पर है । प्राचीन काल मे सुल्तानपुर का नाम कुशभवनपुर था जो कालांतर मे बदलते बदलते सुल्तानपुर हो गया । राजभरो के अधिपत्ययआ मे था, जिनके जनपद मे तीन राज्य इसौली, कुलाललपुर व दादर थे.

श्रावण मास की पूर्णिमा को कौन सा त्योहार मनाया जाता है?

कजरी पूर्णिमा यह त्योहार भी श्रावण पूर्णिमा के दिन ही पड़ता है। कजरी पूर्णिमा को मध्य भारत में खासकर मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और उत्तर प्रदेश के कुछ भागों में मनाया जाता है।

श्रावण पूर्णिमा क्यों मनाई जाती है?

* रक्षाबंधन पर श्रावणी उपाकर्म का महत्व वैदिक ब्राह्मणों को वर्ष भर में आत्मशुद्धि का अवसर भी प्रदान करता है। वैदिक परंपरा अनुसार वेदपाठी ब्राह्मणों के लिए श्रावण मास की पूर्णिमा सबसे बड़ा त्योहार है। - पं. गिरधर बासोतिया के मतानुसार यह उपाकर्म द्विज के शरीर, मन और आत्मा की शुद्धि करता है।

पूर्णिमा पर कौन कौन से त्योहार मनाए जाते हैं?

पूर्णिमा के पर्व.
चैत्र की पूर्णिमा के दिन हनुमान जयंती मनाई जाती है।.
चैत्र की पूर्णिमा के दिन प्रेम पूर्णिमा पति व्रत मनाया जाता है।.
वैशाख की पूर्णिमा के दिन बुद्ध जयंती मनाई जाती है।.
ज्येष्ठ की पूर्णिमा के दिन वट सावित्री मनाया जाता है।.
आषाढ़ मास की पूर्णिमा को गुरू-पूर्णिमा कहते हैं।.

श्रावण पूर्णिमा कब मनाया जाता है?

Sawan Purnima 2022 Janeu: सावन की पूर्णिमा 11 अगस्त 2022 को है. जानते हैं क्यों श्रावण पूर्णिमा पर धारण की जाती है नई जनेऊ. Sawan Purnima 2022 Janeu: सावन की पूर्णिमा 11 अगस्त 2022 को है. इस दिन रक्षाबंधन का त्योहार भी है.

संबंधित पोस्ट

Toplist

नवीनतम लेख

टैग