श्राद्ध का खाना क्यों नहीं खाना चाहिए - shraaddh ka khaana kyon nahin khaana chaahie

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श्राद्ध का खाना बनाते वक्त ध्‍यान रखें ये बातें, मिलेगा पितरों का आशीर्वाद

यदि आप श्राद्ध के दौरान पितरों को खुश करने के लिए और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए खाना बना रहे हैं और खिला रहे हैं तो इन बातों का रखें ख्याल...

श्राद्ध के दौरान अक्सर लोग पितरों का आशीर्वाद पाने के लिए हर मुमकिन कोशिश करते हैं और कुछ उपायों को अपनाते हैं. लेकिन पितरों का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए श्राद्ध का खाना बनाते और खिलाते वक्त उन लोगों को कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है. आज का हमारा लेख इसी विषय पर है. आज हम आपको अपने इस लेख के माध्यम से बताएंगे कि श्राद्ध का खाना बनाते और खिलाते वक्त किन बातों का ख्याल रखना जरूरी है. पढ़ते हैं आगे…

श्राद्ध का खाना बनाते वक्त इन बातों का रखें ख्याल

  1. श्राद्ध का खाना बनाते वक्त उसमें खीर का होना बेहद जरूरी है. कोशिश करें कि गाय के दूध की खीर हो ना कि भैंस के दूध की. श्राद्ध में दूध, दही और घी तीनों ही गाय के होने चाहिए. इसके सेवन से ब्राह्मण संतुष्ट होते हैं, जिससे पूर्वजों को भी खुशी मिलती है. इसके अलावा खीर के सेवन से देवता भी प्रसन्न होते हैं इसलिए नेताओं को भी खीर का भोग लगाया जाता है.
  2. श्राद्ध का खाना बनाते वक्त व्यक्ति को प्याज लहसुन का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. यह एक सात्विक भोजन होता है. ऐसे में ध्यान रहे कि लहसुन और प्याज से जितना दूर रहे उतना अच्छा है.
  3. श्राद्ध का खाना हमेशा बिना चप्पल पहने बनाना चाहिए. अगर आप चाहें तो लकड़ी की चप्पल पहन सकते हैं क्योंकि लकड़ी को बेहद शुद्ध और पवित्र माना जाता है लेकिन चमड़े का जूता या चप्पल पहनकर सात्विक भोजन को ना बनाएं.
  4. श्राद्ध का खाना बनाते वक्त दिशा का ध्यान जरूर रखें. हमेशा व्यक्ति को पूर्व की तरफ मुंह करके खाना बनाना चाहिए दक्षिण की तरफ मुंह करके खाना नहीं बनाना चाहिए.

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नई दिल्ली: पितृ पक्ष शुरू हो गए हैं. परिवार में जिन पूर्वजों का देहांत हो चुका हो, उन्हें हम पितृ मानते हैं. पितृपक्ष का प्रारंभ 24 सितंबर से हो गया है. इस दौरान हम अपने पूर्वजों को याद करते हैं और उनकी याद में अनुष्ठान और तर्पण से पितरों को संतुष्ट करते हैं. सनातन धर्म में ये मान्यता है कि पितृपक्ष के दौरान पितृ किसी भी रूप में आते है और भोजन करते हैं. लेकिन हम कुछ ऐसी गलतियां कर देते हैं, जिससे पितृ नाराज हो कर लौट जाते हैं. 

लहसुन और प्याज 
पितृपक्ष में लहसुन और प्याज को खाने से बचना चाहिए. लहसुन और प्याज तामसिक भोजन में शुमार होता है. इसलिए ऐसा माना जाता है कि पितृपक्ष के दौरान लहसुन और प्याज से थोड़ा सा परहेज करना चाहिए. इसके साथ ही मांस, मछली और शराब का सेवन बिलकुल न करें.  

बासी खाना
अगर आपके घर में श्राद्ध है, तो जिसे भोजन कराया जा रहा हो उसे और भोजन कराने वाले दोनों को बासी खाने से बिलकुल दूर रहना चाहिए. ऐसी मान्यता है कि इन दिनों में बासी खाना नहीं खाना चाहिए.

ये सब्जियां खाने से बचें
आलू, मूली, अरबी और कंद वाली सब्जियां पितरों को नहीं चढ़ाई जाती हैं. इसलिए इस तरह की सब्जी श्राद्ध में न बनाए और न ही इसका भोग किसी ब्राह्मण को लगाए. 

चना और सत्तू
श्राद्धों में चने का सेवन किसी भी रूप में वर्जित है. यहां तक कि चने के सत्तू भी नहीं खाये जाते. वैसे श्राद्धों में हर तरह का सत्तू भी खाना वर्जित होता है.

मसूर की दाल
श्राद्ध में कैसा भी कच्‍चा खाना यानी दाल, चावल और रोटी न खाई जाती है और न ही खिलाई जाती है. फिर भी अन्‍य दालों जैसे मूंग और उरद की दालें दही बड़ा और कचौड़ी आदि बनाने के लिए इस्‍तेमाल हो सकती हैं, लेकिन मसूर की दाल किसी भी रूप में श्राद्ध के दौरान नहीं प्रयोग की जाती है. 

Pitru Paksha 2022 Shradh Karm Ke Niyam: पितरों का श्राद्ध करने में किन नियमों का ध्‍यान रखना चाहिए ताकि आपके द्वारा किया गया श्राद्ध कर्म खाली न जाए और पितर भी आपसे प्रसन्‍न हों, इस बारे में आज हम आपको विस्‍तार से बताने जा रहे हैं। पितृपक्ष का आरंभ हो चुका है और आज तीसरा श्राद्ध है। ऐसी मान्‍यता है कि पितृपक्ष में पितृ गण देवलोक से पृथ्‍वी लोक पर आते हैं और अपनी संतानों को सुखी और संपन्‍न रहने का आशीर्वाद देकर पितर अमावस्‍या के दिन वापस देवलोक चले जाते हैं। पूर्णिमा से अमावस्‍या की अवधि को पितृपक्ष कहते हैं। इन 15 दिनों में लोग अपने पूर्वजों को याद करते हैं और तिथि के हिसाब से उनका श्राद्ध कर्म करते हैं। शास्‍त्रों में श्राद्ध कर्म को लेकर कुछ नियम बताए गए हैं, जिनका पालन जरूर करना चाहिए। आइए जानते हैं क्‍या हैं ये नियम। पितृपक्ष गाय का दूध

श्राद्धकर्म में गाय का घी, दूध या दही काम में लेना चाहिए। यह ध्यान रखें कि गाय को बच्चा हुए दस दिन से अधिक हो चुके हैं। दस दिन के अंदर बछड़े को जन्म देने वाली गाय के दूध का उपयोग श्राद्ध कर्म में नहीं करना चाहिए।

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पितृपक्ष में चांदी के बर्तन

शास्‍त्रों में बताया गया है कि पितृपक्ष में अपनी क्षमता के अनुसार चांदी के बर्तनों प्रयोग जरूर करना चाहिए। अगर आपके पास सभी बर्तन न हों तो कम से कम चांदी के गिलास में पानी जरूर देना चाहिए। ऐसी मान्‍यता है कि पितृपक्ष में चांदी के बर्तन में पानी देने से पितरों को अक्षय तृप्ति प्राप्‍त होती है। भोजन के बर्तन भी चांदी के हों तो और भी श्रेष्ठ माना जाता है।

पितृपक्ष में भोजन परोसने के नियम

पितृपक्ष (Pitru Paksha 2022) में ऐसी मान्‍यता है कि श्राद्ध कर्म के वक्‍त ब्राह्मण को भोजन करवाते समय परोसने के बर्तन दोनों हाथों से पकड़ कर लाने चाहिए, एक हाथ से लाए गए पात्र से परोसा हुआ भोजन राक्षसों को जाता है।

मौन रहकर करें भोजन

शास्‍त्रों में उन ब्राह्मणों को लेकर भी यह नियम बताया गया है जो श्राद्ध कर्म का भोजन ग्रहण करते हैं। इसके अनुसार, ब्राह्मण को भोजन मौन रहकर एवं व्यंजनों की प्रशंसा किए बगैर करना चाहिए, क्योंकि पितर तब तक ही भोजन ग्रहण करते हैं, जब तक ब्राह्मण मौन रह कर भोजन करें।

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पितृपक्ष में चतुर्दशी पर भी करें इनका श्राद्ध

जो पितृ शस्त्र आदि से मारे गए हों उनका श्राद्ध मुख्य तिथि के अतिरिक्त चतुर्दशी को भी करना चाहिए। इससे वे प्रसन्न होते हैं। श्राद्ध गुप्त रूप से करना चाहिए। आपके द्वारा किए गए पिंडदान पर किसी और की दृष्टि नहीं पड़नी चाहिए।

दूसरे की भू‍मि पर न करें श्राद्ध

पितृपक्ष में अपने पूर्वजों का श्राद्ध सदैव अपने ही घर में या फिर अपनी ही भूमि में करना चाहिए। दूसरे की भूमि पर श्राद्ध नहीं करना चाहिए। वन, पर्वत, तीर्थस्‍थान एवं मंदिर दूसरे की भूमि नहीं माने जाते क्योंकि इन पर किसी का स्वामित्व नहीं माना गया है। अत: इन स्थानों पर श्राद्ध किया जा सकता है।

पितृपक्ष में श्राद्ध में इनको भी जरूर बुलाएं

शास्‍त्रों में श्राद्ध कर्म को लेकर ये नियम भी बताए गए हैं कि जो लोग पूर्वजों के श्राद्ध में ब्राह्मणों के अलावा ए‍क ही शहर में रहने वाली अपनी बहन, दामाद और भांजे को नहीं बुलाता, उसके द्वारा किए गए श्राद्ध का अन्‍न पितर ग्रहण नहीं करते।

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याचक को भोजन करवाएं

पितृपक्ष में श्राद्ध करते समय यदि कोई भिक्षुक आ जाए तो उसे आदरपूर्वक भोजन करवाना चाहिए। जो व्यक्ति ऐसे समय में घर आए याचक को भगा देता है उसका श्राद्ध कर्म पूर्ण नहीं माना जाता और उसका फल भी नष्ट हो जाता है।

शाम के समय न करें श्राद्ध

शुक्लपक्ष में, रात्रि में और ऐसे दिन जब दो तिथियों का योग ए‍क ही में हो रहा हो, तथा अपने जन्मदिन पर कभी श्राद्ध नहीं करना चाहिए। धर्म ग्रंथों के अनुसार सायंकाल का समय राक्षसों के लिए होता है, यह समय सभी कार्यों के लिए निंदित है। अत: शाम के समय भी श्राद्धकर्म नहीं करना चाहिए।

पितृपक्ष में इन चीजों का जरूर करें प्रयोग

पितृपक्ष में श्राद्ध में ये चीजें होना जरूरी माना गया है, गंगाजल, दूध, शहद, कुश और तिल। केले के पत्ते पर श्राद्ध का भोजन न परोसें। सोना, चांदी, कांसे, तांबे के पात्र उत्तम हैं। इनके अभाव में पत्तल उपयोग की जा सकती है।

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पितरों का पसंदीदा भोजन

पितरों की पसंद का भोजन दूध, दही, घी और शहद के साथ अन्न से बनाए गए पकवान जैसे खीर आदि हैं। इसलिए ब्राह्मणों को ऐसा भोजन कराने का विशेष ध्यान रखें। तैयार भोजन में से गाय, कुत्ता कौआ, देवता और चींटी के लिए थोड़ा सा भाग जरूर निकालें। इसके बाद हाथ में जल, अक्षत, फूल और तिल लेकर ब्राह्मणों से संकल्प लें।

पितृपक्ष में भोजन के नियम

पितृपक्ष में कुत्ते और कौए के निमित्त निकाला भोजन कुत्ते और कौए को ही कराएं किंतु देवता और चींटी का भोजन गाय को खिला सकते हैं। इसके बाद ही ब्राह्मणों को भोजन कराएं। पूरी तृप्ति से भोजन कराने के बाद ब्राह्मणों के मस्तक पर तिलक लगाकर यथाशक्ति कपड़े, अन्न और दक्षिणा दान कर आशीर्वाद पाएं।

भोजन के बाद ऐसे विदा करें

ब्राह्मणों को भोजन के बाद घर के द्वार तक पूरे सम्मान के साथ विदा करके आएं। ब्राह्मणों को भोजन के बाद घर के द्वार तक पूरे सम्मान के साथ विदा करके आएं, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि ब्राह्मणों के साथ-साथ पितर लोग भी चलते हैं। ब्राह्मणों के भोजन के बाद ही अपने परिजनों, दोस्तों और रिश्तेदारों को भोजन कराएं।

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श्राद्ध का भोजन खाने से क्या होता है?

श्राद्ध का भोजन प्रसाद की तरह होता है. इसमें कोई कमी नहीं निकालनी चाहिए. ब्राह्मण को भोजन करवाते समय भी उससे ये न पूछें कि भोजन कैसा बना है. ब्राह्मण भोज के बाद आप स्‍वयं भी उसे प्रसाद के तौर पर ग्रहण करें.

क्या श्राद्ध में चिकन खा सकते हैं?

किसी भी हिंदू अनुष्ठान में मांसाहारी भोजन का सेवन सख्त वर्जित है. इसी तरह श्राद्ध के दौरान मांस या कोई भी मांसाहारी भोजन करने की अनुमति नहीं है. श्राद्ध के पवित्र समय में कच्चा अनाज वर्जित है इसलिए इस दौरान चावल, दाल और गेहूं नहीं खाना चाहिए. इन खाद्य पदार्थों का कच्चा सेवन करना वर्जित माना गया है.

श्राद्ध में क्या ना खाएं?

जैसे आलू, शकरकंद, मूली, गाजर, शलजम, चुकंदर, अरबी। इन सारी तरह की सब्जियों को पितृपक्ष में नहीं खाना चाहिए। इसके साथ ही इन सब्जियों का भोग भी नहीं लगाना चाहिए और ना ही श्राद्धभोज में इसे किसी ब्राह्मण को खिलाना चाहिए। ऐसा करने से पूर्वज नाराज हो जाते हैं।

श्राद्ध में क्या सब्जी बनाना चाहिए?

इस दौरान लोग अपने पूर्वजों को याद करते हुए उनका श्राद्ध करते हैं। पितरों का श्राद्ध करते समय कुछ खास नियमों का ध्‍यान रखा जाता है ताकि श्राद्ध कर्म खाली न जाए और पितर भी प्रसन्‍न रहें। ऐसा ही एक नियम है कि श्राद्ध के प्रसाद में कद्दू की सब्जी जरूर बनाई जाती है।

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