उपसर्ग (हिन्दी व्याकरण) यौगिक शब्दों के बारे में बताया जा चुका है कि इसमें दो रूढ़ों का प्रयोग होता है। इसके अलावा उपसर्गों, प्रत्ययों के कारण भी यौगिक शब्दों का निर्माण होता है।
उपसर्ग (Prefixes) की परिभाषा भेद और Examples
व्युत्पत्ति के आधार पर मुख्य रूप से शब्द के दो मूल रूप होते हैं, रूढ़ और यौगिक। रूढ़ शब्द किसी के मेल से नहीं बनते, ये स्वतंत्र होते हैं। लेकिन यौगिक शब्दों की रचना रूढ़ शब्द के आदि व अंत में जुड़ने वाले शब्दांशों से होती है। ये शब्दांश रूढ़ शब्द से मिलकर इसके अर्थ में परिवर्तन ला देते हैं।
जैसे: श्रम से बने ये शब्द:
- परि + श्रम = परिश्रम
- परि + श्रमी = परिश्रमी
- श्रम + इक = श्रमिक
- श्रम + जीवी = श्रमजीवी
- श्रम + शील = श्रमशील
इस प्रकार नए शब्दों की रचना होती है। यही ‘शब्द-रचना’ कहलाती है। शब्द-रचना के मुख्य तीन प्रकार हैं :
- उपसर्ग
- प्रत्यय
- समास।
उपसर्ग (Prefix)
शब्दों के आदि में जुड़कर शब्दों के अर्थ में विशेषता लाने वाले शब्दांश ‘उपसर्ग’ कहलाते हैं। इन उपसर्गों का अलग से प्रयोग नहीं किया जा सकता अर्थात् स्वतंत्र रूप में इनका कोई विशेष महत्त्व नहीं होता। हिंदी में मुख्य रूप से संस्कृत तत्सम शब्द पाए जाते हैं। इसके अलावा हिंदी तथा उर्दू तत्सम शब्दों का भी प्रयोग होता है।
मूक सिनेमा में संवाद नहीं होते, उसमें दैहिक अभिनय की प्रधानता होती है। पर, जब सिनेमा बोलने लगा उसमें अनेक परिवर्तन हुए। उन परिवर्तनों को अभिनेता, दर्शक और कुछ तकनीकी दृष्टि से पाठ का आधार लेकर खोजें. साथ ही अपनी कल्पना का भी सहयोग लें।
यह सत्य है कि मूक सिनेमा में संवाद नहीं होते दैहिक अभिनय की प्रधानता होती है पर जब वह बोलने लगी तो उसमें अनेक परिवर्तन हुए। ये परिवर्तन अभिनेता. दर्शक और तकनीकी दृष्टि से हुए जो निम्न प्रकार से हैं-
(1) अभिनेता-पहले मूक फिल्मों में पहलवान शरीर वाले करतब दिखाने वाले और उछल कूद करने वाले अभिनेताओं को प्रमुखता दी जाती थी लेकिन जब फिल्म बोलने लगी तो संवाद बोलना प्रमुख हो गया। एसे में पढ़े-लिखे अभिनेताओं को प्रमुखता दी गई क्योंकि संवाद शुद्ध व सही रूप में बोले जाने जरूरी थे। समयानुसार कई बार संवादों में परिवर्तन भी करना पड़ता था।
(2) दर्शक-बोलने वाली फिल्मों ने दर्शकों की रुचि में अपार परिवर्तन ला दिया। उन्हें फिल्मे सच के धरातल पर दिखाई देने लगी। अब फिल्मों में सार्वजनिक झलक दिखाई देने लगी।
(3) तकनीकी दृष्टि-तकनीकी स्वरूप में भी अब काफी परिवर्तन आ गया। पहला परिवर्तन ध्वनि के कारण हुआ और दूसरा महत्त्वपूर्ण परिवर्तन कृत्रिम प्रकाश देने से आया। भाषा में भी बदलाव आ गया। अब परिष्कृत भाषा का प्रयोग होने लगा। वाद्य यंत्रों का भी प्रयोग बढ़ गया क्योंकि अब गीत गाए जाने लगे थे।