सच्चा संत कौन है 1 Point I जो पूजा पाठ करे II जो परोपकार करे III जो निष्पक्ष रूप से ईश ध्यान करे IV जो अपने दैनिक कार्य करे? - sachcha sant kaun hai 1 point i jo pooja paath kare ii jo paropakaar kare iii jo nishpaksh roop se eesh dhyaan kare iv jo apane dainik kaary kare?

सच्चा संत का पूरा जीवन ईश्वर को समर्पित होता है

Author: Preeti jhaPublish Date: Thu, 01 Sep 2016 11:03 AM (IST)Updated Date: Thu, 01 Sep 2016 11:13 AM (IST)

कबीर कहते हैं कि साधु प्रेम-भाव का भूखा होता, वह धन का भूखा नहीं होता। जो धन का भूखा होकर लालच में फिरता है, वह सच्चा साधु नहीं होता।

सच्चा संत वही है, जो सहज भाव से विचार करे और आचरण करे। जब उसका मान हो, तब उसे अभिमान न हो और कभी उसका अपमान हो जाए, तो उसे अहंकार नहीं करना चाहिए। हर हाल में उसकी वाणी मधुर, व्यवहार संयमशील और चरित्र प्रभावशाली होना चाहिए। संत शब्द का अर्थ ही है, सज्जन और धार्मिक व्यक्ति।
सच्चा संत सभी के प्रति निरपेक्ष और समान भाव रखता है, क्योंकि सच्चा संत, हर इंसान में भगवान को ही देखता है, उसकी नजर में हर व्यक्ति में भगवान वास करते हैं, इसलिए उस पर किसी भी तरह के व्यवहार का कोई प्रभाव नहीं पड़ता। सच्चा संत वही है, जिसने अपनी इंद्रियों पर नियंत्रण प्राप्त कर लिया हो और वह हर तरह की कामना से मुक्त हो।
कबीर दास जी कहते हैं कि साधु प्रेम-भाव का भूखा होता है, वह धन का भूखा नहीं होता। जो धन का भूखा होकर लालच में फिरता रहता है, वह सच्चा साधु नहीं होता। ईश्वर के उद्देश्यों और भावनाओं से जुड़ा हुआ संत ही सच्चा संत है। कहा गया है कि साधु ऐसा चाहिए, जो हरि की तरह ही हो। एक बार भगवान एक जंगल से गुजर रहे थे, तो वहां उन्हें एक संत मिले। भगवान ने उनसे कहा कि जाओ, तुम दूसरों की भलाई करो। संत ने कहा, महाराज यह मेरे लिए बहुत कठिन कार्य है, क्योंकि मैंने आज तक किसी को दूसरा समझा ही नहीं है, फिर मैं दूसरों का कल्याण कैसे करूंगा? भगवान संत से प्रभावित हुए और बोले अब आपकी छाया जिस पर भी पड़ेगी, उसका कल्याण होगा। संत ने कहा-हे देव मुझ पर एक और कृपा करें। मेरी वजह से किस-किस की भलाई हो रही है, इसका पता मुङो न चले, नहीं तो इससे उत्पन्न अहंकार मुङो पतन के मार्ग पर ले जाएगा। संत के इस वचन को सुनकर भगवान अभिभूत हो गए। परोपकार करने वाले सच्चे संत के ऐसे ही विचार होते हैं। असल में गेरुए वस्त्र पहनने और हिमालय पर चले जाने मात्र से कोई साधु नहीं बन जाता, बल्कि सच्चा संपूर्ण मानवता के लिए समर्पित होकर सबके विकास को गति देता है। कहा गया है कि संत की पहचान इस बात में नहीं है कि उसे शास्त्रों का कितना अधिक ज्ञान है, बल्कि उसके द्वारा लोकहित में किये गए कार्य उसे सच्चा संत बनाते हैं। सच्चे संत का इस संसार में बड़ा महत्व है, क्योंकि वह ईश्वर का एक प्रतिनिधि होता है, सच्चा संत का पूरा जीवन ईश्वर को समर्पित होता है

Edited By: Preeti jha

कवि के अनुसार सच्चा संत कौन है?

इस संसार में सच्चा संत कौन कहलाता है ? उत्तर:- कबीर के अनुसार सच्चा संत वही कहलाता है जो साम्प्रदायिक भेदभाव, सांसारिक मोह माया से दूर, सभी स्तिथियों में समभाव (सुख दुःख, लाभ-हानि, ऊँच-नीच, अच्छा-बुरा) तथा निश्छल भाव से प्रभु भक्ति में लीन रहता है।

सच्चा साधु कौन है?

कबीर कहते हैं कि साधु प्रेम-भाव का भूखा होता, वह धन का भूखा नहीं होता। जो धन का भूखा होकर लालच में फिरता है, वह सच्चा साधु नहीं होता। सच्चा संत वही है, जो सहज भाव से विचार करे और आचरण करे। जब उसका मान हो, तब उसे अभिमान न हो और कभी उसका अपमान हो जाए, तो उसे अहंकार नहीं करना चाहिए।

संत की पहचान क्या है?

सच्चा संत व्यक्तियों के समूह से दूर रहकर अपनी साधना में लीन रहता है। जब वह बाहर से मौन धारण कर चुप रहता है, तब वह भीतर ही भीतर ईश्वर से बातें करता रहता है और जब उसके नेत्र मुंदे होते हैं, तब वह ईश्वर की महिमा का साक्षात्कार कर रहा होता है।

इस संसार में सच्चा प्रेमी कौन कहलाता है?

कवि के अनुसार सच्चे प्रेम की कसौटी भक्त की ईश्वर के प्रति सच्ची भक्ति से है। क्योंकि सच्चा प्रेमी ईश्वर के अलावा किसी से कोई मोह नहीं रखता है। उससे मिलने पर मन की सारी मलिनता नष्ट हो जाती है। पाप धुल जाते हैं और सदभावनाएँ जाग्रत हो जाती है।

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