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खरपतवार नष्ट करने धान में दवा छिड़कें किसान
जिले में रोपी गई 17 हजार हेक्टेयर क्षेत्र की धान की फसल में खरपतवार नियंत्रण के संबंध में कृषि विशेषज्ञों ने किसानों को आवश्यक सलाह दी है। कृषि विशेषज्ञों ने किसानों से अपील की है कि धान रोपाई के दो-तीन दिन के अंदर घास की खरपतवार नियंत्रित करने के लिये प्रेटीलाफ्लोर दवा 1250 मिलि प्रति हेक्टेयर के मान से छिड़काव करें।
उपसंचालक किसान कल्याण तथा कृषि विकास एसके माहौर ने सलाह दी है कि धान की फसल में चौड़ी पत्ते वाले खरपतवारों के नियंत्रण के लिये रोपाई के दो-तीन दिन के अंदर पाइरोजोसल्फ्यूरॉन दवा 200 ग्राम प्रति हेक्टेयर के मान से उपयोग में लाएं। यदि दो-तीन दिन के अंदर खरपतवार नाशी दवा उपयोग न कर पाया हो तो घास कुल के मौथा तथा पत्ते वाले खरपतवारों के नियंत्रण के लिये धान रोपाई के 15-20 चौडी दिन के अंदर विसपायरिवेक सोडियम 80 मिलि. दवा प्रति हेक्टेयर के मान से उपयोग करें। धान फसल में जैव उर्वरकों के रूप में एजोस्पिरिलियन या एजोटावेक्टर एवं पीएसबी जीवाणुओं की पांच किग्रा. मात्रा को 50 किग्रा. सडी हुई गोबर खाद में मिलाकर प्रति हेक्टेयर के मान से भुरकाव करना चाहिए। रोपाई के 20 दिन बार धान के खेत में 15 किग्रा. प्रति हेक्टेयर नील हरित काई का भुरकाव तीन सेंटीमीटर पानी की तह रखते हुए करें।
धान की रोपणी करती महिलाएं।
दलहनी फसलों का ऐसे करें संरक्षण
दलहनी फसलों में कीट प्रबंधन तथा पौध संरक्षण के लिये जल भराव न रहने दें। वर्षा रूकने के तुरंत बाद जरूरत होने पर जल निकासी की व्यवस्था करना चाहिए। विशेषकर मूंग, उड़द, लोबिया, मोंठ, गुवार आदि की बुवाई के तुरंत बाद खरपतवार नियंत्रण के लिये पेन्डीमेथीलिन एक किलोग्राम प्रति हेक्टेयर सक्रिय तत्व को 600 से 800 लिटर पानी में घोलकर
छिडकाव करना चाहिए। अरहर की फसल में जहाँ फाइटोप्थोरा अंगमारी का प्रकोप अधिक हुआ हो तो वहां शुरूआती अवस्था में निराई-गुडाई से बचने की सलाह उपसंचालक किसान कल्याण तथा कृषि विकास एसके माहौर द्वारा दी गई है।
सलाह