प्याज का जन्म कब हुआ था? - pyaaj ka janm kab hua tha?

व्रत और पूजा में क्यों नहीं होता है लहसुन तथा प्याज का प्रयोग? पढ़ें यह पौराणिक कथा

अधिकतर लोगों के मन में यह सवाल आता है कि लहसुन तथा प्याज का प्रयोग व्रत और पूजा में क्यों नहीं किया जाता है? इस सवाल का जवाब समुद्र मंथन की पौराणिक घटना में है। आइए पढ़ें इससे जुड़ी कथा।

लहसुन तथा प्याज के आयुर्वेदिक गुणों से हर कोई वाकिफ है। लहसुन तथा प्याज सब्जियों का हिस्सा है। हालांकि अधिकतर लोगों के मन में यह सवाल आता है कि लहसुन तथा प्याज का प्रयोग व्रत और पूजा में क्यों नहीं किया जाता है? इस सवाल का जवाब समुद्र मंथन की पौराणिक घटना में छिपा है। आइए जानते हैं कि समुद्र मंथन के समय ऐसा क्या हुआ था, जिसके कारण लहसुन और प्याज का प्रयोग पूजा तथा व्रत में वर्जित है।

समुद्र मंथन की घटना

श्रीहीन हो चुके स्वर्ग को खोई हुई वैभव-संपदा की प्राप्ति के लिए देव और असुरों ने मिलकर समुद्र मंथन किया था। समुद्र मंथन करने के दौरान लक्ष्मी के साथ कई रत्नों समेत अमृत कलश भी निकला था। अमृत पान के लिए देवताओं और असुरों में विवाद हुआ, तो भगवान विष्णु मोहिनी रुप धारण कर अमृत बांटने लगे।

सबसे पहले अमृत पान की बारी देवताओं की थी, तो भगवान विष्णु क्रमश: देवताओं को अमृत पान कराने लगे। तभी एक राक्षस देवता का रूप धारण कर उनकी पंक्ति में खड़ा हो गया। सूर्य देव और चंद्र देव उसे पहचान गए। उन्होंने विष्णु भगवान से उस राक्षस की सच्चाई बताई, तब भगवान विष्णु ने अपने चक्र से उसका सिर धड़ से अलग कर दिया। उसने थोड़ा अमृत पान किया था, जो अभी उसके मुख में था। सिर कटने से खून और अमृत की कुछ बूंदें जमीन पर गिर गईं। उससे ही लहसुन और प्याज की उत्पत्ति हुई। जिस राक्षस का सिर और धड़ भगवान विष्णु ने काटा था, उसका सिर राहु और धड़ केतु के रूप में जाना जाने लगा।

राक्षस के अंश से लहसुन और प्याज की उत्पत्ति

राक्षस के अंश से लहसुन और प्याज की उत्पत्ति हुई थी, इस कारण से उसे व्रत या पूजा में शामिल नहीं किया जाता है। उनकी जहां उत्पत्ति हुई थी, वहां अमृत की बूंदें भी गिरी थीं, इस कारण से लहसुन और प्याज में अमृत स्वरूप औषधीय गुण विद्यमान हो गए। लहसुन और प्याज कई तरह की बीमारियों में लाभदायक होता है। राक्षस के अंश से उत्पत्ति के कारण इसे काफी लोग अपने भोजन में भी शामिल नहीं करते हैं। लहसुन और प्याज को तामसिक भोज्य पदार्थ माना जाता है। इस वजह से भी इसे पूजा आदि में वर्जित किया गया है।

Edited By: Kartikey Tiwari

 

सबसे पहले हम बात करते हैं आध्यात्मिक कारण की। पुराणों में ऐसा कहा गया है कि समुंद्र मंथन के दौरान जब समुंद्र से अमृत के कलश को निकाला गया तो देवताओं को अमरत्व प्रदान करने के उद्देश्य से भगवान विष्णु उन सभी में अमृत बांट रहे थे। उस समय राहु और केतु नाम के दो राक्षस अमर होने के लिए देवताओं के बीच में आकर बैठ गए। भगवान विष्णु ने गलती से राहु और केतु को भी अमृत पिला दिया।

 

हालांकि जैसे ही भगवान विष्णु को इसकी भनक लगी तो उन्होंने बिना देर किए सुदर्शन चक्र से इन राक्षसों के सिर को धड़ से अलग कर दिया, लेकिन तब तक अमृत की कुछ बूंदें इनके मुंह में चली गई थी। इस वजह से उन दोनों का सिर तो अमर हो गया, लेकिन धड़ नष्ट हो गया।

विष्णु जी ने जब इन दोनों पर प्रहार किया तो खून की कुछ बूंदे नीचे गिर गई थी। ऐसा कहा जाता है कि खून की उन्हीं बूंदों से प्याज और लहसुन की उत्पत्ति हुई। इसी वजह से हम जब भी इसका सेवन करते हैं तो मुंह से अजीब तरह की गंध आती है। चूंकि राक्षसों के खून से प्याज और लहसून की उत्पत्ति हुई तो इसलिए ब्राह्मण इसे नहीं खाते हैं।

अब बात करते हैं वैज्ञानिक कारण की। आयुर्वेद में खाद्य पदार्थों को तीन श्रेणियों में बांटा गया है – सात्विक, राजसिक और तामसिक।

सात्विक: शांति, संयम, पवित्रता और मन की शांति जैसे गुण
राजसिक: जुनून और खुशी जैसे गुण
तामसिक: क्रोध, जुनून, अहंकार और विनाश जैसे गुण

 

प्याज और लहसुन तामसिक की श्रेणी में आते हैं। ऐसा माना जाता है कि इन्हें ज्यादा नहीं खाना चाहिए क्योंकि इससे व्यक्ति के व्यवहार में बदलाव आ जाता है। इससे इंसान कुछ हद तक हिंसक प्रकृति के हो जाते हैं। संयम का अभाव हो जाता है, क्रोध की मात्रा बढ़ जाती है और शरीर गर्म हो जाता है।

मोहिनी रूप में विष्णु भगवान ने जैसे ही अमृत बांटना शुरू किया तभी दो राक्षस राहु और केतु वहां आकर बैठ गए। भगवान ने उन्हें देवता समझकर अमृत की बूंदे दे दीं।

वैसे तो लहसुन और प्याज को रोगों से लड़ने में सहायक माना गया है। लेकिन कई धर्म के लोग इन दोनों सब्जियों को नहीं खाते हैं। साथ ही भगवान के भोग में भी इनका इस्तेमाल नहीं किया जाता है। हालांकि इसके पीछे बहुत से धार्मिक और वैज्ञानिक कारण भी बताए गए हैं। लेकिन आज हम आपको बताने जा रहे हैं, इससे जुड़ी एक पौराणिक कथा, जो लोगों के बीच में काफी प्रचलित है।

माना जाता है कि जब देवताओं और राक्षसों के बीच में समुद्रमंथन हुआ। इस समुद्र मंथन से जैसे ही अमृत निकला, देवताओं और राक्षसों के बीच में छीना-झपटी होने लगी। अमृत राक्षसों के हाथ में न लग जाए, इस कारण भगवान विष्णु ने मोहिनी का रूप धारण किया। जिससे राक्षसों को भ्रमित किया जा सके और देवताओं को अमृत मिल पाए। मोहिनी रूप में विष्णु भगवान ने जैसे ही अमृत बांटना शुरू किया तभी दो राक्षस राहु और केतु वहां आकर बैठ गए। भगवान ने उन्हें देवता समझकर अमृत की बूंदे दे दीं। तभी सूर्य और चंद्रमा ने भगवान विष्णु को उनके राक्षस होने की  पहचान बताई। जिससे तुरंत भगवान विष्णु ने उन दोनों का सिर काट डाला।

हालांकि इस समय तक अमृत उनके गले से शरीर तक नहीं पहुंचा था। जिस कराण ये राक्षस तुरंत ही नष्ट हो गए थे। लेकिन राहु-केतु के मुख में अमृत पहुंच चुका था, इसलिए दोनों राक्षसों के मुख अमर हो गए। भगवान विष्णु द्वारा सिर काटते ही अमृत की जो बूंदें रक्त के रूप में जमीन पर गिरी, उससे प्याज और लहसुन की उत्पत्ति हुई। अमृत से उत्पन्न होने के कारण इन दोनों सब्जियों को रोगनाशक और जीवनदायी माना गया है। लेकिन राक्षसों के मुंह से जन्म लेने के कारण इन्हे देवताओं को अर्पित नहीं किया जाता है।

धर्म शास्त्रों के अनुसार भी लहसुन और प्याज जैसी सब्जियों को अच्छा नहीं माना गया है। इसके पीछे तर्क यह है कि ये दोनों सब्जियां जुनून, उत्तजेना और अज्ञानता और तामसिक प्रवृति को बढ़ावा देती हैं, जिन्हें प्रकृति प्रदत्त भावनाओं में सबसे निचले दर्जे का माना गया है। साथ ही यह भी माना गया है कि ये व्यक्ति के मन को अस्थिर करता है, जिस कारण मन एकाग्र नहीं हो पाता और अध्यात्म के मार्ग में बाधा उत्पन्न होने लगती है। इसलिए ऐसा कहा जाता है कि भगवान के भोग में  लहसुन और प्याज के इस्तेमाल से परहेज किया जाता है।

प्याज की उत्पत्ति कब हुई?

प्याज का प्रयोग आज से 4000 साल पहले भी विभिन्न व्यंजनों में किया जाता था. यह बात पता चली मेसोपोटामिया काल के एक लेख से, जिसे सबसे पहले पढ़ा 1985 में एक फ्रेंच पुरातत्वविद ने. उत्पादन के मामले प्याज दुनिया के सबसे अधिक देशों में पैदा होता है.

लहसुन कैसे पैदा हुआ?

जब काफी समय हो गया राक्षसों की बारी नहीं आ रही थी तब एक एक गाना भेज बदलकर देवताओं की लाइन में आकर अमृत पान करने लगा उसी समय भगवान समझ गए और उन्होंने उसका सिर काट दिया। वहीदा ना राहु व केतु कहलाया। उसके शरीर से गिरी रक्त की बूंदों से लहसुन व प्याज की उत्पत्ति हुई। यही कारण है कि लहसुन प्याज में अजीब सी सुगंध आती है।

प्याज का असली नाम क्या है?

प्याज का वैज्ञानिक नाम एलियम सेपा हैं। मूल रूप से प्याज को सब्जी माना गया है।

पुराणों के अनुसार लहसुन और प्याज की उत्पत्ति कैसे हुई?

उन्होंने विष्णु भगवान से उस राक्षस की सच्चाई बताई, तब भगवान विष्णु ने अपने चक्र से उसका सिर धड़ से अलग कर दिया। उसने थोड़ा अमृत पान किया था, जो अभी उसके मुख में था। सिर कटने से खून और अमृत की कुछ बूंदें जमीन पर गिर गईं। उससे ही लहसुन और प्याज की उत्पत्ति हुई

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